वसंत क्या निराश हुआ जाए - प्रश्न-उत्तर
CBSE Class 08 Hindi
NCERT Solutions
पाठ-07 क्या निराश हुआ जाए
NCERT Solutions
पाठ-07 क्या निराश हुआ जाए
1. लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है फिर भी वह निराश नहीं हैं। आपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है?
उत्तर:- लेखक ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों का वर्णन करते हुए कहा है कि उसने धोखा भी खाया है परंतु बहुत कम स्थलों पर विश्वासघात नाम की चीज मिलती है। उसका मानना है कि अगर वह इन धोखों को याद रखेगा तो उसके लिए किसी का भी विश्वास करना बेहद कष्टकारी होगा और ऐसी घटनाएँ भी बहुत कम नहीं हैं ,जब लोगों ने अकारण उसकी सहायता की है, उसके निराश मन को ढाँढस दिया है और हिम्मत बँधाई है।लेखक जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण रखने वाला व्यक्ति है ।टिकट बाबू द्वारा बचे हुए पैसे लेखक को लौटाना, बस कंडक्टर द्वारा दूसरी बस व बच्चों के लिए दूध लाना आदि ऐसी घटनाएँ हैं जो उसे विश्वास दिलवाती हैं कि समाज में मानवता,प्रेम, आपसी सहयोग समाप्त नहीं हो सकते।
उत्तर:- लेखक ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों का वर्णन करते हुए कहा है कि उसने धोखा भी खाया है परंतु बहुत कम स्थलों पर विश्वासघात नाम की चीज मिलती है। उसका मानना है कि अगर वह इन धोखों को याद रखेगा तो उसके लिए किसी का भी विश्वास करना बेहद कष्टकारी होगा और ऐसी घटनाएँ भी बहुत कम नहीं हैं ,जब लोगों ने अकारण उसकी सहायता की है, उसके निराश मन को ढाँढस दिया है और हिम्मत बँधाई है।लेखक जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण रखने वाला व्यक्ति है ।टिकट बाबू द्वारा बचे हुए पैसे लेखक को लौटाना, बस कंडक्टर द्वारा दूसरी बस व बच्चों के लिए दूध लाना आदि ऐसी घटनाएँ हैं जो उसे विश्वास दिलवाती हैं कि समाज में मानवता,प्रेम, आपसी सहयोग समाप्त नहीं हो सकते।
2. दोषों का पर्दाफ़ाश करना कब बुरा रूप ले सकता है?
उत्तर:- दोषों का पर्दाफ़ाश करना तब बुरा रूप ले सकता है जब लोग किसी के आचरण के गलत पक्ष को उद्घाटित करके उसमें रस लेते हैं । इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे किसी की बदनामी करना , आपसी दुश्मनी या बदले की भावना आदि ।
उत्तर:- दोषों का पर्दाफ़ाश करना तब बुरा रूप ले सकता है जब लोग किसी के आचरण के गलत पक्ष को उद्घाटित करके उसमें रस लेते हैं । इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे किसी की बदनामी करना , आपसी दुश्मनी या बदले की भावना आदि ।
3. आजकल के बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल 'दोषों का पर्दाफ़ाश' कर रहे हैं। इस प्रकार के समाचारों और कार्यक्रमों की सार्थकता पर तर्क सहित विचार लिखिए?
