खेलों में योजना - पुनरावृति नोट्स

CBSE कक्षा 12 शारीरिक शिक्षा
पाठ - 1 खेलों में योजना
पुनरावृत्ति नोट्स

मुख्य बिंदु-
  1. योजना का अर्थ एवं उद्देश्य
  2. विभिन्न समितियों व उनके उत्तरदायित्व
  3. टूनामेन्ट्स-नॉकआउट, लीग या राउंड रॉबिन व कॉम्बीनेशन्स
  4. फिक्स्चर तैयार करने की प्रक्रिया-नॉक-आउट (बाई व सीडिंग) लीग (साइक्लिक वह स्टेयर केस)
  5. संस्थान्तर्गत प्रतियोगिता व अंतर्विद्यालयी प्रतियोगिता, अर्थ, उद्देश्य व इसका महत्त्व
  6. विशिष्ट खेल कार्यक्रम
  1. योजना का अर्थ:- हर्रे के अनुसार: "योजना व्यक्तित्व तथा खेल प्रदर्शन के निरंतर विकास को सुननिश्चित करने तथा उच्च प्रदर्शन प्राप्त करने में खिलाड़ी को योग्य बनाने की एक महत्वपूर्ण विधि है।" खेल कार्यक्रमों की योजनाओं में धन, समय व उपकरणों की उपलब्धता की अलावा मानवीय सहयोग (कर्मचारी, अधिकारी व खेल विशेषज्ञ) की आवश्यक्ता पड़ती है। उन्ही के आधार पर योजना बनाई जाती है।
    उद्देश्य
    • अनिश्चिता को दबाव को कम करना
    • अच्छा तालमेल होना
    • सभी गतिविधियों पर नियंत्रण होना
    • कार्य-कुशलता को बढ़ाना
    • गलतियों की संभावनाओं को कम करना
    • रचनात्मकता को बढ़ावा देना
    • खेल-प्रदर्शन को बढ़ावा देना
  2. विभिन्न समितियाँ व उनके उत्तरदायित्व (प्रतियोगिता से पूर्व, दौरान, बाद में) प्रशासनिक निदेशक कार्यकारिणी समिति
    प्रतियोगिता से पूर्व
    प्रतियोगिता के दौरान
    प्रतियोगिता के बाद
    आयोजन समिति
    आयोजन समिति
    प्रचार समिति
    प्रचार समिति

    क्रय समिति
    क्रय समिति
    क्रय समिति
    वित्तीय समिति
    आवास तथा खान पान समिति
    परिवहन समिति
    परिवहन समिति
    सजावट व समारोह समिति
    भोजन तथा आवास समिति
    भोजन तथा आवास समिति
    यातायात समिति
    अधिकारियों के लिये समिति
    अधिकारियों के लिये समिति
    खेल मैदान व उपकरण समिति
    खेल मैदान व उपकरण समिति
    खेल मैदान व उपकरण समिति
    वित्तीय समिति
    प्रतियोगिता कार्यक्रम समिति
    प्रतियोगिता कार्यक्रम समिति
    प्रतियोगिता कार्यक्रम समिति
    प्राथमिक चिकित्सा समिति
    प्राथमिक चिकित्सा समिति
    अधिकारियों के लिए समिति
    सजावट तथा समारोह समिति
    पुरस्कार विवरण समिति
    प्राथमिक चिकित्सा समिति
    उद्घोषणा समिति
    आयोजन समिति
  3. टूर्नामेंट: टूर्नामेंट मैचों की वह श्रृंखला है, जिसके अंत में एक टीम विजयी होती है तथा बाकी सभी टीमें मैच हार जाती हैं। टूर्नामेंट आयोजन की अनेक विधियाँ हैं जो अनेक कारकों पर निर्भर करती हैं, जैसे-धन तथा समय की उपलब्धता, उपलब्ध मैदान, उपकरण व खेल अधिकारियों की संख्या।
    नॉक आउट : इस प्रकार की प्रतियोगिता में जो टीम हार जाती है, वह बाहर हो जाती है। केवल जीतने वाली टीमें ही प्रतियोगिता में बनी रहती है।
    लीग : लीग टूर्नामेंट में भाग लेने वाली प्रत्येक टीम, दूसरी टीम के साथ एक बार मैच अवश्य खेलती है। विजेता टीम हार जीत से प्राप्त होने वाले अंकों के आधार पर घोषित होती है।
