सामाजिक न्याय - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

CBSE कक्षा 11 राजनीति विज्ञान
पाठ-13 सामाजिक न्याय
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

एक अंकीय प्रश्नों के उत्तर:-
  1. प्राचीन भारतीय समाज में न्याय संबंधी अवधारण क्या थी?
    उत्तर- 
    प्राचीन भारतीय समाज में न्याय धर्म के साथ जुड़ा था और न्यायोचित सामाजिक व्यवस्था कायम रखना राजा का कर्तव्य था।
  2. 'द रिपब्लिक' के लेखक का नाम लिखिये।
    उत्तर- 
    प्लेटों।
  3. साधारण शब्दों में न्याय का अर्थ समझाइये।
    उत्तर- 
    प्रत्येक व्यक्ति को उसका वाजिब हिस्सा देना।
  4. समाजिक न्याय को बढ़ावा देने का तरीका क्या हो सकता है?
    उत्तर- 
    पारिश्रमिक या कर्त्तव्यों का वितरण करते समय लोगों की विशेष जरूरतों का ख्याल सिद्धांत सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने का तरीका माना जा सकता है।
  5. समान लोगों के प्रति समान व्यवहार या बर्ताव से क्या आशय है?
    उत्तर- 
    लोगों के साथ वर्ग जाति नस्ल या लिंग के आधार पर भेदभाव न किया जाये। भिन्न जातियों के दो व्यक्ति यदि एक ही काम करते हो चाहे वह पत्थर तोड़ने का काम हो या पिज्जा बांटने का उन्हें समान पारिश्रमिक मिलना चाहिये।
  6. न्यूनतम आवश्यकताओं की अवधारणा किस पंचवर्षीय योजना में लाई गई?
    उत्तर- 
    5वीं पंचवर्षीय योजना 1974-1979
  7. सरकारी नौकरियों में आरक्षण के प्रस्ताव के विरोध में फूटे आंदोलन का नाम बताइये।
    उत्तर- 
    मण्डल कमीशन विरोधी अांदोलन 1990
  8. सामाजिक न्याय की स्थापना के लिये किस भारतीय दार्शनिक का योगदान सर्वोपरि है?
    उत्तर- 
    डॉ. भीमराव अम्बेडकर

दो अंकीय प्रश्नों के उत्तर:-
  1. सामाजिक न्याय ............ व ............ का सामंजस्य है।
    उत्तर- 
    व्यक्तिगत अधिकारों, सामाजिक अधिकारों
  2. रॉल्स के अज्ञानता के आवरण का तात्पर्य समझाइये।
    उत्तर- 
    हम खुद को ऐसी परिस्थिति में होने की कल्पना करें जहां हमें यह फैसला लेना है कि समाज को कैसे संगठित किया जाये और साथ ही हमें यह भी पता न हो कि समाज में हमारी जगह क्या होगी तब हम ऐसा निर्णय लेंगे जो सभी के लिये हितकर होगा।
  3. समानता व सामाजिक न्याय को मध्य संबंध स्पष्ट कीजिये।
    उत्तर- 
    दोनों में घनिष्ठ संबंध है सामाजिक न्याय द्वारा समानता तथा समानता द्वारा सामाजिक न्याय की स्थापना होती है।
  4. न्यायपूर्ण वितरण से क्या अभिप्राय है?
    उत्तर- 
    सामाजिक न्याय का संबंध वस्तुओं और सेवाओं के न्यायोचित बंटवारे से है। यह वितरण समाज के विभिन्न समूहों व व्यक्तियों के बीच होता है जिससे उन्हें जीने के लिये समान धरातल मिल सके।
  5. न्यायपूर्ण समाज की अवधारणा से क्या अपेक्षा की जाती है?
    उत्तर- 
    न्यायपूर्ण समाज को लोगों के लिये न्यूनतम बुनियादी स्थितियाँ जरूर मुहैया करानी चाहिये ताकि स्वास्थ व सुरक्षित जीवन के साथ समान अवसर के जरिये अपनी प्रतिभा का विकास कर सके।
  6. संयुक्त राष्ट्र संघ की इकाईयों ने न्यूनतम आवश्यकताओं में किन सुविधाओं की गणना की है?
    उत्तर- 
    भोजन, शुद्ध पानी, आवास, आय व शिक्षा।
  7. मुक्त बाजार से क्या अभिप्राय है?
    उत्तर- 
    मुक्त बाजार के समर्थक खुली प्रतिद्वंदिता के पक्षधर है। व्यक्ति को संम्पति अर्जित करने हेतु मूल्य व मजदूरी के मामले में व्यक्ति की स्वतंत्रता के हामी है।

