जनसंख्या संघटन-पुनरावृति नोट्स

                                            CBSE Class 12 भूगोल भाग - 1 

पाठ - 3 जनसंख्या संघटन
पुनरावृति नोटस


अवधारणा मानचित्र

पाठ एक नज़र में

जनसंख्या की आयु संरचना से तात्पर्य विभिन्न आयु वर्ग में बांटी जाने वाली जनसंख्या से है। यह आयु समूह (1) युवक/तरूण (0-14 वर्ष) (2) प्रौढ़/व्यसक (15-59) (3) वृद्ध (60 से अधिक)

  • आयु-लिंग पिरामिड का आकार तीन प्रकार की जनसंख्या स्थितियों को दर्शाता है।
  • लिगांनुपात से हमारा तात्पर्य पुरूष-स्त्री की संख्या के अनुपात से है। इसके अन्तर्गत प्रति हजार पुरूषों की संख्या पर स्त्रियों की संख्या की गणना की जाती है।
  • विकसित देशों में लिंग अनुपात महिलाओं के पक्ष में होता है। जबकि विकासशील और अविकसित देशों में यह पुरूषों के पक्ष में है।
  • कुछ देशों में लिंग अनुपात प्रति हजार स्त्रियों पर पुरुषों की संख्या के रूप में परिकलित किया जाता है जबकि भारत में लिंग अनुपात प्रति हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या के रूप में परिकलित किया जाता है |
  • आयु संरचना विभिन्न आयु वर्गों में लोगों की संख्या को प्रदर्शित करती है | यह जनसंख्या संघटन का एक महत्वपूर्ण सूचक है | विकास योजनाओं में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है |
  • 15-59 आयुवर्ग की जनसंख्या को कार्यशील जनसंख्या कहते हैं जबकि 60 वर्ष से अधिक आयु की जनसंख्या का वर्ग वृद्ध जनसंख्या की श्रेणी में आता है | यदि इसमें 0-14 आयु वर्ग की जनसंख्या को जोड़ दिया जाए तो वह आश्रित जनसंख्या कहलाता है |
  • आयुलिंग पिरामिड का आकर तीन प्रकार की जनसंख्या स्थितियों को दर्शाता है:- विस्तारित होती जनसंख्या, स्थिर जनसंख्या व ह्रासमान जनसंख्या |
  • निवास स्थान के आधार पर जनसंख्या का नगरीय और ग्रामीण में विभाजन ग्रामीण नगरीय संयोजन कहलाता है।
  • विकसित देशों में नगरीय जनसंख्या का अधिक (उच्च) प्रतिशत इस बात का द्योतक है कि द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र अधिक विकसित है जबकि विकासशील देशों में इसका विपरीत सत्य है।
  • वह व्यक्ति साक्षर कहलाता है जो कि अपने रोज के जीवन में एक सरल वाक्य समझ, लिख और पढ़ सके। आर्थिक विकास साक्षरता का कारण और परिणाम है।
  • आर्थिक क्रियाओं के अन्तर्गत सक्रिय जनसंख्या के अनुपात का वितरण व्यावसायिक संरचना कहलाता है।
  • सभी आर्थिक क्रियाओं को चार भागों में बांटा जा सकता है, प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक और चतुर्थक व्यवसाय। अविकसित और विकासशील देशों में अधिकतर जनसंख्या प्राथमिक व्यवसायों में कार्यरत है जबकि विकसित देशों में अधिकतर जनसंख्या, द्वितीयक, तृतीयक तथा चतुर्थक व्यवसाय में सलंग्न होती है।

पोषित किये जाने वाले मूल्य