उत्तर:- आजकल के बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल 'दोषों का पर्दाफ़ाश' कर रहे हैं। इस प्रकार के पर्दाफाश से व्यक्ति समाज में व्याप्त बुराइयों से, अपने आस-पास के वातावरण तथा लोगों से अवगत हो जाते हैं और इसके कारण समाज में जागरूकता भी आती है । समाज समय रहते ही सचेत और सावधान हो जाता है पर ये तभी सार्थक हैं जब इनमें सच्चाई , ईमानदारी और जनकल्याण की कामना हो । यदि इनमें किसी प्रकार का स्वार्थ यथा - अपनी टी आर पी बढ़ाना, चैनल को प्रसिद्ध करना या धन कमाना आदि हो तो इन कार्यक्रमों की कोई सार्थकता नहीं हैं ।
उत्तर:- आजकल के बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल 'दोषों का पर्दाफ़ाश' कर रहे हैं। इस प्रकार के पर्दाफाश से व्यक्ति समाज में व्याप्त बुराइयों से, अपने आस-पास के वातावरण तथा लोगों से अवगत हो जाते हैं और इसके कारण समाज में जागरूकता भी आती है । समाज समय रहते ही सचेत और सावधान हो जाता है पर ये तभी सार्थक हैं जब इनमें सच्चाई , ईमानदारी और जनकल्याण की कामना हो । यदि इनमें किसी प्रकार का स्वार्थ यथा - अपनी टी आर पी बढ़ाना, चैनल को प्रसिद्ध करना या धन कमाना आदि हो तो इन कार्यक्रमों की कोई सार्थकता नहीं हैं ।
4. निम्नलिखित के संभावित परिणाम क्या-क्या हो सकते हैं? आपस में चर्चा कीजिए, जैसे - ''ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है।''परिणाम-भ्रष्टाचार बढ़ेगा।
1. ''सच्चाई केवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है।'' .....
2. ''झूठ और फरेब का रोज़गार करनेवाले फल-फूल रहे हैं।'' .....
3. ''हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम।'' .....
उत्तर:- 1. ''सच्चाई केवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है। - तानाशाही बढ़ेगी और लोगों की सच्चाई में आस्था नहीं रह जाएगी ।
2. ''झूठ और फरेब का रोज़गार करनेवाले फल-फूल रहे हैं।'' - भ्रष्टाचार बढ़ेगा और ईमानदारी में किसी का विश्वास नहीं रहेगा ।
3. ''हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम।'' - एक दूसरे के प्रति अविश्वास बढ़ेगा।
1. ''सच्चाई केवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है।'' .....
2. ''झूठ और फरेब का रोज़गार करनेवाले फल-फूल रहे हैं।'' .....
3. ''हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम।'' .....
उत्तर:- 1. ''सच्चाई केवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है। - तानाशाही बढ़ेगी और लोगों की सच्चाई में आस्था नहीं रह जाएगी ।
2. ''झूठ और फरेब का रोज़गार करनेवाले फल-फूल रहे हैं।'' - भ्रष्टाचार बढ़ेगा और ईमानदारी में किसी का विश्वास नहीं रहेगा ।
3. ''हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम।'' - एक दूसरे के प्रति अविश्वास बढ़ेगा।
5. लेखक ने लेख का शीर्षक 'क्या निराश हुआ जाए' क्यों रखा होगा? क्या आप इससे भी बेहतर शीर्षक सुझा सकते हैं?
उत्तर:- लेखक ने इस लेख का शीर्षक 'क्या निराश हुआ जाए' उचित रखा है। आजकल हम अराजकता की जो घटनाएँ अपने आसपास घटते देखते रहते हैं, उनसे हमारे मन में निराशा भर जाती है लेकिन लेखक ने हमें उस समय समाज के मानवीय गुणों से भरे लोगों को और उनके कार्यों को याद करने कहा है जिससे हम निराश न हो।
इसका अन्य शीर्षक 'हम निराशा से आशा' भी रख सकते हैं।
उत्तर:- लेखक ने इस लेख का शीर्षक 'क्या निराश हुआ जाए' उचित रखा है। आजकल हम अराजकता की जो घटनाएँ अपने आसपास घटते देखते रहते हैं, उनसे हमारे मन में निराशा भर जाती है लेकिन लेखक ने हमें उस समय समाज के मानवीय गुणों से भरे लोगों को और उनके कार्यों को याद करने कहा है जिससे हम निराश न हो।
इसका अन्य शीर्षक 'हम निराशा से आशा' भी रख सकते हैं।
