तीन वर्ग-प्रश्न-उत्तर

                                                                     कक्षा 11 इतिहास

एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर
पाठ 6 तीन वर्ग


संक्षेप में उत्तर दीजिए -

1. फ्रांस के प्रारंभिक सामंती सामाज के दो लक्षणों का वर्णन कीजिए।

उत्तर - फ्रांस के प्रारंभिक सामंती समाज के दो लक्षण निम्नलिखित हैं :

1. फ्रांसीसी समाज मुख्य रूप से तीन वर्गों में विभाजित था - (1) पादरी, (2) अभिजात वर्ग, (3) कृषक वर्ग। पश्चिमी चर्च के अध्यक्ष पोप होते थे तथा कैथोलिक चर्च से संबंध रखते थे। राजा का निंयत्रण चचों और पादरियों पर नहीं रहता था। किंतु तृतीय वर्ग की स्थिति अत्यंत दयनीय था तथा अभिजात वर्ग राजा पर निर्भर रहता था।
2. संसार में फ्रांस में सबसे पहले सामंतवाद का उदय हुआ। किसान अपने खेतों पर काम के रूप में सेवा प्रदान  करते थे और जरूरत पड़ने पर वे उन्हें सैनिक सुरक्षा प्रदान करते थे।


2. जनसंख्या के स्तर में होने वाली लंबी अवधि के परिवर्तनों ने किस प्रकार यूरोप की अर्थव्यवस्था और समाज को प्रभावित किया?

उतर - जनसंख्या के स्तर में होने वाली लंबी अवधि के परिवर्तनों ने इस प्रकार यूरोप की अर्थव्यवस्था और समाज को प्रभावित किया की, कृषि में विस्तार के साथ-ही-साथ उससे संबद्ध तीन क्षेत्रों-जनसंख्या, व्यापार और नगरों का विकाश हुआ। यूरोप की तत्कालीन जनसंख्या जो 1000 ई० में लगभग 420 लाख थी, 1200 ई० में बढ़कर 620 लाख और 1300 ई० में बढ़कर 730 लाख हो गई। बेहतर आहार के कारण लोगों की जीवन की अवधि बढ़ गई। 13सदी तक एक औसत यूरोपीय आठवीं सदी की अपेक्षा दस वर्ष ज्यादा जीवन जी सकता था। पुरुषों को बेहतर भोजन मिलता था इस कारण पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों और बालिकाओं की जीवन अवधि लघु होती थी।
कृषि का विस्तार 11वीं शताब्दी में हुआ तथा वह ज़्यादा जनसंख्या का भार सहने में सक्षम हुई तो नगरों की तादाद में पुन: बढ़ोतरी होने लगी। सेवा के बजाय लार्डों को, नगरों में लोग, जिनकी भूमि पर वे बसे थे, उन्हें कर देने लगे। नगरों ने कृषक परिवारों के जवान (युवा) सदस्यों को वैतनिक कार्य और लार्ड के नियंत्रण से मुक्ति की अधिक संभावनाएँ प्रदान कीं। तेरहवीं शताब्दी के अंत तक पिछले तीन सौ वर्षों में उत्तरी यूरोप में तेज ग्रीष्म ऋतु का स्थान तीव्र ठंडी ऋतु ने ले लिया। इस कारण पैदावार की अवधि कम हो गयी तथा ऊँची भूमि पर फसल उगाना मुश्किल हो गया। ऑस्ट्रिया व सर्बिया की चाँदी की खानों के उत्पादन में कमी के कारण धातु में कमी आई और इससे व्यापार प्रभावित हुआ। इसके अतिरिक्त, 1347 और 1350 के मध्य लोग प्लेग जैसी महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए। आधुनिक आकलन के आधार पर यूरोप की आबादी का करीब 20% भाग इस दौरान काल-कवलित हो गया जबकि कुछ स्थानों पर मरने वालों की संख्या वहाँ की जनसंख्या के 40% तक थी। इस प्रकार जनसंख्या में परिवर्तनों के फलस्वरूप यूरोप की अर्थव्यवस्था और समकालीन समाज प्रभावित हुआ।


3. नाइट एक अलग वर्ग क्यों बने और उनका पतन कब हुआ?

उत्तर - 9वीं सदी के यूरोप में दौरान युद्ध अधिक होते रहते थे। इस युद्ध के लिए शौकिया कृषक सैनिक पर्याप्त नहीं थे तथा कुशल अश्वसेना की जरूरत थी। इसने एक नए वर्ग को पैदा किया जिसे नाइट कहा जाता था। वे लार्ड से उस तरह संबद्ध थे जैसे लार्ड राजा से संबद्ध था। लार्ड नाइट को उसकी सुरक्षा का वचन तथा जमीन देता था। उसके बदले में नाइट अपने लार्ड को एक निश्चित धनराशि देता था और युद्ध में उसकी तरफ से लड़ने का वचन देता था। बारहवीं सदी के शुरुआती वर्षों में नाइट समूह का पतन हो गया।


4. मध्यकालीन मठों के प्रमुख कार्य कौन-कौन से थे?

