योग - पुनरावृति नोट्स
CBSE कक्षा 11 शारीरिक शिक्षा
पाठ - 5 योग
पुनरावृत्ति नोट्स
स्मरणीय बिन्दु-
- योग का अर्थ
परिचय- 'योग' शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के मूल शब्द ‘युज’ से हुई है, जिसका अर्थ है। जोड़ना या मिलाना अर्थात् आत्मा का परमात्मा से मिलना योग कहलाता है।- पतंजलि के अनुसार-"योग चित्रवृत्ति निरोध है।"
- महर्षि वेद व्यास-"योग समाधि है।"
- भगवत गीता में श्री कृष्ण ने कहा है कि "योग कर्मसु कौशलम।"
- योग का महत्त्व (Imprortance of Yoga)
- शारीरिक रूप में
- शारीरिक स्वच्छता हेतु
- रोगों से बचाव
- शरीर को सौन्दर्य बनाने हेतु
- शरीर की सही मुद्रा हेतु
- माँसपेशियों को विकसित करने के लिए
- हृदय व फेफड़ों की कार्य क्षमता बढ़ाने में सहायक
- लचक विकसित में सहायक
- सामाजिक रूप में
- सामाजिक गुणों को विकसित करने में सहायक
- सामाजिक रिश्ते विकसित करने में सहायक
- मानसिक रूप में
- तनाव से मुक्ति
- तनाव रहित जीवन
- एकाग्रता बढ़ाने में सहायक
- याददाश्त बढ़ाने में सहायक
- सहनशक्ति बढ़ाने में सहायक
- अध्यात्मिक रूप में
- अध्यात्मिक गुणों का विकास
- ध्यान बढ़ाने में सहायक
- नैतिक गुणों को विकसित करने में सहायक
- शारीरिक रूप में
- आसन, प्राणायाम, ध्यान और यौगिक क्रियाओं का परिचय
- आसनः- पतंजलि के अनुसार आसन का अर्थ "स्थिर सुखं आसनम्" लम्बे समय तक सुखपूर्वक बैठने की स्थिति को आसन कहते है।
- प्राणायामः- प्राणायाम दो शब्दो से मिलकर बना है। एक है प्राण और दूसरा आयाम" प्राण का अर्थ है जीवन ऊर्जा और आयाम का अर्थ नियंत्रण। श्वास व प्रश्वास पर नियंत्रण करना ही प्राणायाम कहलाता है।
- ध्यानः- ध्यान मस्तिष्क एकाग्रता की एक प्रक्रिया है। ध्यान समाधि से पूर्व की एक अवस्था है।
- योग के तत्त्व (Elements of Yoga)
- यम
- नियम
- आसन
- प्राणायाम
- प्रत्याहार
- धारणा
- ध्यान
- समाधि
- प्राणायाम के अंग
- पूरक (श्वास लेना)
- रेचक (श्वास बाहर निकालना)
- कुम्भक (श्वास रोकना)
- प्रणायाम के प्रकार
- सूर्य
- भेदी
- उज्जयी
- शीतकारी
- भस्तिका
- भ्रामरी
- प्लाविनी
- मूर्च्छा
- यौगिक क्रिया शुद्धि क्रियाः-
यौगिक क्रिया शरीर की आंतरीक व बाहरी शुद्धिकरण की एक प्रक्रिया है। जिन्हें हम षटकर्म क्रियाएँ भी कहते हैं।
यौगिक क्रियाएँ के प्रकार-- नेति क्रिया
- धोती क्रिया
- बस्तिक्रिया
- नौलिक्रिया
- त्राटक क्रिया
- कपाल भाँती क्रिया
- आसन व प्राणायाम से शरीर के क्रियात्मक लाभ
- एकाग्रता व्यक्ति में सुधार
- शरीर मुद्रा में सुधार
- चोटों से बचाव
- लचक में सुधार
- श्वसन संस्थान की कार्य क्षमता में सुधार
- हृदय व फेफड़ों की कार्य क्षमता में सुधार
- सम्पूर्ण स्वास्थ्य में सुधार
- थकान से मुक्ति
- सम्पूर्ण शरीर संस्थान में सक्रियता
- ध्यान के लिए योग और सम्बन्धित आसन
- सुखासन
- ताड़ासन
- पद्मासन
- शंशाकासन
- ध्यान
