बंधुत्व जाति तथा वर्ग आरंभिक समाज-महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
सीबीएसई कक्षा -12 इतिहास
महत्वपूर्ण प्रश्न पाठ – 03
बंधुत्व, जाति तथा वर्ग आरंभिक समाज
(लगभग 600 ई.पू. से 60.0 ईसवी)
प्रश्नोत्तर
प्रश्नः-1 महाकाव्य का अर्थ स्पष्ट कीजिए । (2)
उत्तरः- एक लम्बी कविता जिसमें किसी नायक अथवा राष्ट्र के जीवन व उपलब्धियों का वर्णन हो । रामायण तथा महाभारत इसके उदाहरण है ।
प्रश्नः-2 मनुस्मृति का दो महत्व बताइए । (2)
उत्तरः- 1. यह तात्कालिक समाज के नियमों तथा प्रथाओं का वर्णन देता है ।
2. इसका प्रभाव आज भी हिन्दुओं की जीवन शैली में दिखाई देता है ।
प्रश्नः-3 महाभारत का युद्व क्यों हुआ था ? इसका क्या परिणाम हुआ ? (2)
उत्तरः- महाभारत का युद्व जमीन तथा अधिकारों को लेकर हुआ था । इसमें पाण्डवों की विजय हुई ।
प्रश्नः-4 कुल तथा जाति का क्या अर्थ है। (2)
उत्तरः- संस्कृत ग्रन्थों में कुल शब्द का प्रयोग परिवार के लिए और जाति का बाधंवों के बड़े समूह के लिए होता था ।
प्रश्नः-5 अर्तविवाह से क्या तात्पर्य है (2)
उत्तरः- अर्तविवाह में वैवाहिक संबंध समूह के मध्य ही होते है । यह समूह गोत्र, कुल अथवा जाति या फिर एक ही स्थान पर बसने वालो का हो सकता है ।
प्रश्नः-6 चांडाल किसे कहा जाता था ? (2)
उत्तरः- प्राचीन काल में वह कार्य करने वाले लोग जिन्हें उच्च वर्ग वर्जित मानता था जैसे शवों को दफन करना या जलाना मृत पशुओं को उठाना तथा उनका चमडा निकालना इत्यादि।
प्रश्नः-7 महाभारत की भाषा तथा विषयवस्तु पर प्रकाश डालिए ? (5)
उत्तरः- 1. महाभारत को मूलरूप में संस्कृत में लिखा गया है ।
2. भाषा सरल व सुबोध है ?
3. यह एक गतिषील ग्रंथ है ?
4. इसके अनेक पुर्नव्याख्याएँ आस्तित्व में आई ?
5. इसके अनेक प्रसंगो को मूर्तिकला नाट्य कला तथा नृत्य कला में देखा जा सकता है।
प्रश्नः-8 महाभारत के महत्व पर प्रकाश डालिए ? (5)
उत्तरः- 1. भारतीय संस्कृति तथा हिन्दू धर्म के विकास का लेखा जोखा है ।
2. यह एक बहुआयामी ग्रंथ है ।
3. समाज के सभी अंग जैसे राजनीति, धर्म, दर्शन तथा आदर्श की झलक मिलती है ।
4. इसमें युद्व व शांति, सदगुण व दुर्गुण की व्याख्या की गई है ।
5. भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण स्त्रोत है। रूपक कथाएँ संभवतः काल्पनिक है ।
प्रश्नः-9 महाभारत काल के द्वितीय चरण में (बारहवी से सातवी शताब्दी ई. पू. में) मिलने वाले घरों के बारे में बी.बी. लाल ने क्या लिखा है ? (5)
उत्तरः- 1. बी.बी. लाल को यहाँ आबादी के पाँच स्तरों के साक्ष्य मिलें है ।
2. इनमें से दूसरा व तीसरा स्तर महत्वपूर्ण है ।
3. दूसरे स्तर के बारे में बी.बी. लाल ने पाया कि आवास घरों की कोई निश्चित परियोजना नहीं थी ।
4. मिट्टी की बनी दीवारे तथा कच्ची मिट्टी की ईटे अवश्य मिली हैं ।
5. कुछ घरों की दीवारे सरकन्डो की बनी थी ।
प्रश्नः-10 किन मायनों में सामाजिक अनुबंध की बौद्ध अवधारणा समाज के उस ब्राहमणीय दृष्टिकोण से भिन्न थी जो पुरूषसुक्त पर आधारित था ? (5)
उत्तरः- 1. बौद्वधर्म में समाज की विषमता को सत्य माना है ।
2. यह विषमता नैसर्गिक नही थी और न ही स्थाई ।
3. ब्राहमणीय दृष्टि से इस असमानता का आधार जन्म है ।
4. बौद्व धर्म में मानव तथा वनस्पति को शुरू से एक दूसरे पर परस्पर निर्भर माना है।
5. राजा लोगों द्वारा चुना जाता था जिसे सेवाओं के बदले में कर दिया जाता था ।
