भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन - पुनरावृति नोट्स

CBSE कक्षा 12 समाजशास्त्र
[भाग-2] पाठ - 6 भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन
पुनरावृत्ति नोट्स

मुख्य बिन्दुः-
  1. भूमंडलीकरण- सामाजिक परिवर्तन का केन्द्रीय बिन्दु है। यह आम लोगों के जीवन को प्रभावित का रहा है। मध्यम वर्ग के लिए रोजगार, खुदरा व्यापार बहुराष्ट्रीय कपनियों द्वारा शुरू करना, बड़े विक्री भंडार, युवाओं के लिए समय बिताने की विधियों तथा अन्य क्षेत्र प्रदान कर रहा है। इससे हमारा सामाजिक व सांस्कृतिक जीवन बदल रहा है। चीन तथा कोरिया से रेशम धागों का आयात करने से बिहार के कामगारों पर प्रभाव, बड़े जहाजों द्वारा मछली पकड़ने के कारण भारतीय मछुआरों पर कुप्रभाव, सूडान से गोंद आने पर गुजरात की औरतो के रोजगार में कमी आ रही है।
  2. क्या भूमंडलीकरण भारत तथा विश्व के लिए नए है- आज से 2000 वर्ष पहले भी भारत, चीन, फ्रांस, रोम से सिल्क रूट द्वारा जुड़ा था। दार्शनिक, व्यापारी, विजेता आदि के रूप में हमारा विभिन्न देशों से सम्बन्ध रहा है। उपनिवेशवाद के बाद इसमे बढ़ोतरी ही हुई है। अन्य देशों में जाकर बसना, मजदूरों को बाहर ले जाना इसका विशेषीकरण पक्ष है। स्वतंत्र भारत में भी आयात निर्थात किसी न किसी रूप में विद्यमान हैं।
  3. भूमंडलीकरण के विभिन्न आयाम- स्वतंत्र भारत ने भूमंडलीय दृष्टिकोण को अपनाए रखा।
    • आर्थिक आयाम
      उदारीकरण की आर्थिक नीति

      उदारीकरण शब्द का तात्पर्य ऐसे अनेक नीतिगत निर्णयों से है जो भारत राज्य द्वारा 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व बाज़ार के लिए खोल देने के उद्देश्य से लिए गए थे।
      उदारीकरण की प्रक्रिया भारतीय अर्थ व्यवस्था के लिए लाभकारी रही है। अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी संस्थाओं से ऋण लेना आवश्यक हो गया है। ये ऋण कुछ विशेष शर्तों पर मिलते है।
    • अर्थव्यवस्था के उदारीकरण का अर्थ था भारतीय व्यापार को नियमित करने वाले नियमों और वित्तीय नियमनों को हटा देना।
    • उदारीकरण की प्रक्रिया के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आई.एम.एफ.) जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से ऋण लेना भी जरूरी हो गया।
    • पार राष्ट्रीय निगम - ये कम्पनिया एक से अधिक देशों में अपने माल का उत्पादन करती है या बाजार में सेवाएं प्रदान करती है। इनके कारखाने उस देश से बाहर भी होते है जिससे ये मूल रूप से जुड़ी होती है। जैसे कोका कोला, पैप्सी, जनरल मोटर, कोड़क, कोलगेट, बाटा आदि।
    • इल्कट्रोनिक अर्थव्यवस्था - कम्यूटर द्वारा या इंटरनेट द्वारा बैंकिंग, निगम, निवेश कर्ता अपनी निधि को अंतराष्ट्रय स्तर पर इधर उधर भेज सकते है।