    बाई : नॉक-आउट टूर्नामेंट में भाग लेने वाली टीमों की संख्या यदि 2 के गुणकों में नहीं है, तो मैच सुनिश्चित करने के लिए टीमों की बाई दी जाती है। बाई मिलने पर टीम सीधा दूसरे राउंड में प्रवेश कर जाती है।
    सीडिंग : इस प्रणाली में मजूबत टीमों का चयन करके, फिक्सचर में उचित स्थान पर रखा जाता है, ताकि शुरूआती मैच में ही अच्छी टीमें न भिड़े और टूर्नामेंट से बाहर न हो जाएँ।
    इन्ट्राम्यूरल्स : किसी भी विद्यालय, कॉलेज या संस्थान के परिसर के अंदर, उन्हीं के विद्यार्थियों के लिए आयोजित की जाने वाली खेल-कूद प्रतियोगिताओं को इन्ट्राम्यूरल्स कहा जाता है।
    एक्स्ट्राम्यूरल्स : वे स्पर्धाएँ या प्रतियोगिताएँ हैं जिनमें दो या उससे अधिक विद्यालयों के खिलाड़ी भाग लेते हैं, उन्हें एक्स्ट्राम्यूरल्स कहा जाता है जैसे-क्षेत्रीय प्रतियोगिता, ओपन स्टेट टूर्नामेंट, सी.बी.एस.ई. समूह प्रतियोगिता आदि।
  4. फिक्सचर तैयार करने की प्रक्रिया :
    1. (नॉक आउट)
    • चरण 1:- टीमों को 2 अर्ध में विभाजित करते है वरिष्ट अर्ध (Upper-half) तथा कनिष्ठ अर्ध (lower-half) परन्तु जब टीमें 16 से ज्यादा होती है तो उन्हें हम अर्ध के साथ-साथ र्क्वाटर (Quater) में भी टीमों को बांटते है।
    • चरण 2:- सबसे पहले हम यह देखते है कि कुल टीम जिनके लिये फिक्सचर तैयार करना है 2 की पॉवर में है भी या नहीं अर्थात 2,4,8,16,32,64,128...... आदि में से अथवा नहीं
    • चरण 3:- यदि टीमो को कुल संख्या 2 की पॉवर में नहीं है तो बाई दी जाएगी अन्यथा बाई नहीं दी जाएगी।
    • चरण 4:- बाई की गणना सूत्र के अनुसार कीजिए तथा सूत्र के अनुसार ही उन्हें स्थापित कीजिए
    • चरण 5:- मैच करवाइये, जिन टीमो को बाई मिली है वे सीधे दूसरे चक्र (Round) में खेलेगीं जिन टीमो के मध्य मैच हो वे पहले राऊँड में होनी चाहिए।
    • चरण 6:- यदि टीमों को क्वॉटर में भी बांटा गया है तो वरिष्ठ अर्ध (Upper-half) की बाई अलग से स्थापित की जाएगी तथा कनिष्ठ अर्ध (Lower-half) की बाई अलग से स्थापित की जाएगी।
    • चरण 7:- सीडिंग यदि दी जा रही है तो बाई की गणना कुल टीमों की संख्या में से सीडिंग दी गई टीमों की संख्या को घटाने के उपरांत की जाएगी।
    • सूत्र 1:- कुल मैचो की संख्या = कुल टीमों की संख्या - 1
    • सूत्र 2:- कुल चक्रो (Rounds) की संख्या को ज्ञात करने के लिये हमें 2 को तब तक 2 से गुण (2×2×2×2----) करनी चाहिए जब तक कि गुणनफल या तो कुल टीमों की संख्या के बराबर हो जाये अथवा उससे ज्यादा हो जाये उसके उपरांत गुणनफल में संख्या 2 की आवृति देख ले उतने ही चक्र (Round) खेले जाएगें।
    • सूत्र 3:- कुल बाई = कुल टीमों से अगली 2 की पावर - कुल टीमो की संख्या
    • सूत्र 4:- यदि कुल टीमों की की संख्या (सम) हो
    • सूत्र 5:- यदि बाई की संख्या सम हो तो

      यदि बाई की संख्या विषम हो तो
    • सूत्र 6:- कुल टीमो की संख्या को क्वार्टर में बांटने के लिये टीमों की कुल संख्या को चार से भागे देते है तथा नीचे दी सूची का उपयोग करते है।

      क्वार्टर No.1 में टीमें
      क्वार्टर No.2 में टीमें
      क्वार्टर No.3 में टीमें
       क्वार्टर No.4 में टीमें
      यदि शेषफल (R) = 0
      भागफल (Q)
      भागफल (Q)
      भागफल (Q)
