मूल निवासियों का विस्थापन-पुनरावृति नोट्स
CBSE कक्षा 11 इतिहास
पाठ-10 मूल निवासियों का विस्थापन
पुनरावृत्ति नोट्स
स्मरणीय तथ्य-
- उपनिवेशिक विस्तार- सत्रहवीं सदी के बाद स्पेन और पुर्तगाल के अमरीकी साम्राज्य का विस्तार नहीं हुआ। फ्रांस, हालैण्ड और इंग्लैण्ड जैसे दूसरे देशों ने अपनी व्यापारिक गतिविधियों का विस्तार करना और अमरीका, अफ्रीका तथा एशिया में अपने उपनिवेश बसाना शुरू कर दिया।
- सेटलर- (आबादकार)- शब्द दक्षिण अफ्रीका में डच के लिए, आयरलैण्ड, न्यूजीलैण्ड और आस्ट्रेलिया में ब्रिटिश के लिए तथा अमरीका में यूरोपीय लोगों के लिए प्रयोग होता है।
- नेटिव- ऐसा व्यक्ति जो अपने मौजूदा निवास स्थान में ही पैदा हुआ था। बीसवीं सदी के आरंभिक वर्षों तक यह पद यूरोपीय लोगों द्वारा अपने उपनिवेशों के बाशिंदे के लिए प्रयोग होता था।
- वेमपुम बेल्ट- रंगीन सीपियों को आपस में सिलकर बनाई जाने वाली बेल्ट है। इसे किसी समझौते के बाद स्थानीय कबीलों के बीच आदान-प्रदान किया जाता है।
- अठारहवीं सदी में पश्चिमी यूरोप के लोग सभ्य मनुष्य की पहचान- साक्षरता, संगठित धर्म और शहरीपन के आधार पर करते थे। भाषाएँ-उत्तरी अमरीका में अनेक भाषाएँ बोली जाती थी परन्तु वह लिखी नहीं जाती थी।
- गोल्ड रश और उद्योगों की वृद्धि- 1840 में कैलीफोर्निया में सोने के चिन्ह मिले तथा गोल्ड रश का प्रारंभ, रेलवे लाइनों का निर्माण, औद्योगिक नगरों का विकास, कारखानों की संख्या में वृद्धि हुई।
- एबोरिजिनीज:- आॅस्ट्रेलिया महाद्वीप के शुरूआती मनुष्य या आदिमानव को एबोरिजिनीज कहा जाता था।
- आरंभ में आॅस्ट्रेलियाई मूल निवासियों के साथ दोस्ताना व्यवहार, परन्तु हवाई में कैप्टेन कुक की हत्या के बाद ब्रिटिशों का रवैया पूरी तरह उल्टा गया। इस घटना का इस्तेमाल औपनिवेशिक ताकतों द्वारा अपने हिंसक व अत्याचार पूर्ण व्यवहार के औचित्य को साबित करने के लिए किया गया।
- सत्रहवीं शताब्दी के उपरांत अमरीका में स्पेनी और पुर्तगाली साम्राज्य का विस्तार ठहर गया था। इस दौरान फ्रांस, हॉलैंड एवं इंग्लैंड जैसे अन्य राष्ट्रों ने अपनी व्यापारिक गतिविधियाँ तेज कर दीं।
- इस दौरान व्यापारिक कंपनियों ने दक्षिण एशिया में स्वयं को राजनीतिक सत्ता का स्वरूप प्रदान किया। उन्होंने स्थानीय शासकों को हराया और अपने प्रभाव का विस्तार किया लेकिन उनके द्वारा पुरानी सुविकसित प्रशासकीय व्यवस्था को जारी रखा गया।
- दक्षिणी अफ्रीका को छोड़कर शेष अफ्रीका में यूरोपीय व्यापारी समुद्र तटों पर ही व्यापार करते थे। 19वीं सदी के अंतिम दौर में उन्होंने भीतरी इलाकों में प्रवेश करने का साहस किया। इसके अतिरिक्त यूरोपीय राष्ट्रों के मध्य अफ्रीका का उपनिवेशों के रूप में बँटवारे का समझौता भी हुआ।
- उत्तरी अमरीका के सबसे प्रथम बाशिंदे तीस हजार वर्ष पहले बेरिंग स्ट्रेट्स के आरपार विस्तृत भूमि-संतु के रास्ते एशिया से आए थे। उनकी सबसे पुरानी मानव कृति जोकि एक तीर की नोंक है, करीब 11000 वर्ष पुरानी है।
- उत्तरी अमरीका के मूल बाशिंदे नदी घाटी के साथ-साथ बने गाँवों में समूह के रूप में रहते थे। वे मछली एवं मांस खाते थे तथा सब्जियाँ और मकई उगाते थे।
- उन मूल निवासियों ने साम्राज्य का विकास नहीं किया। औपचारिक संबंध तथा दोस्तियाँ कायम करना एवं उपहारों का आदान-प्रदान करना उनकी परंपरा की मुख्य विशेषता थी।
- सत्रहवीं शताब्दी में यूरापीय व्यापारी लोग यहाँ मछली व रोएँदार खाल के व्यापार के लिए आए थे। इस कार्य में शिकार-कुशल देशी लोगों ने उनकी अत्यधिक सहायता की।
- कालांतर में यूरोपीय लोगों के साथ-साथ अमरीका में बसने के लिए और भी लोग आए थे। वे लोग ईसाइयत के विभिन्न संप्रदाय से ताल्लुक रखने के कारण उत्पीड़न के शिकार थे। वे एक नयी जिंदगी आरंभ करना चाहते थे।
