समानता - पुनरावृति नोट्स

CBSE कक्षा 11 राजनीति विज्ञान
पाठ - 3 समानता
पुनरावृति नोटस
स्मरणीय बिंदु-
18 वीं शताब्दी में फ्रांस में जनता ने भू-सामन्तों, विशेष वर्ग (अभिजात्य वर्ग) और राजशाही से विद्रोह करके स्वतंत्रता, समानता व भाईचारे का नारा दिया।
  • समानता - विशेषाधिकारों का अभाव + सबको विकास के समान अवसर व्यक्तियों को जाति, धर्म, रंग, वंश, लिंग तथा जन्मस्थान आदि के आधार पर भेदभाव के बिना विकास के समान अवसरों की प्राप्ति।
  • समानता मौलिक अधिकारों में अत्यंत महत्वपूर्ण अधिकार है। समानता का दावा है कि समान मानवता के कारण सभी मनुष्य समान महत्व और सम्मान के अधिकारी है। यही धारणा सार्वभौमिक मानवाधिकार की जनक है।
  • अनेक देशों में कानूनों में समानता को शामिल किए जाने के बावजूद भी समाज में धन, सम्पदा, अवसर, कार्य, स्थिति व शक्ति की भारी असमानता नजर आती हैं
  • समानता के अनुसार व्यक्ति को प्राप्त अवसर या व्यवहार जन्म या सामाजिक परिस्थितियों से निर्धारित नहीं होने चाहिए।
  • प्राकृतिक असमानताएं लोगों में उनकी विभिन्न क्षमताओं और प्रतिभाओं के कारण तथा समाज जनित असमानताएं अवसरों की असमानता व शोषण से पैदा होती है।
समानता के तीन आयाम:-
  • राजनीतिक समानता- सभी नागरिकों को समान नागरिकता प्रदान करना राजनीतिक समानता में शामिल है। समान नागरिकता अपने साथ मतदान का अधिकार संगठन बनाने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आदि का अधिकार भी लाती है।
  • आर्थिक समानता- आर्थिक समानता का लक्ष्य धनी व निर्धन समूहों के बीच की खाई को कम करना है यह सही है कि किसी भी समाज में धन या राज्य समान अवसर की उपलब्धि कराकर व्यक्ति को अपनी हालत सुधारने की मौका देती हैं।
  • समाजिक समानता- राजनीतिक समानता व समान अधिकार देना इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में पहला कदम था साथ ही समाज में सभी लोगों के जीवनयापन के लिये अनिवार्य-चीजों के साथ पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधा, शिक्षा, पोषक आहार व न्यूनतम वेतन की गारण्टी को भी जरूरी माना गया है। समाज के वंचित वर्गों और महिलाओं को समान अधिकार दिलाना भी राज्य की जिम्मेदारी होगी।
  • असमानता और विशेषाधिकारों की समाप्ति करके समानता की स्थापना का प्रयास किया गया है।
  • विभेदक बर्ताव अर्थात् लोगों के बीच अंतर को ध्यान रखकर कुछ विभेदक बर्ताव (आरक्षण) की नीति बनाई गई है जिससे समाज के सभी वर्गों को अवसरों तक समान पहुंच हो सके। कुछ देशों में इसे सकारात्मक कार्यवाही की नीति का नाम दिया गया है।
  • समाजवाद व मार्क्सवाद के अनुसार आर्थिक असमानताएं सामाजिक रूत्बे या विशेषाधिकार जैसी असमानाताओं को बढ़ावा देती है इसीलिए समान अवसर से आगे जाकर आर्थिक संसाधनों पर निजी स्वामित्व ने होकर जनता का नियंत्रण सुनिश्चित करने की जरूरत है।
  • उदारवादी समाज में संसाधनों के वितरण के मामले में प्रतिद्वंद्विता के सिद्धांत का समर्थन करते है और राज्य के हस्तक्षेप को अनिवार्य समझते है।
  • स्त्रियों द्वारा समान अधिकारों के लिए संघर्ष मुख्यतः नारीवादी आंदोलन से जुड़ा है। मातृत्व अवकाश जैसे विशेषाधिकार नारी समाज के लिये अत्यंत आवश्यक हैं
  • विभेदक बर्ताव या विशेषाधिकार का उद्देश्य न्यायपरक व समानता मूलक समाज को बढ़ावा देना है समाज में विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग को फिर से खड़ा करना नहीं है।
     
समानता के तत्व (विशेषतायें):
  1. विशेषाधिकारों की अनुपस्थिति
  2. सभी को विकास के समान अवसर
  3. न्यूनतम आवश्यक पूर्ति के अवसर
  4. तर्क-संगत भेदभाव
  5. समानों में समानता
  6. असमानों में असमानता।
समानता के प्रकार (विविध रूप)-
  1. प्राकृतिक समानता
  2. सामाजिक समानता
  3. नागरिक (वैधानिक) समानता
  4. राजनीतिक समानता
  5. आर्थिक समानता।
नारीवाद:- यह स्त्री और पुरूष के समान अधिकारों का सिद्धान्त है। नारीवादी स्त्री व पुरूष में शारीरिक भेद प्राकृतिक मानते है परन्तसामाजिक भेद को समाप्त कर समतापूर्ण जीवन जीने की बात कहते है।
समाजवाद- समाज में फैली असमानता + संसाधनों का न्यायपूर्ण बंटवारा करना।
भारतीय समाजवादी राममनोहर लोहिया के अनुसार असमानता के प्रकार:-
  • स्त्री पुरूष असमानता
  • रंग से असमानता
  • जातिगत असमानता
  • आर्थिक असमानता
  • औपनिवेशिक असमानता।
    इन असमानताओं की जड़े अलग-अलग है। इनको दूर करने के लिए अलग-अलग प्रयास करने होगे।
उदारवादी समानता:-
  1. व्यक्तियों को उनकी योग्यतानुसार पुरस्कार देना
  2. प्रतियोगिता का सिद्धान्त अपनाना
  3. प्रत्येक व्यक्ति के लिए न्यूनतम जीवन स्तर की गांरटी।
मार्क्सवादी समानता:-
  1. उत्पादन व वितरण के साधनों पर सरकार का नियंत्रण
  2. सबको विकास के समान अवसर।
राजनीतिक समानता स्थापित करने के उपाय:-
  1. आर्थिक समानता
  2. राजनीतिक शिक्षा का प्रसार
  3. कानून का शासन
  4. प्रेस की स्वतंत्रता
  5. लोकतांत्रिक शासन।
आर्थिक समानता स्थापित करने के उपाय:-
  1. धन का न्यायोचित वितरण
  2. उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण
  3. सीमित सम्पत्ति का अधिकार
  4. आर्थिक सुरक्षा
  5. समान काम समान वेतन।
भारत सरकार द्वारा सामाजिक समानता के उपाय:-
  1. कानून के समक्ष समानता (अनु०-14)
  2. अस्पृश्यता (अनु०-17)
  3. संसद तथा विधान सभाओं में एसी, एसटी के का अंत स्थान आरक्षित
  4. सरकारी सेवाओं में एसी, एसटी, ओबीसी का आरक्षण
  5. स्थानीय स्वशासन संस्थाओं में महिलाओं का एक तिहाई (33 प्रतिशत) आरक्षण (अनु० 73-74)