    • भार रहित या ज्ञानात्मक अर्थव्यवस्था - इसमे उत्पाद सूचना पर आधारित होते है, न कि कृषि तथा उद्योग पर जैसे इन्टरनेट सेवाएं, मनोरंजन के उत्पाद, मीडिया, साफ्टवेयर, आदि वास्तविक कार्य बल भौतिक उत्पादन तथा वितरण में नहीं होता है। यह इनके डिजाईन, विकास, प्रौद्योगिकी, विपणन, बिक्री तथा सर्विस आदि में होता है।
    • वित्त का भूमंडलीकरण
      सूचना प्रद्योगिकी की क्रांति के कारण वित्त का भूमंडलीकरण हुआ है। भूमंडलीय आधार पर एकीकृत वित्तीय बाज़ार इलेक्ट्रानिक परिपथों, कुछ क्षणों में अरबों-खरबों के लेन-देन होते है।
    • पूंजी तथा प्रतिभूमि बाजारों मे 24 घन्टे बाजार चलता रहता है। न्यूयार्क, टोकियो और लन्दन जैसे नगर इसके केन्द्र है। हमारे देश मे मुम्बई देश की वित्तीय राजधानी है।
    • न्यूयार्क, टोकियो और लन्दन जैसे नगर वित्तीय व्यापार के प्रमुख केंद्र है।
  4. भूमंडलीय संचार- इस के कारण बाहरी दूनिया के साथ सम्बन्ध बने है। टेलीफोन, फैक्स, मशीन, डिजीटल तथा केबल टेलीविजिन, इंटरनेट आदि इसमे सहायक बने।
    डिलिटल विभाजन - दुनिया के सम्बन्ध बनाए रखने के बहुत से साधन मौजूद है, लेकिन कुछ जगह ऐसी भी हैं जहाँ ये साधन बिल्कुल भी नही हैं। इसे डिजिटल विभाजन कहा जाता हैं।
  5. भूमंडलीकरण तथा श्रम- भूमंडलीकरण के कारण अंतराष्ट्रीय स्तर पर एक नया श्रम विभाजन पैदा हआ है। इससे तीसरी दुनिया के शहरों में नियन्त्रित निर्माण, उत्पादन व रोजगार दिया जाता है। ‘नाइके’ कम्पनी 1960 के दशक मे जूतों का आयात करने वाली कम्पनी के रूप मे विकसित हुई। इसके मालिक फिल नाईक जापान से जूते आयात करते तथा खेल आयोजनों पर बेचते थे। अब यह कम्पनी बहुराष्ट्रीय कम्पनी बन गई नाईक ने दक्षिण कोरिया में उत्पादन शुरू किया। इसी प्रकार 1980 में थाईलैंड व इंडोनेशिया तथा 1990 भारत में उत्पाद शुरू कर दिया।
    फोर्डवाद - एक केन्द्रीय स्थान पर विशाल पैमाने पर उत्पादन फोर्डवाद कहलाती है।
    फोर्डवादोत्तर:- केन्द्रीय स्थान की बजाय अलग-अलग स्थानों पर उत्पादन लचीली प्रणाली पोस्ट फोर्डवाद (फोर्डवादोत्तर) कहलाता है।
    विभिन्न नगरों में काल सेन्टर आदि के कारण रोजगार बढ़े है वहीं गाँव व दूर दराज के स्थानों पर रोजगार कम हुए है। गरीबी ऊंची हुई है।
  6. भूमंडलीकरण व राजनीतिक परिवर्तन- समाजवादी विश्व का विघटन एक बड़ा राजनीतिक परिवर्तन था। इसके कारण भूमंडलीकरण की प्रक्रिया की गति काफी बढ़ गई है। इससे एक विशेष आर्थिक व राजनीतिक दृष्टिकोण बना है। इन परिवर्तनों को ‘नव उदारवादी उपाय कहते है।’
    भूमंडलीकरण के साथ ही एक अन्य राजनीतिक घटनाक्रम भी हो रहा है। वह है राजनीतिक सहयोग के लिए अन्तराष्ट्रीय तथा क्षेत्रिय रचना तन्त्र। जैसे यूरापीय संघ (E.U.) दक्षिण एशियाई राष्ट्रसंघ (एशियान), दक्षिण एशियाई व्यापार संघ (बोर्डस)
