सत्ता के वैकल्पिक केंद्र - एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर

CBSE Class 12 राजनीति विज्ञान
एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर
पाठ-4
सत्ता के वैकल्पिक केंद्र

1. तिथि के हिसाब से इन सबको क्रम वे :
(क) विश्व व्यापार संगठन में चीन का प्रवेश
(ख) यूरोपीय आर्थिक समुदाय की स्थापना
(ग) यूरोपीय संघ की स्थापना
(घ) आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना।
उत्तर- (क) यूरोपीय आर्थिक समुदाय की स्थापना (1948)
(ख) आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना (1967)
(ग) यूरोपीय संघ की स्थापना (1992)
(घ) विश्व व्यापार संगठन में चीन का प्रवेश (2001)

2. 'ASEAN Way' या आसियान शैली क्या थी?
(क) आसियान के सदस्य देशों की जीवन शैली है।
(ख) आसियान सदस्यों के अनौपचारिक और सहयोगपूर्ण कामकाज की शैली को कहा जाता है।
(ग) आसियान सदस्यों की रक्षानीति है।
(घ) सभी आसियान सदस्य देशों को जोड़ने वाली सड़क है।
उत्तर- (ख) आसियान सदस्यों के अनौपचारिक और सहयोगपूर्ण कामकाज की शैली को कहा जाता है।

3. इनमें से किसने 'खुले द्वार' की नीति अपनाई?
(क) चीन
(ख) यूरोपीय संघ
(ग) जापान
(घ) अमरीका
उत्तर- (क) चीन।

4. खाली स्थान भरें-
(क) 1992 में भारत और चीन के बीच ....... और ....... को लेकर सीमावर्ती लड़ाई हुई थी।
(ख) आसियान क्षेत्रीय मंच के कामों में ....... और ....... करना शामिल है।
(ग) चीन ने 1972 में ....... के साथ दोतरफा संबंध शुरू करके अपना एकांतकाल समाप्त किया।
(घ) ....... योजना के प्रभाव से 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना हुई।
(ड़) ....... आसियान का एक स्तंभ है जो इसके सदस्य देशों की सुरक्षा के मामले देखता है।
उत्तर- (क) अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों, लद्दाख के अक्साई-चिन क्षेत्र
(ख) आर्थिक विकास को तेज करना, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास प्राप्त
(ग) अमरीका
(घ) मार्शल
(ड़) आसियान सुरक्षा समुदाय

5. क्षेत्रीय संगठनों को बनाने के उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर- क्षेत्रीय संगठनों को बनाने के निम्न उद्देश्य हैं-
  1. क्षेत्रीय संगठन के द्वारा आर्थिक विकास में वृद्धि करके सामाजिक और सांस्कृतिक विकास प्राप्त करना।
  2. क्षेत्रीय संगठन के माध्यम से कानून के शासन की स्थापना करके क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व को बढ़ावा देना।
  3. विभिन्न क्षेत्रीय देशों को एक मंच प्रदान करना।
  4. क्षेत्रीय विवादों को निपटाने के लिए बनी व्यवस्था में बदलाव लाना।
  5. सामाजिक, सांस्कृतिक,आर्थिक, तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना।
  6. शेष क्षेत्रीय संगठन व संयुक्त राष्ट्रसंघ को साथ लेकर कार्य करना। सहमति द्वारा विवाद को निपटने का प्रयास करना।
  7. सभी देशों को अंतर्निर्भरता के माध्यम से सहयोग करने के लिए प्रेरित करना।