प्रश्नः-11 प्राचीनकाल के सामाजिक मूल्यों के अध्ययन के लिए महाभारत एक अच्छा स्त्रोत है । (10)
उत्तरः- 1. महाभारत मुख्य रूप से संबंधियों के बीच युद्व की कहानी है इसलिए इसमें सामाजिक जीवन का झलक मिलती है ।
2. समाज में पितृवंषिक्ता का पालन होता था । पैतृक सम्पति पर केवल पुत्रों का अधिकार था ।
3. पुत्रियों का विवाह गौत्र के बाहर उचित समय पर करना पिता का कर्तव्य था ।
4. विशिष्ट परिवारों में बहुपति प्रथा भी प्रचलित थी द्रौपदी के पाँच पति थे ।
5. पुत्र के जन्म को ज्यादा महत्वपूर्ण समझा जाता था ।
6. कन्यादान पिता का महत्वपूर्ण कर्तव्य माना जाता था।
7. विवाह के अनेक प्रकार थे। राक्षसी हिडिम्बा का भीम से विवाह हुआ था।
8. माता का स्थान सर्वोच्च था। पाण्डवों ने अपनी मां कुन्ती की आज्ञा का सम्मान करते हुये द्रोपती से विवाह किया था।
9. महाभारत वर्णों तथा उनसे जुड़े व्यवसायों की जानकारी देता है।
10. परिवार में वृद्ध पुरूष का अधिपत्य था।
प्रश्नः-12 निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़िए और उसके अंत में पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (8)
उत्तरः- पांचाल नरेश द्रुपद ने एक स्वयंवर का आयोजन किया जिसमें यह शर्त रखी गई कि धनुष की चाप चढ़ा कर निशाने पर तीर मारा जाये विजेता उनकी पुत्री द्रोपदी से विवाह करने के लिये चुना जायेगा । अर्जुन ने यह प्रतियोगिता जीती और द्रौपदी ने उसे वरमाला पहनाई । पाण्डव उसे लेकर अपनी माता कुन्ती के पास गये जिन्होंने बिना देखे ही उन्हें लाई गई वस्तु को आपस में बाट लेने को कहा । जब कुन्ती ने द्रौपदी को देखा तो उन्हें अपनी भूल का अहसाह हुआ । किन्तु उनकी आज्ञा की अवेहलना नही की जा सकती थी । बहुत सोच विचार के बाद युधिष्ठिर ने निर्णय लिया कि द्रौपदी उन पाँचों की पत्नी होगी । जब द्रुपद को यह बताया गया तो उन्होंने इसका विरोध किया किन्तु ऋषि व्यास ने उन्हे इस तथ्य से अवगत कराया कि पाण्डव वास्तव में इन्द्र के अवतार थे और उनकी पत्नी ने ही द्रौपदी के रूप में जन्म लिया था । अतः नियति ने ही उन सबका साथ निश्चित कर दिया था । व्यास ने यह भी बताया कि एक बार एक युवा स्त्री ने पति प्राप्ति के लिए शिव की आराधना की और उत्साह के अतिरेक में एक की बजाय पांच बार पति प्राप्ति का वर माँग लिया । इसी स्त्री ने द्रौपदी के रूप में जन्म लिया तथा शिव ने उसकी प्रार्थना को परिपूर्ण किया है । इन कहानियों से संतुष्ट होकर द्रुपद ने इस विवाह को अपनी सहमति प्रदान की ।
1. पंचाल नरेश द्रुपद ने अपनी पुत्री का विवाह करने के क्यो प्रतियोगिता रखी ? (2)
2. व्यास ने राजा द्रुपद को द्रौपदी का पाँचों पाण्डव की पत्नी बनने के लिए कौन से दो तथ्य दिये ? (3)
3. द्रौपदी का विवाह किस प्रकार का विवाह था ? इस प्रकार के विवाह के प्रति इतिहासकारों के दो विचार बताइये ? (3)
उत्तर:- 1. स्वंयर का आयोजन किया गया था । जिसके विजेता से वे अपनी पुत्री का विवाह कर देते ।
2. व्यास ने बताया कि पाण्डव इन्द्र के अवतार थे तथा उनकी पत्नी ने ही द्रौपदी के रूप में जन्म लिया था । शिव न एक युवा स्त्री को वर दिया था जिसने गलती से पाँच वार पति का वर माग लिया था । उस स्त्री ने ही द्रौपदी के रूप में जन्म लिया
3. द्रौपदी का विवाह बहुपति का उदाहरण था । इस प्रकार का विवाह विशिष्ट था ब्राहमणीय परंपरा के अनुरूप न होने के कारण इस प्रकार के विवाह को ब्राहमणों का समर्थन नही था ।