    अन्तराष्ट्रीय सरकारी तथा गैर सरकारी संगठनों का उदय भी राजनीतिक आयाम प्रस्तु करता है। अतः सरकारी संगठन सहभागी सरकारो के विशिष्ट पारराष्ट्रीय कार्यक्षेत्र का प्रबंध करता है। जैसे विश्व व्यापार संघ व्यापार नियमों पर निगरानी रखता है। अन्य उदाहरण है - ग्रीनपीस, रेडक्रास, एम्नस्टी इंटरनेशनल, फ्रंटियरिस डॉक्टर्स विदाउट बोर्डस।
  7. भूमंडलीकरण तथा संस्कृति - पिछले दशकों में काफी सांस्कृतिक परिवर्तन हुए है, जिसके कारण यह डर पैदा हो गया है कि कहीं हमारी संस्कृति पीछे न रह जाए, परन्तु आज भी हमारा देश मे राजनीतिक व आर्थिक मुद्दों के अलावा कपड़ों, शैलियों, संगीत फिल्स, हावभाव, भाषा आदि पर खूब बहस होती है।
  8. सजातीयकरण बनाम संस्कृति का भूस्थानीय करण (ग्लोकलाइजेशन)- यह माना जाता है कि कुछ समय बाद सब संस्कृतियां एक समान हो जाएगी, कुछ मानते है की संस्कृति का भूस्थानीयकरण की प्रवृति बढ़ रही है अर्थात भूमंडल के साथ स्थानीय मिश्रण, मैंकडोनाल्ड (McD) भी भारतीयों की परम्परा के अनुसार उत्पाद बेचता है। संगीत के क्षेत्र में भी भांगड़ा पोप, इंडियाफ्यूजन म्यूजिक आदि की लोकप्रियता बढ़ रही है। इस प्रकार भूमंडलीकरण के कारण स्थानीय परम्पराओं के साथ-साथ भूमंडलीकरण परम्पराएं भी पैदा हो रही है।
  9. लिंग तथा संस्कृति- परम्परागत संस्कृति का समर्थन करने वाले कुछ व्यक्ति महिलाओं के प्रति भूमंडलीकरण का प्रभाव नकारात्मक मानते है। फैशन व खुलापन की सांस्कृतिक पहचान के नाम पर विरोध करते है तथा शंकालु बनाते है सौभाग्य से भारत अपनी लोकतान्त्रिक परम्परा कायम रखते हुए समावेशात्मक नीति विकसित करने मे सफल रहा है।
  10. उपयोग की संस्कृति- सांस्कृतिक उपभोग (कला, फैशन, खाद्य, संगीत) नगरीं की वृद्धि की आकार देता है। भारत के बड़े शहरों में बड़े-बड़े शापिग माल, मल्टीप्लेक्स सिनेमाघर, मनोरंजन, उद्यान, जल क्रीड़ास्थल (Water Pump) आदि इसके उदाहरण है।
    मिस वर्ल्ड, मिस इंडिया आदि प्रतियोगिताओं के कारण सौंदर्य प्रसाधन व स्वास्थ्य उत्पादों की बिक्री बढ़ी है।
  11. निगम संस्कृति (कॉरपोरेट) - प्रबंध सिद्धान्त जिसमें फर्म के सभी सदस्यों को साथ लेकर एक विशेष संगठन की संस्कृति का निमार्ण करके उत्पादकता और प्रतियोगिता का बढ़ावा देते है। इससे कम्पनी के कार्यक्रम रीतियाँ, तथा परंपराएँ शामिल है। ये कर्मचारियों में वफादारी व एकता को बढ़ाती हैं।
  12. स्वदेशी शिल्प, साहित्यिक परम्पराओं व ज्ञान व्यवस्थाओं को खतरा- भूमंडलीकरण के कारण हमारी साहित्यिक पराम्पराओं एवं ज्ञान व्यवस्थाओं पर भी कुप्रभाव आए है। जैसे - कपड़ा मिले (बम्बई) बन्द होने के कारण थिएटर समुह समाप्त या निष्क्रिय हो गए है लेकिन कृषि, स्वास्थ्य संबंन्धी परम्परा गत ज्ञान सुरक्षित रखे जाते है। तुलसी, हल्दी, बासमती चावल, रूद्राक्ष आदि को विदेशी कम्पनियों पेटेन्ट कराने की कोशिश करती रहती है।
    इसी तरह से डोमबारी समुदाय की हालत भी काफी खराब हो चुकी है। इनके करतब आज कल प्रसन्द नहीं किए जाते क्योकि अन्य मनोरंजन के साधन उपलब्ध है।