समानता - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
CBSE कक्षा 11 राजनीति विज्ञान
पाठ-12 समानता
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
पाठ-12 समानता
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
एक अंकीय प्रश्नों के उत्तर:-
- समानता का महत्व लिखिए।
उत्तर- समानता के कारण सभी व्यक्ति महत्व व सम्मान के अधिकारी है। इसी धारणा ने सार्वभौमिक मानावधिकार जैसी धारणा का जन्म दिया। - क्या समानता का मतलब व्यक्ति से हर स्थिति में समाज बर्ताव करना है?
उत्तर- नहीं वरन व्यक्ति की प्रतिभा व क्षमताओं को ध्यान में रखकर अवसर की समानता मुहैया कराना है। - 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुई फ्रांसीसी क्रांति का नारा क्या था?
उत्तर- स्वतंत्रता, समानता व भाईचारा। - क्या समाज मे समानता के साथ-साथ असमानता अधिक नजर आती है?
उत्तर- हाँ, आलीशान कॉलोनियों के साथ झुग्गियां भोजन की बर्बादी के साथ भुखमरी समाज में आसानी से देखी जा सकती है। - भारतीय समाज में व्याप्त एक साधारण असमानता का उल्लेख कीजिए?
उत्तर- स्त्री पुरूष असमानता जिसके चलते कन्या भ्रूण हत्या का पाप समाज में हुआ है। - नारीवाद से आप क्या समझते है?
उत्तर- नारीवाद स्त्री पुरूष के समान अधिकारों का पक्ष लेने वाला राजनीतिक सिद्धांत है। - वंचित समूहों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर- लम्बे समय से असमानता व शोषण के शिकार व्यक्ति जिनपर जन्म व जातिगत विभिन्नताओं के चलते अत्याचार होत रहै है। - समानता भरतीय संविधान के किन अनुच्छेदों में वर्णित है?
उत्तर- अनुच्छेद (14-18) - भारत सरकार ने विकलांगता अधिनियम किस वर्ष में पास किया?
उत्तर- वर्ष 1995
दो अंकीय प्रश्नों के उत्तर:-
- न्यायपूर्ण व अन्यायपूर्ण असमानता से आप क्या समझते है?
उत्तर- व्यक्ति के काम के महत्व के आधार पर असमानता न्यायपूर्ण कहीं का सकती है जैसे देश के प्रधानमंत्री व सेना के जनरल को विशेष दर्जा या सम्मान जबकि व्यक्ति के जन्म व जाति पर आधारित असमानता अन्यायपूर्ण होगी जैसे मंदिर व सार्वजनिक स्थल में प्रवेश पर रोक। - आर्थिक समानता का अर्थ लिखिये।
उत्तर- अमीर व गरीब के बीच व्याप्त खाई को कम करना तथा अवसरों से समानता की उपलब्धि। - समानता की आदर्श से कया तात्पर्य है?
उत्तर- व्यक्ति को प्राप्त अवसर या व्यवहार जन्म या समाजिक परिस्थितियों से प्रभावित नहीं होने चाहिए। - कुछ विभिन्नताएं जन्मजात न होकर भी जन्मजात बना दी गई है? इस संबंध में अपने विचार लिखिये।
उत्तर- जब समाज में कुछ विभिन्नताएं लम्बे समय तक विद्यमान रहती है तो वह प्राकृतिक विभिन्नताओं पर आधारित लगने लगती है जैसे प्राचीन समय से ही महिलाओं को अबला व पुरूषों के मुकाबले में डरपोक मानकर उन्हें समान अधिकारों से वंचित करना, न्यायसंगत मान लिया गया था। - प्राकृतिक व समाज-जनित असमानताओं से आप क्या समझते है?
उत्तर- प्राकृतिक असमानताएं व्यक्तियों की क्षमता व प्रतिभा से जुड़ी होती है जबकि समाजजनित असमानताएं अवसरों की असमानता व शोषण से जुड़ी होती है। - क्या हमारा समाज समानता पर आधारित समाज का उदाहरण हो सकता हैं?
