औपनिवेशिक शहर नगरीकरण नगर योजना स्थापत्य-पुनरावृति नोट्स
सीबीएसई कक्षा 12 इतिहास
CBSE कक्षा 12 इतिहास
स्मरणीय बिन्दु-
- सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दियों में मुग़लों द्वारा बनाए गए शहर जनसंख्या के केन्द्रीकरण, अपने विशाल भवनों तथा शाही शोभा व समृद्धि के लिए जाने जाते थे। शाही प्रशासन और सत्ता के महत्वपूर्ण केन्द्र- आगरा, दिल्ली तथा लाहौर थे।
- दक्षिण भारत के नगरों जैसे - मदुरई और काँचीपुरम् में मुख्य केंन्द्र मंदिर होता था।
- यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों ने पहले मुगल काल में ही विभिन्न स्थानों पर आधार स्थापित कर लिये थे- पुर्तगालियों ने 1510 में पणजी में डचों ने 1605 में मछलीपट्नम में अंग्रेजों ने मद्रास में 1639 में तथा फ़्रांसीसियों ने 1673 में पांडिचेरी (आज का पुदुचेरी) में।
- अखिल भारतीय जनगणना का पहल प्रयास - 1872 में किया गया। इसके बाद 1881 से दशकीय (हर 10 साल में होने वाली) जनगणना एक नियमित व्यवस्था बन गई।
- भारत में शहरीकरण का अध्ययन करने के लिए जनगणना से निकले आंकड़े एक बहुमूल्य स्रोत हैं।
- रेलवे नेटवर्क के विस्तार के बाद रेलवे वर्कशॉप और रेलवे कॉलोनियों को भी स्थापना शुरू हो गई थी।
- 18वीं सदी तक मद्रास, कलकत्ता और बम्बई महत्वपूर्ण बंदरगाह बन चुके थे। ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने कारखाने इन्हीं बस्तियों में बनाए और यूरोपीय कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा के कारण सुरक्षा के उद्देश्यों से इन बस्तियों की क़िलेबंदी कर दी।
- ब्रिटिश आबादी के प्रमुख इलाके थे- मद्रास में फ़ोर्ट सेंट जॉर्ज, कलकत्ता में फ़ोर्ट विलियम और बम्बई में फ़ोर्ट।
- पेठ - एक तमिल शब्द हैं जिसका अर्थ है - बस्ती। जबकि पुरम शब्द गाँव के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
- चॉल - ये बहुमंजिल इमारत होती थी। इसमें एक एक कमरे वाली आवसीय इकाइयाँ बनाई जाती थी। यह बम्बई में बनाई जाती थी। इन इमारतों में बहुत थोड़ी जगह में बहुत सारे परिवार रहते थे।
- यूरोपीय और भारतीयों के लिए शुरू से ही अलग क्वार्टर बनाए गए थे। उस समय के लेखन के अनुसार व्हाइट टाऊन (गोरा शहर) और ब्लैक टाऊन (काला शहर) के नाम से उद्धृत किया जाता था।
- औपनिवेशिक शहरी विकास का एक खास पहलू छावनियों की तरह हिल स्टेशन थे। हिल स्टेशन - फ़ौजियों को ठहराने, सरहद की चौकसी करने और दुश्मन के खिलाफ हमला बोलने के लिए तथा औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण स्थान थे।
- आधुनिक नगर विभाजन की शुरूआत औपनिवेशिक शहर कलकत्ता से हुई।
- बम्बई में नव गॉथिक शैली का चलन बढ़ता चला जा रहा था। 20वीं सदी में एक नई मिश्रित स्थापत्य शैली विकसित हुई जिससे भारतीयों और यूरोपीय देशों की शैलियों के तत्व थे। इस शैली को इंडो- सारासेनिक शैली का नाम दिया गया इंडो शब्द ‘‘हिन्दू” का संक्षिप्त रूप था। जबकि ‘‘सारासेन’’ शब्द यूरोप के लोग मुसलमानों को संबोधित करने के लिए इस्तेमाल करते थे। यहाँ की मध्यकालीन इमारतों, गुम्बदों, छतरियों, जालियों, मेहराबों से यह शैली काफी प्रभावित हुई। यह ज्यादातर मद्रास में फली-फूली।
- 1911 राजा जॉर्ज पंचम और उसकी पत्नी मेरी के स्वागत के लिये गेट वे ऑफ इंडिया बनाया गया। यह परंपरागत गुजराती शैली का बेहतरीन नमूना है।
- औपनिवेशिक काल में तीन प्रमुख बड़े शहर विकसित हुए - मद्रास, कलकत्ता तथा बम्बई। ये तीनों शहर मूलत: मत्स्य ग्रहण तथा बुनाई के गाँव थे जो इंग्लिश इंस्ट इंडिया कम्पनी की व्यापारिक गतिविधियों के कारण महत्वपूर्ण केन्द्र बन गए। बाद में शासन के केन्द्र बने, जिन्हें प्रेसीडेंसी शहर कहा गया।
- शहरों का महत्व इस बात पर निर्भर करता था कि, प्रशासन तथा आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र कहाँ है, क्योंकि वहीं रोजगार व व्यापार तंत्र मौजूद होते थे।
- ‘कस्बा' विशिष्ट प्रकार की आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के केन्द्र थे। यहाँ पर शिल्पकार, व्यापारी, प्रशासक तथा शासक रहते थे। एक प्रकार से शाही शहर और ग्रामीण अंचल के बीच का स्थान था।
