आधुनिकीकरण के रास्ते-पुनरावृति नोट्स

                                              CBSE कक्षा 11 इतिहास

पाठ-11 आधुनिकीकरण के रास्ते
पुनरावृत्ति नोट्स


स्मरणीय तथ्य-

  • चीन एक विशालकाय द्वीप है, जिसमें कई तरह की जलवायु वाले क्षेत्र सम्मिलित हैं।
  • चीन का सबसे प्रमुख जातीय समूह हान है और प्रमुख भाषा चीनी है।
  • चीन के विपरित जापान एक द्वीप श्रृंखला है, जिसमें चार बड़े द्वीप समूह हैं होंशू, क्यूशू, शिकोकू और होकाइदो।
  • 12वीं सदी के प्रारम्भ में जापान पर शोगुनों का शासन कायम हुआ जो सैद्धान्तिक रूप से राजा थे।
  • 1603 से 1867 के मध्य तक तोकुगावां वंश के लोग शोगुन पद पर कायम थे।
  • मेज़ी पुर्नस्थापना का अर्थ है, प्रबुद्ध सरकार का गठन। सन् 1867-68 के दौरान मेज़ी वंश का उदय हुआ और देश में विद्यमान विभिन्न प्रकार का असन्तोष मेज़ियों की पुनस्र्थापना का कारण बना।
  • सम्राट मेज़ी को ऐदो लाया गया तथा एदो को राजधानी बनाकर इसका नाम टोक्या रखा गया।
  • जापान में 1870 के दशक से नयी विद्यालयी व्यवस्था का निर्माण हुआ। लड़के और लड़कियों के लिए स्कूल जाना अनिवार्य हो गया तथा किताबों के माध्यम से माता-पिता के प्रति आदर, राष्ट्र के प्रति वफादारी तथा अच्छे नागरिक बनने का पाठ पढ़ाया जाने लगा।
  • ‘डायट’ जापानी संसद का नाम है और यह जर्मन विचारधारा पर आधारित थी।
  • ‘फुकुज़ावा यूकिची’ मेज़ी काल के प्रमुख बुद्धिजीवियों में से एक थे। उनका कहना था कि जापान को ‘अपने में से एशिया को निकाल फेंकना चाहिए।
  • जापान में अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण - कृषि पर कर लगा कर धन इकट्ठा, रेल लाइनों का विकास, वस्त्र उद्योग के लिए मशीनों का आयात, मजदूरों को प्रशिक्षण तथा बैंकिंग संस्थाओं का प्रारम्भ होना आदि से हुआ है।
  • ‘फुकोकु-क्योहे’ - जिसका अर्थ है समृद्ध देश और मजबूत सेना।
  • अमेरिका द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, युद्ध जल्दी खत्म करने के लिए जापानी शहर हिरोशिमा और नागासाकी पर नाभिकीय बम गिराये गये।
  • अमेरिकी नियन्त्रण के दौरान, जापान का विसैन्यीकरण कर दिया गया और एक नया संविधान लागू किया गया। फिर भी अपनी भयंकर हार के बावजूद, जापान ने अपनी अर्थव्यवस्था का शीघ्रता से पुनर्निर्माण किया, जिसे एक ‘युद्धोतर चमत्कार’ कहा गया है।
  • चीन का आधुनिक इतिहास-संप्रभुता भी पुर्नप्राप्ति, विदेशी कब्जे का अंत और समानता और विकास को सम्भव बनाने पर आधारित था।
  • पहला अफीम युद्ध (1839-1842) हुआ। इसने सत्ताधारी क्विंग राजवंश को कमजोर किया और सुधार तथा बदलाव की मांगों को मजबूती दी।
  • 1911 में माँचू साम्राज्य की समाप्ति के साथ सन यात सेन के नेतृत्व में चीन में गणतन्त्र की स्थापना हुई।
  • सन यात-सेन के तीन सिद्धान्त - राष्ट्रवाद, गणतन्त्र, समाजवाद।
  • जापान ने पशुपालन की परंपरा को नहीं अपनाया। चावल यहाँ की बुनियादी फसल है और मछली प्रोटीन का मुख्य साधन है।
  • 17वीं शताब्दी के मध्य तक जापान में एदो दुनिया का सबसे अधिक जनंसख्या वाला शहर बन गया था।
  • व्यक्ति के गुण को उसके पद से अधिक महत्व दिया जाने लगा। फलत: शहरों में जीवंत संस्कृति तेजी से खिलने लगी।
  • जापान को अमीर देश समझा जाता था। इसका कारण यह था कि वह चीन से रेशम और भारत से कपडा जैसी विलास वस्तु आयत करता था।
  • यह देश आयातित वस्तुओं का मूल्य चाँदी और सोने के सिक्कों में अदा करता था। जिससे अर्थव्यवस्था पर भार पड़ा और तोकुगावा ने कीमती धातुओ के निर्यात पर रोक लगा दी।
  • नयी सरकार के अधीन 'सम्राट-व्यवस्था' का पुनर्निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया। यह उल्लेखनीय है कि सम्राट-व्यवस्था का अर्थ है-एक ऐसी व्यवस्था जिसमें सम्राट, नौकरशाही और सेना इकट्ठे सत्ता का संचालन करते हों और नौकरशाही व सेना सम्राट के प्रति उत्तरदायी हों।
