सिल्वर वेडिंग - एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर

 CBSE Class 12 हिंदी कोर

NCERT Solutions
वितान पाठ-1 सिल्वर वेडिंग



1. यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है लेकिन यशोधर बाबू असफल रहते हैं। ऐसा क्यों?

उत्तर:- यशोधर बाबू बचपन में ही माता-पिता के देहांत हो जाने की वजह से जिम्मेदारियों के बोझ से लद गए थे। वे सदैव पुराने ख्यालों वाले लोगों के बीच रहे, पले, बढ़े अतः वे उन परंपराओं को चाह कर भी छोड़ नहीं पाये। यशोधर बाबू अपने आदर्श घोर संस्कारी किशनदा से अधिक प्रभावित हैं और आधुनिक परिवेश में बदलते हुए जीवन-मूल्यों और संस्कारों के विरूद्ध हैं।इसी के चलते परिवार के सदस्यों से उनका मतभेद बना रहता है जबकि उनकी पत्नी अपने बच्चों के साथ खड़ी दिखाई देती हैं।विवाह के बाद उसे संयुक्त परिवार के कठोर नियमों का निर्वाह करना पड़ा इसलिए वह अपने बच्चों के आधुनिक दृष्टिकोण से जल्दी ही प्रभावित हो गई। वे बेटी के कहे अनुसार नए कपड़े पहनती हैं और बेटों के किसी मामले में दखल नहीं देती। यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ परिवर्तित हो जाती है, लेकिन यशोधर बाबू अभी भी किशनदा के संस्कारों और परंपराओं से चिपके हुए हैं।वे बदलते समय को समझते तो है किन्तु पूरे मन से स्वीकार न कर पाने के कारण असफल रहते हैं।


2. पाठ में 'जो हुआ होगावाक्य की आप कितनी अर्थ छवियाँ खोज सकते / सकती हैं?
उत्तर:- 'जो हुआ होगा' वाक्य पाठ में पहली बार तब आता है, जब यशोधर बाबू किशनदा के जाति भाई से उनकी मृत्यु का कारण पूछते हैं। उत्तर में उन्होंने कहा 'जो हुआ होगा' यानी पता नहीं। फिर यशोधरबाबू यही विचार करते हैं कि जिनके बाल-बच्चे ही नहीं होते, वे व्यक्ति अकेलेपन के कारण स्वस्थ दिखने के बावजूद बीमार से हो जाते हैं और एकाकीपन से उनकी मृत्यु हो जाती है। यह भी कारण हो सकता है कि उन्हें उनकी बिरादरी से घोर उपेक्षा,उदासीनता मिली, इस कारण वे दुःख से सूख-सूख कर मर गए हो। किशनदा की मृत्यु के सही कारणों का पता नहीं चल सका। बस यशोधर बाबू यही सोचते रह गए कि किशनदा की मृत्यु कैसे हुई? जिसका उत्तर किसी के पास नहीं था।


3. 'समहाउ इंप्रापरवाक्यांश का प्रयोग यशोधर बाबू लगभग हर वाक्य के प्रांरभ में तकिया कलाम की तरह करते हैं। इस वाक्यांश का उनके व्यक्तित्व और कहानी के कथ्य से क्या संबंध बनता है?
उत्तर:- यशोधर बाबू लगभग हर वाक्य के प्रांरभ में 'समहाउ इंप्रापर' शब्द का उपयोग तकिया कलाम की तरह करते हैं। उन्हें जो अनुचित लगता है, तब अचानक यह वाक्य कहते हैं।
पाठ में 'समहाउ इंप्रापर' वाक्यांश का प्रयोग निम्नलिखित संदर्भो में हुआ है -
• साधारण पुत्र को असाधारण वेतन मिलने पर
• स्कूटर की सवारी पर
• दफ़्तर में सिल्वर वैडिंग
• डीडीए फ्लैट का पैसा न भरने पर
• खुशहाली में रिश्तेदारों की उपेक्षा करने पर
• छोटे साले के ओछेपन पर
• केक काटने की विदेशी परंपरा पर आदि
इन संदर्भो से यह स्पष्ट हो जाता है कि यशोधरा बाबू सिद्धांतवादी हैं। यशोधर बाबू आधुनिक परिवेश में बदलते हुए जीवन-मूल्यों और संस्कारों के विरूद्ध हैं।वे उन्हें अपनाना नहीं चाहते , इसी आदत के कारण अकसर परिवार से उनका मनमुटाव बना रहता है और असहजता एवं अस्वाभाविक स्थिति में यह वाक्यांश उनके मुॅंह से निकल पड़ता है।


4. यशोधर बाबू की कहानी को दिशा देने में किशनदा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। आपके जीवन को दिशा देने में किसका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा और कैसे?
उत्तर:- यशोधर बाबू की कहानी को दिशा देने में किशनदा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। मेरे जीवन को दिशा देने में मेरी बड़ी बहन की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। वे पढ़ाई-लिखाई, खेल-कूद सभी में हमेशा आगे रहती थी। उन्हें देखकर मुझे भी आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती थी। वे समय-समय पर मुझे मार्गदर्शन भी देती रही तथा मेरी कमजोरियों को दूर करने में मेरी पूरी सहायता की।


