भक्ति सूफी परंपराएँ धार्मिक विश्वासों में बदलाव और श्रद्धा ग्रंथ-महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

सीबीएसई कक्षा -12 इतिहास
महत्वपूर्ण प्रश्न
पाठ - 6
भक्ति सूफी परंपराएँ


2 अंक के प्रश्न-


प्र-1 भक्ति आंदोलन का क्या अर्थ है।

उत्तर- कई हिन्दू संतो और सुधारको ने धार्मिक सुधार लाने के लिए आंदोलन चलाए जो भक्ति आंदोलन के नाम में प्रसिद्ध हुआ। अपनी भक्मि को दर्शाने के लिए मंदिरो में देवताओ के समक्ष उनकी स्तुति में गीतो के माध्यम से लीन हो जाते थे।


प्र-2 अलवार कौन थ ?

उत्तर- दक्षिण भारत के विष्णु की उपासना करने वालो को अलवार कहा जाता था।


प्र-3 भक्ति आंदोलन के चार प्रसिद्ध संतो के नाम लिखे

उत्तर- रामानन्द स्वामी, कबीर, गुरूनानक देव, मीरा बाई


प्र-4 सूफीवाद से आप क्या समझते है ?

उत्तर- सूफी मत के मूल सिद्धान्त कुरान और हजरत मुहम्मद की हदीस से मिलते है सूफी शब्द मुस्लिम संतो के लिए प्रयोग किया जाता है। सुफियो ने कुरान की व्याख्या अपने के आधार पर की। सूफी संतो के विचारो को सूफी वाद कहा जाता है।


प्र-5 सूफी विचार धारा में मुर्शीद का क्या महत्व है ?

उत्तर- सूफी विचार धारा के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति का कोई धार्मिक गुरू (मुर्शीद) होना चाहिए जो कि उसका ईश्वर से संपर्क करवा सके। उनके आनुसार जिन व्यक्तियो का कोई गुरू अथवा मुर्शीद नही उनका कोई धर्म नही।


5 अंक के प्रश्न-

प्र-6 भक्ति आंदोलन के उदय के कारणों का विवरण दीजिए ।

उत्तर- 1- वैष्णव मत का प्रभाव

2- हिन्दु धर्म की त्रुटियाँ

3- इस्लाम के फैलने का भय

4- सूफी मत का प्रभाव

5- महान सुधारको का उदय


प्र-7 भक्ति आंदोलन के मूल सिद्धान्त पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- 1- एक ईश्वर में विश्वास

2- शुद्ध कार्य करना

3- विश्व भातृत्व की भावना पर बल देना

4- प्रेम भाव से पूजा करना

5- मूर्ति पूजा का खंण्डन करना

6- जात पात का खंण्डन करना

7- गुरू भक्ति करना


प्र-8 भक्ति आंदोलन के प्रभाव और महत्व की चर्चा करें।

उत्तर- धार्मिक प्रभाव

1- हिन्दू धर्म की रक्षा

2- ब्राहमणें के प्रभाव में कमी

3- इस्लाम के प्रसार में वाध

4- सिख मत का उदय

5- बौद्ध मत का पतन

सामाजिक तथा सांस्कृतिक प्रभाव-

1- हिन्दू, मुसलमानो के सामाजिक सम्बन्धो मे सुधार।

2- निम्न वर्ग में सुधार

3- समाज सेवा की भावना को प्रोत्साहन

4- लोगो में मिश्रण कला का विकास

5- साहित्यिक विकास


प्र-9 सूफी मत के मुख्य सिद्धान्त क्या थे ?