6. यदि 'क्या निराश हुआ जाए' के बाद कोई विराम चिहन लगाने के लिए कहा जाए तो आप दिए गए चिह्नों में से कौन-सा चिहन लगाएँगे? अपने चुनाव का कारण भी बताइए - , । . । ? ; - , .... ।
उत्तर:- 'क्या निराश हुआ जाए' के बाद मैं प्रश्न चिन्ह 'क्या निराश हुआ जाए?' लगाना उचित होगा । समाज में व्याप्त बुराइयों के बीच रहते हुए भी जीवन जीने के लिए सकारात्मक दृष्टि जरूरी है।
उत्तर:- 'क्या निराश हुआ जाए' के बाद मैं प्रश्न चिन्ह 'क्या निराश हुआ जाए?' लगाना उचित होगा । समाज में व्याप्त बुराइयों के बीच रहते हुए भी जीवन जीने के लिए सकारात्मक दृष्टि जरूरी है।
7. ''आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन है।'' क्या आप इस बात से सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:- ''आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन है।'' - मैं इस कथन से सहमत हूँ क्योंकि व्यक्ति जब आदर्शो की राह पर चलता है ,तब उसे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। असामाजिक तत्वों का अकेले सामना करना पड़ता है। वास्तव में लेखक हमसे या समाज से ही पूछना चाहता है कि यदि हम समाज की अच्छाइयों की ओर ध्यान दे तो क्या हमें निराश होने की आवयश्कता है ।
उत्तर:- ''आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन है।'' - मैं इस कथन से सहमत हूँ क्योंकि व्यक्ति जब आदर्शो की राह पर चलता है ,तब उसे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। असामाजिक तत्वों का अकेले सामना करना पड़ता है। वास्तव में लेखक हमसे या समाज से ही पूछना चाहता है कि यदि हम समाज की अच्छाइयों की ओर ध्यान दे तो क्या हमें निराश होने की आवयश्कता है ।
भाषा की बात
8. दो शब्दों के मिलने से समास बनता है। समास का एक प्रकार है - द्वंद्व समास।
इसमें दोनों शब्द प्रधान होते हैं। जब दोनों भाग प्रधान होंगे तो एक-दूसरे में द्वंद्व (स्पर्धा, होड़) की संभावना होती है। कोई किसी से पीछे रहना नहीं चाहता,
जैसे - चरम और परम = चरम-परम, भीरु और बेबस = भीरू-बेबस। दिन और रात = दिन-रात।
'और' के साथ आए शब्दों के जोड़े को 'और' हटाकर (-) योजक चिह्न भी लगाया जाता है। कभी-कभी एक साथ भी लिखा जाता है।
द्वंद्व समास के बारह उदाहरण ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:-
इसमें दोनों शब्द प्रधान होते हैं। जब दोनों भाग प्रधान होंगे तो एक-दूसरे में द्वंद्व (स्पर्धा, होड़) की संभावना होती है। कोई किसी से पीछे रहना नहीं चाहता,
जैसे - चरम और परम = चरम-परम, भीरु और बेबस = भीरू-बेबस। दिन और रात = दिन-रात।
'और' के साथ आए शब्दों के जोड़े को 'और' हटाकर (-) योजक चिह्न भी लगाया जाता है। कभी-कभी एक साथ भी लिखा जाता है।
द्वंद्व समास के बारह उदाहरण ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:-
सुख और दुख | सुख-दुख |
भूख और प्यास | भूख-प्यास |
हँसना और रोना | हँसना-रोना |
आते और जाते | आते-जाते |
राजा और रानी | राजा-रानी |
चाचा और चाची | चाचा-चाची |
सच्चा और झूठा | सच्चा-झूठा |
पाना और खोना | पाना-खोना |
पाप और पुण्य | पाप-पुण्य |
स्त्री और पुरूष | स्त्री-पुरूष |
राम और सीता | राम-सीता |
आना और जाना | आना-जाना |
9. पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाओं के उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर:- व्यक्तिवाचक संज्ञा :गाँधी ,तिलक , भारत , मदन मोहन मालवीय
उत्तर:- व्यक्तिवाचक संज्ञा :गाँधी ,तिलक , भारत , मदन मोहन मालवीय
जातिवाचक संज्ञा : बस, यात्री, मनुष्य, ड्राइवर, कंडक्टर,हिन्दू, मुस्लिम, आर्य, द्रविड़, पति, पत्नी आदि।
भाववाचक संज्ञा : ईमानदारी, सच्चाई, झूठ, चोर, डकैत आदि।
भाववाचक संज्ञा : ईमानदारी, सच्चाई, झूठ, चोर, डकैत आदि।