      भागफल (Q)
      यदि शेषफल (R) = 1
      भागफल (Q+1)
      भागफल (Q)
      भागफल (Q)
      भागफल (Q)
      यदि शेषफल (R) = 2
      भागफल + 1 (Q+1)
      भागफल (Q)
      भागफल + 1 (Q+1)
      भागफल (Q)
      यदि शेषफल (R) = 3
      भागफल + 1 (Q + 1)
      भागफल + 1 (Q+1)
      भागफल + 1 (Q+1)
      भागफल (Q)
    • सूत्र 7:- बाई देने की विधि
      - प्रथम बाई कनिष्ठ अर्ध (Lower half) की अंतिम टीम को दी जाती है।
      - दूसरी बाई वरिष्ठ अर्ध (Upper half) की प्रथम टीम को दी जाती है।
      - तीसरी बाई कनिष्ठ अर्ध (Lower half) को प्रथम टीम को
      - चौथी बाई वरिष्ठ अर्ध को अतिम टीम को दी जाती है।
      - उसके उपरांत इसी क्रम के अनुसार आगे की बाईयों को स्थापित किया जा सकता है।
    1. फिक्चर तैयार करने की विधि (लीग टूर्नामेंट)
      फिक्चर तैयार करने की विधि (लीग टूर्नामेंट)
      स्टेयरकेस विधि
      (Staircase Method)
      साईक्लिक विधि
      (Cyclic Method)
      पहले टीम नं. 1 के मैच सभी टीमों से करवाते हैं फिर टीम न. 2 के सभी टीमों के साथ इसी प्रकार सभी टीमों के साथ मैच करवाये जाते हैं।
      यदि टीमों की कुल संख्या विषम हो तो कुल चक्र (Total Round) = टीमों की कुल संख्या
      यदि टीमों की कुल संख्या सम हो तो कुल चक्र (Total Round) = टीमों की कुल संख्या - 1
      - टीमों को इस प्रकार से घड़ी की सुई की दिशा में घुमाईये कि उनके जोड़े बन जाएं।
      - यदि टीमों की कुल संख्या विषम हो तो जोड़े बनाने के लिए Bye को शामिल किया जाता है तथा उसके उपरांत जोड़े बनाए जाते हैं।
      - यदि टीमों की कुल संख्या सम हो तो नं. 1 को फिक्स करते हैं।
      - यदि टीमों की कुल संख्या विषम हो तो Bye को फिक्स करते हैं।
      - उसके उपरांत हर चक्र (Round) के मैच स्थापित करने के लिए टीमों को घड़ी की सूई की दिशा में घुमाया जाता है।
    2. कॉम्बिनेशन टूर्नामेंट (Combination Tournaments)- कॉम्बिनेशन टूर्नामेंट में नॉक आउट व लीग दोनों प्रकारों के मैच खेले जा सकते हैं। यह पद्धति उस समय अपनाई जाती है। जब प्रतियोगी टीमें बहुत लम्बे-चौड़े क्षेत्र में (पूरे देश में) फैली हुई हों व उन सभी का एक स्थान पर इक्ट्ठे होकर खेलना मुश्किल हो। ऐसी स्थिति में उन टीमों को चार या छः जोन में विभाजित करके इनके जोन वाइज मैच कराये जाते हैं तथा प्रत्येक जोन के विजेताओं का इन्टर जोन (राष्ट्रीय) स्तर पर मैच आसानी से कराया जा सकता है। इस प्रकार से यह प्रतियोगिता दो स्तरों (प्रथम जोनल व द्वितीय इन्टर जोनल) पर खेली जाती है। टीमों की संख्या व समय की उपलब्धता के आधार पर इस प्रतियोगिता के दोनों स्तरों पर निम्नलिखित कॉम्बिनेशन हो सकते हैं। 1. नॉक-आउट कम-नॉक-आउट, 2. लीग कम लीग, 3. नॉक आउट कम लीग, 4. लीग कम नॉक आउट।
  1. नॉक-आउट कम नॉक- आउट-कोम्बिनेशन के इस प्रकार में सभी टीमों को चार जोन में विभाजित कर दिया जाता है। प्राथमिक मैचों में सभी चारों जोनों की टीमें नॉक आउट सिस्टम से खेलती हैं। प्रत्येक जोन से विजेता टीम पुनः नॉक आउट पद्धति से द्वितीयक मैच या इन्टर जोनल मैच खेलती है। चारों में से जो टीम जीतती है, वह इन्टनर जोनल की फाइनल विजेता होती है।