- यूरापीय लोगों को कल्पना में कटे हुए जंगलों के स्थान पर मक्के के खेत नजर आते थे। जैफ़र्सन का ख्वाब एक ऐसे देश का था जो छोटे-छोटे खेतों वाले यूरोपीय लागों से आबाद हुआ था।
- दक्षिणी इलाके की जलवायु यूरोपीय लोगों के लिए बहुत गर्म थी। यहाँ तक कि दक्षिण अमरीकी उपनिवेशों में दास बनाए गए मूल निवासी काफी संख्या में मौत के शिकार हुए। फलत: बागान मालिकों ने अफ्रीका से दास खरीदे।
- यह सत्य हैं कि दासों के व्यापार पर विरोध के कारण इस प्रथा पर तो रोक लग गई लेकिन जो अफ्रीकी संयुक्त राज्य अमरीका में थे, वे तथा उनके बच्चे दास ही बने रहे। फिर 1861-65 में अनेक संघर्षों के बाद इस प्रथा का अंत हुआ।
- जैसे-जैसे संयुक्त राज्य अमरीका में यूरोपीय बस्तियों का विस्तार किया गया, जमीन की बिक्री के समझौते के बाद मूल निवासियों को वहाँ से हटने के लिए विवश होना पड़ा।
- कुछ मूल निवासियों को पश्चिम की ओर धकेल दिया गया था। यह सत्य है कि उन्हें स्थायी तौर पर अपनी जमीन दे दी गई थी। लेकिन वे प्राय: उस जगह से भी बेदखल कर दिए जाते थे यदि उनकी जमीन के अंदर सीसा, सोना, तेल जैसे खनिज पदार्थ होने की संभावना होती थी।
- वस्तुत: मूल निवासी छोटे इलाकों में कर दिए गए जिन्हें 'रिजर्वेशन्स" (आरक्षण) कहा जाता था। ये प्राय: ऐसी जमीन थी, जिसके साथ उनका पहले से कोई संबंध नहीं था।
- उत्तरी अमरीका में औद्योगिक विकास के कई कारण थे। उदाहरण के लिए, रेलवे के साज-सामान बनाने के लिए ताकि दूर-दराज के क्षेत्रों को तीव्र परिवहन की व्यवस्था द्वारा जोड़ा जा सके।
- 1892 में संयुक्त राज्य अमरीका का महाद्वीपीय विस्तार पूरा हो चुका था। यहाँ तक कि प्रशांत महासागर एवं अटलांटिक महासागर के बीच का क्षेत्र कई राज्यों में विभाजित किया जा चुका था। नि:संदेह अब कोई फ्रंटियर नहीं रहा था।
- 1770 के दशक में आबादकारों द्वारा लोकतांत्रिक भावनाओं को बुलंद किया गया। फलत: संयुक्त राज्य अमरीका की पहचान बनी और उनके संविधान में व्यक्ति के 'संपत्ति के अधिकारों' को शामिल किया गया।
- 1934 का 'इंडियन रीऑर्गनाईजेशन ऐक्ट' संयुक्त राज्य अमरीका में एक युगांतकारी कानून था। इसके द्वारा रिजेर्वेशन्स में जमीन खरीदने तथा ऋण लेने का अधिकार मूल निवासियों के लिए स्वीकृत किया गया।
- 1954 में स्वयं के द्वारा तैयार किए गए 'डिक्लेरेशन ऑफ़ इंडियन राइट्स' के प्रावधानों के अधीन मूल निवासियों ने इस शर्त के साथ संयुक्त राज्य अमरीका की नागरिकता स्वीकार की कि उनके रिजर्वेशन्स वापस नहीं लिए जाएँगे एवं उनकी परंपराओं में दखलंदाजी नहीं की जाएगी।
- ऑस्ट्रेलिया में भी मानव निवास का इतिहास खास है। लगभग 40,000 वर्ष पहले आदिमानव जिन्हें 'ऐबॉरिजिनीज कहा जाता था, इस देश में आने लगे थे। वे ऑस्ट्रेलिया के साथ एक भू-सेतु से जुड़े न्यूगिनी से आए थे।
- ऑस्ट्रेलिया की जमीन को टेरा न्यूलिअस कहा जाता था। इसका अर्थ था-'जो किसी का नहीं है'। फलत: भूमि-अधिग्रहण को औपचारिक बनाने के लिए यूरोपीयवासियों को ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों के साथ कोई समझौता तैयार नहीं करना पड़ा था।
- मूल बाशिंदों ने अपने जीवन-इतिहासों को लिखना प्रारंभ किया है। 1974 से 'बहुसंस्कृतिवाद' ऑस्ट्रेलिया की राजकीय नीति रही है। इसके अंतर्गत मूल निवासियों की संस्कृतियों तथा यूरोप एवं एशिया की विभिन्न संस्कृतियों को समान आदर दिया गया है।
- 1968 में एक मानवशास्त्री W.E.H. के व्याख्यान 'The Great Australian Silence' (महान आॅस्ट्रेलियाई चुप्पी) के बाद यहाँ बदलाव की लहर आई।
- आॅस्ट्रेलिया के मूल निवासियों की संस्कृतियों का अध्ययन करने के लिए विश्वविद्यालयों में विभाग खोले गए।