6. भौगोलिक निकटता का क्षेत्रीय संगठनों के गठन पर क्या असर होता है?
उत्तर- भौगोलिक निकटता की वजह से क्षेत्रीय संगठनों में एकता और ज़्यादा बढ़ जाती है। भौगोलिक निकटता से दो देशों के बीच सामाजिक, सांस्कृतिक संबंधों के साथ आपसी योगदान, विश्वास, मित्रता की भावना भी बढ़ती है। दोनों देश एक-दूसरे के यहाँ आसानी से आ-जा सकते हैं। इससे उनके बीच समस्याएँ कम हो जाएँगी और सहयोग-सहमति को बढ़ावा मिलेगा, ना कि युद्ध की। क्षेत्रीय संगठन आपस में व्यापार या आर्थिक सहयोग करके अपनी जरूरतों को आसानी से कम दामों पर पूरा कर सकते हैं, क्योंकि इससे अनेक देशों से आयात में कमी आएगी तथा कर भी कम देना पड़ेगा। सड़क तथा रेल मार्गों के द्वारा नागरिक तथा सामान आसानी से एक-दूसरी जगह तक पहुँचाया जा सकता है। सामूहिक सुरक्षा एक महत्वपूर्ण तथ्य है, क्योंकि यदि एक पर आपदा या संकट या आक्रमण होता है तो सब मिलकर उस देश को सहयोग करेंगे। इससे सुरक्षा की भावना बनी रहेगी |

7. 'आसियान विजन-2020' की मुख्य-मुख्य बातें क्या हैं?
उत्तर- आलियान विजन-2020 की मुख्य बातें निम्न हैं-
'आसियान विजन-2020' में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में आसियान की बहिर्मुखी भूमिका को प्रमुखता दी जाएगी।
टकराव के स्थान पर बातचीत की जाएगी।
इसी तरिके के द्वारा आसियान ने कंबोडिया के टकराव को खत्म किया, पूर्वी तिमोर के संकट को संभाला और पूर्व-एशियाई सहयोग पर बातचीत के लिए 1999 से नियमित रूप से वार्षिक बैठक आयोजित की।
यह एशिया का एकमात्र संगठन है जो राजनैतिक और सुरक्षा मामलों पर विश्व शक्तियों पर चर्चा के लिए राजनैतिक मंच उपलब्ध कराता है।

8. आसियान समुदाय के मुख्य स्तंभों और उनके उद्देश्यों के बारे में बताएँ।
उत्तर- एशिया और तीसरी दुनिया के देशों में एकता बनाय रखने के लिए के प्रयास स्वरूप 1967 के बैंकॉक घोषणा में दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों ने दक्षिण-पूर्व एशियाई संगठन (आसियान) की स्थापना की। इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर और थाइलैंड इसके संस्थापक देश हैं।
आसियान के तीन मुख्य स्तंभ हैं-
आसियान सुरक्षा समुदाय- यह आसियान देशों के मध्य विवादों को खत्म कराने और सैनिक टकराव तक न जाने की सहमति पर आधारित हैं।
आसियान आर्थिक समुदाय- आसियान आर्थिक समुदाय का उद्देश्य आसियान देशों का साझा-बाजार और उत्पादन आधार तैयार करना तथा इस इलाके के सामाजिक और आर्थिक विकास में सहायता करना है।
आसियान सामाजिक-सांस्कृतिक समुदाय- इसका औचित्य आसियान देशों के बीच सामाजिक व सांस्कृतिक मेल-मिलाप की स्थापना करना है।
आसियान समुदाय के उद्देश्य निम्न हैं-
आसियान का मुख्य उद्देश्य आर्थिक विकास को तीव्र करना और इसके द्वारा सामाजिक और सांस्कृतिक विकास प्राप्त करना है।
कानून का शासन और संयुक्त राष्ट्र के कायदों पर आधारित क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व को बढ़ावा देना आसियान का औचित्य है।
इस तरह आसियान दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच व्यापार तथा सामाजिक-आर्थिक संबंधों को कायम करने का एक महत्वपूर्ण साझा मंच है।

