भूसंसाधन तथा कृषि-महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

                                                CBSE Class 12 Geoagraphy

Important Questions 
(भाग – 2)
पाठ – 5
भू संसाधन तथा कृषि


अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्र-1 विश्व में चावल के उत्पादन में भारत का क्या योगदान है?

उत्तर- भारत विश्व का लगभग 22 प्रतिशत चावल उत्पादित करता है।

प्र-2 भारत में फसल का गहनता की गणना किस प्रकार की जाती है?

उत्तर- फसल गहनता = सकल बोया गया क्षेत्र / निवल बोया गया क्षेत्र × 100

प्र-3 भारत विश्व में अनाज के उत्पादन में कौन से दो देशों के बाद तीसरे स्थान पर है?

उत्तर- संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद।

प्र-4 भारत में कितनी फसल ऋतुएं हैं तथा उनके नाम क्या है?

उत्तर- भारत में (3) तीन फसल ऋतुएं हैं। खरीफ, रबी तथा जायद।

प्र-5 पश्चिम बंगाल में किसान चावल की कितनी फसलें लेते हैं तथा उनके क्या नाम है?

उत्तर- पश्चिम बंगाल में किसान चावल की तीन फसलें लेते हैं जिन्हें ओस, अमान तथा बोरो कहा जाता है।

प्र-6 भारत में ज्वार का सबसे अधिक उत्पादन किस राज्य में होता है?

उत्तर- महाराष्ट्र।

प्र-7 कौन से देश में गेहूं व चावल की अधिक उत्पादकता की किस्में विकसित की गई थीं?

उत्तर- गेहूँ (मैक्सिको)

चावल (फिलीपींस)

प्र-8 किस ऋतु में खरीफ की फसलें बोई जाती हैं?

उत्तर- दक्षिणी पश्चिम मानसून के साथ (जून-सितंबर-अक्तूबर)।

प्र-9 चाय की खेती के लिए किस प्रकार की मिट्टी की आवश्यकता होती है?

उत्तर- उष्ण आर्द्र तथा उपोष्ण आर्द्र कटिबंधीय जलवायु वाले तरंगित भागों पर अच्छे अपवाह वाली मिट्टी चाय के लिए अच्छी मानी जाती है।

प्र-10 बंजर व व्यर्थ भूमि का अर्थ स्पष्ट करो।

उत्तर- वह भूमि जो प्रचलित प्रौद्योगिकी की मदद से भी कृषि योग्य नहीं बनाई जा सकती जैसे मरूस्थल, पहाड़ी क्षेत्र आदि, बंजर या व्यर्थ भूमि कहलाती है।

प्र-11 हमारे देश के उत्तर-पश्चिमी भाग में अमेरिकन कपास को क्या कहा जाता है?

उत्तर- नरमा

प्र-12 हमारे देश में गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन सा है?

उत्तर- उत्तर प्रदेश

प्र-13 भारत में कॉफ़ी का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन सा है?

उत्तर- कर्नाटक

प्र-14 भारत में चाय की खेती सबसे पहले कब और कहां शुरू की गई?

उत्तर- भारत में चाय की खेती 1840 ई में असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में शुरू की गई।


लघुप्रश्नोंत्तर

प्र-1 भारत में भूमि उपयोग के किन्हीं छह वर्गों का उल्लेख कीजिए?

उत्तर- भारत में भू-उपयोग

(1) वनों के अधीन क्षेत्र

(2) गैर कृषि कार्यों में प्रयुक्त भूमि

(3) बंजर और व्यर्थ भूमि

(4) स्थायी चारागाह

(5) विविध तरूफसलों व उपवनों के अंतर्गत क्षेत्र

(6) कृषि योग्य व्यर्थ भूमि

(7) वर्तमान परती भूमि

(8) पुरातन परती भूमि

(9) निवल बोया गया क्षेत्र।

प्र-2 फसलों के लिए आर्द्रता के प्रमुख स्त्रोत के आधार पर भारतीय कृषि को दो समूहों में वर्गीकृत कीजिए। प्रत्येक की दो-दो विशेषताएं लिखिए?