5. वर्तमान समय में परिवार की संरचनास्वरूप से जुड़े आपके अनुभव इस कहानी से कहाँ तक सामंजस्य बिठा पाते हैं ?
उत्तर:- इस पाठ के माध्यम से पीढ़ी के अंतराल का मार्मिक चित्रण किया गया है। आधुनिकता के दौर में, यशोधर बाबू परंपरागत मूल्यों को हर हाल में जीवित रखना चाहते हैं। उनका उसूलपसंद होना दफ्तर एवम घर के लोगों के लिए सिरदर्द बन गया था। यशोधर संस्कारों से जुड़ना चाहते हैं और संयुक्त परिवार की संवेदनाओं को अनुभव करते हैं जबकि उनके बच्चे अपने आप में जीना चाहते हैं।वे पुरानी मान्यताओं को नहीं मानते हैं।
अतः मेरे मत से पुरानी-पीढ़ी को कुछ आधुनिक होना पड़ेगा और नई-पीढ़ी को भी पुरानी परंपराओं और मान्यताओं का ख्याल रखना होगा,ये तभी सामंजस्य संभव है जब दोनो पक्ष एक दूसरे का सम्मान एवं सुख-सुविधा का ख्याल रखेगें।


6. निम्नलिखित में से किसे आप कहानी की मूल संवेदना कहेंगे / कहेंगी और क्यों?
(क) हाशिए पर धकेले जाते मानवीय मूल्य
(ख) पीढ़ी का अंतराल
(ग) पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव

उत्तर
:- (ख) पीढ़ी का अंतराल
आधुनिकता के दौर में, यशोधर बाबू परंपरागत मूल्यों को हर हाल में जीवित रखना चाहते हैं। उनका उसूलपसंद होना दफ्तर एवम घर के लोगों के लिए सिरदर्द बन गया था। यशोधर संस्कारों से जुड़ना चाहते हैं और संयुक्त परिवार की संवेदनाओं को अनुभव करते हैं जबकि उनके बच्चे अपने आप में जीना चाहते हैं।उन्हें पिता का पुराना रवैया अपनी बेइज्जती लगता है ।यशोधर भी नए चलन को स्वीकार नहीं करते और नई पुरानी पीढ़ी का यह द्वंद्व चलता रहता है। 
सांस्कृतिक,सामाजिक संरक्षण के लिए स्वस्थ परंपराओं की सुरक्षा आवश्यक है, किंतु बदलते समय और परिवेश में इनकी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।
अतः मेरे मत से पुरानी-पीढ़ी को थोड़ा आधुनिक होना पड़ेगा और नई-पीढ़ी को पुरानी मगर स्वस्थ परंपराओं और मान्यताओं का ख्याल रखना होगा, तभी सामंजस्य संभव है।


7. अपने घर और विद्यालय के आस-पास हो रहे उन बदलावों के बारे में लिखें जो सुविधाजनक और आधुनिक होते हुए भी बुज़ुर्गों को अच्छे नहीं लगते। अच्छा न लगने के क्या कारण होंगे?
उत्तर:- हमारे घर व विद्यालय के आसपास निम्नलिखित बदलाव हो रहें हैं जिन्हें बुज़ुर्ग पसंद नहीं करते -
• घर से विद्यालय जाने के लिए साईकिलें एवं मोटर का इस्तेमाल।
• लड़कियाँ-लड़कों का एक साथ पढ़ना और मिलना-जुलना।
• युवा लड़कों और लड़कियों द्वारा अंग प्रदर्शन करना।
• देर रात तक पार्टियाँ करना।
• दिनभर कम्प्यूटर, इन्टरनेट एवं मोबाइल का इस्तेमाल।
बुज़ुर्गों को यह सब अच्छा नहीं लगता क्योंकि जब वे युवा थे, उस समय संचार के साधनों की कमी थी।संयुक्त पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण वे युवावस्था में अपनी भावनाओं को काबू में रखते थे और अधिक जिम्मेदार होते थे। आधुनिक परिवेश के युवा बड़े-बूढ़ों के साथ बहुत कम समय व्यतीत करते हैं इसलिए सोच एवं दृष्टिकोण में अधिक अन्तर आ गया है। युवा पीढ़ी की यही नई सोच बुजुर्गों को अच्छी नहीं लगती।


8. यशोधर बाबू के बारे में आपकी क्या धारणा बनती हैदिए गए तीन कथनों में से आप जिसके समर्थन में हैंअपने अनुभवों और सोच के आधार पर उसके लिए तर्क दीजिए –
(क) यशोधर बाबू के विचार पूरी तरह से पुराने हैं और वे सहानुभूति के पात्र नहीं हैं।
(ख) यशोधर बाबू में एक तरह का द्वंद्व है जिसके कारण नया उन्हें कभी-कभी खींचता तो है पर पुराना छोड़ता नहीं। इसलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की ज़रूरत है।
(ग) यशोधर बाबू एक आदर्श व्यक्तित्व है और नयी पीढ़ी द्वारा उनके विचारों का अपनाना ही उचित है।

उत्तर
:- यशोधर बाबू में एक तरह का द्वंद्व है जिसके कारण नया उन्हें कभी-कभी खींचता तो है पर पुराना छोड़ता नहीं। इसलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की ज़रूरत है।
यशोधर बाबू जैसे लोग साधारणतया किसी न किसी से प्रभावित होते हैं, जैसे यशोधर बाबू किशन दा से। ये परंपरागत ढर्रे पर चलना पसन्द करते हैं तथा बदलाव पसन्द नहीं करते। अतः समय के साथ ढ़लने में असफल होते हैं।
मेरे दादाजी भी पुराने विचारों से प्रभावित हैं उन्हें भी नई चीज अपनाने में तकलीफ़ होती है। इस कारण वे हमसे दुखी रहते है और हमें भी दुःख होता है इसलिए मैं उनसे अनुनय विनय करके धीरे-धीरे उनकी आवश्यकता से परिचित कराना चाहता हूॅं ताकि वे भी लाभान्वित हो सकें।