लेखन कला और शहरी जीवन-पुनरावृति नोट्स

                                                      CBSE कक्षा 11 इतिहास

पाठ-2 लेखन कला और शहरी जीवन
पुनरावृत्ति नोट्स


स्मरणीय तथ्य-

  • लगभग 5 हजार वर्ष पूर्व शहरी जीवन का प्रारंभ मेसोपोटामिया में हुआ। मेसोपोटामिया- यह शब्द यूनानी भाषा के दो शब्दों मेसोस यानि मध्य पोटैमोस यानि नदी से मिलकर बना है। मैसोपोटामिया दजला व फरात नदियों के बीच की उपजाऊ धरती को इंगित करता है।
  • यह क्षेत्र आजकल इराक गणराज्य का हिस्सा है।
  • मेसोपोटामिया की एतिहासिक जानकारी के प्रमुख स्त्रोत इमारतें, मूर्तियाँ, कब्रें, आभूषण, औजार, मुद्राएँ, मिट्टी की पट्टिकाएं तथा लिखित दस्तावेज हैं।
  • मेसोपोटामिया की सभ्यता अपनी संपन्नता, शहरी जीवन, समृद्ध साहित्य, गणित और खगोल विद्या के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
  • मेसोपोटामिया के शहरीकृत दक्षिणी भाग को सुमेर और अक्कद कहा जाता था। 2000 ई०पू० के पश्चात् बेबीलोन एक महत्वपूर्ण शहर कायम हो गया और इस भाग को बेबीलोनिया कहा जाने लगा।
  • लगभग 1100 ई०पू० में असीरियाइयों ने उत्तरी भाग पर कब्जा कर लिया। फिर इस क्षेत्र को असीरिया कहा जाने लगा।
  • इस प्रदेश की प्रथम ज्ञात भाषा सुमेरी अर्थात् सुमेरियन थी। 2400 ई०पू० में अक्कदी लोगों के आगमन के साथ ही अक्कदी भाषा ने सुमेरियन भाषा का वर्चस्व समाप्त करके अपना महत्वपूर्ण स्थान कायम कर लिया।
  • इस सभ्यता में नगरों का निर्माण 3000 ई.पू. प्रारम्भ हो गया था। उरूक, उर और मारी इसके प्रसिद्ध नगर थे। श्रम विभाजन एवं सामाजिक संगठन शहरी जीवन एवं अर्थव्यवस्था की विशेषता थे।
  • यहाँ खाद्य-संसाधन तो समृद्ध थे परन्तु खनिज-संसाधनों का प्रभाव था, जिन्हें तुर्की, ईरान अथवा खाड़ी पार देशों से मंगाया जाता था।
  • लेखन कला- मैसोपोटामिया में जो पहली पट्टिकाएँ पाई गई है वे लगभग 3200 ई.पू. की है इन पर कीलाकार लिपि द्वारा लिखा जाता था।
  • कीलाकार (क्यूनीफार्म)- यह लातिनी शब्द ‘क्यूनियस’, जिसका अर्थ खूँटी और फोर्मा जिसका अर्थ ‘आकार’ है, से बना है। मैसोपोटामिया में बहुत कम लोग पढ़े-लिखे थे चिन्हों की संख्या काफी पेचीदा तथा बहुत अधिक थी।
  • 1400 ई.पू. से धीरे-धीरे अरामाइक भाषा का प्रवेश हुआ, यह हिब्रू भाषा से मिलती-जुलती थी और 1000 इ.पू. के बाद यह व्यापक रूप से बोली जाने लगी थी और आज भी इराक के कुछ भागों में बोली जाती है।
  • 5000 इ.पू. दक्षिण मैसोपोटामिया में बस्तियों का विकास होने लगा था जिनमें से कुछ शहरों में परिवर्तित हो गए।
  • यहाँ उर नगर में नगर-नियोजन पद्धति का अभाव था, गलियां टेढ़ी-मेढ़ी एवं संकरी थी।
  • इराक भौगोलिक विविधता का देश है। इसका पूर्वोत्तर भाग हरे-भरे व ऊँचे-नीचे मैदानों के लिए प्रसिद्ध है।
  • इस प्रदेश का उत्तरी भाग ऊँची जमीन (स्टेपी-घास के मैदान) पशुपालन की दृष्टि से उपयुक्त है।
  • इसका दक्षिणी भाग रेगिस्तानी है। यहाँ सबसे पहले नगरों और लेखन-प्रणाली का प्रादुर्भाव हुआ।
  • श्रम-विभाजन शहरी-जीवन की विशेषता है। इसके साथ ही, शहरी अर्थव्यवस्था में एक सामाजिक संगठन का होना आवश्यक है।
