जूझ - एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर

 CBSE Class 12 हिंदी कोर

NCERT Solutions
वितान पाठ- 2 जूझ


1. 'जूझ' शीर्षक के औचित्य पर विचार करते हुए यह स्पष्ट करें कि क्या यह शीर्षक कथा नायक की किसी केंद्रीय चारित्रिक विशेषता को उजागर करता है?
उत्तर:- 
पाठ का शीर्षक किसी भी रचना के मुख्य केन्द्रीय भाव को व्यक्त करता है। 'जूझ' का अर्थ है - संघर्ष। इसमें कथानायक आनंद की पढ़ाई-लिखाई बीच में रोककर उसे खेती-बारी के कार्यों में लगा दिया गया था किन्तु लेखक पढ़ना चाहता था इसलिए उसने पिता की इच्छा के विरूद्ध पाठशाला जाने के लिए संघर्ष किया।जिसे पाठ का शीर्षक पूर्णत: अभिव्यक्त करता है।
आनंदा के पिता ने उसे स्कूल जाने से मना कर दिया, लेकिन पढ़ने की तीव्र इच्छा ने उसे जीवन का एक उद्देश्य दे दिया। उसने विद्यालय जाने के लिए पिता की जो शर्तें रखी थी उनका पालन किया। वह विद्यालय जाने से पहले बस्ता लेकर खेतों में पानी देता। वह ढोर चराने भी जाता फिर भी उसके पिता ने उसका पाठशाला जाना बंद करवा दिया था किंतु उसने हिम्मत नहीं हारी, पूरे आत्मविश्वास के साथ योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ा और सफल हुआ। आनंदा ने मास्टर सौंदलगेकर से प्रभावित होकर काव्य में रुचि लेना प्रारम्भ किया। इससे उसमें पढ़ने की तीव्र लालसा,लक्ष्य के प्रति एकाग्रता, वचनबद्धता, आत्मविश्वास,लगन एवं कर्मठता तथा कविता के प्रति झुकाव आदि चारित्रिक विशेषताएँ देखने मिलती है।


2. स्वयं कविता रच लेने का आत्मविश्वास लेखक के मन में कैसे पैदा हुआ?
उत्तर
:- मराठी के अध्यापक सौंदलगेकर कविता के अच्छे रसिक व मर्मज्ञ थे। वे कक्षा में सस्वर कविता-पाठ करते थे तथा लय, छंद गति, आरोह-अवरोह आदि का ज्ञान कराते थे।एक बार मास्टर जी ने घर में निकली मालती लता पर कविता लिखी और उसका वाचन किया तो लेखक उससे बहुत प्रभावित हुआ क्योंकि प्रत्यक्ष देखने पर उसका वर्णन एकदम सटीक था उनसे प्रेरित होकर लेखक भी कुछ तुकबंदी करने लगा। उन्हें यह ज्ञान हुआ कि कवि भी उनकी तरह ही होते हैं । वे भी अपने आस-पास के दृश्यों पर कविता बना सकते हैं। धीरे-धीरे उन्होंने तुकबंदी आरंभ की,मास्टरजी के प्रोत्साहन से उनमें आत्मविश्वास पैदा हुआ।

3. श्री सौंदलगेकर के अध्यापन की उन विशेषताओं को रेखांकित करें जिन्होंने कविताओं के प्रति लेखक के मन में रूचि जगाई।
उत्तर
:- मास्टर सौंदलगेकर कुशल अध्यापक, मराठी भाषा के ज्ञाता व कवि थे।वे सुरीले ढंग से स्वयं की व दूसरों की कविताएँ गाते थे। पुरानी-नयी मराठी कविताओं के साथ-साथ उन्हें अनेक अंग्रेजी कविताएँ भी कंठस्थ थीं। पहले वे एकाध गाकर सुनाते थे - फिर बैठे-बैठे अभिनय के साथ कविता का भाव ग्रहण कराते।वे अन्य कवियों से जुड़े संस्मरण सुनाते बीच -बीच में अपनी कविताएॅं भी पूरे हाव-भाव के साथ इतनी तन्मयता से सुनाते थे कि लेखक भावविभोर हो जाता था। आनन्दा को कविता या तुकबन्दी लिखने के प्रारम्भिक काल में उन्होंने उसका मार्गदर्शन व सुधार किया,उन्हें अलंकार छंद का ज्ञान कराया।अलग-अलग कविता संग्रह देकर काव्य विधा से परिचित कराया तथा उसका आत्मविश्वास बढ़ाया जिससे वह धीरे-धीरे कविताएँ लिखने में कुशल होकर प्रतिष्ठित कवि बन गया।


4. कविता के प्रति लगाव से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रति लेखक की धारणा में क्या बदलाव आया?
उत्तर
:- कविता के प्रति लगाव से पहले लेखक ढोर ले जाते समय, खेत में पानी डालते और अन्य काम करते समय अकेलापन महसूस करता था।उसे लगता कि उसके साथ बात करने वाला कोई हो लेकिन कविता के प्रति लगाव के बाद वह खेतों में पानी देते समय, भैंस चराते समय कविताओं में खोया रहता था। धीरे-धीरे वह स्वयं तुकबंदी करने लगा। अब उसे अकेलापन अच्छा लगने लगा था वह अकेले में कविता गाता, अभिनय व नृत्य करता था।


5. आपके खयाल से पढ़ाई-लिखाई के संबंध में लेखक और दत्ता जी राव का रवैया सही था या लेखक के पिता का? तर्क सहित उत्तर दें।
उत्तर
:- लेखक का मत है कि जीवन भर खेतों में काम करके कुछ भी हाथ आने वाला नहीं है। अगर मैं पढ़-लिख गया तो कहीं मेरी नौकरी लग जाएगी या कोई व्यापार करके अपने जीवन को सफल बनाया जा सकता है। दत्ता जी को जब पता चलता है लेखक के पिता जी उन्हें पढ़ने से मना करते है तो राव पिता जी को बुलाकर खूब डाँटते हैं और कहते हैं कि तू सारा दिन क्या करता है। बेटे और पत्नी को खेतों में जोत कर तू सारा दिन साँड की तरह घूमता रहता है। कल से बेटे को स्कूल भेज, अगर पैसे नहीं हैं तो फीस मैं दूँगा। पिता जी दत्ता जी राव के सामने 'हाँ' करने के बावजूद भी आनन्द को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं थे जो अनुचित हैै।
हमारे खयाल से पढ़ाई-लिखाई के सम्बन्ध में लेखक और दत्ता जी राव का रवैया लेखक के पिता की सोच से ज्यादा ठीक है।


6. दत्ता जी राव से पिता पर दबाव डलवाने के लिए लेखक और उसकी माँ को एक झूठ का सहारा लेना पड़ा। यदि झूठ का सहारा न लेना पड़ता तो आगे का घटनाक्रम क्या होता? अनुमान लगाएँ।
उत्तर
:- दत्ता जी राव से पिता पर दबाव डलवाने के लिए लेखक और उसकी माँ को एक झूठ का सहारा लेना पड़ा। यदि झूठ का सहारा न लेते और सच बताते कि उन्होंने दत्ता जी राव से पिता को बुलाकर लेखक को स्कूल भेजने के लिए कहा है तो लेखक के पिताजी उनके घर न जाते या उनके सामने बहाना बना देते अथवा माँ-बेटे की पिटाई कर देते ,उधर न जाने की सख्त हिदायत देकर लेखक को खेती में झोंक देते और लेखक का जीवन बरबाद हो जाता।