विकास - पुनरावृति नोट्स

 CBSE Class 10 सामाजिक विज्ञान 

Revision Notes
पाठ - 1
विकास


विकास:-

  • विभिन्न व्यक्ति, विभिन्न लक्ष्य
  • लोगों के विकास के लक्ष्य भिन्न हो सकते है।
  • एक के लिए जो विकास है जरुरी नहीं कि वह दूसरे के लिए भी विकास न हो। यहाँ तक कि वह दूसरे के लिए विनाशकारी भी हो सकता है।

आय और अन्य लक्ष्य:- ज्यादा आय, बराबरी का व्यवहार, स्वतंत्रता, काम की सुरक्षा, सम्मान व आदर, परिवार के लिए सुविधाएँ, वातावरण आदि, राष्ट्रीय विकास की धारणाएँ निम्नलिखित हैं :

  • विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट 2006 के अनुसार, ‘‘2004 में प्रतिव्यक्ति आय जिन देशो में 453000 रूपये प्रति वर्ष या उससे अधिक है वह समृद्ध या विकसित राष्ट्र कहलाते है। जिनकी आय 37000 रूपयें प्रति वर्ष या उससे कम है वह विकासशील /निम्न आय वाले देश कहलाते हैं।
  • यू. एन. डी. पी. द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘राष्ट्रीय विकास का अनुमान लोगों के शैक्षिक स्तर, उनकी स्वास्थय स्थिति तथा प्रति व्यक्ति आय के आधार पर होता है।’’

धारणीय विकास:-
विकास हो पर इससे परिवेश/पर्यावरण को हानि न पहुँचे।
धारणीयता:- ऐसी निरंतर प्रक्रिया जो भविष्य की नस्ल की उत्पादकता को हानि पहुँचाए बिना ही वर्तमान नस्ल की आवश्यकताओं की संतुष्टि करती है।
औसत आय:- देश की कुल आय को देश कि कुल जनसंख्या से भाग ओसत अाय निकाली जाती है। यह प्रति व्यक्ति आय भी कहलाती है।
शिशु मृत्यु दर:- किसी वर्ष में पैदा हुए 1000 जीवित बच्चों में से एक वर्ष की आयु से पहले मर जाने वाले बच्चों का अनुपात दिखाती है।
साक्षरता दर:- 7 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में साक्षर जनसंख्या का अनुपात को साक्षरता दर कहते हैं । निवल उपस्थिति अनुपात: 6-10 वर्ष की आयु के स्कूल जाने वाले कुछ बच्चों का उस आयु वर्ग के कुल बच्चों के साथ प्रतिशत उपस्थिति अनुपात कहलाता है ।
राष्ट्रीय आय:- देश के अंदर उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य तथा विदेशों से प्राप्त आय के जोड को राष्ट्रीय आय कहते है।

प्रश्न:-
1.
 विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिये किस प्रमुख मापदण्ड का प्रयोग करता है? इस मापदण्ड की अगर कोई हैं तो सीमाएँ क्या है?
2. विकास मापने का यू.एन.डी.पी. का मापदण्ड किन पहलुओं में विश्व बैंक के मापदण्ड से अलग है?
3. धारणीयता का विषय विकास के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं?

उत्तर 

1. विश्व बैंक द्वारा साधान है विभिन्न देशों का वर्गीकरण करने के लिए प्रमुख रूप से आए के मापदंड का प्रयोग किया जाता है जिन देशों की आय अधिक होती है उन्हें कम आय वाले देशों से अधिक विकसित माना जाता है। परंतु विभिन्न देशों की तुलना करते समय उसकी कुल लायक को ध्यान में रखकर कोई निष्कर्ष निकालना उचित नहीं है क्योंकि विभिन्न देशों की जनसंख्या विभिन्न होती है इसलिए इससे यह पता नहीं चलता कि असित व्यक्ति क्या कमा रहा है। इसलिए दो देशों की तुलना करते समय बुलाई की बजाय और सत्ताईस तुलना करते हैं इसी औसत आय को प्रति व्यक्ति आय भी कहा जाता है विश्व बैंक ने अपनी 2006 की विश्व विकास रिपोर्ट में इसकी औसत आय के मापदंड से देशों का वर्गीकरण किया है वह देश जिसकी प्रति व्यक्ति आए 10,066 प्रति वर्ष या उससे अधिक थी उन्हें समृद्ध देश माना गया और जिन देशों में प्रति व्यक्ति आय और 825 डॉलर प्रति वर्ष या उससे कम थी उन्हें निम्न आय का देश कहा गया।

2. विश्व बैंक ने विभिन्न देशों के विकास की तुलना करते समय केवल आए के मापदंड को ही अधिक महत्व दिया है परन्तु यह मापदंड उचित नहीं है क्योंकि एक बेहतर जीवन व्यतीत करने के लिए आई के अतिरिक्त भी कुछ अन्य चीजों की आवश्यकता पड़ती है विश्व बैंक के वर्गीकरण से परे हटकर यू.एन.डी .पी ने जो वर्गीकरण का मापदंड अपनाया है वह कहीं बेहतर माना जाता है। इसके  द्वारा देशों की तुलना करते समय प्रति व्यक्ति आय के साथ साथ निम्नलिखित पहलुओं पर भी जोर दिया गया है:--

१. लोगों का शैक्षणिक स्तर 
२.लोगों का स्वास्थ्य स्तर
३. वर्गीकरण का यह ढंग अधिक उचित लगता है 

3. धारणियता का यह अर्थ है कि प्रकृति के विभिन्न साधनों का प्रयोग ऐसे किया जाए कि उनका अस्तित्व समाप्त न होने पाए। यदि हम प्रकृति के संसाधनों का बड़ी समझदारी और सूझबूझ से प्रयोग करेंगे तो हमें भी उनका लाभ रहेगा और हमारे आने वाली पीढियों को भी उनका लाभ मिलेगा। प्रकृति के पास हमारी सारी आवश्यक्ताओं की पूर्ति के लिए सब कुछ है परंतु यदि कोई व्यक्ति अपने लालच है उनका शोषण करेगा तो यह साधन जल्दी समाप्त हो जाएंगे या बर्बाद हो जाएंगे और हमारी आने वाली पीढी के लिए कुछ नहीं बचेगा। ऐसी स्थिति कभी भी लाने का प्रयत्न नहीं करना चाहिए लालच को तैयार कर हमें संसाधनों का उचित प्रयोग करना चाहिए ताकि हम भी भूखे न रहे और आगे आने वाली पुश्तें भी उनसे वंचित न रह जांए। हमें अपने वन और खुनी साधनों को मानव शोषण से बचना चाहिए नहीं तो धीरे धीरे पशुओं और पौधों की बहुत ही निचले नष्ट हो जाएंगी और आगे आने वाले लोगों को उनकी सुंदरता और लाभ से वंचित रहना पड़ेगा। यदि ऐसा होता है तो यह हमारे लिए बड़ा दुर्भाग्य फोन होगा और आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए बड़ा हानि का रख इसलिए हमें अपने साधनों का प्रयोग एक उचित मात्रा में करना चाहिए।