स्वतंत्रता - पुनरावृति नोट्स

CBSE कक्षा 11 राजनीति विज्ञान
पाठ - 2 स्वतंत्रता
पुनरावृति नोटस

स्मरणीय बिंदु:-
स्वतंत्रता क्या है?
  • सामान्यतः स्वतंत्रता को प्रतिबंधों तथा सीमाओं के अभाव के रुप में माना जाता है। इसे मानव के 'जो चाहे सो करे के अधिकार का पर्यायवाची समझा जाता है।
  • हाब्स ने इसे अर्थात ' जो चाहों सो करो’ की स्थिति को स्वच्छदता की स्थिति कहा है जो प्राकृतिक अवस्था में उपलब्ध होती है।
  • दूसरे शब्दों में, स्वतंत्रता का अर्थ है मानव को उस कार्य को करने का अधिकार जो वह करने के योग्य है। व्यक्ति की आत्म अभिव्यक्ति की योग्यता का विस्तार करना तथा ऐसी परिस्थितियों का होना जिसमें लोग अपनी प्रतिभा का विकास कर सकें।
  • वार्कर के अनुसार, व्यक्तियों की स्वतंत्रता अन्य व्यक्तियों की स्वतंत्रताओं के साथ जुड़ी हुई है।
  • स्वतंत्रता व्यक्तित्व विकास की सुविधा + तर्कसंगम बंधन।
  • बीसवीं शताब्दी में महात्मा गांधी, नेल्सन मण्डेला तथा आंग सान सू, की आदि व्यक्तियों ने शासन वे भेदभाव, शोषणात्मक व दमनात्मकारी नीतियों का विरोध कर स्वतंत्रता को अपने जीवन का आदर्श बनाया।
स्वतंत्रता के आयामः-
स्वतंत्रता दो आयाम है- (i) नकारात्मक व (ii) सकारात्मक
  • नकारात्मक स्वतंत्रता- नकरात्मक भाव में इसका यह निहितार्थ है कि जहां तक संभव हो प्रतिबंधों का अभाव हो | क्योंकि प्रतिबंध व्यक्तिगत स्वतंत्रता में कटौती करते है। इसलिए इच्छानुसार कार्य करने की छूट हो और व्यक्ति के कार्यों पर किसी प्रकार का प्रतिबंध न हो |
  • समर्थक है जॉन स्टुअर्ट मिल और एफ.ए. हायक आदि।
  • सकारात्मक स्वतत्रता
    1. नियमों व कानूनों के अंतर्गत ऐसी व्यवस्था जिससे मनुष्य अपना विकास कर सके।
    2. यदि राज्य सार्वजनिक कल्याण का लक्ष्य प्राप्त करना चाहता है तो प्रतिबन्ध अनिवार्य है ।
  • मानव समाज मे रहता है, उसके कार्य अन्य लोगों की स्वतंत्रता को प्रभावित करते है। इसलिए इसका जीवन बंधनों द्वारा विनियमित होना चाहिए।
  • तर्कयुक्त बंधनों की उपस्थिति।
  • समथर्ता है टी.एच.ग्रीन व प्रो. ईसायाह बर्लिन" प्रतिबंधों के स्रोत:-
     
प्रतिबंधों के स्रोत- व्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध प्रभुत्व व बाहरी नियंत्रण से लग सकते है। यह प्रतिबंध बलपूर्वक या सरकारे कानूनों द्वारा लगा सकती है। जैसे दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की व्यवस्था या समाजिक असमानता (जातिप्रथा) भी स्वतंत्रता पर प्रतिबंध हो सकता है। अत्याधिक आर्थिक समानता भी प्रतिबंध का एक स्रोत हो सकती है।
प्रतिबंधों की आवश्यकता:-
  • मुक्त समाज में अपने विचारों को बनाए रखने व जीने के अपने तरीके विकसित करने
  • दुसरे व्यक्ति के अधिकारों की पूर्ति हेतू
  • सारवजनिक कल्याण के लक्ष्य हेतु
  • टकराव की स्थिति को रोकने के लिए
