विचारक विश्वास आरै इमारतें-महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

सीबीएसई कक्षा -12 इतिहास
महत्वपूर्ण प्रश्न पाठ – 04
विचारक, विश्वास आरै इमारतें (सांस्कृतिक विकास)
(लगभग 600 ईसा पूर्व से संवत् 600 ईसा तक)


(02 अंको वाले प्रश्न)


प्रश्नः-1 बौद्ध धर्म के चार मूल सत्य (आर्य सत्य) कौन से है?
उत्तरः- 
1. सम्पूर्णं संसार दुखों से परिपूर्ण हैं।
2. सारे दुःखों का कोई-न-कोई कारण है।
3. दुखों को राकने का एक मार्ग है। मनुष्य आष्टांगिक मार्ग का अनुसरण करके इन दुखों और कष्टों से छुटकारा पा सकता है।


प्रश्नः-2 छठी शताब्दी ई.पू. के काल में उत्पन्न होने वाले धार्मिक सम्प्रदायों का वर्गीकरण कितने भागों में किया जा सकता है?
उत्तरः-
 छठी शताब्दी ई.पू. के धार्मिक सम्प्रदायों का वर्गीकरण दो भागों में किया जा सकता हैः
1. वे सम्प्रदाय जिन्होने वैदिक धर्म का खुला प्रतिरोध किया।
2. वे सम्प्रदाय जिन्होंने वैदिक धर्म का खुला प्रतिरोध न करके किसी पुराने देवी-देवता को केंद्र बनाकर नवीन सिद्धातों का प्रतिपादन किया।


प्रश्नः-3. “धर्म चक्रप्रवर्तन” से आप क्या समझते हैं?
उत्तरः- 
“धर्म चक्रप्रवर्तन” का अर्थ है, धर्म के चक्र को घुमाना। ज्ञान प्राप्ति के बाद महात्मा बुद्ध ने वाराणसी के पास सारनाथ के मृगदाव में मृगदाव में आषाढ़ पूर्णिमा को अपना जो प्रथम धर्मोपदेश दिया, उसे “धर्म चक्रप्रवर्तन” के नाम से जाना जाता है।


प्रश्नः-4. वेदों के महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तरः- 
वैदिक साहित्य के सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रंथ वेद है। वेद संख्या में चार हैं-ऋगवेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद। ऋगवेद वैदिक साहित्य में सबसे प्राचीन ग्रंथ है। यह ग्रंथ प्राचीन आर्यो के धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक जीवन पर प्रकाश डालता है।


प्रश्नः-5. स्तूप क्यों बनाए जाते थे?
उत्तरः-
 स्तूप महात्मा बुद्ध अथवा किसी अन्य पवित्र भिक्षु के अवशेषों, जैसे-दाँत, भस्म आदि अथवा किसी पवित्र ग्रन्थ पर बनाए जाते थे। अवशेष स्तूप के आधार के केन्द्र में बनाए गए एक छोटे से कक्ष में एक पेटिका में रख दिए जाते थे।


(05 अंकों वाले प्रश्न)
प्रश्नः-6. आपके विचारानुसार स्त्री-पुरूष संघ में क्यों जाते थे?
उत्तरः- 
1. वे संसारिक विषयों से दूर रहना चाहते थे।
2. वहाँ का जीवन सादा व अनुशासित था।
3. वहां लोग बौद्ध दर्शन का अध्ययन कर सकते थे।
4. संघ में सभी का समान दर्जा था।
5. वहाँ लोग धर्म के शिक्षक (उपदेशक) बनाना चाहत थे।


प्रश्नः-7. जैन धर्म की महत्वपूर्ण शिक्षाओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तरः- 
1. अहिंसा पर जोर दिया गया।
2. जातिवाद के विरूद्ध था, कोई भी व्यक्ति इस धर्म को अपना सकता था।
3. उन्होंने भगवान के अस्तित्व को अस्वीकार किया।
4. आत्मा में विश्वास करते थे।
5. कर्म व कार्य के सिद्धांत में विश्वास करते थे।


प्रश्नः-8. साँची स्तूप के संरक्षण में भोपाल की बेगमों ने क्या योगदान दिया?
उत्तरः- 
1. उन्होंने साँची के स्तूप के रख-रखाव के लिए धन का अनुदान किया।
2. सुल्तानजहां बेगम ने वहां पर एक संग्रहालय और अतिथिशाला बनाने के लिए भी अनुदान दिए।
3. यहां रहकर सर जॉन ने सांची पर पुस्तकें लिखीं। जिन्हें सुल्तानजहां बेगम ने अनुदान दिया।
4. यदि यह स्तूप जीवित हैं तो केवल बेगमों के योगदान से।
5. यह साँची का स्तूप हमारे देश की महत्वपूर्ण वास्तुकला है जिसकी सुरक्षा भोपाल की बेगमों द्वारा की गई।