उत्तर- 1- अल्लाह से प्रेम

2- सांसारिक सुखो का त्याग

3- अहिसां तथा शांतिवाद में विश्वास

4- मानवता से प्रेम

5- मुर्शीद की महत्ता

6- भौतिक सिद्धान्त

7- अल्लाह की भक्ति में संगीत तथा नृत्य का महत्व


प्र-10 अलवारो एवं नयनारो का जाति के प्रति क्या दृष्टि कोण था।

उत्तर- नयनारो तथा अलवारो ने जाति प्रथा ब्राहमणों की सर्वोंच्चता के विरूद्ध सुधार के लिए प्रवल आंदोलन चलाया। भक्ति आंदोलन के सुधारक भिन्न भिन्न जातियों से सम्बन्ध रखते थे। कुछ लोग निचली जातियों जैसे किसानो मिस्त्रियों तथा अछुत जातियों से थे। कुछ ब्राहमण जाति से भी थें। उनका विश्वास था कि उनकी धार्मिक पुस्तके उतनी ही महान थी जितना कि वेद। अलवारो के तमिल भजन सच्चाई और पवित्रता के गहरे विचारो से भरे हुए है उनको वैष्नौ वेद जाना जाता है नयनारो का भजन आध्यात्मिकता से भरे है। उनके भजन दक्षिण भारत में शिव के सम्मान में गाये जाते है।


10 (8+2) अंक के प्रश्न

प्र-11 कबीर की शिक्षाओ की व्याख्या कीजिये । उन्होने अपनी कविताओं के माध्यम से ‘‘परम सत्य’’ का वर्णन किस प्रकार किया है।

उत्तर- 1- कबीर ने आध्यत्यिकता पर बल दिया

2- उन्होने हिन्दू और मुसलमन दोनो की रूढियों की कटु अलोचना की।

3- कबीर ने ईश्वर की एकता पर बलदिया।

4- मूर्ति पूजा, तीर्थ यात्रा एवं अन्य आड़म्बरों की आलोचना की।

5- सती प्रथा और पर्दा प्रथा का विरोध किया।

6- अच्छे कर्मो का फल अवश्य मिलता है।

7- उन्होने परमात्मा को निराकार बताया है।

8- उनके अनुसार भक्ति के माध्यम से मोक्ष अर्थात मुक्ति प्राप्त हो सकती है।

‘‘परम सत्य’’ का विस्तार

1. विभिन्न परिपाटियों का सहारा लेना

2. इस्लामी दर्शन से प्रभावित होकर सत्य को अल्लाह, खुदा, हजरत और पीर कहते है।

3. वेदांत दर्शन से प्रभावित होकर सत्य को अलख, निराकार, ब्रम्हन और आत्मन कह कर भी सम्बोधित करते है।


प्र-12 स्त्रोत पर आधारित प्रश्न एवं उत्तर-

निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़िए तथा उस पर आधारित प्रश्नो के उत्तर दीजिए।

यह उद्वरण उस फरर्मान (बादशाह के हुक्म नामे) का अंश है । जिसे 1598 में अकबर ने जारी किया

हमारे बुलंद और मुकंद्स (पवित्र) जे़हन में पहुचा है कि यीशु की मुकंदस जमात के पादरी खम्बायत गुजराज के शहर में इबादत के लिए (गिरजाघर) एक इमारत की तामीर (निर्माण) करना चाहते है । इसलिए यह शाही फरमान ........ जारी किया जा रहा हैं ............ खम्बायत के महानुभाव किसी भी तरह उनके रास्ते में न आए और उन्हें गिरजाघर की तामीर करने दे जिससे वे, अपनी इबादत कर सकें । यह जरूरी है कि बादशाह के इस फरमान की हर तरह से तामील (पालन) हो ।

प्र-1. यह उद्वरण कहाँ से लिया गया है ? (2)

प्र-2. इस फरमान द्वारा अकबर ने गुजरात के लोगों को क्या आदेश दिया ? (2)

प्र-3. यह आदेश अकबर की किस धार्मिक प्रवृत्ति को दर्शाता है? (2)

प्र-4. वे कौन से लोग थे जिनकी ओर बादशाह के फरमान को न मानने की आंशका थी? (2)

उत्तर- 1. यह उद्वरण सम्राट अकबर के उस फरमान से लिया गया हैं जो उन्होंने 1598 में जारी किया था

उत्तर- 2. इस फरमान के द्वारा अकबर ने गुजरात के लोगों को आदेश दिया कि वे उस ईसाई पादरी को गिरजाघर बनाने दें जो उसे बनाना चाहते हैं ।

उत्तर- 3. यह आदेश अकबर की धार्मिक सहनशीलता की प्रवृत्ति को दर्शाता हैं कि वह सभी धर्मो का समान आदर करता था ।

उत्तर- 4. बादशाह को आंशका थी कि संभवतः गैर ईसाई इस फरमान को न माने ।