    उदाहरण-
    नॉक-आउट सिस्टम से जोनल टूर्नामेंट-

    इस प्रकार से जोन A से न. 3, जोन B से न. 7, जीन C से न. 9, जीन D से न. 13 टीम विजयी है। अब इन सभी चार जोनल विजेताओं का द्वितीयक मैच या इन्टर जोनल मैच भी नॉक-आउट पद्धति से ही होगा।
    नॉक-आउट सिस्टम से इन्टर जोनल टूर्नामेंट
  2. लीग कम लीग (League Tournaments)- कॉम्बिनेशन के इस प्रकार में सभी टीमों को चार जोन में विभाजित कर दिया जाता है। सभी टीमें अपने-अपने जोन में लीग सिस्टम से जोनल मैच खेलती हैं। चारों जीनों से चार विजेता टीमें लीग सिस्टम से ही इन्टरजोनल मैच खेलती हैं।
    उदाहरण-
    लीग आधार पर जोनल टूर्नामेंट

    इस प्रकार से जोन A से न. 3, जोन B से न. 7, जीन C से न. 9, जीन D से न. 13 टीम विजयी रही है। अब इन सभी चार जोनल विजेताओं का द्वितीयक मैच या इन्टर जोनल मैच भी लीग आधार से ही होगा।
    लीग आधार पर इन्टर जोनल टूर्नामेंट

    इन्टर जोनल मैच को दोनों आधार से समझा दिया गया है। जिससे हमें पता चलता है कि टीम नं. 9 जो कि जोन C से है। इन्टर जोनल टूर्नामेंट की विजेता (चैम्पियन) है।
  3. नॉक-आउट कम लीग (Knock-out cum League)- कॉम्बिनेशन के इस प्रकार में भी प्रथम सभी टीमों को चार जोन में विभाजित किया जाता है। सभी टीमें अपने-अपने जोन से नॉक आउट पद्धति से जोनल मैच खेलती है।
    इस प्रकार प्रत्येक जोन से एक टीम विजेता बनती है। चारों जोनों की चार विजेता टीमें लीग आधार पर इन्टरजोनल मैच खेलती है। इन्टर जोनल मैच से विजेता टीम चैम्पियन बनती है।
    उदाहरण-
    नॉक-आउट आधार पर जोनल टूर्नामेंट

    इस प्रकार चारों जोन AB, C,D, से विजेता टीमें क्रमश: 3,79, व 13 अपना इन्टर जोनल मैच लीग आधार पर खेलेगी।
  4. लीग कम नॉक-आउट (League cum Knock-out)- कॉम्बिनेशन के इम प्रकार में भी सबसे पहले सभी टीमों को चार जोन में विभाजित कर लिया जाता है। सभी टीमें अपने-अपने जोन में लीग पद्धति से जोनल मैच खेलती हैं इसके उपरान्त चारों जोन की विजेता टीमें नॉक-आउट पद्धति से इन्टर जोनल मैच खेलती है।
    उदाहरण-
    लीग आधार पर इन्टर जोनल टूर्नामेंट

    नाक-आउट आधार पर इन्टर जोनल टूर्नामेंट
  1. संस्थान्तर्गत (Interamural) प्रतियोगिता: संस्थान्तर्गत का अर्थ है संस्था को अंर्तगत अर्थात इसका अर्थ है संस्था की दीवारों या केम्पस के अन्दर होने वाली क्रियाकलापे। ये क्रियाकलापे केवल संस्था या स्कूल के विद्यार्थियों के लिए ही आयोजित की जाती है। इन गतिविधियों में दूसरे विद्यालय का कोई भी विद्यार्थी भाग नहीं ले सकता। वास्तव में संस्थान्तर्गत प्रतियोगिता एक संस्थान के सभी विद्यार्थियों को खेलों में भाग लेने के लिए अभिप्रेरित करने वाले सर्वोत्तम साधनों में से एक है। “प्रत्येक विद्यार्थी प्रत्येक खेल के लिए है तथा प्रत्येक खेल प्रत्येक विद्यार्थी के लिए है” यह संस्थान्तर्गत का आदर्श वाक्यांश हो सकता है इसमें कोई सन्देह नहीं है कि नियमित शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम विद्यार्थियों में अच्छी आदतों, कौशलो, ज्ञान व अन्य सामाजिक गुणों को विकसित कर रहे हैं।