उत्तर- (1) सिंचित कृषि

(2) वर्षा निर्भर कृषि

(1) सिंचित कृषि

  • वर्षा के अतिरिक्त जल की कमी को सिंचाई द्वारा पूरा किया जाता है।
  • इसका उद्देश्य अधिकतम क्षेत्र को पर्याप्त आर्द्रता उपलब्ध कराना।
  • फसलों को पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध कराकर अधिकतम उत्पादकता प्राप्त करना तथा कृषि योग्य क्षेत्र को बढ़़ाना।

(2) वर्षा निर्भर कृषि

  • यह उन प्रदेशों तथा सीमित है जहां वार्षिक वर्षा 75 सेमी से कम है।
  • यह पूर्णतया वर्षा पर निर्भर होती है।
  • उपलब्ध आर्द्रता की मात्रा के आधार पर इसे शुष्क भूमि कृषि व आर्द्र कृषि में बांटते हैं।

प्र-3 भारत के दो प्रमुख पेय फसलों के नाम लीखिए। प्रत्येक फसल के महत्वपूर्ण उत्पादक राज्यों के नाम बताइए?

उत्तर- भारत की दो प्रमुख पेय फसलें

चाय - असम, पश्चिमी बंगाल व तमिलनाडु

कहवा - कर्नाटक, केरल व तमिलनाडु

प्र-4 भारत में कृषि योग्य भूमि का निम्नीकरण किस प्रकार गंभीर समस्याओं में से एक है? किन्हीं तीन बिंदुओं में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- 1. भूमि संसाधनों का निम्नीकरण सिंचाई तथा कृषि विकास की दोषपूर्ण नीतियों से उत्पन्न समस्या है, यह समस्या सिंचित क्षेत्रों में भयानक है।

2. कृषि भूमि का एक बड़ा भाग जलाक्रांतता, लवणता तथा मृद्रा क्षारता के कारण बंजर हो चुका है।

3. कीटनाशक एवं खरपतवार नाशक रसायनों के अत्याधिक प्रयोग में मृदा में जहरीले तत्वों का संकेंद्रण हो गया है।

4. उष्ण कटिबंधीय आर्द्र एवं अद्ध-शुष्क क्षेत्र भी कई प्रकार के भूमि निम्नीकरण से प्रभावित हुए हैं जैसे जल द्वारा मृदा अपरदन एवं वायु अपरदन जो प्रायः मानवकृत है।

प्र-5 शुष्क भूमि कृषि तथा आर्द्र भूमि कृषि में अंतर स्पष्ट कीजिए |

उत्तर- शुष्क भूमि कृषि:- यह कृषि उन प्रदेशों में की जाती है जहां वार्षिक वर्षा 75 सेमी से कम होती है।

  • इन कृषि क्षेत्र में आर्द्रता संरक्षण तथा वर्षाजल के प्रयोग की अनेक विधियां अपनाई जाती है।
  • इन कृषि क्षेत्र में शुष्कता को सहने में सक्षम फसलें जैसे रागी, बाजरा, मूंग, चना तथा ग्वार आदि उगाई जाती है।

आर्द्र भूमि कृषि:- इस कृषि में वर्षा ऋतु के अंतर्गत वर्षा जल पौधों की आवश्यकता से अधिक प्राप्त होता है।

  • इस प्रकार की कृषि के प्रदेश बाढ़ तथा मृदा अपरदन का सामना करते हैं। अतः आर्द्रता संरक्षण तथा वर्षा जल के उपयोग की कोई विधि नहीं अपनाई जाती।
  • इन कृषि क्षेत्रों में वे फसलें उगाई जाती है जिन्हें पानी की अधिक आवश्यकता होती है जैसे चावल, जूट, गन्ना आदि।

प्र-6 भारत में कृषि ऋतुओं का वर्णन कीजिए?