  • सिमित संसाधनों के उचित बटवारें के लिए
हानि सिद्धान्त- जॉन स्टूअर्ट मिल ने अपने निबंध ऑन लिबर्टी में जिस मुद्दे को उठाया है राजनीति सिद्धान्त में उसे हानि सिद्धान्त के नाम से जाना जाता है।
किसी के कार्य करने की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करने का इकलौता लक्ष्य आत्म रक्षा है या किसी अन्य को हानि से बचाना हो सकता है।
उदारवादियों के अनुसार स्वतंत्रता:-
  • व्यक्ति स्वतंत्रता को अधिक महत्व व्यक्ति की आर्थिक सामाजिक राजनीतिक स्वतंत्रता पर बल मुक्त बाज़ार व राज्य की न्यूनतम भूमिका के पक्षधर किंतअब कल्याणकारी राज्य की भूमिका को महत्व देते है।
    समाजवादियों के अनुसार - स्वतंत्रता का आर्थिक पहलू अधिक महत्वपूर्ण है।
स्वतंत्रता के पहलू:-
  1. नकारात्मक पक्ष:- इसमें व्यक्ति के कार्यो पर केाई प्रतिबन्ध नही होता है। इच्छानुसार करने की छूट।
  2. सकारात्मक पक्ष:- नियमों व कानूनों के अन्तर्गत ऐसी अवस्था जिससे मनुष्य अपना विकास कर सके।
उत्तरदायित्वों के अनुसार स्वतंत्रता- व्यक्ति को अधिक, आर्थिक सामाजिक, राजनीतिक स्वतंत्रता पर बल तथा राज्य की कल्याणकारी भूमिका को बढ़ावा।
समाजवादियों के अनुसार स्वतंत्रता- स्वतंत्रता के आर्थिक पक्ष को बढ़ावा।
स्वतंत्रता के प्रकार:-
  • प्राकृतिक स्वतंत्रता
  • व्यक्तिगत स्वतंत्रता
  • राजनीतिक स्वतंत्रता
  • आर्थिक स्वतंत्रता
  • राष्ट्रीय स्वतंत्रता
उदारवादी बनाम मॉकसवादी धारणा:-
  • ऐतिहासिक रूप से उदारवाद ने मुक्त बाजार और राज्य की न्यूनतम का पक्ष लिया है। हालांकि अब वे कल्याणकारी राज्य की भूमिका को स्वीकार करते है और मानते है कि सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को कम करने वाले उपायों की जरूरत है।
  • सकारात्मक उदारवादी (हॉब्स लॉक तथा लास्की) समर्थन करते है कि कानून व्यक्तियों की स्वतंत्रता की रक्षा करता हैं। सार्वजनिक हित में व्यक्तियों को सर्वोत्तम विकास के अवसर उपलब्ध कराने के लिए उचित प्रतिबंधों का समर्थन।
  • उदारवादी व्यक्तिगत स्वतंत्रता को समानता जैसे मूल्यों से अधिक वरीयता देते है। वे आमतोर पर राजनीतिक सत्ता का भी संदेह की नजर से देखते है।
  • मार्क्सवादी (समाजवादी) सामाजिक जीवन के ढांचे में उपलब्ध आर्थिक स्वतंत्रता को महत्व देते है।
  • स्वतंत्रता की मार्क्सवादी धरणा सभी लोगों के लिए इसके समान हितों की कामना करती है। वर्गों के बोझ से दबे बुर्जुआ समाज में उसके निहितार्थ भिन्न वर्गों के लिए भिन्न होते है। इसलिए जब तक पूंजीवादी व्यवस्था के याप्रमाजवादी व्यवस्था नहीं आ जाती तब तक वास्तविक स्वतंत्रता संभव नहीं है।
स्वतंत्रता सम्बन्धी जे.एस.मिल के विचार:-
व्यक्ति की कार्य-
  1. स्वसबद्धं कार्य- वे कार्य जिनके प्रभाव केवल इन कार्यों को करने वाले व्यक्ति पर पडते है। इन कार्यों व निर्णयों के मामले में राज्य या किसी बाहरी सत्ता का कोई हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है
