भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन - एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर

CBSE एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर
Class 12 समाजशास्त्र
पाठ-12 भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन

1. अपनी रुचि का कोई भी विषय चुनें और यह चर्चा करें कि भूमंडलीकरण ने उसे किस प्रकार से प्रभावित किया है। आप सिनेमा, कार्य, विवाह अथवा कोई भी अन्य विषय चुन सकते हैं।
उत्तर-सिनेमा के क्षेत्र में भूमंडलीकरण का प्रभाव :
  1. सिनेमा पर भूमंडलीकरण का व्यापक रूप से प्रभाव पड़ा है। यह हमारी संस्कृति, हमारे आचार-विचार, सोचने के ढंग इत्यादि पर प्रभाव डालता है। कुछ लोगों के लिए यह संगीत, नृत्य, संस्कृति के नए द्वार खोलने का एक अवसर है तो कुछ लोगों के लिए यह उनकी अपनी संस्कृति, जीवन-शैली, नृत्य-संगीत की परंपरा के लिए चुनौती की तरह है।
  2. सूचना प्रौद्योगिकी का विकास, कैमरा फोटोग्राफी, वाद्य-यंत्र, इत्यादि में प्रकारों के विकास को देखकर यह कहा जा सकता हैं कि भूमंडलीकरण का सिनेमा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
  3. इसने फिल्म निर्माताओं के लिए बड़े बाज़ार में संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं तथा लोगों को अपनी पसंद के अनुरूप फिल्में देखने का अवसर प्राप्त हो रहा है।
  4. समाजशास्त्र भूमंडलीकरण के सामाजिक अथवा सांस्कृतिक प्रभावों का अध्ययन करता है। बाजारों को खुल जाने तथा आयात पर से प्रतिबंध हटा लेने की वजह से विश्व के कोने-कोने की वस्तुएँ हम अपने पास की दुकान से प्राप्त कर सकते हैं।
  5. भूमंडलीकरण के प्रत्यक्ष प्रभाव के कारण ही मीडिया (जिनमें सिनेमा भी शामिल हैं) में नाटकीय परिवर्तन हुए हैं। भारत के कुछ निर्देशकों, निर्माताओं, कलाकारों इत्यादि को दूसरे देशों तथा क्षेत्रों के फिल्म उद्योगों में स्वागत किया जा रहा है। अनेक देशों में अभिनेता,अभिनेत्रियों, निर्देशक तथा अन्य कलाकार दूसरे देशों में जाकर वहाँ के फिल्म उद्योग में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।
  6. बच्चों की फिल्में, कॉर्टून फिल्म, हास्य फिल्म, सामाजिक तथा प्रेम पर आधारित फिल्में- विभिन्न भाषाओं में बन रही हैं।
  7. नृत्य, प्रस्तुति की शैली,संगीत, प्राकृतिक तथा अन्य दृश्य इत्यादि का पर्यवेक्षण देशों अनेक के विशेषज्ञों के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किया जा रहा है।

2. एक भूमंडलीकरण अर्थव्यवस्था के विशिष्ट लक्षण क्या हैं? चर्चा कीजिए।
उत्तर- एक भूमंडलीकरण अर्थव्यवस्था के विभिन्न लक्षण :
  1. भूमंडलीकरण से अभिप्राय विश्व के लोगों, क्षेत्रों तथा देशों के मध्य वैश्विक स्तर पर सामाजिक-आर्थिक अंतरर्निर्भरता में विकास से है।
  2. यद्यपि आर्थिक शक्तियाँ भूमंडलीकरण का एक महत्वपूर्ण अंग हैं।
  3. भूमंडलीकरण में सामाजिक तथा आर्थिक संबंधों का विश्वभर में विस्तार शामिल है। इस विस्तार को आर्थिक नीतियों के द्वारा प्रोत्साहन दिया जाता है। इस प्रक्रिया को भारत में उदारीकरण कहा जाता है। उदारीकरण शब्द से अभिप्राय ऐसे नीतिगत निर्णय से है, जिसमें भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व बाज़ार के लिए खोल देने के उद्देश्य से किए गए थे।
  4. भूमंडलीकरण के दौरान अनेक आर्थिक कारकों में से पार राष्ट्रीय निगमों (TNCs) की भूमिका विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है।
  5. जुलाई, 1991 से भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपने सभी प्रमुख क्षेत्रों (कृषि, उद्योग, व्यापार, विदेशी निवेश) और क्षेत्र, वित्तय संस्थाएँ प्रोद्योगिकी, सार्वजनिक,आदि में सुधारों की एक लंबी श्रृंखला देखी है।
  6. उदारीकरण की प्रक्रिया में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से ऋण लेना भी शामिल है। ये ऋण कुछ निश्चित दरों पर दिए जाते हैं। सरकार को कुछ विशेष प्रकार से आर्थिक उपाय करने के लिए वचनबद्ध होना पड़ता है और इन आर्थिक उपायों के अंतर्गत संरचनात्मक समायोजन की नीति अपनानी पड़ती है। इन समायोजनों का अर्थ सामान्यत: सामाजिक क्षेत्रों; जैसे-स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सामाजिक सुरक्षा में राज्य के व्यय की कटौती है। विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसी अंतर्राष्ट्रीय राष्ट्रीय संस्थाओं के लिए भी यह बात कही जा सकती है।