9. आज की चीनी अर्थव्यवस्था नियंत्रित अर्थव्यवस्था से किस तरह अलग है?
उत्तर- 1978 में नेता देंग श्याओपेंग ने चीन में आर्थिक सुधारों और 'खुले द्वार की नीति' की घोषणा की। 1972 में अमरीका ने चीन से संबंध बनाकर चीन के आर्थिक और राजनैतिक एकांतवास को समाप्त किया। चीन ने 'शौक थेरेपी' पर अमल करने की बजाय अपनी अर्थव्यवस्था को चरणबद्ध तरिके से खोला। चीन ने बाजारमूलक अर्थव्यवस्था को अपनाया।
1982 में चीन में खेती का निजीकरण किया गया। 1998 में उद्योगों का निजीकरण किया गया। चीन 2001 में विश्व व्यापार संगठन में शामिल हो गया। 1997 के वित्तीय संकट के समय चीन ने आसियान देशों की अर्थव्यवस्था को टिकाए रखने में काफी सहायता की। वर्तमान चीनी अर्थव्यवस्था 1950 की चीनी साम्यवादी अर्थव्यवस्था से पूर्णत: भिन्न है। इसी वजह से आज वह महाशक्ति के रूप में उभर रहा है।

10. किस तरह यूरोपीय देशों ने युद्ध के बाद की अपनी परेशानियाँ सुलझाई? संक्षेप में उन कदमों की चर्चा करें, जिनसे होते हुए यूरोपीय संघ की स्थापना हुई।
उत्तर- द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात यूरोपीय देशों के नेता या विद्वान विभिन्न 'यूरोप के सवालों' को लेकर परेशान थे, क्योंकि यूरोपीय देशों की मान्यताएँ और व्यवस्थाएँ खत्म हो चुकी थीं, जिन पर यूरोप खड़ा हुआ था। 1945 के पश्चात अमरीका ने यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था के गठन में काफी सहायता की। मार्शल योजना यूरोपीय देशों की आर्थिक सहायता के लिए अमरीका द्वारा आरंभ की गई थी।
निम्न कदमों से होते हुए यूरोपीय संघ की स्थापना हुई-
  1. 1945 में अमरीका ने मार्शल योजना के द्वारा यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन में सहायता की थी।
  2. 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना की, जिसके द्वारा पश्चिमी यूरोप के देशों की आर्थिक मदद की गई।
  3. 1949 में यूरोपीय परिषद का गठन पूँजीवादी देशों की अर्थव्यवस्था के आपसी एकीकरण के लिए किया गया।
  4. 1957 में यूरोपियन इकॉनामिक कम्युनिटी का गठन हुआ।
  5. 1973 में डेनमार्क, आयरलैंड और ब्रिटेन ने यूरोपीय समुदाय की सदस्यता ली।
  6. जून 1979 में यूरोपीय संसद के लिए प्रथम प्रत्यक्ष चुनाव हुआ।
  7. जून 1985 शांगेन संधि ने यूरोपीय समुदाय के देशों के मध्य सीमा-नियंत्रण समाप्त किया।
  8. 1981 में यूनान (ग्रीस), 1986 में स्पेन और पुर्तगाल यूरोपीय समुदाय के सदस्य बनें।
  9. अक्टूबर 1990 में जर्मनी का एकीकरण भी यूरोपीय समुदाय के प्रयत्नों से किया गया।
  10. फरवरी 1992 में यूरोपीय संघ के गठन के लिए मास्ट्रिस्ट संधि पर हस्ताक्षर हुए।
  11. इस तरह इन सब कदमों के पश्चात, जो 1945 से आरंभ हुए, अंतत: 1992 में यूरोपीय देशों की एकता, मित्रता, व्यापार और सहयोग के उद्देश्य को लेकर यूरोपीय संघ की स्थापना की गई।

11. यूरोपीय संघ को क्या चीजें एक प्रभावी क्षेत्रीय संगठन बनाती हैं?
उत्तर- यूरोपीय संघ यूरोपीय देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है। यूरोपीय संघ की स्थापना 1992 में हुई थी। यूरोपीय संघ का अपना झंडा, गान तथा स्थापना दिवस है। यूरोपीय देशों की अपनी मुद्रा है, जिसे 'यूरो' कहते हैं, यूरोपीय संघ में लगातार नए सदस्य जुड़ते रहते है, जिससे यह पता चलता हैं कि यूरोपीय संघ कितना प्रभावशाली है। 2005 में यूरोपीय संघ दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। इसका सकल घरेलू उत्पादन 12,000 अरब डॉलर से भी अधिक था। विश्व व्यापार में यूरोपीय संघ की हिस्सेदारी अमरीका से तीन गुनी अधिक है। यूरोपीय संघ के दो सदस्य देश ब्रिटेन व फ्रांस सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं। अंतरिक्ष विज्ञान तथा संचार प्रौद्योगिकी के मामले में यूरोपीय संघ दुनिया में दूसरे नंबर पर है। इसके पास परमाणु हथियार हैं। यूरोपीय संघ के पास दुनिया की सबसे बड़ी सेना है। ये सभी चीजें यूरोपीय संघ को एक प्रभावी क्षेत्रीय संगठन बनाती हैं।

