विभाजन को समझना राजनीति स्मृति अनुभव-पुनरावृति नोट्स
सीबीएसई कक्षा 12 इतिहास
पुनरावृत्ति नोट्स
स्मरणीय बिन्दु-
- 15, अगस्त, 1947 में देश की आजादी की ख़ुशी विभाजन की हिंसा और बर्बरता से बदरंग हो गई। ब्रिटिश भारत का दो संप्रभु राज्यो भाट और पाकिस्तान (पश्चिमी और पूर्वी) में बँटवारा किया गया।
- बँटवारे की घटनाओं का बयान करने वाले विद्वानों के अनुमानों के अनुसार मरने वालों की तादात 2 लाख से 5 लाख के बीच रही होगी।
- बँटवारे के दौरान व्यापक हिंसा होना, लोगों का शरणार्थी होना, मरने वाले लोगों को बड़ी संख्या, स्थानीय व क्षेत्रीय संस्कृतियों से वंचित लोग।
- जिंदा बचने वालों द्वारा 1947 को मार्शल-ला मारामारी तथा रौला या हुल्लड़ द्वारा व्यक्त करना।
- भारत में पाकिस्तान से घृणा करने वाले तथा पाकिस्तान में भारत से घृणा करने वाले दोनों ही बँटवारे की उपज है।
- विद्वानों के अनुसार बँटवारा सांप्रदायिक राजनीति का चरम बिंदु था जो 1909 में पृथक चुनाव क्षेत्रों में शुरू हुआ।
- 1920 व 30 के दशकों में गो-रक्षा आंदोलन, शुद्धिकरण, तबलीग व तंजीम ने साप्रंदायिकता को और अधिक बढ़ाया।
- सांप्रदायिकता का अर्थ उस राजनीति से है जो धार्मिक समुदायों के बीच विरोध और झगड़े पैदा करती है।
- 1937 में कांग्रेस ने प्रांतीय संसदों के चुनावों में 11 में से 5 प्रांतों में पूर्ण बहुमत हासिल किया तथा 7 में अपनी सरकारें बनाईं।
- उर्दू कवि मोहम्मद इकबाल ने 1930 ई. में मुस्लिम लीग के अधिवेशन में अध्यक्षीय भाषण देते हुए एक "उत्तर-पश्चिमी मुस्लिम राज्य" की जरूरत पर जोर दिया।
- कांग्रेस कार्यकारी समिति ने दिसम्बर, 1938 ई. में यह ऐलान किया कि कांग्रेस के सदस्य हिन्दू महासभा के सदस्य नहीं हो सकते।
- 1940 ई. में मुस्लिम लीग ने उपमहाद्वीप के मुस्लिम बहुल इलाकों के लिए समिति स्वायत्तता की माँग करते हुए एक प्रस्ताव पेश किया।
- मुस्लिम लीग की स्थापना 1906 तथा हिंदू महासभा की स्थापना 1915 में हुई।
- 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के कारण अंग्रेजो का सत्ता हस्तांतरण की बातचीत के लिए तैयार होना।
- जिन्ना के अडियल रवैये के कारण 1945 की सता हस्तांतरण की वार्ता का असफल रहना। जिन्ना इस बात पर अड़ गए कि कार्यकारिणी सभा के मुस्लिम सदस्यों का चुनाव करने का अधिकार सिर्फ मुस्लिम लीग को मिले।
- 1946 के प्रांतीय चुनावों में सामान्य सीटों पर काँग्रेस व मुसलमानों के लिए आरक्षित सीटों पर मुस्लिम लीग को भारी सफलता मिलना।
- कांग्रेस व लीग द्वारा कैबिनेट मिशन के सुझावों की अलग-अलग व्याख्या से कैबिनेट मिशन का असफल होना।
- केवल महात्मा गाँधी और उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत के नेता खान अब्दुल गफ्फार खान ही अंत तक विभाजन का विरोध करते रहे।
- मुस्लिम लीग ने 16 अगस्त, 1946 को "प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस (Direct action day) मनाने आ ऐलान किया।
- मार्च, 1946 ई. में कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब को मुस्लिम बहुल और हिन्दू/सिक्ख-बहुल दो हिस्सों में बाँटने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
- देश विभाजन के बाद पाकिस्तान गए उर्दू भाषी लोगों को वहाँ "मुहाजिर" (अप्रवासी) कहा जाता है। ये लोग सिंघ के कराची-हैदराबाद इलाके में बसे।
- सांप्रदायिक सद्भाव बहाल करने के लिए गांधी जी द्वारा नोआखली (वर्तमान बांग्लादेश), कलकत्ता, तथा दिल्ली आदि स्थानों पर दौरा करना।