3. संस्कृति पर भूमंडलीकरण के प्रभाव की संक्षेप में चर्चा कीजिए।
उत्तर-संस्कृति पर भूमंडलीकरण के प्रभाव :
  1. भूमंडलीकरण के युग (1999-2000) में अनेक सांस्कृतिक परिवर्तन हुए, जिससे यह डर उत्पन्न हो गया है की हमारी भारतीय संस्कृति पीछे न रह जाए।
  2. समय-समय पर हम नई चर्चाएँ समाज के विषय में सुनते आ रहे हैं। ये बहसें केवल राजनितिक अथवा आर्थिक ही नहीं होती; बल्कि संगीत, नृत्य, फिल्म, पहनावे, जीवन-शैली, भाषा तथा शारीरिक भाषा के लिए भी की जाती हैं।
  3. 19वीं सदी के सुधारक तथा प्रारंभिक राष्ट्रवादी नेता भी संस्कृति तथा परंपरा पर विचार-विमर्श किया करते थे। वे मुद्दे आज भी कुछ दृष्टियों में वैसे ही हैं और कुछ अन्य दृष्टियों में अलग भी हैं। शायद अंतर यही हैं कि परिवर्तन की गहनता तथा व्यापकता अलग है।
  4. कुछ विचारकों के अनुसार भारत की सांस्कृतिक परंपरा जीवनभर कुएँ के भीतर रहने वाले उस मेंढक के समान है, जो कुएँ से बाहर की दुनिया के बारे में कुछ भी नहीं जानता और हर बाहरी वस्तु के प्रति शंकालु बना रहता है। वह किसी से बात नहीं करता तथा किसी से किसी विषय पर तर्क-वितर्क भी नहीं करता। सौभाग्य से हम आज भी अपनी परंपरागत खुली अभिवृति अपनाए हुए हैं।
  5. सभी संस्कृतियाँ सजातीय हैं। संस्कृति के भूमंडलीकरण की प्रवृत्ति बढ़ती ही जा रही है। भूमंडलीकरण का अर्थ है-भूमंडलीय के साथ स्थानीयता का मिश्रण।
  6. यह एक ऐसी राजनीति है जो अक्सर विदेशी फार्मों के द्वारा अपने बाज़ार को बढ़ाने के लिए स्थानीय परंपराओं के साथ व्यवहार में लाई जाती है। भारत में हम देखते हैं कि सभी विदेशी टी०वी० चैनल जैसे-स्टार, एम टी०वी०, चैनल वी तथा कॉर्टून नेटवर्क भारतीय भाषाओं का प्रयोग करते हैं।
  7. उदारवादी अवधारणा भारतीय संस्कृति की शक्ति है। संस्कृति को किसी ऐसे अपरिवर्तनशील एवं स्थिर सत्व के रूप में नहीं देखा जा सकता, जो किसी सामाजिक परिवर्तन के कारण या तो ढह जाएगी | अथवा ज्यों-का-त्यों यानी अपरिवर्तित बनी रहेंगी।