उत्तर- यद्यपि भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों में समानता वर्णित है किंतु फिर भी समाज में अमीर गरीब, स्त्री पुरूष व जातिगत असमानताओं के उदाहरण प्रतिदिन देखने को मिलते है। - क्या आपके अनुसार सामाजिक समानता भारत में सबसे महत्वपूर्ण अवधारणा है? क्यों?
उत्तर- हां, क्योंकि भारतीय समाज जातिगत विभिन्नताओं में बंटा है। जन्म के आधार पर फैली असमानता को समाप्त करने के लिय डॉ. भीम राव अम्बेडकर ने आरक्षण सम्बधी प्रावधानों का जिक्र किया था। - मॉर्क्सवाद से आप क्या समझते है?
उत्तर- सामाजिक व आर्थिक असमानताओं को मिटाने का उपाय निजी स्वामित्व को समाप्त करके आर्थिक संसाधानों पर जनता का स्वामित्व होना चाहिए। - समाजवाद की अवधारणा समझते हुए भारत के प्रमुख समाजवादी चिंतक का नाम बताइये।
उत्तर- समाजवाद का अर्थ असमानताओं को न्यूनतम करके संसाधनों को न्यायपूर्ण बंटवारा करना है। भारत के प्रमुख समाजवादी चिंतक राम मनोहर लोहिया। - "विभेदक बर्ताव (आरक्षण) समानता स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है" कैसे?
उत्तर- हाँ, क्योंकि समानता व विकास की दौड़ में पीछे रह गई नीतियों को विशेषाधिकारों की आवश्यकता है।
चार अंकीय प्रश्नों के उत्तर:-
- "क्या प्राकृतिक विभिन्नताएं सदैव अपरिवर्तनीय होती है?" इस सम्बन्ध में अपने विचार उदाहरण के साथ लिखिये।
उत्तर- नहीं ! यह परिवर्तनीय हो सकती है चिकित्सा तकनीक व कम्प्यूटर अक्षमता के निराकरण में सहायक हो सकते है। प्रसिद्ध भौतिकविद स्टीफन हॉकिन्स का चलने व न बोल पाने के बावजूद भी विज्ञान में योगदान सराहनीय है। - मार्क्सवाद व उदारवाद में समानता की अवधारण को ध्यान में रखकर अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- मार्क्सवाद आर्थिक संशोधन पर जनता का नियंत्रण करके समानता की स्थापना करने के प्रयास में विश्वास रखते है जबकि उदारवादी खुली प्रतिस्पर्धा द्वारा सभी वगों से योग्य व्यक्तियों को बाहर निकालने में यकीन रखते हैं। - हम समानता को बढ़ावा किस प्रकार दे सकते है?
उत्तर- विशेषाधिकार वर्ग की समाप्ति तथा विभेदक बर्ताव द्वारा समानता लाने का प्रयास। - "राजनीतिक समानता आर्थिक समानता के बिना धोखा मात्र है"। प्रयुक्त वाक्य को ध्यान में रखकर अपने विचार प्रकट कीजिये।
उत्तर- न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति के अभाव में व्यक्ति अपने राजनीतिक अधिकारों के महत्व को नहीं समझ सकता जिससे राजनीतिक भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। - संयुक्त राज्य अमेरिका में नस्ल के आधार पर असमानता से निपटने के लिये सरकार ने क्या कदम उठाये? क्या यह कारगर सबित हुए।
उत्तर- 1964 में Civil Right Act सरकार द्वारा पास किया गया जिसमें रंग नस्ल व धर्म के आधार पर समानता की स्थापना का प्रयास था। एक अश्वेत व्यक्ति बराक हुसैन ओबामा अमेरिका के सबसे गरिमा मय पद पर दो बार आसीन हो चुके हैं। जो रंगभेद की नीति के नकारे जाने का उदाहरण है किंतु फिर भी समाज में समय-समय पर अश्वेतों के विरूद्ध हिंसा की गूंज सुनाई पड़ जाती है। - "एक अध्यापक और एक फॅक्ट्री मजदूर के वेतन के अंतर को आप असमानता मानते है"। यदि नही तो क्यों?