12. 'चीन और भारत की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मौजूदा एक-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था को चुनौती दे सकने की क्षमता है।' क्या आप इस कथन से सहमत हैं? अपने तर्कों से अपने विचारों को पुष्ट करें।
उत्तर- 1970 के दशक में चीन का राजनीतिक प्रभाव बदल गया। इससे भारत के साथ संबंधों में काफी सुधार आया। चीन और भारत दोनों ही खुद को विश्व राजनीति की उभरती शक्ति मानते हैं। दोनों ही एशिया की अर्थव्यवस्था में मुख्य भूमिका निभाते हैं। दोनों देशों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान, विज्ञान और तकनीक क्षेत्र में योगदान और व्यापार के लिए सीमा पर चार पोस्ट खोलने के लिए समझौते भी किए। 1992 में भारत और चीन के मध्य 33 करोड़, 80 लाख का द्वि-पक्षीय व्यापार हुआ था। यह बढ़कर 2006 में 18 अरब डॉलर हो चुका था। भारत और चीन ने विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संगठन के संबंधों में एक जैसी नीतियाँ अपनाई। परिवहन और संचार मार्गों की बढ़ोतरी, समान आर्थिक हित ने भारत और चीन के संबंध में सकारात्मक बढ़ोतरी की है। इन सबसे हम पता लगा सकते हैं कि चीन और भारत दोनों का आपसी सहयोग, मेल-मिलाप एक-दूसरे के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यदि इसी तरह चीन का आर्थिक विकास होता रहा तो वह अमरीका से भी आगे निकल जाएगा। भारत विश्व का सबस विशाल बड़ा लोकतांत्रिक देश है। भारत और चीन दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश रहे हैं। भारत और चीन में विश्व के सबसे ज़्यादा लोग रहे हैं। 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' का नारा भी लोकप्रिय है।
13. 'मुल्कों की शांति और समृद्धि क्षेत्रीय आर्थिक संगठनों को बनाने और मजबूत करने पर टिकी है।' इस कथन की पुष्टि करें।
उत्तर- यह कथन पूर्णतरूप से सत्य है कि मूल्यों की शांति और समृद्धि क्षेत्रीय आर्थिक संगठनों को बनाने और मजबूत करने पर टिकी है। द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात सारे क्षेत्रीय संगठन उभर कर सामने आए। जैसे यूरोप में यूरोपीय संघ तथा अन्य यूरोपीय आर्थिक तथा सामाजिक, राजनैतिक संगठन। एशिया में आसियान, सार्क गुटनिरपेक्ष संगठन, आदि। क्षेत्रीय संगठन अपने क्षेत्र विशेष में शांति व समृद्धि तथा सुरक्षा का वातावरण बनाए रखने के लिए तटपर हैं। सामूहिक सुरक्षा के रूप में क्षेत्रीय संगठन और भी अधिक मुख्य भूमिका निभाते हैं। ये क्षेत्रीय संगठन संबंधित देशों के आर्थिक विकास को ज़तदा बढ़ावा देते हैं तथा उन्हें युद्ध से दूर रखने का प्रयास करते हैं, जिससे विश्व में शांति और सुरक्षा का वातावरण बना रहे।
क्षेत्रीय संगठन आपस में आर्थिक-व्यापारिक, सांस्कृतिक तथा वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी सहयोग करते हैं, जिससे वे ज़्यादा-से-ज़्यादा वृद्धि कर सकें। क्षेत्रीय संगठन इन देशों में पूँजी निवेश, शिक्षा,व्यापार, तकनीकी, आदि क्षेत्रों में सहायता करके संबंधों को गतिशील बनाए रखते हैं। क्षेत्रीय संगठनों में आपस में प्रत्येक वर्ष शिखर सम्मेलन भी होता है, जिसमें वे भविष्य के लिए योजनाएँ बनाते हैं, जिससे संगठन में गतिशीलता बनी रहती है।

