डायरी के पन्ने - पुनरावृति नोट्स

 सीबीएसई कक्षा - 12 हिन्दी कोर वितान

पाठ – 04
डायरी के पन्ने


पाठ का सार- ‘डायरी के पन्ने’ पाठ में द डायरी ऑफ ए यंग गर्ल’ नामक ऐन फ्रैंक की डायरी के कुछ अंश दिए गए हैं। ‘द डायरी ऑफ ए यंग गर्ल’ ऐन फ्रैंक द्वारा दो साल अज्ञातवास के दरम्यान लिखी गई थी। 1933 में फ्रैंक फर्ट के नगर निगम चुनाव में हिटलर की नाजी पार्टी जीत गई। तत्पश्चात यहूदी-विरोधी प्रदर्शन बढ़ने लगे। ऐन फ्रैंक का परिवार असुरक्षित महसूस करते हुए नीदरलैंड के एम्सटर्डम शहर में जा बसा। द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत तक (1939) तो सब ठीक था। परंतु 1940 में नीदरलैंड पर जर्मनी का कब्ज़ा हो गया ओर यहूदियों के उत्पीड़न का दौर शुरु हो गया। इन परिस्थितियों के कारण 1942 के जुलाई मास में फ्रैंक परिवार जिसमें माता-पिता, तेरह वर्ष को ऐन उसकी बड़ी बहन मार्गोट तथा दूसरा परिवार वानदान परिवार ओर उनका बेटा पीटर तथा इनके साथ एक अन्य व्यक्ति मिस्टर डसेल दो साल तक गुप्त आवास में रहे। गुप्त आवास में इनकी सहायता उन कर्मचारियों ने की जो कभी मिस्टर फ्रैंक के दफ्तर में काम करते थे। ‘द डायरी ऑफ ए यंग गर्ल’ ऐन फ्रैंक द्वारा उस दो साल अज्ञातवास के दरम्यान लिखी गई थी। अज्ञातवास उनके पिता मिस्टर ऑटो फ्रैंक का दफ्तर ही था। ऐन फ्रैंक को तेरहवें जन्मदिन पर एक डायरी उपहार में मिली थी ओर उसमें उसने अपनी एक गुड़िया-किट्टी को सम्बोधित किया है।

ऐन अज्ञातवास में पूरा दिन-पहेलियाँ बुझाती, अंग्रेज़ी व फ्रेंच बोलती, किताबों की समीक्षा करती, राजसी परिवारों की वंशावली देखती, सिनेमा ओर थिएटर की पत्रिका पढ़ती और उनमें से नायक-नायिकाओं के चित्र काटते बिताती थी। वह मिसेज वानदान की हर कहानी को बार-बार सुनकर बोर हो जाती थी ओर मि. डसेल भी पुरानी बातें- घोड़ों की दौड़, लीक करती नावें, चार बरस की उम्र में तैर सकने वाले बचे आदि सुनाते रहते।

उसने युद्ध संबंधी जानकारी भी दी है- कैबिनेट मंत्री मि. बोल्के स्टीन ने लंदन से डच प्रसारण में यह घोषणा की थी कि युद्ध के बाद युद्ध के दौरान लिखी गई डायरियों का संग्रह किया जाएगा, वायुयानों से तेज़ गोलाबारी हज़ार गिल्डर के नोट अवैध घोषित किए गए। हिटलर के घायल सैनिकों में हिटलर से हाथ मिलाने का जोश, अराजकता का माहौल- कार, साईकिल की चोरी, घरों की खिड़की तोड़ कर चोरी, गलियों में लगी बिजली से चलने वाली घड़ियाँ, सार्वजनिक टेलीफोन चोरी कर लिए गए।

ऐन फ्रैंक ने नारी स्वतंत्रता को महत्व दिया,उसने नारी को एक सिपाही के बराबर सम्मान देने की बात कही एक तेरह वर्षीय किशोरी के मन की बेचैनी को भी व्यक्त किया- जैसे मि. डसेल की डाँट-फटकार ओर उबाऊ भाषण, दूसरों की बातें सुनकर मिसेज फ्रैंक का उसे डाँटना ओर उस पर अविश्वास करना, बड़ों के द्वारा उसके काम ओर केश सज्जा पर टीका-टिप्पणी करना, सिनेमा की पत्रिका खरीदने पर फिजूलखर्ची का आरोप लगाना, पीटर द्वारा उसके प्रेम को उजागर न करना आदि।

ऐन फ्रैंक की डायरी के द्वारा द्वितीय विश्वयुद्ध की विभीषिकाहिटलर एवं नाजियों द्वारा यहूदियों का उत्पीड़नडरभुखमरीगरीबीआतंकमानवीय संवेदनाएँप्रेमघृणातेरह साल की उम्र के सपनेकल्पनाएँबाहरी दुनिया से अलग-थलग पड़ जाने की पीड़ामानसिक ओर शारीरिक जरूरतेंहँसी-मज़ाकअकेलापन आदि का जीवंत रूप देखने को मिलता है।