उत्तर- समानता के अनुसार समान कार्य का समान वेतन होना चाहिए था कार्य बौद्विक व शारीरिक अलग अलग है।
पाँच अंको वाले प्रश्नों के उत्तर:-
- प्रस्तुत कार्टून के संदर्भ में स्त्री पुरूष समान हैं या असमान। अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर- समाज से कुछ असमानाताएं लम्बे समय से चली आ रही है अतः उन्हें प्राकृतिक विभिन्नताओं पर आधारित मान लिया गया है भारत में भी स्त्री पुरूष विभिन्नता इसका उदाहरण है वास्तव में यह असमानता समाजजनित है। महिलाएं भी वह सभी कार्य करने में सक्षम है जो पुरूष कर सकते हैं। आज महिलाएं जीवन के सभी कार्य क्षेत्रों में कामयाबी के झण्डे गाड़ चुकी हैं। श्रीमती इंदिरा गांधी, कल्पना चावला, सानिया मिर्जा इसके उदाहरण है। - गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिये।
समानता के उद्देश्य से जुड़े बहुत से मुद्दे नारीवाद आंदोलन द्वारा उठाए गए। उन्नीसवीं सदी में स्त्रियों ने समान अधिकरों के लिए संघर्ष किया। उदाहरण के लिए उन्होंने मताधिकार, कॉलेज-यूनिवर्सिटी में डिग्री पाने का अधिकार और काम के लिए अधिकार की उसी प्रकार मांग की जैसे अधिकार पुरूषों को हासिल थे। हालांकि जैसे ही उन्होंने नौकरियों में प्रवेश किया उन्हें महसूस हुआ कि स्त्रियों को इन अधिकारों को उपयोग में लाने के लिए विशेष सुविधाओं की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए उन्हें मातृत्व अवकाश और कार्यस्थल पर बालवाड़ी जैसे प्रावधानों की आवश्यकता थी। इस प्रकार के विशेष बरताव के बिना वे न तो गंभीरतापूर्वक स्पर्धा में भाग ले सकेंगी और न ही सफल व्यवसायिक और निजी जीवन का आनंद उठा सकेंगी दूसरे शब्दों में पुरूषों के समान अधिकारों के उपयोग के लिए उन्हें कई बार एक विशेष बरताव की जरूरत होती थी।- नारीवाद से क्या तात्पर्य है?
- पुरूषों के समान अधिकार प्राप्त होने के बावजूद महिलाओं को विशेषाधिकारों की आवश्यकता क्यों पड़ी?
- क्या यह विशेषाधिकार समानता के सिद्धांत के विरूद्ध है या नहीं? समझाइये।
- पुरूष के समान अधिकारों का पक्ष लेने वाला सिद्धांत
- कुछ आवश्यकताएं प्रकृति प्रदत्त है जैसे शिशु के जन्म व उसके बाद की अवस्था में महिलाओं को अवकाश की आवश्यकता होती है।
- नहीं यह समानता के सिद्धांत के विरूद्ध नहीं हैं क्योंकि यह प्राकृतिक अनिवार्यता है।
छ: अंको वाले प्रश्नो को उत्तर:-
- "मानव जीवन के सम्मानपूर्वक संचालन के लिये समानता आवश्यक व अनिवार्य है"। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए समानता के तीनों आयामों पर प्रकाश डालिये।
उत्तर-- राजनीतिक समानता
- सामाजिक समानता
- आर्थिक समानता
- क्या विभेदक बर्ताव (आरक्षण) समानता की विरोधी अवधारणा है? आपके अनुसार इस सम्बंध में क्या सुझाव या सुधार होने चाहिये।
उत्तर- नहीं आरक्षण की अवधारणा समानता में विरोधी नहीं अपितु समानता की स्थापना के लिए जरूरी है। लम्बे समय से विकास की दौड़ में पिछड़ी तथा शोषण की शिकार जातियों को सहारे के बिना आगे नहीं लाया जा सकता था।
आरक्षण का आधार जाति या जन्म के आधार पर ही न होकर आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर भी होना चाहिए आदि।