कृषि - पुनरावृति नोट्स

 CBSE Class 10 सामाजिक विज्ञान

Revision Notes
पाठ - 4
कृषि


सारांश :-

कृषि :-- कृषि एक प्राथमिक क्रिया है जो हमारे अधिकांश का खाद्यान्न उत्पन्न करती है।

प्रौद्योगिकीय और संस्थागत सुधार:-

  • स्वतंत्रता के पश्चात देश में संस्थागत सुधार करने के लिए जोतों की चकबंदी, सहकारिता तथा जमींदारी आदि समाप्त करने को प्राथमिकता दी गई।
  • प्रथम पंचवर्षीय योजना में भूमि सुधार मुख्य लक्ष्य।
  • पैकेज टैक्नोलॉजी पर आधारित हरित क्रांति और श्वेत क्रांति।
  • विकास कुछ क्षेत्रों तक सीमित।
  • 1980 और 1990 के दशकों में व्यापक भूमि विकास कार्यक्रम शुरू जो संस्थागत और तकनीकी सुधारों पर आधारित था।
  • सूखा, बाढ़, चक्रवात, आग तथा बीमारी के लिए फसल बीमा के प्रावधान।
  • किसानों को कम दर पर ऋण सुविधाएँ प्रदान करने के लिए ग्रामीण बैंकों, सहकारी समितियों और बैंकों की स्थापना।
  • किसान क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना शुरू।
  • आकाशवाणी और दूरदर्शन पर किसानों के लिए मौसम की जानकारी के बुलेटिन और कृषि कार्यक्रम प्रसारित करना।
  • किसानों को बिचैलियों और दलालों के शोषण से बचाने के लिए न्यूनतम सहायता मूल्य और कुछ महत्वपूर्ण फसलों के लाभदायक खरीद मूल्यों की सरकार घोषणा करती है।

कृषि का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थारोजगार और उत्पादन में योगदान:-

  • सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान।
  • जन संख्या के लिए योगदान।
  • आजीविका का साधन
  • भारत सरकार ने आधुनिकीकरण के लिए भरसक प्रयास
  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद व कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना।
  • पशु चिकित्सा सेवाएँ और पशु प्रजनन केन्द्र की स्थापना।
  • बागवानी विकास।
  • मौसम विज्ञान और मौसम के पूर्वानुमान के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-
1. 
कृषि में कौन से प्रौद्योगिकीय और संस्थागत सुधार किए गए हैं?
2. पैकेज टैक्नोलॉजी क्या है?
3. सरकार किसानों को फसल बीमा क्यों देती है?
4. भारत में कृषि का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान क्या है?
5. भारतीय कृषि को किस प्रकार आधुनिक बनाया जा सकता है?
6. किसानों के लिए टेलीविजन और रेडियों पर मौसम संबंधी जानकारी देने के पीछे क्या उद्देश्य है?
7. जोतों की चकबंदी का क्या अर्थ है? इस की जरूरत क्यों पडी?
8. सरकार किसानों के लिए न्यूनतम सहायकता मूल्य क्यों निर्धारित करती है?

उत्तर:--

1. कृषि मेले में लिखित प्रौद्योगिकी है और संस्थागत सुधार किए गए हैं:--

१. प्रथम पंचवर्षीय योजना में किसी को विशेष महत्व दिया गया सिंचाई के लिए कई योजनाएं बनाई गई और कम उपयोग भूमि को भी खेती योग्य बनाने के लिए कदम उठाए गए।

२. नए और वैज्ञानिक ढंग से कृषि के साधन अपनाए गए नहीं और अधिक को कुछ देने वाले बीच तैयार किये गए किसानों को खाद इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया गया जो उन्हें कम कीमत पर देने का प्रबंध किया गया है।

३. इन सब उपायों के फलस्वरूप ही छठे दशक में कृषि में एक महान क्रांति हुई और कृषि वस्तुओं का उत्पादन तेजी से बढ़ा। विशेष रूप से गेहूं और चावल अधिक खाद्यान्नों की उत्पादन में पंजाब और हरियाणा के राज्यों में रिकॉर्ड वृद्धि हुई। कृषि उत्पादन में हुई इस महान क्रांति को हरित क्रांति का नाम दिया गया है।

૪. स्वर्त क्रांति ने ना केवल गेहूं और चावल अधिक उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया है वरण भारतीय समाज पर बड़े गहरे सामाजिक आर्थिक प्रभाव डाले हैं। अब हम कृषि के क्षेत्र में प्राप्त की गई अपनी सफलता पर गर्व कर सकते हैं। अब हमें अपना भोजन दूसरे देशों से नहीं मंगवाना पड़ता है।

2. पैकेज प्रौद्योगिकी संयोजन या पैकेज खेती के कई सुधार के तरीकों के तहत आदेश कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए एक साथ अपनाया जाता है। हरित क्रांति के कारण ही हमारे देश में के का उत्पादन बढ़ा और इसका कारण पैकेज टेक्नोलॉजी था।