ध्यान एक ऐसी क्रिया है जिसमें बिना किसी विपयांतर के एक समय के दौरान मस्तिष्क की पूर्ण एकाग्रता हो जाती है। मस्तिष्क की पूर्ण स्थिरता की एक प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया समाधि की पूर्ण की स्थिति होती है। - योग
आत्मा और परमात्मा का मिलन योग कहलाता है। दूसरे शब्दों में, जीवात्मा का परमात्मा से एकीकरण ही योग है। एकीकरण का अर्थ मनुष्य के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक व आध्यात्मिक पहलुओं का एकीकरण भी है। "चितवृत्ति का निरोध योग है" पतंजलि योग समाधि है। वेद व्यास - ध्यान के लिए योग
ध्यान, योग में ईश्वर प्राप्ति का साधन माना गया है। ध्यान योग का सांतवा अंग हैं जो समाधि से पूर्व की अवस्था है। आध्यात्मिक विकास के लिए ध्यान का प्रयोग किया जाता है। ध्यान करने के लिए सुखासन, ताड़ासन, पद्मासन का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार के आसन शांत वातावरण में किये जाएं तो मनुष्य का मन शुद्ध एवं स्वच्छ होता है और वह समाधि की स्थिति में पहुँच सकता है तथा वह स्वंय को भूल जाता है और ईश्वर में लीन हो जाता है। - सुखासन
सुखासन दो शब्दों से मिलकर बना है-सुख+आसन=सुखासन। यहाँ पर सुखासन का शाब्दिक अर्थ होता है सुख को देने वाला आसन। इस आसन को करने से हमारी आत्मा को सुख और शांति प्राप्त होती है। इसलिए इस आसन को सुखासन कहा जाता है।
यह ध्यान और श्वसन के लिए लाभदायक है। - ताड़ासन
ताड़ासन को करते समय व्यक्ति की मुद्रा एक ताड़वृक्ष के समान होती है। इसीलिए इस आसन का नाम ताड़ासन है। यह एक बहुत ही सरल आसन है इसीलिए इस आसन को सभी आयु वर्ग के व्यक्ति आसानी से कर सकते है।
अगर इस आसन को नियमित रूप से किया जाए तो इससे आपके शरीर की लम्बाई आसानी से बढ़ जाती है। - पद्मासन
पद्मासन संस्कृत शब्द प से निकला है जिसका अर्थ होता है-कमल। इस आसन में शरीर बहुत हद तक कमल जैसा प्रतीत होता है इसीलिए इसको Lotus Pose भी कहते है। पद्मासन बैठकर किया जाने वाला एक ऐसा योगाभ्यास है जिसके बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि यह आसन अकेले शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप में आपको सुख एवं शांति देने में सक्षम है। इस आसन में शारीरिक गतिविधियाँ बहुत कम हो जाती हैं और आप धीरे-धीरे आध्यात्मिक की ओर अग्रसर होते जाते है। तभी तो इस आसन को ध्यान के लिए सर्वश्रेष्ठ योगाभ्यास माना गया है। - शंशांकासन
शंशक का अर्थ होता है-खरगोश। इस आसन को करते वक्त व्यक्ति की खरगोश जैसी आकृति बन जाती है इसीलिए इसे शशांकासन कहते हैं। हृदय रोगियों के लिए यह आसन लाभदायक है। - योगनिद्रा
योगनिद्रा का अर्थ है-आध्यात्मिक नींद। यह वह नींद है, जिसमें जागते हुए सोना है। सोने व जागने के बीच की स्थिति है योगनिद्रा। इसे स्वपन और जागरण के बीच ही स्थिति मान सकते हैं। यह झपकी जैसा है या कहें कि अर्धचेतन जैसा है।
ईश्वर का अनासक्त भाव से संसार की रचना, पालन और संहार का कार्य योग निद्रा कहा जाता है। मनुष्य के संदर्भ में अनासक्त हो संसार में व्यवहार करना योगनिद्रा है।