    संस्थान्तर्गत का महत्त्व:- संस्थान्तर्गत गतिविधियाँ विद्यालय या संस्थान की प्रत्येक कक्षा के प्रत्येक विद्यार्थी के लिए आवश्यक होती है। निम्न बिन्दु इसके महत्व को प्रदशित करते हैं।
    1. विद्यार्थियो को शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक व सामाजिक विकास को लिए इन्ट्राम्यूरल्स अतिआवश्यक है।
    2. ये कार्यक्रम विद्यार्थियों के आचरिक व नैतिक मूल्यों पर भी बल देते है।
    3. संस्थान्तर्गत प्रतियोगिताएँ बच्चों के स्वास्थ्य के विकास के लिए आवश्यक है।
    4. ये कार्यक्रम बच्चों की लड़ाकू प्रवृत्ति को शान्त करने के लिए भी जरूरी है।
    5. ये कार्यक्रम बच्चों को तरोताजा रखते है तथा उन्हें चुस्त (Agile) बनाते है।
    6. संस्थान्तर्गत प्रतियोगिताएँ बच्चों को अधिक से अधिक मनोरजन प्रदान करते हैं।
    7. विद्यार्थियों को खेलों में भाग लेने के प्रचुर अवसर प्रदान करते है।
    8. विद्यार्थियों में नेतृत्व के गुणों को विकसित करने के लिए भी आवश्यक होते है।
  2. अंतर्विद्यालयीन प्रतियोगिता (एक्ट्राम्यूरल) का अर्थ (Meaning of Extramural)
    एक्स्ट्राम्यूरल शब्द लैटिन भाषा को दो शब्दो 'एक्स्ट्रा' अर्थात् 'बाहर' 'म्यूरिल' अर्थात् 'चहारदीवारी' से मिलकर बना है। इस प्रकार से इसका शाब्दिक अर्थ हुआ चाहरदीवारी को बाहर। अर्थात् "वह खेल गतिविधियाँ जो विद्यालय को चहारदीवारी अर्थात् कैम्पस् से बाहर खेली जाती है। एक्स्ट्राम्यूरल या अंतर्विद्यालयीन प्रतियोगिताएँ कहलाती हैं।"
    अन्तर्विद्यालयीन प्रतियोगिता के अंतर्गत खेल-कूद प्रतियोगिताओं का आयोजन दो या दो से अधिक विद्यालय के बीच होता है। इस प्रकार के आयोजन से विद्यालयों में तथा विद्यार्थियों में पारस्परिक संबंध स्थापित होते हैं। इनसे विद्यालय और विद्यार्थी, विजय प्राप्त करके समाज में अपना गौरव प्राप्त करते हैं। यह कौशल विद्यार्थी, विद्यालय से सीखते हैं।
    इससे विद्यालय के प्रति अभिमान जागृत होता है। सभी विद्यालय और संस्थाएँ समाज में अपने आपको लोकप्रिय बनाना चाहते हैं जिसका एक मात्र माध्यम, अंतर्विद्यालयीन प्रतियोगिताएँ हैं। अन्तर्विद्यालय प्रतियोगिताओं के उददेश्य (Objectives of Extramural Competition) अन्तर्विद्यालय प्रतियोगिताओं के कई उद्देश्य होते हैं जिनमें से कुछ का वर्णन निम्नलिखित है-
    1. खेलों के स्तर में वृद्धि करना (To Improve the Standard of Sport)- अन्तर्विद्यालय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने से विद्याथीं अपने विशेष खेल की तकनीकों तथा युक्तियों में कुशल हो जाते हैं। इस प्रकार यह खेल प्रतियोगिताएँ खेलों के स्तर में वृद्धि कराने में मददगार साबित होती हैं।
    2. खेल भावना व भाईचारे को विकसित करना (To develop fratermity and sport manship)- खेल तथा भाईचारे को बढ़ावा देना तथा इस भावनात्मक गुण का विकास करना इस खेल प्रतियोगिता का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है। इन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के परिणामस्वरूप विद्यार्थी में खेल भावना व भाईचारे का विकास होने लगता है।