उत्तर - मध्यकाल में चर्च के अलावा धार्मिक गतिविधियों के केंद्र मठ भी थे।आबादी से दूर मठों का निर्माण किया जाता था तथा इन मठों में भिक्षु निवास करते थे। वे प्रार्थना करने के साथ-ही-साथ अध्ययन-अध्यापन तथा कृषि भी करते थे। मठों का प्रमुख काम एक स्थान से दूसरे स्थान तक धर्म का प्रचार-प्रसार करना था। मठों में अध्ययन के अतिरिक्त अन्य कलाएँ भी सीखी जाती थीं। आबेस हिल्डेगार्ड प्रतिभासंपन्न संगीतज्ञ था। उसने चर्च की प्रार्थनाओं में सामुदायिक गायन की परंपरा के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया।  13वीं सदी से भिक्षुओं के कुछेक समूह, जिन्हें फ्रायर कहते थे, मठों में रहने का फैसला किया। चौदहवीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों तक मठवाद के महत्व, उद्देश्यों के बारे में कुछ शंकाएँ व्यक्त की जाने लगीं। मठों के भिक्षुओं का मुख्य कार्य ईश्वर की आराधना करना तथा जनसाधारण को चर्च के सिद्धांतों के विषय में समझाना था। वे जनसामान्य के नैतिक जीवन को ऊँचा उठाने का कार्य करते थे। उन्हें रोगियों की सेवा करने तथा शिक्षित करने का प्रयास करते थे।


संक्षेप में निबंध लिखिए -

5. मध्यकालीन फ्रांस के नगर में एक शिल्पकार के एक दिन के जीवन की कल्पना कीजिए और इसका वर्णन कीजिए।

उत्तर - विद्यार्थी अपने अध्यापक की मदद से स्वयं करने का प्रयास करें।


6. फ्रांस के सर्फ और रोम के दास के जीवन की दशा की तुलना कीजिए।

उत्तर - फ्रांस के सर्फ़ और रोम के दास के जीवन में शोषण की प्रमुखता थी, परन्तु उन दोनों के जीवन-शैली में कुछ अंतर भी मौजूद थे। रोमन समाज के तीन प्रमुख वर्गों में से सबसे निचला दर्जा दास वर्ग का था, जिसे पूर्णरूप से सामाजिक, राजनीतिक स्वतंत्रता और आर्थिक के अधिकारों से भिन्न रखा गया था तथा उसे सामाजिक न्याय की प्राप्ति नहीं थी। रोमन दासों के साथ पशुओं जैसा व्यवहार किया जाता था। उन्हें जीवन की मूलभूत जरूरतों से भी वंचित रखा गया था,लेकिन कालांतर में उच्च वर्ग द्वारा उनके प्रति कुछ सहानुभूति दिखलाई गई। इसके साथ-ही-साथ दास-प्रथा का सबसे बुरा प्रभाव वहाँ के समाज पर पड़ा। दासों को लेकर रोमन समाज में प्राय: संघर्ष होते रहते थे। कई बार मनोरंजन के लिए उन्हें जंगली पशुओं के सामने डाल दिया जाता था। दासों की तत्कालीन दशा बद-से-बदतर थी। फ्रांस में सर्फ़ दास किसान थे तथा यह किसानों का निम्नतम वर्ग था। इनकी समाज में बड़ी संख्या थी और उन पर कई तरह के प्रतिबंध लगे हुए थे। उदाहरणत : उन्हें अपने मालिकों से खेती के लिए भूमि उपज का एक निश्चित भाग उन्हें देना पड़ता था। सफ़ों को अपने भूस्वामियों के खेतों पर बिना पैसे के काम यानी बेगार करना पड़ता था। और मजदूरी दिए बिना ही उनसे मकान बनवाये जाते थे, लकड़ी कटवाई-चिराई की जाती थी, पानी भराने जैसे घरेलू काम भी करवाये जाते थे। यदि वे आजाद या मुक्त होने का प्रयास करते थे तो उन्हें पकड़कर कठोर सजा दी जाती थी। इस तरह रोमन दासों व फ्रांस के सफ़ाँ की जीवन-शैली में कोई विशेष अंतर नहीं था। हम कह सकते हैं कि दोनों का जीवन पशु जैसा ही था।