  • मेसोपोटामिया के लोग संभवत: लकड़ी, ताँबा, राँगा, चाँदी, सोना और विभिन्न प्रकार के पत्थर तुकों व ईरान अथवा खाड़ी देशों से आयात करते थे। इसके बदले वे अपने द्वारा निर्मित कपड़े व कृषि-उत्पाद का निर्यात करते थे।
  • मेसोपोटामिया के लोग मिट्टी की पट्टकाओं पर लिखते थे। वे अपना हिसाब-किताब तथा साहित्य इन्हीं पट्टकाओं पर लिखते थे। उनकी लिपि कीलाकार थी।
  • मेसोपोटामिया को बहुत कम लोग लिख-पढ़ सकते थे। अधिकतर लिखावट बोलने के तरीके को प्रदर्शित करती थी।
  • पुरातत्वविद् के अनुसार, सर्वप्रथम राजा ने ही व्यापार और लेखन की व्यवस्था की। इस संबंध में एक प्राचीन शासक एनमर्कर का (Emmerkar) नाम उल्लेखनीय है।
  • 5000 ई०पू० से दक्षिणी मेसोपोटामिया में बस्तियों का विकास प्रारंभ हो गया था। इन बस्तियों में से कुछ बस्तियाँ कालांतर में प्राचीन शहर बन गए।
  • मेसोपोटामिया की खुदाई में सबसे पहला ज्ञात मन्दिर एक छोटा-सा देवालय था। यह मंदिर कच्ची ईटों से बना हुआ था। मन्दिर में विभिन्न देवी-देवताओं का निवास था; जैसे-उर जो चन्द्र देवता थे और इन्नाना जो प्रेम व युद्ध की देवी थी।
  • मेसोपोटामिया में नगर-नियोजन की पद्धति का अभाव था। वहाँ की जल-निकासी की व्यवस्था मोहनजोदड़ो की जल-निकासी की व्यवस्था से भिन्न थी। लोग अपने घर का सारा कूड़ा-कचरा बुहारकर गलियों में डाल देते थे।
  • उर में नगरवासियों के लिए एक कब्रिस्तान था, जिसमें शासकों तथा जनसाधारण की समाधियाँ पाई गई हैं। परंतु कुछ लोगों की कब्र साधारण घरों की जमीन के नीचे भी पाई गई हैं।
  • नगरों की सामाजिक व्यवस्था में एक उच्च या संभ्रान्त वर्ग का प्रादुर्भाव हुआ। धन-दौलत का ज्यादातर हिस्सा समाज के एक छोटे-से वर्ग के हाथों में केंद्रित था। मेसोपोटामिया के समाज में एकल परिवार को ही आदर्श माना जाता था। जिसमे पति-पत्नी और उनके बच्चे शामिल होते थे पिता परिवार का मुखिया होता था।
  • 2000 ई०पू० के बाद मारी शहर का विकास राजधानी के रूप में हुआ। यह राज्य फ़रात नदी की उर्ध्वधारा पर स्थित है और कृषि के साथ-साथ पशुपालन ही इसका प्रमुख व्यवसाय है।
  • यायावर समुदाय कृषि से समृद्ध हुए भूमि-प्रदेश में पश्चिमी मरुस्थल से आते रहते थे। ये खानाबदोश लोग अक्कदी, एमोराइट, असीरियाई और आर्मीनियन जाति से संबंध रखते थे।
  • मेसोपोटामियाई लोग शहरी जीवन को महत्व देते थे। विभिन्न जातियों व समुदायों के लोगों के परस्पर मिश्रण से यहाँ की सभ्यता में जीवन-शक्ति उत्पन्न हो गई थी।
  • मेसोपोटामिया की काल-गणना और गणित की विद्वतापूर्ण परंपरा दुनिया की सबसे बड़ी देन है।
  • अंत में, एक पुराकालीन पुस्तकालय और आरंभिक पुरातत्ववेत्ता की मदद से मेसोपोटामिया की अतीत के प्रलेखों एवं परंपराओं को खोजने और सुरक्षित रखने की कोशिश की गई थी।
  • गिल्गेमिश- उरूक नगर का शासक था, महान यौद्धा था जिसने दूर-दूर तक के प्रदेशों को अपने अधीन कर लिया था।
  • समय का विभाजन सिंकंदर के उत्तराधिकारियों द्वारा अपनाया गया और वहाँ से यह रोम तथा इस्लाम की दुनिया में तथा बाद में मध्ययुगीन यूरोप में पहुँचा।