    3. विद्यार्थियों को अनुभव प्रदान करना (To provide experience to student)- संस्थान्तर्गत प्रतियोगिताओं में चयननित खिलाड़ी अन्तरर्विद्यालयीन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर विशेष अनुभव प्राप्त करते हैं जिससे विद्यार्थियों के खेल का स्तर बढ़ता है तथा वह अगले स्तर को प्राप्त करने का प्रयास करते है।
    4. नये नियमों व नवीनतम तकनीकों की जानकारी प्राप्त करना (To receive the knowledge of new rules and advance techniques)- इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे विद्यार्थियों की विभिन्न खेलों के नियमों के बारे में उचित ज्ञान प्राप्त होता है तथा वह नवीन तकनीकों व युक्तियों को सीखते हैं जिनके परिणामस्वरूप वह पहले से अधिक कुशल हो जाते हैं तथा अपने खेलों के स्तर व प्रदर्शन को सुधार लेते हैं।
    5. खेल पर्यटन को बढ़ावा देना (To Improve Sports Tourism)- खेलों के माध्यम से जो दर्शकों, खिलाड़ियों ऑफिशियलों को राज्य, देश या विदेशों में विभिन्न जगहों पर घूमने का मौका मिलाता है। खेल के माध्यम से पर्यटन को जो बढ़ावा मिलता है। इसको खेल पर्यटन कहते है। एक्स्ट्राम्यूरल्स का एक उद्देश्य खेल पर्यटन को बढ़ावा देना भी है।
  • अन्तर्विद्यालयीन प्रतियोगिताओं (एक्स्ट्राक्यूरल्स) का महत्व (Importance of Extranural)
    शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम तब तक अधूरे रहते हैं जब तक कि उनमें अन्तर्विद्यालयीन प्रतियोगिताओं को शामिल न किया जाए। इन प्रतियोगिताओं के महत्व को निम्नलिखित रूप से समझ सकते हैं।
    1. शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रमों को और अधिक प्रभावी बनाने व लागू करने के लिए (For making and implementing the Programme of Physical Education more effective)- इन प्रतियोगिताओं के कारण खेलों के आधार को बढ़ावा मिलने में सही दिशा प्राप्त होती है तथा यह शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रमों को अधिक प्रभावपूर्ण तरीके से विकसित तथा लागू करने में सहायक सिद्ध होते है।
    2. खेलों में भाग लेने के अवसरों को बढ़ाते हैं (Improve the Oppertunity to Participate in sport)- इन प्रतियोगिताओं के कारण विद्यार्थियों को खेलों में भाग लेने के अधिक अवसर प्राप्त होते हैं। जो विद्यालय ऐसी प्रतियोगिताओं में भाग नहीं लेते हैं उनके विद्यार्थी अभिप्रेरित होकर इन खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेना प्रारम्भ कर देते हैं।
    3. खेल प्रदर्शन के स्तर को बढ़ाने के लिए (Enhancing Standard of Sport Performance )- विशेष तौर पर इन प्रतियोगिताओं द्वारा पराजित होने वाली टीमें आने वाले वर्ष के लिए अपने खेल के स्तर व प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए कठिन अभ्यास कर सकती है। इस प्रकार ये प्रतियोगिताएँ खेल के स्तर को बढ़ाने में मददगार साबित होती हैं।
    4. खेल तकनीकों की उचित जानकारी प्राप्त कराती हैं (Provide Appropriate Knowledge of Sports Techniques)- ऐसी टीमें जिन्हें खेलों की उचित व नई तकनीक का पता नहीं होता यह अन्तर्विद्यालयीन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने से नई तकनीक के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकती हैं।