उत्तर- भारत में निम्नलिखित तीन कृषि ऋतएँ होती है:-

1. खरीफ ऋतु: - खरीफ की फसलें अधिकतर दक्षिण है। यह ऋतु जून माह में प्रारंभ होकर सितंबर माह तक चलती है। इस ऋतु में चावल, कपास, जूट व अरहर आदि की कृषि की जाती है।

2. रबी ऋतु: - रबी की ऋतु अक्तूबर-नवंबर में शरद ऋतु से प्रारंभ होकर गेहूं, चना, तोराई, सरसों, जौ आदि फसलों की कृषि की जाती है।

3. जायद ऋतुः - जायद एक अल्पकालिक फसल ऋतु है। जो रबी की कटाई के बाद प्रारंभ होता है। इस ऋतु में तरबूज, खीरा, ककड़ी, सब्जियां व चारे की फसलों की कृषि होती है।


विस्तृत प्रश्नोत्तर

प्र-1 छोटी कृषि जोत और कृषि योग्य भूमि का निम्नीकरण भारतीय कृषि की दो प्रमुख समस्याएं किस प्रकार है। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए?

उत्तर- भारतीय कृषि की प्रमुख दो समस्याएं: -

1. छोटी कृषि जोतः- बढ़ती जनसंख्या के कारण भूमि जोतो का आकार लगातार सिकुड़ रहा है। लगभग 60 प्रतिशत किसानों की जोतो का आकार तो एक हेक्टेयर से भी कम है और अगली पीढ़ी के लिए इसके और भी हिस्से हो जाते हैं। जो कि आर्थिक दृष्टि से लाभकारी नहीं है। ऐसा कृषि जोतो पर केवल निर्वाह कृषि ही की जा सकती है।

2. कृषि योग्य भूमि का निम्नीकरण: - कृषि योग्य भूमि का निम्नीकरण कृषि की एक अन्य गंभीर समस्या है इससे लगातार भूमि का उपजाऊपन कम हो जाता है। यह समस्या उन क्षेत्रों में ज्यादा गंभीर है जहां सिंचाई की जाती है। कृषि भूमि का एक बहुत बड़ा भाग लवणता, क्षारता व जलाक्रांतता के कारण बंर हो चुका है। कीटनाशक रसायनों के कारण भी भूमि की उर्वरता शक्ति कम हो जाती है।

प्र-2 भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए?

उत्तर- भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याएंः-

(1) अनियमित मानसून पर निर्भरता

(2) निम्न उत्पादकता

(3) वित्तीय संसाधनों की बाधाएं तथा ऋणग्रस्तता

(4) भूमि सुधारों की कमी

(5) छोटे खेत तथा विखंडित जोतट

(6) अत्याधिक रसायनों व उर्वरकों का प्रयोग

(7) सिंचाई साधनों की कमी          (विस्तार से वर्णन करें)

प्र-3 भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात कृषि विकास की महत्वपूर्ण नीतियों का वर्णन कीजिए?

उत्तर- स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले भारतीय कृषि मुख्यतः जीविकोपार्जी थी, जिसके अंतर्गत किसान बड़ी मुश्किल से अपने तथा अपने परिवार के सदस्यों के लिए ही फसलें उगा सकता थ। इस अवधि में सूखा तथा अकाल आम घटनाएं हुआ करती थी और लोगों को खाद्यानों की कमी का सामना करना पड़ता था।

