भारतीय राजनीति नए बदलाव - पुनरावृति नोट्स

CBSE Class 12 राजनीति विज्ञान
पुनरावृति नोटस
भाग-2 पाठ-9
भारतीय राजनीति में नए नए बदलाव

स्मरणीय बिंदु-
  1. 1980 के दशक के आखिर के सालों में देश में पाँच ऐसे बड़े बदलाव आए, जिनका हमारी आगे की राजनीति पर गहरा असर पड़ा-1989 के चुनावों में कांग्रेस की हार, 1990 में मंडल मुद्दे का उदय, 1991 में नए आर्थिक सुधार, 1992 में अयोध्या और 1991 में राजीव गांधी की हत्या।
  2. 1989 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार हुई, लेकिन किसी भी दूसरी पार्टी को इस चुनाव में स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। परिणामस्वरूप गठबंधन की सरकार बनी, जिसमें क्षेत्रीय दलों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  3. नब्बे का दशक कुछ ताकतवर पार्टियों और आंदोलनों के उभार का साक्षी रहा। इन पार्टियों और आंदोलनों ने दलित और पिछड़े वर्ग की नुमाइदगी की। इन दलों में से अनेक ने क्षेत्रीय आकांक्षाओं की भी दमदार दावेदारी की। 1996 में बनी संयुक्त मोर्चे की सरकार में इन पार्टियों ने मुख्य भूमिका निभाई।
  4.  इस प्रकार 1989 के चुनावों से भारत में गठबंधन की राजनीति के लंबे दौर की शुरुआत हुई। इसके बाद से केन्द्र में जो सरकारें बनीं, वे सभी या तो गठबंधन की सरकारें थीं या दूसरे दलों के समर्थन पर टिकी अल्पमत की सरकारें थीं, जो इन सरकारों में शामिल नहीं हुए।
  5. राष्ट्रीय मोर्चा की सकरार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने का फैसला किया। इससे अन्य पिछडा वर्ग की राजनीति की सुगठित रूप देने में मदद मिली। नौकरी में आरक्षण के सवाल पर तीखे वाद-विवाद हुए और इन विवादों से 'अन्य पिछड़ा वर्ग' अपनी पहचान को लेकर ज्यादा सजग हुआ।
  6. जनता पार्टी के कई घटक, मसलन भारतीय क्रांतिदल और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का ग्रामीण इलाकों के अन्य पिछड़े वर्ग में ताकतवर जनाधार था। 1978 में बामसेफ (बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी क्लासेज एम्पलाइज फेडरेशन) का गठन हुआ। इस संगठन ने बहुजन अर्थात् अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछडा वर्ग और अल्पसंख्यकों की राजनीतिक सत्ता की तरफदारी की। इसी के बाद बहुजन समाज पार्टी का उदय हुआ, जिसकी अगुआई कांशीराम ने की। इस पार्टी का सबसे ज्यादा समर्थन दलित मतदाता करते हैं, लेकिन अब इसने समाज के विभिन्न वर्गों के बीच अपना जनाधार बनाना शुरू किया है।
  7. 1986 के बाद भाजपा ने अपनी विचारधारा में हिंदू राष्ट्रवाद के तत्वों पर जोर देना शुरू किया। इस साल ऐसी दो बातें हुई, जो एक हिंदूवादी पार्टी के रूप में भाजपा की राजनीति के लिहाज से प्रधान हो गई। इनमें पहली बात 1985 के शाहबानो मामले से जुड़ी है और दूसरी बात अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद के विध्वंस से जुड़ी है, जो दिसंबर 1992 की घटना है। मस्जिद के विध्वंस की खबर से देश के कई भागों में हिंदू और मुसलमानों के बीच झड़पें हुई।
  8. 2002 के फरवरी-मार्च में गुजरात के मुसलमानों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। गोधरा स्टेशन पर घटी एक घटना इस हिंसा का तात्कालिक उकसावा साबित हुई। अयोध्या की ओर से आ रही एक ट्रेन की बोगी कारसेवकों से भरी हुई थी और इसमें आग लग गई। सत्तावन व्यक्ति इस आग में मर गए। यह संदेह करके कि आग मुसलमानों ने लगाई होगी, अगले दिन गुजरात के कई भागों में मुसलमानों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। हिंसा का यह तांडव लगभग एक महीने तक चला। लगभग 1,100 व्यक्ति, जिसमें ज्यादातर मुसलमलान थे, इस हिंसा में मारे गए।
  9. 1990 के दशक के बाद से हमारे सामने जो राजनीतिक प्रक्रिया आकार ले रही है, उसमें मुख्य रूप से चार तरह की पार्टियाँ उभरकर सामने आई हैं- कांग्रेस के साथ गठबंधन में शामिल दल, भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल दल, वाम मोर्चा के दल और कुछ ऐसे दल, जो इन तीनों में से किसी में शामिल नहीं हैं।
  10. अनेक महत्वपूर्ण मसलों पर अधिकतर दलों के बीच एक व्यापक सहमति है। कड़े मुकाबले और बहुत-से संघर्षों के बावजूद अधिकतर दलों के बीच एक सहमति उभरती-सी दिखती है। इस सहमति में चार बातें है-नई आर्थिक नीति पर सहमति, पिछड़ी जातियों के राजनीतिक और सामाजिक दावों की स्वीकृति, देश के शासन में प्रांतीय दलों की भूमिका की स्वीकृत, विचारधारा की जगह कार्यसिद्धि पर जोर और विचाराधारा सहमति के बगैर राजनीतिक गठजांड।
  11. गठबंधन सरकार-गठबंधन की सरकार में अनेक राजनीतिक पार्टियाँ एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत सरकार का गठन करती हैं। इसमें किसी एक पार्टी का वर्चस्व नहीं होता है। गठबंधन सरकार गठन के पीछे मुख्य कारण यह है कि इसमें किसी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है। गठबंधन की सरकार का गठन राष्ट्रीय संकट जैसे युद्ध या आर्थिक संकट की स्थिति में भी किया जाता है। अगर गठबंधन टूट जाता है, तो उस स्थिति में सदन में अविश्वास मत लाया जाता है।

