विकास - पुनरावृति नोट्स

CBSE कक्षा 11 राजनीति विज्ञान
पाठ - 10 विकास
पुनरावृति नोटस

स्मरणीय बिंदु:-
  • उन्नति, प्रगति, कल्याण और बेहतर जीवन की अभिलाषा - विकास है।
  • विकास की दृष्टि से विश्व को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। विकसित देश, विकाशसील देश अल्पविकसित देश। वर्तमान भौतिकवादी युग में व्यक्ति था समाज के विकास का अर्थ आर्थिक विकास से लिया जाता है।
  • विश्व के सभी देश विकास के लिए प्रयासरत है। न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति, गरीबी व बेरोजगारी को दूर करना, लोकतन्त्रीय पद्धति का विकास तथा आत्मनिर्भरता आदि विकसित एवं विकासशील देशों के मुख्य उद्देश्य है।
  • विकास के जिस मॉडल का अनुकरण आज विश्व कर रहा है वह ऊर्जा के अधिक अधिक उपयोग पर निर्भर है। इस मॉडल के कारण समाज और पर्यावरण को उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।
  • आगामी पीढि़यों को एक संसाधन रहित पृथ्वी और ढेर सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • विकास केवल आर्थिक उन्नति हेतु ही नहीं माना जा सकता। अब विकास को मापने के वैकल्पिक तरीके खोजे जा सकता। अब विकास को मापने के वैकल्पिक तरीके खोजे जा रहे हैं। इसी तरह का एक प्रयास ‘मानव विकास प्रतिवेदन’ है जिसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम वार्षिक तौर पर प्रकाशित करता है। प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने के प्रयास किए जाने चाहिए। हमें अपने जीवन शैली को बदलकर उन साधनों का कम से कम प्रयोग करना चाहिए जिनका नवीनीकरण नहीं हो सकता।
  • विकास का लक्ष्य बेहतर व सुखद जीवन की कामना है। अतः हमें वर्तमान जरूरतों का नही, दीर्घकालीन हितों का भी ध्यान रखना चाहिए।
विकास से अभिप्राय:-
  • संकुचित रूप में इसका प्रयोग आर्थिक विकास की दर में वृद्धि और समाज का आधुनिकीरण के संदर्भ में किया जाता है।
  • व्यापकतम अर्थ में उन्नति, प्रगति, कल्याण और बेहतर जीवन की अभिलाषा के विचारों का वाहक है। इसमे आर्थिक उन्नति के साथ-साथ जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि को भी शामिल किया जाता है
  • सतत विकास की अवधारण के तहत आगामी पीढ़ियों की आवश्यकताओं व को पूरा करने से है।
  • विकास की दृष्टि से विश्व को तीन श्रेणियों-विकसित देश, विकासशील देश व अल्प विकसित देश |
विकास का प्रचलित मॉडल:-
  • अविकसित या विकासशील देशों ने पश्चिमी यूरोप के अमीर देशों और अमेरिका से तुलना करने के लिए औद्योगीकरण , कृषि और शिक्षा के आधुनीकीकरण एवं विस्तार के जरिए तेज आर्थिक उन्नति का लक्ष्य निर्धारित किया और यह सिर्फ राज्य सत्ता के माध्यम से ही संभव है।
  • अनेक विकासशील देशों ने विकसित देशों की मदद से अनेक महत्वकांक्षी योजनाओं का सूत्रपात किया।
  • विभिन्न हिस्सों में इस्पात संयंत्रों की स्थापना, खनन, उर्वरक उत्पादन और कृषि तकनीकों में सुधार जैसी अनेक वृहत परियोजनाओं के माध्यम से देश की संपदा में बढ़ोतरी करना व आर्थिक विकास की प्रक्रिया को तेज करना |
  • इस मॉडल से विकास के लिए ऊर्जा का अधिकाधिक उपयोग होता है जिससे इसकी कीमत समाज और पर्यावरण दोनों को चुकानी पड़ती है।
विकास मॉडल की आलोचना-
  • विकासशील देशों के लिए इसमे वित्तीय लागत बहुत अधिक रही जिससे वह दीर्घकालीन कर्ज से दब गए।
  • बांधों के निर्माण, औद्योगिक गातिविधियों और खनन कार्यों की वजह से बड़ी संख्या में लोगों का उनके घरों और क्षेत्रों से विस्थापन हुआ।
  • विस्थापन से परंपरागत कौशल नष्ट हो गए। उनकी संस्कृति का भी विनाश हुआ क्योंकि विस्थापन से दरिद्रता के साथ-साथ लोगों की सामुदायिक जीवन पद्धति खो जाती है।
  • विशाल जयंती भू-भाग बड़े बांधों के कारण डूब जाते है जिससे परिस्थिति का संतुलन बिगड़ता है।
  • उर्जा के उत्तरोतर बढ़ते उपयोग से पर्यावरण को नुकसान होता है क्योंकि इससे ग्रीन हाग्स गैसों का उत्सर्जन होता है।
  • वायुमण्डल में गीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन की वजह से आर्कटिक और अंटार्कटिक ध्रवों पर बर्फ पिघल रही है। परिणामस्वरूप बांग्लादेश एवं मालदीव जैसे निम्न भूमि वाले हुए क्षेत्र में आ सकते है।
  • विकास का फायदा विकासशील देशों में निम्नतर वर्ग तक नहीं पहुंचा इस कारण से समाज मे आर्थिक असमानता और बढ़ गई है। सर्वाधिक निर्धन एवं वंचित तबको के जीवन स्तर में सुधार नही आया।
विकास की वैकल्पिक अवधारण:-
  • सहभागिता के आधार पर विकास की रणनीतियों में स्थानीय निर्णयकारी संस्थाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना।
  • 'ऊपर से नीचे' की रणनीति को त्यागते हुए विकास की प्राथमिकताओं रणनितियों के चयन व परियोजनाओ के वास्तविक कार्यान्वयन में स्थानीय लोगों के अनुभवों को महत्व देना तथा उनकी भागदारी को बढ़ावा |
  • न्यायपूर्ण और सतत्विकास की अवधारणा को महतव देना।
  • प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित व संरक्षित रखने के प्रयास किए जाने चाहिए |
  • हमें अपनी जीवन शैली को बदलकर उन साधनों का कम से कम प्रयोग करना चाहिए जिनका नवीनीकरण नहीं हो सकता।
  • विकास की महंगी और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली सोच से दूर होने की कोशिश करता है।
मानव विकास सूचकांक और भारत की स्थिति:-
  • मानव विकास को मापने का एक तरीका है 'मानव विकास प्रतिवेदन' जिसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) वार्षिक तौर पर प्रकाशित करता है। इस प्रतिवदेन में साक्षरता और शैक्षिक स्तर, आयु संभाविता और मातृ-मृत्यु दर जैसे विभिन्न सामाजिक संकेतकों के आधार पर देशों का दर्जा निर्धारित किया जाता है।