  • नयी शिक्षा व्यवस्था के अधीन नैतिक संस्कृति विषय पर बल दिया गया। किताबों के माध्यम से माता-पिता के प्रति आदर, राष्ट्र के प्रति वफादारी और अच्छे नागरिक बनने का पाठ पढ़ाया जाने लगा।
  • मेजी सरकार के अधीन राष्ट्र के एकीकरण के लिए पुराने गाँवों और क्षेत्रीय सीमाओं में फेरबदल कर नया प्रशासनिक ढाँचा तैयार किया गया।
  • राष्ट्र की सुरक्षा के दृष्टिकोण से 20 साल से अधिक उम्र के नौजवानों के लिए कुछ अरसे के लिए सेना में काम करना अनिवार्य कर दिया गया।
  • अमेरिकी नियंत्रण के दौरान जापान का विसैन्यीकरण कर दिया गया और एक नया संविधान लागू किया गया। फिर भी अपनी भयंकर हार के बावजूद जापान ने अपनी अर्थव्यवस्था का शीघ्रता से पुनर्निर्माण किया, जिसे एक युद्धोतर चमत्कार कहा गया हैं।
  • कन्फ्यूशियसवाद चीन में अग्रणी विचारधारा रही है। इसका संबंध अच्छे व्यवहार, व्यावहारिक समझदारी और उचित सामाजिक संबंधों के सिद्धांतों से है।
  • सन यात-सेन की मृत्यु के पश्चात् चियांग काई-शेक कुओमीनतांग के नेता बने। उन्होंने सैन्य अभियान के द्वारा वारलोर्ड्स को नियंत्रित किया और साम्यवादियों को खत्म कर डाला।
  • सन् 1937 ई० में जापानी हमले के दौरान कुओमीनतांग नेशनल पीपुल्स पार्टी कमजोर साबित हुई। इस लंबे और थकाने वाले युद्धों ने चीन को अत्यधिक कमजोर कर दिया।
  • चीन की साम्यवादी पार्टी की स्थापना 1921 ई० में, रूसी क्रांति के कुछ समय बाद हुई थी। उसमें माओं त्सेतुंग प्रमुख नेता बनकर उभरे। उनकी सफलता ने चीनी साम्यवादी पार्टी को एक शक्तिशाली राजनीतिक ताकत बना दिया।
  • जियांग्सी माओ त्सेतुंग के आमूलपरिवर्तनवादी तौर-तरीकों का साक्ष्य है। यहाँ उन्होंने मजबूत किसान परिषद का गठन किया। जमीन पर कब्ज़ा और पुनर्वितरण के साथ एकीकरण किया गया।
  • माओ ने शादी के नए कानून बनाए। इस नियम के अधीन आयोजित शादियों और शादी के समझौते खरीदने और बेचने पर रोक लगाई। इसके अतिरिक्त तलाक को आसान बना दिया गया।
  • पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना की सरकार 1949 ई० में स्थापित हुई। यह 'नए लोकतंत्र' के सिद्धांतों पर आधारित थी।
  • समाजवादी बदलाव के कार्यक्रमों के अधीन ग्रामीण इलाकों में पीपुल्स कम्यूनस की स्थापना की गई। यहाँ लोग इकट्ठे जमीन के मालिक थे और मिल-जुलकर फसल उगाते थे।
  • बीजिंग के तियानमेन चौक पर छात्रों द्वारा किए गए प्रदर्शन को क्रूरतापूर्वक दबा दिया गया। निःसंदेह दुनियाभर में चीन के इस कृत्य की कड़ी आलोचना हुई थी।
  • चीन में परंपराओं को भी समाप्त करने की कोशिश की गई। साम्यवादी दल और उसके समर्थकों का विचार था कि परंपरा लोगों को गरीबी की जंजीरों में जकड़े हुए है।
  • सांस्कृतिक क्रांति के पश्चात् तंग शीयाओफींग ने पार्टी पर अपना नियंत्रण मजबूत बनाया। उन्होंने चार सूत्री लक्ष्य की घोषणा की। यह था- विज्ञान, उद्योग, कृषि और रक्षा का विकास।
  • कालांतर में चीन में मजबूत राजनीतिक नियंत्रण, आर्थिक खुलापन और विश्व बाजार से जुड़ाव जैसे मुद्दों को महत्व दिया गया जिससे कि चीन एक आधुनिक समाज बन सके।
  • ताइवान को चीन का ही एक हिस्सा समझा जाता है। वस्तुत: चियांग काई-शेक द्वारा ताइवान में चीनी गणतंत्र की स्थापना की गई थी।
  • 1894-95 के दौरान जापान के साथ हुए युद्ध में ताइवान को चीन द्वारा जापान के हाथों में सौंप दिया गया था। तब से यह क्षेत्र जापानी उपनिवेश था। फिर कायरो घोषणापत्र (1943) और पोट्सडैम उद्घोषणा (1994) के द्वारा चीन की संप्रभुता वापस मिलीं।
  • चीन में 1965-78 का काल ‘समाजवादी व्यक्ति’ की रचना का था। माओवादियों ने पुरानी संस्कृति, पुराने रिवाज़ और पुरानी आदतों के खिलाफ अभियान छेड़ा।