- अनेक इतिहासकार मौखिक इतिहास के बारे में अभी भी शंकालु हैं।
- बंगाली मुसलमानों द्वारा जिन्ना के द्विराष्ट्र-सिद्धान्त को नकारते हुए 1971-72 में बांग्लादेश की स्थापना।
- तक़्सीम के दौरान आम लोगों की कठिनाइयों को समझने में मौखिक वृतांत संस्मरण, पारिवरिक इतिहास, स्वलिखित ब्यौरें और डायरियाँ मददगार साबित होते है।
- पाकिस्तान अथवा पाक-स्तान (पंजाब, अफगान, कश्मीर और बलूचिस्तान) नाम केम्ब्रिज के एक पंजाबी मुसलमान छात्र-चौधरी रहमत अली ने 1933 और 1935 में लिखित दो पर्चो में छापा।
- इतिहासकारों को मौखिक गवाही से बहुरंगी और सजीव वृत्तांत लिखने की काबिलियत मिलती है।
महत्वपूर्ण बिंदु-
1. बंटवारे के कुछ अनुभव
- बयानों द्वारा बंटवारे को अनुभव बयानकर्ता पाकिस्तानी शोधकर्ता भारतीय
2. ऐतिहासिक मोह
2.1 बंटवारा या महाध्वस
- बंटवारे से हिंदू मुस्लिम दिलों को बांटना
- हिंदू मुस्लिम दंगों की भरमार
- नस्ली सझाया
2.2 रूढ़ छवियों की ताकत
- भारत में पाकिस्तान और पाकिस्तान में भारतीय से नफरत का सिलसिला
- एक-दूसरे पर छींटाकसी
- गलत स्मृतियों, घृणाक्त, छवियों का दौर
- सांप्रदायिक संशय और अविश्वास
3. विभाजन क्यों और कैसे हुआ
3.1 एक लंबे इतिहास का अंतिम चरण
- मुस्लिम लीग की स्थापना
- लखनऊ समझौता 1916
- आर्य समाज की स्थापना
- हिंदू महासभा का सक्रिय होना
3.2 1937 में प्रतिक चुनाव और कांग्रेसी मंगल्य
- हिंदू और मुस्लिम नेताओं की नासमझी
3.3 पाकिस्तान का प्रस्ताव
- 1940 में मुस्लिम लीग की सुगसुगाहट
- मुहम्मद अली जिन्ना की भूमिका
3.4 विभाजन का अचानक हो जाना
- 1940 का मुस्लिम लीग का प्रस्ताव
- चौधरी रहमत अली, सिकन्दर हयातखान, मुहम्मद इकबाल और जिन्ना के प्रयास
3.5 युद्धोत्तर घटनाक्रम
- 1946 में दुबारा प्रांतीय चुनाव
- 1946 में मुस्लिम मतदाताओं के बीच मुस्लिम लीग लोकप्रिय पार्टी
3.6 विभाजन का एक संभावित विकल्प
- केबिनेट मिशन की स्थापना
- केबिनेट मिशन की असफलता
- सीमांत गाँधी की भूमिका - विभाजन के कट्टर विरोधी
3.7 विभाजन की ओर
- प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस 1946
- मुख्य शहरों में दंगों का भड़कना
4. कानून व्यवस्था नाश
- दंगों के दौरान हिंसा और आगजनी की घटनाएँ
- कानून व्यवस्था का चरमराना
4.1 महात्मा गाँधी - एक अकेली फौज़
- नौआखली का दंगा
- महात्मा गाँधी द्वारा हृदय परिवर्तन पर जोर
5. बंटवारे में औरतें
5.1 औरतों की बरामदगी
- औरतों के साथ बदसलूकी
5.2 इज्जत की रक्षा
- औरतों की अस्मिता की रक्षा
- अनेक औरतों द्वारा आत्महत्या
6. क्षेत्रीय विविधताएँ
- विभिन्न क्षेत्रों की विभिन्न समस्याएँ
- हिंदू मुस्लिम परिवारों का पलायन
7. मदद मानवता और सद्भावना
8. मौखिक गवाही और इतिहास
- बंटवारे से जुड़ी घटनाओं का सही विवरण
- साहित्यकारों और कलाकारों द्वारा बंटवारे की पीड़ा का वर्णन
- सरकारी दस्तावेजों को भी आधार बनाना
9. हमें हजारों सालों तक दबाया गया
- दलित जातियों के अधिकारों की समस्या
10. राज्य की शक्तियाँ
- संघवाद की ओर
- शक्तियों का विभाजन
- सूचियों का निर्माण
10.1 केंद्र बिखर जाएगा
- बहुमत शक्तिशाली केंद्र के पक्ष में
10.2 आज हमें एक शक्तिशाली सरकार की आवश्यकता है
- एक शक्तिशाली केंद्र समय की मांग
11. राष्ट्र की भाषा
- हिंदी और तमिल आमने-सामने
- हिन्दुस्तानी हिंदी राजभाषा
11.1 हिंदी की हिमायत
- हिंदी राजभाषा बनी
11.2 वर्चस्व का भय
- दक्षिण में हिंदी का कड़ा विरोध
- चर्चाओं का दौर शुरू
- हिंदी राजभाषा के रूप में स्वीकार्य