डायरी के पन्ने - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
सीबीएसई कक्षा -12 हिंदी कोर
महत्वपूर्ण प्रश्न
पाठ – 04
ऐन फ्रैंक (डायरी के पन्ने)
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
I. बोधात्मक प्रश्न
1. ऐन की डायरी से उसकी किशोरावस्था के बारे में क्या पता चलता है। ‘डायरी के पन्ने’ कहानी के आधार पर लिखिए।
उत्तर- ऐन की डायरी किशोर मन की ईमानदार अभिव्यक्ति है। इससे पता लगता है कि किशोरों को अपनी चिट्ठयों और उपहारों से अधिक लगाव होता है। वे जो कुछ भी करना चाहते हैं उसे बड़े लोग नकारते रहते हैं, जैसे ऐन का कश-विन्यास जो फिल्मी सितारों की नकल करके बनाया जाता था। इस अवसर में बड़ों द्वारा बात-बात पर कमी निकाली जाती है या किशोरों को टोका जाता है। यह बात किशोरों को बहुत ही नागवार गुजरती है। किशोर बड़ों की अपेक्षा अधिक ईमानदारी से जीते हैं। इन्हें जीने के लिए सुंदर, स्वस्थ वातावरण चाहिए। किशोरावस्था में ऐन की भाँति हम सभी अपेक्षाकृत अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
2. ‘ऐन की डायरी’ के अंश से प्राप्त होने वाली तीन महत्वपूर्ण जानकारियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- 'ऐन की डायरी' के अंश से प्राप्त होने वाली तीन महत्वपूर्ण जानकारियाँ निम्नलिखित हैं-
(i) हिटलर द्वारा यहूदियों को यातना देने के विषय में।
(ii) स्त्रियों की स्वतंत्रता के विषय में आधुनिक विचार।
(iii) डच लोगों की प्रवृति तथा प्रतिक्रिया।
3. ‘डायरी के पन्ने’ पाठ के आधार पर महिलाओं के बारे में ऐन फ्रैंक के विचारों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- ऐन समाज में स्त्रियों की स्थिति को अन्यायपूर्ण कहती है। उसका मानना है कि शारीरिक अक्षमता व आर्थिक कमजोरी के बहाने से पुरुषों ने स्त्रियों को पिर में बाँधकर रखा है। आधुनिक युग में शिक्षा, काम व जागृति से स्त्रियों में जागृति आई है। अब स्त्री पूर्ण स्वतंत्रता याहती है। ऐन चाहती है कि स्त्रियों को पुरुषों के बराबर सम्मान मिले क्योंकि समाज के निर्माण में उनका योगदाने नेहत्वपूर्ण हैं। वह स्त्री जीवन के अनुभव को अतुलनीय बताती है।
4. अज्ञातवास में रहते हुए भी ऐन फ़िल्मों के प्रति अपनी रुचि व जानकारी कैसे बनाए रखती है?
उत्तर- ऐन अपने प्रिय फिल्मी कलाकारों की तसवीरें रविवार के दिन अलग करती है। उसके शुभचिंतक मिस्टर कुगलर, सोमवार के दिन सिनेमा एंड थियेटर पत्रिका ले आते थे। घर के बाकी लोग इसे पैसे की बरबादी मानते थे। उसे यह फायदा होता था कि साल भर बाद भी उसे फ़िल्मी कलाकारों के नाम सही-सही याद थे। उसके पिता के दफ़्तर में काम करने वाली ज़ब फिल्प देखने जाती तो वह पहले ही फिल्म के बारे में बता देती थी।
5. ए.एस.एस. का बुलावा आने पर फ्रैंक परिवार में सन्नाटा क्यों छा गया?
उत्तर- दूसरे विश्वयुद्ध में जर्मन लोग यहूदियों पर अत्याचार करते थे। वे उन्हें यातनागृहों में भेज रहे थे। वे कहीं जा नहीं सकते थे। जब फ्रैंक परिवार में ए.एस.एस का बुलावा आया तो वे सभी सन्न रह गए। अब उन्हें असहनीय जुल्मों का शिकार होना पड़ेगा। सभी परेशान थे। वे इस बुलावे का अर्थ जानते थे। परिवार किसी गुप्त स्थान पर जाने की तैयारी करने लगा। जीवन के प्रति किसी अनहोनी की आशंका को सोच परिवार में सन्नाटा छा गया।
6. हालैंड के प्रतिरोधी दल भूमिगत लोगों की सहायता किस प्रकार करते थे ?