चार अंकीय प्रश्नों के उत्तर:-
  1. न्याय में देरी होना अंधेर होना है। उक्त वाक्य का अर्थ समझाइये।
    उत्तर- 
    न्याय में देरी वास्तव में अंधेर ही है क्योंकि यदि पीड़ित व्यक्ति न्याय के लिये लम्बे समय तक दर दर भटकता रहे तो उसका न्याय से विश्वास उठने लगता है कभी कभी तो पीड़ित इंसाफ की उम्मीद लिये दुनिया से ही चला जाता हे।
  2. न्याय अपने आप में सम्पूर्ण प्रक्रिया है फिर भारत में सामाजिक न्याय पर विशेष बल क्यों दिया गया है?
    उत्तर- 
    लम्बे समय से चली आ रही जातिगत विभिन्नताओं के कारण न्याय की प्रक्रिया कहीं न कहीं प्रभावित हुई है। इसीलिये सामाजिक ताने बाने को ध्यान में रखकर ही न्याय किया जाना चाहिए।
  3. मुक्त बाजार के पक्ष व विपक्ष में तर्क दीजिये।
    उत्तर- पक्ष:
     बाजार व्यक्ति की जाति धर्म या लिंग की परवाह नहीं करता। बाजार केवल व्यक्ति की योग्यता व कौशल की परवाह करता है।
    विपक्षः मुक्त बाजार ताकतवर धनी व प्रभावशाली लोगों के हित में काम करने को प्रवृत होता है जिसका प्रभाव सुविधा विहीन लोगों के लिये अवसरों से वंचित होना हो सकता है।
  4. हर किसी को उसका प्राप्य देने का मतलब समय के साथ कैसे बदला है?
    उत्तर- 
    बदलते समय व परिस्थितियों के कारण व्यक्ति की आवश्यकताओं में भी बदलाव आया है। भूमण्डलीकरण व तकनीक के विस्तार ने व्यक्ति के जीवन में महान परिवर्तन ला दिये हैं इसी के अनुसार जीवन के प्रत्येक क्षेत्र की आवश्यकताएं भी बढ़ या बदल गई है।
  5. न्याय के संबंध में जर्मन दार्शनिक इमनुएल कांट के विचार लिखिये।
    उत्तर- 
    इमनुएल कांट के अनुसार हर व्यक्ति की गरिमा होती है इसलिये हर व्यक्ति का प्राप्य यह होगा कि उन्हें अपनी प्रतिभा के विकास और लक्ष्य की पूर्ति के लिये समान अवसर प्राप्त हो।

पाँच अंकीय प्रश्नों के उत्तर:-
  1. प्रस्तुत कॉर्टून पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
    1. न्याय से क्या तात्पर्य है ?
    2. विशेष जरूरतों से क्या अभिप्राय है?
    3. क्या विशेष जरूरतों का सिद्धांत न्याय के मार्ग में अवरोध पैदा करता है? अपने विचार लिखिये।
    उत्तर-
    1. हर व्यक्ति को उसका जायज हिस्सा मिलना और अपनी प्रतिभा व विकास के लिये समान अवसर प्राप्त होना।
    2. जो लोग कुछ महत्वपूर्ण संदर्भों में समान नहीं है उनके साथ भिन्न ढंग से बर्ताव किया जाये।
    3. नहीं यह न्याय के मार्ग अवरोध नहीं बल्कि न्याय की स्थापना करता है। विशेष जरूरतों या विकलांगता वाले लोगों को कुछ खास मामलों में असमान व विशेष सहायता के योग्य समझा जा सकता है। बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच का अभाव जाति आधारित सामाजिक भेदभाव से जुड़े होने के कारण भारत के संविधान में सरकारी नौकरियों व शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की व्यवस्था का प्रावधान है।

छ: अंकीय प्रश्नों के उत्तर:-
  1. सामाजिक न्याय की स्थापना के लिये सरकार द्वारा लागू किये जाने वाले तीन सिद्धांत पर प्रकाश डालिये।
    उत्तर-
    1. समान लोगों के बीच समान बर्ताव का प्रावधान।
    2. लाभ तय करते समय विभिन्न प्रयास व कौशलों को मान्यता देना (समानुपातिक न्याय)
    3. विशेष जरूरतों का विशेष ख्याल: जो लोग कुछ महत्वपूर्ण संदर्भों में समान नहीं है उनके साथ भिन्न ढंग से बर्ताव करके उनका ख्याल किया जाना चाहिये।
  2. राल्स के न्याय सिद्धांत की व्याख्या कीजिये।
    उत्तर- 
    रॉल्स ने न्याय प्राप्ति के लिये 'अज्ञानता के आवरण' का सिद्धान्त दिया है यदि अज्ञानता में रहकर यह निर्णय लिया जाये कि समाज में न्याय केसा होना चाहिये किस वर्ग के लिये क्या सुविधाएं होनी चाहिए तो व्यक्ति सबसे कमजोर या निचले वर्ग के लिये भी सर्वश्रेष्ठ नीति का चयन करेगा क्योंकि उसे यह ज्ञान नहीं होगा कि इस समाज में उसका स्थान कहां होगा।
  3. मुक्त बाजार बनाम राज्य का हस्तक्षेप से क्या तात्पर्य है। विस्तार में समझाइये।
    उत्तर- मुक्त बाजार के समर्थक राज्य के हस्तक्षेप के विरोधी और खुली प्रतिस्पर्धा के पक्षधर है। उनके अनुसार इससे योग्यता और प्रतिभा से लैस लोगों को अच्छा फल मिलेगा जबकि अक्षम लोगों को कम हासिल होगा।