स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरंत बाद सरकार ने खाद्यानों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए जिनका उद्देश्य निम्नलिखित है।

a. व्यापारिक फसलों के स्थान पर खाद्यानों की कृषि को बढ़ावा देना।

b. कृषि गहनता को बढ़ाना।

c. कृषि योग्य बंजर तथा परती भूमि को कृषि भूमि में परिवर्तित करना।

केंद्र सरकार ने 1960 में गहन क्षेत्र विकास कार्यक्रम (Intensive Area Development Programme-IADP) तथा गहन कृषि क्षेत्र कार्यक्रम (Intensive Agricultural Area Programme-IAAP) आरंभ किया। गेहूं तथा चावल के अधिक ऊपज देने वाले बीच भारत में लाए गए। रासायिक उर्वरकों का उपयोग और सिंचाई की सुविधाओं में सुधार एवं उनका विकास किया गया इन सबके संयुक्त प्रभाव को हरित क्रांति (Green Revolution) के नाम से जाना जाता है।

प्र-4 भारतीय कृषि के विकास में ‘हरित क्रांति’ की क्या भूमिका रही है, वर्णन कीजिए?

उत्तर- भारत में 1960 के दशक खाद्यान फसलों के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए अधिक उत्पादन देने वाली नई किस्मों के बीज किसानों को उपलब्ध कराई गई। किसानों को अन्य कृषि निवेश भी उपलब्ध कराए गए जिसे पैकेज प्रौद्योगिकी के नाम से जाना जाता है। जिसके फसलस्वरूप पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात, राज्यों में खाद्यान्नों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। इसे हरित क्रांति के नाम से जाना जाता है। हरित क्रांति की निम्नलिखित विशेषताएं हैं:-

(1) उन्नत किस्म के बीज

(2) सिंचाई की सुविधा

(3) रासायनिक उर्वरक

(4) कीटनाशक दवाईयां

(5) कृषि मशीनें

प्र-5 भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का क्या महत्व है?

उत्तर- भारत एक कृषि प्रधान देश है। इसीलिए भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का अत्याधिक महत्व हैः-

1. देश की कुल श्रमिक शक्ति का 70 प्रतिशत भाग कृषि का है।

2. देश के कुल राष्ट्रीय उत्पाद में 26 प्रतिशत योगदान कृषि का है।

3. कृषि से कई कृषि प्रधान उद्योगों को कच्चा माल मिलता है जैसे कपास उद्योग, जूट उद्योग, चीनी उद्योग।

4. कृषि से ही पशुओं को चारा प्राप्त होता है।

5. लगभग 110 करोड़ जनसंख्या को भोजन कृषि से ही प्राप्त होता है।

6. कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारशिला ही नहीं बल्कि जीवन यापन की एक विधि है।

प्र-6 साझा संपत्ति संसाधन का अर्थ स्पष्ट करते हुए मुख्य विशेषताएं बताओ

उत्तर- भूमि के स्वामित्व के आधार पर भूमि संसाधनों को दो वर्गों में बांटा जाता है-

1. -निजी भूसंपत्ति

2. -साझा संपत्ति संसाधन

निजी संपत्ति पर व्यक्तियों का निजी स्वामित्व या कुछ व्यक्तियों का सम्मिलित निजी स्वामित्व होता है जबकि साझा संपत्ति सामुदायिक उपयोग हेतु राज्यों के स्वामित्व में होती है। इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं-

(1) पशुओं के लिए चारा, घरेलू उपयोग हेतु ईंधन, लकड़ी तथा साथ ही अन्य वन उत्पाद जैसे-फल, रेशे, गिरी, औषधीय पौधे आदि साझा संपत्ति संसाधन में आते हैं।

(2) आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के व्यक्तियों के जीवन-यापन में इन भूमियों का विशेष महत्व है क्योंकि इनमें से अधिकतर भूमिहीन होने के कारण पशुपालन से प्राप्त अजीविका पर निर्भर हैं।

(3) महिलाओं के लिए भी इनका विशेष महत्व है क्योंकि ग्रामीण इलाकों में चारा व ईंधन लकड़ी के एकत्रीकरण की जिम्मेदारी उन्हीं की होती है।

(4) सामुदायिक वन, चारागाह, ग्रामीण जलीय क्षेत्र तथा अन्य सार्वजनिक स्थान साझा संपत्ति संसाधन के उदाहरण हैं।