4. भूस्थानीकरण क्या है? क्या यह बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपनाई गई बाज़ार सम्बन्धी रणनीति है अथवा वास्तव में कोई सांस्कृतिक संश्लेषण हो रहा है, चर्चा करें।
उत्तर- भूमंडलीयकरण :भूमंडलीकरण शब्द को केवल एक अर्थ अथवा परिभाषा में नहीं बाँधा जा सकता है। अलग-अलग विषय भूमंडलीकरण के अलग-अलग पक्षों पर ध्यान दिलाते हैं। उदाहरणत: अर्थशास्त्र, आर्थिक आयामों जैसे-पूँजी का प्रवाह आदि का अधिक विवेचन करता है राजनीतिशास्त्र सरकार की बदली हुई भूमिका पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।भूमंडलीकरण की प्रक्रिया बहुत व्यापक है यह अलग-अलग विषयों से भूमंडलीकरण के कारणों तथा परिणामों को समझने के लिए, एक-दूसरे से अधिकाधिक जानकारी लेनी पड़ती है।समाजशास्त्रीय अध्ययन का क्षेत्र अत्यंत व्यापक होता है। यह अपने विश्लेषण को अलग-अलग व्यक्तियों, जैसे- अध्यापक और छात्र, दुकानदार और ग्राहक, दो मित्रों अथवा पारिवारिक सदस्यों के बीच की अंत:क्रियाओं पर केंद्रित कर सकता है।
भूमंडलीय सामाजिक प्रक्रियाओं; जैसे-कामगार वर्ग पर नए लचीले श्रम विनियमों अथवा नवयुवकों पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अथवा देश की शिक्षा प्रणाली पर विदेशी विश्वविद्यालयों के प्रवेश के प्रभाव की जाँच-पड़ताल कर सकता है।समाजशास्त्र उन विषयों से परिभाषित नहीं होता जिनके यह अध्ययन करता है, बल्कि वह एक चुने हुए क्षेत्र का अध्ययन कैसे करता है, इसका अध्ययन करता हैं।समाजशास्त्र क्या अध्ययन करता है ये नहीं, बल्कि कैसे अध्ययन करता है, से परिभाषित किया गया है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि समाजशास्त्र भूमंडलीकरण के केवल सामाजिक अथवा सांस्कृतिक परिणामों का ही अध्ययन करता है। यह व्यक्ति और समाज, व्यष्टि और समष्टि तथा स्थानीय एवं भूमंडलीय के बीच के संबंधों के भाव को समझने के लिए समाजशास्त्रीय कल्पना-शक्ति का प्रयोग करता है।
समाजशास्त्र कम्पनियाँ उनकी राजनीतिक तथा भारत का सांस्कृतिक संश्लेषण :
  • आयात पर लगाए गए सभी प्रकार के परिमाणात्मक प्रतिबंधअप्रैल 2001 से समाप्त कर दिए गए। अब पड़ोस की दुकानों में आस्ट्रेलियाई संतरे का रस और बर्फ में जमे हुए पैकेटों में तलने के लिए तैयार चिप्स मिल जाएंगे।
  • हम अपने परिवार के साथ जो खाते-पीते हैं, उनमें धीरे-धीरे परिवर्तन हो रहा है। इसी प्रकार के नीतिगत परिवर्तनो ने उपभोक्ताओं तथा उत्पादकों को प्रभावित किया है।
  • परिवर्तन निश्चित रूप से सार्वजनिक नीतियों से भी जुड़े होते हैं, जिसे कि सरकार अपनाती है और विश्व-व्यापार संगठन (WTO) से समझौता करके तय करती है। इसी प्रकार, स्थूल नीतिगत परिवर्तनों का मतलब यह है कि एक टेलीविजन चैनल के बजाय आज हमारे पास वास्तव में कई चैनल हैं।
  • समाजशास्त्रीय कल्पना-शक्ति व्यष्टि एवं समष्टि तथा व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक के मध्य संबंध स्थापित कर सकती है।
  • भूमंडलीकरण को प्रेरित करने वाले विभिन्न आर्थिक कारकों में पारराष्ट्रीय निगमों (TNCs) की भूमिका विशेष रूप से आवश्यक है।