कुंवर नारायण - पुनरावृति नोट्स

 सीबीएसई कक्षा - 12 हिंदी कोर आरोह

पाठ – 03
कविता के बहाने


पाठ के सार - प्रस्तुत कविता में कवित्व शक्ति का वर्णन है। कविता चिड़िया की उड़ान की तरह कल्पना की उड़ान है लेकिन चिड़िया के उड़ने की अपनी सीमा है जबकि कवि अपनी कल्पना के पंख पसारकर देश और काल की सीमाओं से परे उड़ जाता है। फूल कविता लिखने की प्रेरणा तो बनता है लेकिन कविता तो बिना मुरझाए हर युग में अपनी खुशबू बिखेरती रहती है। कविता बच्चों के खेल के समान है और समय और काल की सीमाओं की परवाह किए बिना अपनी कल्पना के पंख पसारकर उड़ने की कला बचे भी जानते है।

  • मानवी बिंबों के माध्यम से काव्य रचना-प्रक्रिया को प्रस्तुत किया गया है।
  • कविता में चिड़िया फूल और बच्चे के प्रतीकों के माध्यम से बच्चे की रचनात्मक ऊर्जा की तुलना कविता-रचना से की गई है। चिड़िया को उड़ान फूल का विकास अपनी सीमा में आबद्ध है परन्तु कवि की कल्पना शक्ति एवं बालक के स्वप्न व ऊर्जा असीम हे।

साहित्य का महत्व, प्राकृतिक सौन्दर्य की अपेक्षा मानव के भाव-सौन्दर्य की श्रेष्ठता का प्रतिपादन किया गया है।


पाठ – 03

बात सीधी थी पर

पाठ के सार प्रस्तुत कविता में भाव के अनुरूप भाषा के महत्व पर बल दिया गया है।

कवि कहते हैं कि एक बार वह सरल सीधे कथ्य की अभिव्यक्ति में भी भाषा के चक्कर में ऐसा फँस गया की उसने कथ्य ही बदला लगता है। जिस प्रकार ज़ोर ज़बरदस्ती करने से कील की चूड़ी मर जाती है और तब चूड़ी दार कील को चूड़ीविहीन कील की तरह ठोंकना पड़ता है। उसी प्रकार कथ्य के अनुकूल भाषा के अभाव में प्रभावहीन भाषा में भाव को अभिव्यक्त किया जाता है।

अंत में भाव ने एक शरारती बचे के समान कवि से पूछा कि तूने क्या अभी तक भाषा का स्वाभाविक प्रयोग नहीं सीखा।

  • इस कविता में भाषा की संप्रेषण-शक्ति का महत्व दर्शाया गया है।
  • कृत्रिमता एवं भाषा की अनावश्यक पच्चीकारी से भाषा की पकड़ कमज़ोर हो जाती है। शब्द अपनी अर्थवत्ता खो बैठता है।