    भारतीय परिप्रेक्ष्य में गठबंधन सरकार- राष्ट्रीय स्तर पर भारत में प्रथम गठबंधन सरकार जनता पार्टी के मोरारजी देसाई द्वारा बनाई गई, जिसका कार्यकाल 29 मार्च, 1977 से 15 जुलाई, 1979 तक था। यह सरकर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में प्रथम गठबंधन सरकार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की बनी, जिसके प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। यह सरकार 1999 से 2004 तक चली और इसने अपना कार्यकाल पूरा किया। दूसरी गठबंधन सरकार, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की पूरे देश के 13 राजनैतिक दलों को मिलाकर बनाई गई, जिसने लगातार दो बार 2004 से 2009 तथा 2009-2014 तक अपना कार्यकाल पूरा किया। मई 2014 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार बनी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बने।
  • 1980 के आखिर के सालों में भारत में कई बड़े बदलाव आये।
  • कांग्रेस प्रणाली की समाप्ति: 1989 के बाद देश की राजनीति में कांग्रेस के प्रभुत्व का दौर समाप्त हो गया।
  • मंडल मुद्रा:- 1990 में वी. पी. सिंह के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय मोर्चा सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को अचानक लागू कर दिया और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) को सरकारी नौकरियां में आरक्षण दे दिया।
  • मंडल मुद्दे के राजनीतिकरण के परिणामस्वरूप अन्य पिछड़ा वर्ग भारतीय राजनीति के एक निर्धारक तत्व के रूप में उभर कर आया।
  • नई आर्थिक नीति: 1991 में पी. वी नरसिम्हाराव के नेतृत्व वाली सरकार जिसके वित्तमंत्री मनमोहन सिंह थे ने देश में नई आर्थिक नीति लागू की जिसे बाद में आने वाली सभी सरकारो ने जारी रखा।
  • अयोध्या मुद्रा: दिसम्बर 1992 में अयोध्या स्थित एक विवादित ढाँचे को नुकसान पहुँचाने के बाद देश में साम्प्रदायिक तनाव फैल गया।
  • मई 1991 में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई।
  • 2002 में गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क गये।
  • कांग्रेस प्रणाली की समाप्ति के बाद के समय में भी कांग्रेस एक महत्वपूर्ण पार्टी बनी रही। भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी देश की राजनीति में प्रभावशाली ताकत के रूप में उभरी।
  • 1989 के चुनावों के बाद गठबंधन का एक नया युग शुरू हो गया। इसके बाद बनी सभी सरकारें या तो अल्पमत सरकार थी या विभिन्न दलों की मिलीजुली अर्थात गठबंधन सरकार थी।
  • सहमति के मुद्दे: गठबंधन के इस दौर के कुछ मुद्दे ऐसे रहें हैं जिन पर देश के अधिकतर राजनीतिक दलों के बीच एक सहमति सी जान पड़ती है। ये मुद्दे निम्न हैं:-
मंडल मुद्दा:-
  • 1977 में जनता पार्टी सरकार ने दूसरे 'पिछड़ा आयोग' का गठन किया। इसके अध्यक्ष बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल थे इसलिए इसे मंडल आयोग के नाम से जाना जाता है।
  • मंडल आयोग की मुख्य सिफारिशें-
    1. अन्य पिछड़ा वर्ग OBC को सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण।
    2. भूमि सुधारों को पूर्णता से लागू करना।
  • 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री वी.पी. सिंह की सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने की घोषणा की। इसके खिलाफ देश के विभन्न भागों में मंडल विरोधी हिंसक प्रदर्शन हुए।
भारतीय राजनीति: नए बदलाव
  1. नई आर्थिक नीति
  2. पिछड़ी जातियों के राजनीतिक और सामाजिक दावों की स्वीकृति
  3. देश की राजनीति में क्षेत्राीय राजनीतिक दलों का प्रस्ताव स्वीकार करना
  4. विचारधारात्मक पक्ष की जगह कार्य सिद्ध पर जोर और विचारधारात्मक सहमति के बिना राजनीतिक गठजोड़।
सहमति के मुद्दे:-
विभिन्न दलों में बढ़ती सहमति के मुद्दे निम्न हैं:-
  • नई आर्थिक नीति पर सहमति।
  • पिछड़ी जातियों के राजनीतिक और सामाजिक दावों की स्वीकृति।
  • क्षेत्रीय दलों की भूमिका एवं साझेदारी को स्वीकृति।
  • विचारधारा की जगह कार्यसिद्धि पर जोर।