3. फसलें प्रायः प्राकृतिक आपदाओं जैसे सुखा,बाढ़, ओला वृष्टि,चक्रवातों आप और अनेक लोगों आदि के कारण नष्ट हो जाया करती थी तो ऐसे में किसानों को बहुत उठा हाँ नहीं उठानी पड़ती थी बहुत से किसानों को भुखमरी का सामना करना पड़ता था इन आपदाओं से बचाने के लिए फसल बीमा योजना शुरू की गई इसके द्वारा आप घाटे की पूर्ति करना संभव हो गया है अब किसी भी प्रकार की आपदा से फसल नष्ट हो जाने पर किसानों को पूरा मुआवजा मिलता है। जिससे उनकी काफी सुरक्षा हो गई है।

4. (१) भारत एक कृषि प्रधान देश है। भारत की लगभग 70% जनता आज भी कृषि के कार्य में लगी हुई है।

(२) कृषि से भारत की विशाल जनसंख्या को भोजन प्राप्त होता है।

(३) हमारी कुल राष्ट्रीय आय का लगभग 45% कृषि, वन और मछली पालन से प्राप्त होता है।

(૪) इससे कृषि पर निर्भर उद्योगों को कच्चा माल मिलता है।

(५) हमारे देश का औद्योगिक ढांचा है हमारी खेती के विशाल आधार पर निर्मित किया गया हैकृषि पर आधारित दो रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र में।

(६) विदेशी मुद्रा कमाने के लिए भी है एक बड़ा स्रोत है।

5. भारत में कृषि में परंपरागत औजारों जैसे फावड़ा, खुरपी, कुदाल, हँसिया, बल्लम, के साथ ही आधुनिक मशीनों का प्रयोग भी किया जाता है। किसान जुताई के लिए ट्रैक्टर, कटाई के लिए हार्वेस्टर तथा गहाई के लिए थ्रेसर का प्रयोग करते हैं। भारत में सिंचाई का मतलब खेती और कृषि गतिविधियों के प्रयोजन के लिए भारतीय नदियों, तालाबों, कुओं, नहरों और अन्य कृत्रिम परियोजनाओं से पानी की आपूर्ति करना होता है। भारत जैसे देश में, ६४% खेती करने की भूमि, मानसून पर निर्भर होती है। भारत में सिंचाई करने का आर्थिक महत्व है - उत्पादन में अस्थिरता को कम करना, कृषि उत्पादकता की उन्नती करना, मानसून पर निर्भरता को कम करना, खेती के अंतर्गत अधिक भूमि लाना, काम करने के अवसरों का सृजन करना, बिजली और परिवहन की सुविधा को बढ़ाना, बाढ़ और सूखे की रोकथाम को नियंत्रण मे करना। उपरोक्त उपायों द्वारा भारत में कृषि को आधुनिक बनाया जा सकता है।

6. आकाशवाणी और दूरदर्शन पर किसानों के लिए मौसम की जानकारी के बुलेटिन और कृषि कार्यक्रम प्रसारित करने के पीछे है उद्देश्य था कि किसानों को मौसम की सटीक जानकारी मिल सके तथा हुए उसके अनुरूप ही अपने फसलों को हो सके या खेतों को जोत सकें।

7. चकबंदी वह विधि है जिसके द्वारा व्यक्तिगत खेती को टुकड़ों में विभक्त हाने से रोका एवं संचयित किया जाता है तथा किसी ग्राम की समस्त भूमि को और कृषकों के बिखरे हुए भूमिखंडों को एक पृथक्‌ क्षेत्र में पुनर्नियोजित किया जाता है। भारत में जहाँ प्रत्येक व्यक्तिगत भूमि (खेती) वैसे ही न्यूनतम है, वहाँ कभी कभी खेत इतने छोटे हो जाते हैं कि कार्यक्षम खेती करने में भी बाधा पड़ती है। चकबंदी द्वारा चकों का विस्तार होता है, जिससे कृषक के लिये कृषिविधियाँ सरल हो जाती हैं और पारिश्रमिक तथा समय की बचत के साथ साथ चक की निगरानी करने में भी सरलता हो जाती है। इसके द्वारा उस भूमि की भी बचत हो जाती है जो बिखरे हुए खेतों की मेड़ों से घिर जाती है। अंततोगत्वा, यह अवसर भी प्राप्त होता है कि गाँव के वासस्थानों, सड़कों एवं मार्गों की योजना बनाकर सुधार किया जा सके।

8. न्यूनतम समर्थन मूल्य की नीति, राजनीति और अर्थनीति को अच्छे से समझ लेना जरूरी है. वर्ष 1965 से चल रही देश की खाद्य नीति के तहत सरकार कुछ कृषि उपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करती है.
इस मूल्य निर्धारण का मकसद होता है देश में खाद्यान्न और कृषि उपजों की कीमतों पर नियंत्रण रखते हुए किसानों को उपज का सही मूल्य सुनिश्चित करना.
हमें यह सिखाया जाता है कि इसका मतलब केवल सरकारी खरीद से होता है,