प्रश्नः-9. महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
महात्मा बुद्ध की शिक्षाएँ-

1. विश्व अनित्य अर्थात् क्षणभंगुर है और यह निरन्तर परिवर्तित हो रहा है।
2. विश्व आत्माविहीन है क्योंकि यहाँ कुछ भी स्थायी अथवा शाश्वत नहीं हैं।
3. विश्व में ‘चार आर्य (श्रेष्ठ) सत्य’ हैं। ये हैं-दुःख, दुःख समुदाय, दुःखनिरोध और दुःख निरोध मार्ग।
4. महात्मा बुद्ध कठोर तपस्या के विरूद्ध थे।
5. महात्मा बुद्ध ने दस शीलों के पालन पर बल दिया हैं।


प्रश्नः-10 बौद्ध धर्म के शीघ्रतम विकास के क्या कारण थे? 10
उत्तरः- 
1. धर्म की भाषा सरल थी। जैसा कि भगवान बुद्ध हमेशा अपने उपदेश आम बोलचाल भाषा में दिया करते थे।
2. साधारण व शुद्ध धर्म, रीति-रिवाजों से परे था।
3. अनुकूल वातावरण क्योंकि हिन्दू धर्म में अवगुण की उत्पत्ति।
4. हिन्दू धर्म में बुराईया, कर्मकांड एवं बलि ।
5. पुरोहितों का वर्चस्व।
6. हिन्दू धर्म में धन का अपव्यय।
7. जातिवाद एवं छुआछूत का न होना।
8. महात्मा बुद्ध का महान व्यक्तित्व अन्य व्यक्तियों को प्रभावित करता था।
9. भिक्षु का अच्छा व्यवहार व चरित्र।
10. राजाओं द्वारा संरक्षण जैसे अशोक, हर्षवर्धन।


अनुच्छेद पर आधारित प्रश्न

स्तूप क्यों बनाए जाते थे ?

यह उद्धरण महापरिनिब्बान सुत्त से लिया गया है जो सुत्त पिटक का हिस्सा है ।
परिनिर्वाण से पूर्व आंनद ने पूछा:-
भगवान हम तथागत (बुद्व का दूसरा नाम) के अवशेषों का क्या करेगे ?
बुद्ध ने कहा “तथागत के अवशेषों को विशेष आदर देकर खुद को मत रोको । धर्मोत्साही बनों, अपनी भलाई के लिए प्रयास करो”
लेकिन विशेष आग्रह करने पर बुद्ध बोले -
“उन्हें तथागत के लिए चार महापथो के चौक पर थ्रूप (स्पूत का पालि रूप)” बनाना चाहिए । जो भी वहाँ धूप या माला चढ़ाएगा ..... या वहाँ सिर नवायेगा, या वहाँ पर हृदय में शांति लायेगा, उन सबके लिए वह चिरकाल तक सुख और आंनद का कारण बनेगा ।
1. यह उद्धरण किस मूल पाठ से लिया गया है ? यह किस ग्रंथ का हिस्सा है ? 2
2. स्तूप क्या होते है ? आंनद को स्तूप बनाने की सलाह किसने दी थी ? 2
3. तथागत कौन थे ? उन्होंने स्तूप का क्या महत्व बताया था ? 2
4. किन्हीं तीन स्थानों के नाम बताओं जहाँ स्तूप बनाए गये । 2
उत्तरः-
 1. यह उद्धरण महापरिनिब्बान सुत्त नामक मूल पाठ से लिया गया है । यह सुत्तपिटक नामक ग्रंथ का हिस्सा है ।
2. स्तूप बुद्व धर्म से जुडे़ पवित्र टीले है । इनमें बुद्व के शरीर के कुछ अवषेष अथवा उनके द्वारा प्रयोग की गई किसी वस्तु को गाड़ा गया था । आंनद को स्तूप बनाने की सलाह बुद्व ने दी थी ।
3. तथागत स्वंय बुद्व थे । उन्होंने आंनद को बताया कि जो कोई स्तूप में धूप या माला चढ़ायेगा या शीष नवायेगा अथवा वहाँ पर मन में शांति लायेगा उसके लिए स्तूप चिरकाल तक शांति का कारण बनेगा ।
4. भरहुत, सांची तथा सारनाथ ।