- मुगलों द्वारा बनाए गए शहर प्रसिद्ध थे - जनसंख्या के केन्द्रीकरण, अपने विशाल भवनों तथा अपनी शाही शोभा एवं समृद्धि के लिए। जिनमें आगरा, दिल्ली और लाहौर प्रमुख थे, जो शाही प्रशासन के केन्द्र थे।
- शाही नगर किलेबंद होते थे, उद्यान, मस्जिद, मन्दिर, मकबरे सराय, बाजार महाविद्यालय सभी किले के अन्दर होते थे, तथा विभिन्न दरवाजों से आने जाने वाले पर नियंत्रण रखा जाता था।
- उत्तर भारत के मध्यकालीन शहरों में ‘‘कोतवाल' नामक राजकीय अधिकारी नगर के आंतरिक मामलों पर नज़र रखता था और कानून बनाए रखता था।
- 18वीं शताब्दी की शुरूआत में मुगल सत्ता कमजोर हो गयी। क्षेत्रीय शसक मजबूत हुए, दिल्ली-आगरा, लाहौर का स्थान, लखनऊ, हैदराबाद, नागपुर, तंजौर आदि शहरों ने ले लिया।
- अंग्रेजों के जमाने (औपनिवेशिक) के शहर बेहिसाब आंकड़ो और जानकारियों के संग्रह पर आधारित था, जिसमें मानचित्र और जनगणना का प्रमुख स्थान था।
- प्रारंभिक वर्षों से ही औपनिवेशिक सरकार ने मानचित्र तैयार करने पर खास ध्यान दिया क्योंकि सरकार का मानना था कि, किसी जगह की बनावट और भूदृश्य को समझने के लिए
- इलाके पर बेहतर नियंत्रण के लिए।
- शहर के विकास की योजना बनाने।
- व्यवसाय बढ़ाने तथा उसकी संभावना की तलाश के लिए नक्शे जरूरी थे।
- अखिल भारतीय जनगणना का पहला प्रयास 1872 ई में किया गया। इसके बाद 1881 ई. से दशकीय (प्रत्येक 10 वर्ष में होने वाली) जनगणना एक नियमित व्यवस्था बन गई। जिससे शहरों में जलापूर्ति, निकासी, सड़क निर्माण, स्वास्थ्य व्यवस्था तथा जनसंख्या के फैलाव पर नियंत्रण किया जा सका तथा वार्षिक नगरपालिका कर वसूला जा सकें।
- भारत में रेलवे की शुरूआत 1853 ई. में हुई। जमालपुर, वॉल्टेयर और बरेली जैसे रेलवे नगर भी, अस्तित्व में आए।
- यूरोपीय कपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा के कारण सुरक्षा के उद्देश्य से अंग्रेजों ने मद्रास में फोर्ट सेंट जार्ज, कलकत्ता में फोर्ट विलियम तथा बम्बई में फोर्ट बनाए।
- औपनिवेशिक काल में कानपुर और जमशेदपुर ही सही मायने में औद्योगिक शहर थे। क्योंकि ये उत्पादन के केन्द्र थे।
- नए शहरों में सामाजिक जीवन में बदलाव आए। क्लर्क, वकील, शिक्षक, अकाउंटेंट के रूप में मध्यम वर्ग का उदय हुआ। स्त्रियाँ नयी भूमिका में (शिक्षिका, नौकरानी,) तथा कामगारों का एक नया वर्ग जन्म लिया।
- औपनिवेशिक काल में भवन निर्माण की तीन शैलियाँ प्रचलन में आयी पहली नवशास्त्रीय (नियोक्लासिकल) शैली जिसमें बड़े-बड़े स्तंभो के पीछे रेखागणितीय संरचना पायी जाती थी। जैसे - बम्बई का टाऊन हॉल व एलिफिस्टन सर्कल। दूसरी शैली नव-गौथिक शैली थी जिसमें ऊँची उठी हुयी छत, नोकदार मेहराव, बारीक साज सज्जा देखने को मिलता है, जैसे सचिवालय, बम्बई विश्वविद्यालय, बम्बई उच्च न्यायालय। तीसरी शैली थी इंडो-सारासोनिक शैली, जिसमें भारतीय और यूरोपीय शैलियों का मिश्रण था, इसका प्रमुख उदाहरण है :- गेटवे ऑफ इंडिया, बम्बई का ताजमहल होटल।
महत्वपूर्ण बिन्दु-
स्रोतः- 1. ईस्ट इंडिया कंपनी के रिकार्ड
2. जनगणना रिपोर्ट
3. नगरपालिकाओं के रिर्पोर्ट
- 1900 - 1940 तक नगरीय जनसंख्या 10 प्रतिशत से बढ़कर 13 प्रतिशत हो गई ।
- 18वी शताब्दी के अंत तक मद्रास, बम्बई तथा कलकत्ता महत्वपूर्ण बदंरगाह नगर के रूप मे विकसित हो चुके थे ।
- यातायात के नए साधनों जैसें ट्राम, बसे, घोड़ गाड़ियाँ इत्यादि ने लोगों को अपने घरों से दूर काम करने के स्थान पर जाना संभव बना दिया ।
- कई भारतीय शासको ने यूरोपीय भवन निर्माण शैली को आधुनिकता तथा सम्यता का प्रतीक माना तथा इस शैली के भवन बनवाकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने का प्रयास किया ।
- स्थानीय लोगों की बस्तियों को “ब्लैक टाऊन” कहां जाता था । अंग्रेजों की बस्तियों को ब्लैक टाऊन से अलग रखने के लिए बीच में दीवार बनाई गई थी ।
- पेठ एक तमिल शब्द है जिसका मतलब होता है बस्ती, जबकि पुरम शब्द गाँव के लिए इस्तेमाल किया जाता है।