उत्तर- दूसरे विश्वयुद्ध में 'फ्री नीदरलैंड्स’ प्रतिरोधी दल था जो भूमिगत लोगों की सहायता करता था। वह पीड़ितों के लिए नकली पहचान-पत्र बनाता था, उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करता था, युवा इसाइयों के लिए काम की तलाश करता था। दल के लोग पुरुषों से कारोबार तथा राजनीति की और महिलाओं के साथ भोजन व युद्ध के कष्ट की बातें करते थे। वे हर समय खुशदिल दिखते थे तथा लोगों की रक्षा कर रहे थे।
7. ‘डायरी के पन्ने’ में ऐन ने आशा व्यक्त की है कि अगली सदी में ऐसा हुआ है? पक्ष या विपक्ष में तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
उत्तर- ‘औरतें ज़्यादा सम्मान और सराहना की हक़दार बनेंगी।’ -क्या इस सदी में ऐसा आशाएँ इस सदी में काफी हद तक पूरी हुई हैं। महिलाओं को कानून के स्तर पर पुरुषों से अधिक अधिकार मिले हैं। वे शिक्षा, विज्ञान, उद्योग, राजनीति-हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। वे अपने पैरों पर खड़ी हैं तथा कुछ क्षेत्र में उन्होंने पुरुषों को हाशिए पर कर दिया है।
8. ‘ऐन की डायरी’ उसकी निजी भावनात्मक उथल-पुथल का दस्तावेज़ भी है। इस कथन की विवेचना कीजिए।
उत्तर- ऐन को अज्ञातवास के दो वर्ष डर व भय में गुजारने पड़े। यहाँ उसे समझने व सुनने वाला कोई नहीं था। यहाँ रहने वाले लोगों में वह सबसे छोटी थी। इस कारण उसे सदैव डाँट-फटकार मिलती थी। यहाँ उसकी भावनाओं को समझने वाला कोई नहीं मिलता। वह अपने सारे व्यक्तिगत अनुभव व मानसिक उथल-पुथल को डायरी के पन्ने पर लिखती है। इस तरह यह डायरी उसकी निजी भावनात्मक उथल-पुथल का दस्तावेज भी है।
9. ऐन फ्रैंक कौन थी? उसकी डायरी क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर- ऐन फ्रैंक एक यहूदी परिवार की लड़की थी। हिटलर के अत्याचारों से उसे भी अन्य यहूदियों की तरह अपना जीवन बचाने के लिए दो वर्ष से अधिक समय तक अज्ञातवास में रहना पड़ा। इस दौरान उसने अज्ञातवास की पीड़ा, भय, आतंक, प्रेम, घृणा, हवाई हमले का डर, किशोर सपने, अकेलापन, प्रकृति के प्रति संवेदना, युद्ध की पीड़ा आदि का वर्णन अपनी डायरी में किया है। यह डायरी यहूदियों के खिलाफ अमानवीय दमन का पुख्ता सबूत है। इस कारण यह डायरी प्रसिद्ध है।
10. ऐन फ्रैंक की डायरी के आधार पर नाज़ियों के अत्याचारों पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर- ऐन-फ्रैंक की डायरी से ज्ञात होता है कि दूसरे विश्वयुद्ध में नाजियों ने यहूदियों को अनगिनत यातनाएँ दीं तथा उन्हें भूमिगत जीवन जीने के लिए मजबूर कर दिया। डर इतना था कि ये लोग सूटकेस लेकर भी सड़क पर नहीं निकल सकते थे। उन्हें दिन का सूर्य व रात का चंद्रमा देखना भी वर्जित था। इन्हें राशन की कमी रहती थी तथा बिजली का कोटा भी था। ये फटे-पुराने कपड़े और घिसे-पिटे जूतों से काम चलाते थे।