सुमित्रानंदन पन्त - पुनरावृति नोट्स

 कक्षा 11 हिंदी कोर

पुनरावृति नोट्स
पाठ - 04 वे आँखें


पाठ का सारांश -  यह कविता पंत जी के प्रगतिशील दौर की कविता है | इसमें विकास की विरोधाभासी अवधारणाओं पर करारा प्रहार किया गया है | युग-युग से शोषण के शिकार किसान का जीवन कवि को आहत करता है | दुखद बात यह है कि स्वाधीन भारत में भी किसानों को केंद्र में रखकर व्यवस्था ने निर्णायक हस्तक्षेप नहीं किया | यह कविता दुश्चक्र में फँसे किसानों के व्यक्तिगत एंव पारिवारिक दुखों की परतों को खोलती है और स्पष्ट रूप से विभाजित समाज की वर्गीय चेतना का खाका प्रस्तुत करती है |

कवि कहता है कि किसान की अंधकार की गुफा के समान आँखों में दुःख की पीडा भरी हुई है | इन आँखों को देखने से डर लगता है | उसकी में लहलाहते खेत झलकते है जिनसे अब उसे बेदखल कर दिया गया है | उसे अपने बेटे की याद आती है जिसे जमींदार के कारिंदों ने लाठियों से पीटकर मार डाला | कर्ज के कारण उसका घर बिक गया | महाजन ने ब्याज की कौड़ी नही छोड़ी तथा उसके बैलों की जोड़ी भी नीलाम कर दी | उसकी उजरी गाय भी अब उसके पास नही है |

किसान की पत्नी दवा के बिना मर गई और देखभाल के बिना दुधमुंही बच्ची भी दो दिन बाद मर गई | उसके घर में बेटे की विधवा पत्नी थी, परन्तु कोतवाल ने उसे बुला लिया | उसने कुएँ में कूदकर अपनी जान दे दी | किसान को पति का नही, जवान लड़के की याद बहुत पीड़ा देती थी | जब वह पुराने सुखों को याद करता है तो आँखों में चमक आ जाती है, परन्तु अगले ही क्षण सच्चाई के धरातल पर आकर पथरा जाती है |