बदलती हुई सांस्कृतिक परंपराएँ-अभ्यास प्रश्नोत्तर
CBSE कक्षा 11 इतिहास
पाठ-7 बदलती हुई सांस्कृतिक परंपराएँ
- निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़िए और अन्त में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिएः-
“कला प्रकृति में रची-बसी होती है। जो इसके सार को पकड़ सकता है वही इसे प्राप्त कर सकता है...... इसके अतिरिक्त आप अपनी कला को गणित द्वारा दिखा सकते हैं। जिंदगी की अपनी आकृति से आपकी कृति जितनी जुड़ी होगी उतना ही सुंदर आपका चित्र होगा। कोई भी आदमी केवल आपके कल्पना मात्र से एक सुंदर आकृति नहीं बना सकता जब तक उसने अपने आप को जीवन की प्रतिछवि से न भर लिया हो।”
-अल्वर्ट ड्यूरर (।सइतमबीज क्नतमतए 1571-1528)
ड्यूरर द्वारा बनाया गया यह रेखाचित्र (प्रार्थनारत हस्त) सोलहवीं शताब्दी की इतालवी संस्कृति का आभास कराता है जब यहां के लोग गहन रूप से धार्मिक थे। परंतु उन्हें मनुष्य की योग्यता पर भरोसा था कि वह निकट पूर्णता को प्राप्त कर सकता है और दुनिया तक ब्रह्माण्ड के रहस्यों को सुलझा सकता है। ड्यूरर का तूलिका चित्र 1508 - “प्रार्थना रत हस्त”
प्रश्न-- इस चित्र के चित्रकार का नाम बताइये। (1)
- कला के संबंध में ड्यूरर के विचार स्पष्ट कीजिए। (2)
- यह चित्र किस संस्कृति का आभास कराता है? (2)
- इटली के लोगों को मनुष्य की किस योग्यता पर विश्वास था? (3)
- निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़िए और अन्त में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिएः-
निकोलो मैक्यिावेली (Niccolo Machiavelli) अपने ग्रंथ दि प्रिंस (1513) के पंद्रहवें अध्याय में मनुष्य के स्वभाव के बारे में लिखते हैं-
“काल्पनिक बातों को यदि अलग कर दें और केवल उन्हीं विषयों के बारे में सोचें जो वास्तव में हैं, मैं यह कहता हूं कि जब भी मनुष्य के बारे में चर्चा होती है (विशेषकर राजकुमारों के बारे में, जो जनता की नजर में रहते हैं) तो इनमें अनेक गुण देखे जाते हैं जिनके कारण वे प्रशंसा या निंदा के योग्य बने हैं। उदाहरण के लिए कुछ को दानी माना जाता है और अन्य को कंजूस। कुछ लोगों को हितैषी माना जाता है तो अन्य को लोभी कहा जाता है, कुछ निर्दयी और कुछ दयालु। एक व्यक्ति अविश्वसनीय और दूसरा विश्वसनीय; एक व्यक्ति कामुक, दूसरा पवित्र, एक निष्कपट दूसरा चालाक; एक अड़ियल दूसरा लचीला; एक गंभीर दूसरा छिछोरा; एक धार्मिक दूसरा संदेही इत्यादि। मैक्यिावेली यह मानते थे कि ‘सभी मनुष्य बुरे हैं और वह अपने दुष्ट स्वभाव को प्रदर्शित करने में सदैव तत्पर रहते हैं क्योंकि कुछ हद तक मनुष्य की इच्छाएं अपूर्ण रह जाती हैं।’ मैक्यिावेली ने देखा कि इसके पीछे, प्रमुख कारण हैं कि मनुष्य अपने समस्त कार्यों में अपना स्वार्थ देखता है।”
प्रश्न-- मनुष्य अपने किन गुणों के कारण निंदा अथवा प्रशंसा के योग्य होते हैं? (4)
- मैक्यिावेली ने मनुष्य के स्वभाव के विषय में क्या विचार प्रस्तुत किये? (3)
- उपरोक्त विवरण किस पुस्तक से लिया गया है? (1)
- निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़िए और अन्त में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिएः-
1506 में अंग्रेजी भाषा में बाईबल का अनुवाद करने वाले, लूथरवादी अंग्रेज, विलियम टिंडेल (William Tyndale 1494-1536) ने प्रोटैस्टेंटवाद का इस तरह समर्थन कियाः
“इस बात से सब लोग सहमत होंगे कि वे आपको धर्मग्रंथ के ज्ञान से दूर रखने के लिए यह चाहते थे कि धर्मग्रंथ के अनुवाद आपकी मातृभाषा में उपलब्ध न हो सकें। जिससे दुनिया अंधकार में ही रहे और वे (पुरोहित वर्ग) लोगों के अंतःकारण (conscience) में बने रहें जिससे उनके द्वारा बनाए व्यर्थ के अंधविश्वास और झूठे धर्मसिद्धांत चलते रहें; जिसके रहते उनकी ऊंची आकांक्षाएं और अतृप्त लोलुपता पूरी हो सके। इस तरह वे राजा, सभ्रांत वर्ग और यहां तक कि अपने को ईश्वर से भी ऊंचा बना सके... जिस बात ने मुझे मुख्य रूप से न्यू टेस्टामेंट का अनुवाद करने की प्रेरणा दी। मुझे अपने अनुभवों से ज्ञात हुआ कि सामान्य लोगों को किसी भी सच्चाई की तब तक जानकारी नहीं हो सकती जब तक उनके पास अपने धर्मग्रंथ के मातृभाषा में अनुवाद उपलब्ध न हों। इन अनुवादों से ही वे धर्मग्रंथ की परिपाटी, क्रम और अर्थ समझ सकेंगे।
प्रश्न-- धर्मग्रंथों का मातृभाषा में उपलब्ध होना क्यों आवश्यक है? (2)
- पुरोहित वर्ग, लोगों के अन्तःकरण में क्यों बने रहना चाहते थे? (2)
- विलियम टिंडेल ने इस अनुच्छेद के द्वारा ईसाई धर्म की किस विचारधारा का समर्थन किया है? (4)
मानचित्र कार्य-1
- दिये गये इटली के मानचित्र में निम्नलिखित राज्यों को अंकित कीजिए?
कोर्सिका, सार्डीनिया, जेनेवा, फ्रलोरेंस, पादुआ
मानचित्र कार्य-2
- दिये गये मानचित्र में इटली के 1-5 राज्य दिखाए गये हैं उन्हें पहचानकर उनके नामक लिखिए।