महिलाएँ और खेल - पुनरावृति नोट्स

CBSE कक्षा 12 शारीरिक शिक्षा
पाठ - 6 महिलाएँ और खेल
पुनरावृत्ति नोट्स

मुख्य बिंदु:-
  1. भारत में महिलाओं की खेलों में भागीदारी
  2. विशेष परिस्थितियाँ (प्रथम रजोदर्शन, मासिक धर्म का सामान्य न होना.)
  3. महिला एथलीट त्रय (ऑस्टियोपोरोरिस ऋतुरोध या रजोंरोध, भोजन संबंधी विकार)
  4. महिला एथलीट के मनोविज्ञानिक पहलू या पक्ष
  5. खेलों में भागीदारी के सामाजिक पहलू
  1. भारत में महिलाओं की खेलों में भागीदारी (Sports participation of women in India) “महिलाओं की भागीदारी का अर्थ है-खेलों के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी” भारत में सन् 1952 में ओलम्पिक खेलों में पहली भारतीय महिला ने भाग लिया। सन् 2000 में ओलम्पिक में कर्णम् मल्लेशवरी (भारोतोलन) में कांस्य पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी।
    खेलों में महिलाओं की कम भागीदारी होने के कारण-
    1. शारीरिक कारक
      1. शारीरिक पुष्टि तथा क्षमता और सुयोग्यता में कमी
      2. महिला एथलीट त्रय
    2. मानसिक कारक
      1. आत्मविश्वास में कमी
      2. दर्शकों की रूचि कम होना तथा कम प्रसारण होना
      3. महिला प्रशिक्षकों की कम संख्या
      4. कानून की कमी-आत्म रक्षा
      5. शिक्षा की कमी
    3. सामाजिक कारक
      1. कानून की कमी
      2. समय का अभाव
      3. खेलों की पुरूष प्रधान संस्कृति
      4. अनुकरणीय व्यक्ति के रूप में महिला खिलाड़ियों की कमी
      5. समाज की अभिवृत्तियाँ तथा धारणाएँ
  2. विशेष परिस्थितिया विशेष ध्यान देने योग्य तथ्य
    (युवा लड़की का प्रथम मासिक धर्म)
    (प्रथम रजोधर्म)
    (महिलाओं में मासिक धर्म में अनियमितता या विकार)
    (मासिक धर्म में शिथिलता)
  3. महिला खिलड़ी त्रय
    “महिला एथलीट त्रय एक लक्षण समूह है जिसमें रक्तहीनता, अस्थिसुषिरिता तथा ऋतुरोध उपस्थित होते है। वास्तव में यह आपस में संबंधित तीन दशाओं या तत्चों का एक लक्षण समूह होता है।”
    अस्थिसुषिरिता- अस्थि सम्बन्धी विकार, जिसमें अस्थि का घनत्व कम हो जाता है।
    ऋतुरोध- मासिक धर्म चक्र में अनिमियतता जिसमें 3 या अधिक महीनों तक मासिक धर्म की अनुपस्थिति हो होना।
    भोजन संबंधी विकार- जब व्यक्ति सामान्य से अधिक या बहुत कम मात्रा में भोजन करने लगे तो इसे भोजन संबंधी विकार कहते हैं ये एक प्रकार का मानसिक रोग है। इसके दो प्रकार होते है।
    1. एनोरेक्सिया नर्वोसा/ क्षुधाअभाव
    2. बुलिमिया/अतिक्षुधा।
    अस्थिसुषिरिता के कारण- कैल्शियम की कमी, ऋतुरोध, भोजन संबंधी विकार नशा करना।
    अस्थिसुषिरिता के लक्षण- कमजोर अस्थियों के कारण बार-बार टूटना या चटकना। हड्डियों तथा जोडों में असहनीय दर्द।
    अस्थिसुषिरिता से बचाव के लिए सुझाव: स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर, व्यायाम तथा शारीरिक क्रियाएँ करना, कैल्शियम तथा प्रोटीन युक्त आहार का सेवन, दवाईयाँ, प्रतियोगिता के बाद पर्याप्त आराम।
    ऋतुरोध का महिला खिलाड़ियों पर प्रभाव- अकसर तनावग्रस्त रहती है, खेल प्रदर्शन में गिरावट आती है। कई बार प्रतियोगिता में भाग नहीं ले पाती है।
    ऋतुरोध से बचाव के लिये सुझाव- नियमित व्यायाम, पौष्टिक भोजन समय-समय पर डॉक्टर से जाँच करवाते रहना चाहिये।
    भोजन संबंधी विकार-
    1. एनोरिक्सिया नर्वोसा
      क्षुधा अभाव
      1. सीमितक्षुधा विकार
      2. पारिष्करण क्षुधा विकार
    • कारण-
      • सामाजिक कारक
      • जैविक कारक
      • व्यक्तिगत कारक
    • लक्षण
      • शारीरिक छवि को प्रति अधिक चिंतित रहना
      • अत्याधिक व्यायाम करना
      • लगातार अल्पाहार करना
      • भोजन करने की विचित्रपरंपरा
      • भार में अत्याधिक कमी
      • दवाओं तथा रोचक औषधियो का प्रयोग
      • रक्त चाप का धीमा होना
      • रक्तहीनता
    • प्रबधंन एव उपचार-
      • मनोरजंक शारीरिक गतिविधियों का बढ़ावा
      • व्यक्तिगत उपचार
      • वास्तविकता को स्वीकारना
    1. बुलिमिया। अतिक्षुधा
      1. रेचक अतिक्षुधा
      2. गैर-रेचक अतिक्षुधा
    • कारण-
      • खिलाड़ियों में प्रदर्शन का दबाव
      • मीडिया को आकर्षित करना
      • मनौवैज्ञानिक कारण
      • पारिवारिक इतिहास
      • सामाजिक कारण
      • आनुवांशिक कारण
    • लक्षण-
      • पेप्टिक अल्सर
      • बार-बार खाना और उल्टी करना
      • शरीर में पानी की कमी होना (डीहाइडेशन)
      • भोजन नली में सूजन व जलन
      • दाँतों का खराब होना
      • आत्मविश्वास का खोना
      • अधिक व्यायाम कारना
    • प्रबंधन एवं उपचार
    • अपने प्रति सकारात्मक विचार धारा होना मनोवैज्ञानिक उपचार स्वस्थ भार से सम्बन्धित शिक्षा औषधियाँ व्यायाम करना
  4. खेलों में महिलाओं से संबधित पहलू
    महिला एथलीट के मनोवैज्ञानिक पहलू-
    1. उद्देश्य कोन्द्रिक
    2. मनोवैज्ञानिक ताकत/ शक्ति
    3. क्रम आक्रामक्रता
    4. समयोजन
    5. छवि जाग्रता-आत्म तथा शरीर विश्वास
    6. विश्वास
    7. लिंग भूमिका को नई स्थिति के अनुसार बनाना
    8. स्पर्धात्मकता
    9. अवसाद
  5. खेलों में भागीदारी का सामाजिक पहलू-
    1. धार्मिक विश्वास
    2. अशिक्षित-समाज
    3. शारीरिक कमजोरी
    4. पुरूष प्रधान समाज
    5. कम उपकरण तथा सुविधाएँ
    6. कम प्रतियोगिता कम दशर्कगण
    7. पारिवारिक जिम्मेदारी
    8. रीति एवं रिवाज