  2. परसंबद्ध कार्य - वे कर्त्ता के आलावा बाकी लोगों पर भी प्रभाव डालते है। ऐसे कार्य जो दूसरे को नुकसान पहुंचा सकते है उन पर राज्य बाहरी प्रतिबंध लगा सकता है।
हानि का सिद्धांतः परसंबद्ध कार्यों से किसी दूसरे को हानि हो सकती है इस कारण से उस पर औचित्यपूर्ण प्रतिबंध लगाया जा सकता है। राज्य का किसी व्यक्ति के कार्यों व इच्छा के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का उद्देश्य किसी अन्य को हानि से बचाना होता हैं
स्वतंत्रता पर प्रतिबन्ध के आधार:-
  1. देश की सुरक्षा
  2. विदेशो के साथ मैत्री सम्बन्ध
  3. मानहानि
  4. न्यायालय की अवमानना
  5. देश की एकता एवं अखण्डता
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता:-
  • वाल्तेयर के निम्नलिखित कथन से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का महत्व आंका जा सकता है।
  • "तुम जो कहते हो मै उसका समर्थन नहीं करता लेकिन मैं मरते दम तक तुम्हारे करने के अधिकार का बचाव करूँगा।" ओब्रे मेनन की रामायण रिटोल्ड, मीनाथूराम बोलते नाटक सलमान रश्दी की सेटानिक वर्सेज और फिल्म द लास्ट टेम्टेशन ऑफ क्राइस्ट का समाज के विभिन्न वर्गो से जबरदस्त विरोध हुआ जिसके चलते यह प्रतिबंधित हुए शांति व व्यवस्था के लिये प्रतिबंध आसान लेकिन अल्पकालीन समाधान है किंतआदत के रूप में इसका विकास गलत है।
  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मुद्दा अहस्तक्षेप के लघुत्तम क्षेत्र से जुड़ा है।
  • जान स्टुअर्ट मिल ने अपनी पुस्तक 'आन लिबर्टी में सबल तर्क रखते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उन्हें भी होनी चाहिए जिनके विचार आज की स्थितियों में गलत और भ्रामक लग रहे हो।
  • चार सबल तर्क:-
    1) कोई भी विचार पूरी से गलत नहीं होता। उसमें सच्चाई का भी कुछ अंश होता है।
    2) सत्य स्वंय के उत्पन्न नहीं होता बल्कि विरोधी विचारों के टकराव से पैदा होता है।
    3) जब किसी विचार के समक्ष एक विरोधी विचार आता है तभी उसी विचार की विश्वसनीयता सिद्ध होती है।
    4) आज जो सत्य है, वह हमेशा सत्य नही रह सकता। या कई बार जो विचार आज स्वीकार्य नही है वह आने वाले समय के लिए मूल्यवान हो सकते है।
  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कई बार प्रतिबंध अल्पकालीन रूप में समस्या का समाधान बन जाते है तथा तत्कालीन मांग को पूरा कर देते है लेकिन समाज में स्वतंत्रता की दूरगामी संभावनाओं की दृष्टि से यह बहुत खतरनाक है।
स्वतंत्रता की रक्षा के उपाय:-
  1. लोकतान्त्रिक शासन
  2. मौलिक अधिकार
  3. कानून का शासन
  4. न्यायपालिका की स्वतंत्रता
  5. शक्तियों का विकेंद्रीकरण
  6. शक्तिशाली विरोधी दल
  7. आर्थिक समानता
  8. विशेषाधिकार न होना
  9. जागरूक जनमत