14. भारत और चीन के बीच विवाद के मामलों की पहचान करें और बताएँ कि वृहतर सहयोग के लिए इन्हें कैसे निपटाया जा सकता है? अपने सुझाव भी दीजिए।
उत्तर- यह माना जाता है कि प्राचीन काल से ही भारत-चीन के बीच घनिष्ट संबंध रहे हैं। बौद्ध धर्म की जन्मभूमि भारत है, जबकि इसका प्रचार-प्रसार चीन में ज़्यादा हुआ है। 1949 में चीन की साम्यवादी सरकार को सबसे पहले भारत ने समर्थन दिया था। पायर के अनुसार, "साम्यवादी चीन के प्रति नेहरू और उनके सहयोगियों का दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से तुष्टिकारी था।” भारत ने अमरीका की उन नीतियों की सर्वदा आलोचना की जो चीन को अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों या संस्थाओं में 'उचित स्थान' दिलाने में रुकावट प्रस्तुत करती थी।
भारत और चीन के बीच विवाद के निम्न मामले रहे हैं-
  1. तिब्बत समस्या- पहले तिब्बत भारत का क्षेत्र था। 1950 में चीन सरकार ने तिब्बत को स्वतंत्र कराने की घोषणा की । अब तिब्बत चीन के अधिकार क्षेत्र में है। 1959 में दलाईलामा (धार्मिक गुरु) को चीन ने कठोरता से कुचल दिया, क्योंकि इन्होंने चीनी शासन के विरूद्ध विद्रोह कर दिया था। दलाईलामा ने भारत में शरण ली। 5 जनवरी, 2000 को तिब्बती धर्मगुरु करमापा ने भारत में शरण ली।
  2. भारत-चीन सीमा विवाद- 1950-51 में साम्यवादी चीन के नक्शे में भारत के एक बढ़े भाग को चीन का अंग दिखाया गया है। 1954 में चीन ने एक पत्र भेजकर भारतीय सेना पर बूजे नामक स्थान पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगाया और कहा कि भारत-चीन के बीच कभी सीमा निर्धारण नहीं हुआ। अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों और अक्साई-चिन क्षेत्र पर दोनों में समय-समय पर प्रतिस्पर्धा बनी हुई है।
  3. 1962 का युद्ध- 1950 में चीन द्वारा तिब्बत को हड़पने और भारत-चीन सीमा पर बस्तियाँ बनाने के फैसले से दोनों देशों के संबंध बिगड़ गए। अरुणाचल प्रदेश के इलाके और अक्साई चिन के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी दावे के चलते 1962 में युद्ध हो गया।
  4. चीन-पाकिस्तान संबंध- चीन पाकिस्तान को सैनिक सहायता देता है और हथियार आपूर्ति करता है, जिसे वह भारत के विरूद्ध प्रयोग करता है।
  5. भारत ने लगातार अच्छे संबंध बनाने का प्रयास किया है। इसी के चलते आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी व सांस्कृतिक मदद करने के लिए संयुक्त आयोग का गठन किया गया। भारत व चीनी नौसेनाओं में पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास 15-18 सितंबर, 2008 में किया गया। भारत-चीन केबीच हॉटलाइन सेवा शुरू की गई। इन सबसे पता चलता है कि भारत-चीन संबंधों में पिछले वर्षों में काफी सुधार आया है।
भारत-चीन सीमा विवाद अभी भी बना है, जिसे आपसी बातचीत के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए। आतंकवादी गतिविधियों को भी रोका जाना चाहिए। चीन द्वारा पाकिस्तान को सेना तथा भारत के विरूद्ध हथियारों की सप्लाई भी नहीं करनी चाहिए।