    5. विद्यालयों को अपनी खेल योग्यताओं को प्रकट करने के अवसर प्रदान करती हैं (Procide Opportunities to Schools to show their Sport of abilities)- अपनी खेल संबंधी योग्यताओं व क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए सभी विद्यालयों के पास भरपूर अवसर होता है। यदि कोई विद्यालय या उसका विद्यार्थी खेलों के क्षेत्र में अच्छी योग्यताएँ रखते हैं और अन्तर्विद्यालयीन प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो इससे विद्यार्थी के साथ-साथ विद्यालय का नाम भी गौरवान्वित होता है।
  1. विशिष्ट खेल कार्यक्रम: विशिष्ट खेल प्रतियोगिताओं से अभिप्राय, खेल प्रतियोगिताओं से अलग कार्यक्रम से है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य समाज में एकता, स्वास्थ्य तथा बिमारियों से बचाव समाज में एकता, स्वास्थ्य तथा बीमारियों के बारे में जागृति लाना तथा धर्मार्थ संस्थानों के लिए धन संचय करना होता है।
    विशिष्ट खेल कार्यक्रम
    1. खेल दिवस- विद्यालयो द्वारा प्रत्येक वर्ष बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए खेल दिवस का आयोजन किया जाता है। खेल दिवस के उद्घघाटन या समापन समारोह में विद्यार्थियों द्वारा विशेष प्रदर्शन जैसे डम्बल, मास पी टी, लेजियम, पिरामिड, एरोबिक, नृत्य व गायन तथा योगासन का प्रदर्शन भी किया जाता है। खेल दिवस से भविष्य की प्रतियोगिताओं के लिए उत्कृष्ट खिलाड़ियों के चयन का अवसर मिलता है।
    2. स्वास्थ्य दौड़े- इन दौड़ो का आयोजन स्वास्थ्य विभाग, खेल विभाग या सामाजिक संगठनों द्वारा कराया जाता हैं इनका मूल उद्देश्य राष्ट्र में स्वास्थ्य के स्तर में वृद्धि करना हेाता है। इन दौड़ों के लिए तिथि तथा समय काफी पहले ही निर्धारित हो जाता है जिसके लिए धावक या प्रतियोगी को पंजीकरण पहले ही करवाना होता है। इसमें आयु सीमा निर्धारित नहीं होती लेकिन कुछ स्वास्थ्य सम्बन्धी सावधानियाँ बरती जाती है।
    3. रन फॉर फन- अधिक से अधिक संख्या में लोगों को स्वास्थ्य एवं क्षमता के साथ हैल्दी एंड फिट रहने के संदेश को फैलाने के उद्देश्य के साथ आयोजित किए जाते है। इन दौड़ों के दौरान उछल कूद व आनन्द करना मुख्य होता है। इसका एक उद्देश्य होता है वह है दान या खैरात के लिए निधि अर्जित करना।
      विशिष्ट कारणों के लिए दौड़- विशिष्ट कारणों के लिए दौड़ होती है, जो अच्छे, श्रेष्ठ व उदार करणों से संबंधित होती है इसका उद्देश्य विशिष्ठ कारण के लिए फड अर्जित करना भी होता है लेकिन कारण अच्छा होना चाहिए इसका आयोजन प्रायः सामाजिक सगठन ही करते है दौड़ को आकर्षक बनाने के लिए इसमें जाने-माने खिलाड़ियों, कलाकारों, अभिनेताओं जानी-मानी हस्तियों के भाग लेने का प्रयास किया जाता हैं।
      एकता के लिए दौड़े- इसका उद्देश्य विभिन्न धामों के लोगों में शान्ति शक्ति व एकता स्थापित करना होता है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय एकता अन्तर्राष्ट्रीय एकता, भाईचारा बढ़ाना भी हो सकता है इस दौड़ के दौरान सभी वर्ग अपने में एकता महसूस करते है।