महासागरीय जल संचलन-महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

                                                           CBSE कक्षा 11 भूगोल (भाग-क)

पाठ 14 महासागरीय जल संचलन
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर


अति लघुउत्तरात्मक प्रश्न (1 अंक वाले)

  1. समुद्री तरंगे क्या है?
    उत्तर- समुद्री तरंगे वास्तव में जल की वह स्थिति है जो कि ऊर्जा के कारण ऊंचा या नीचा होता रहता है, परन्तु अपने स्थान को छोड़कर कही और अन्य स्थान पर नही बहता।
  2. ज्वार-भाटा उत्पन्न होने के क्या कारण है?
    उत्तर- ज्वार-भाटा की उत्त्पति का कारण चन्द्रमा, सूर्य तथा पृथ्वी की पारस्परिक गुरूत्वाकर्षण शक्ति है।
  3. किस महासागर की धाराएं ऋतु परिवर्तन के साथ अपनी दिशा बदल लेती है?
    उत्तर- हिन्द महासागर
  4. अगलुहास गर्म जल धारा क्या है?
    उत्तर- मेडागास्कर द्वीप के दक्षिण में मोजाम्बिक धारा व मेडागास्कर धारा मिलकर एक हो जाती है यह संयुक्त धारा अगलुहास गर्म धारा के नाम से जानी जाती है।
  5. विश्व का सबसे ऊँचा ज्वार भाटा कहाँ आता है |
    उत्तर-
     विश्व का सबसे ऊँचा ज्वार भाटा कनाडा के नवास्कोशिया में स्थित फंडी की खाडी में आता है।
  6. सर्फ क्या है?
    उत्तर-
     तटीय क्षेत्रों में टूटती हुई तरंगों को सर्फ (फेनिल) लहर कहते हैं।
  7. तरंग की गति कैसे मापी जाती है।
    उत्तर-
     तरंग की गति = तरंग दैध्य / तरंग का आवर्त काल

CBSE कक्षा 11 भूगोल (भाग-क)
पाठ 14 महासागरीय जल संचलन
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर


लघु उत्तरात्मक प्रश्न (3 अंक वाले)

  1. तंरगो एवं धाराओं में अन्तर स्पष्ट कीजिए?
    उत्तर- तरंगे-
    1. तरंगो का जल ऊपर-नीचे तथा आगे-पीछे गति मात्र करता है। वह अपना स्थान छोड़कर आगे नही बढ़ता।
    2. तरंगे केवल जल-तल ही सीमित रहती है।
    3. तरंगो का वेग वायु के प्रचलन पर निर्भर करता है।
    4. तरंगो का आकार जल की गहराई पर निर्भर करता है।
    5. तरंगे अस्थायी होती है और सदा बनती बिगड़ती रहती है।
    धाराएः- 
    1. धाराओं में जल अपना स्थान छोड़कर आगे बढता है।
    2. धाराएं पर्याप्त गहराई तक प्रभावकारी होती है। धाराएं स्थायी पवनों के प्रभाव से चलती है।
    3. धाराएं सदैव विशाल आकार की होती है।
    4. धाराएं सदा स्थायी होती है तथा निरन्तर निश्चित दिशा मे बहती हैं।
  2. ज्वारीय धारा से क्या अभिप्राय है?
    उत्तर- जब कोई खाड़ी पतले मुख द्वारा खुले सागर से जुड़ी होती है तो ज्वार के समय समुद्र का जल खाड़ी में प्रवेश करता है और भाटे के समय खाड़ी से बाहर निकलता है। खाड़ी के अन्दर तथा बाहर की और जल के इस प्रवाह केा ज्वारीय धारा कहते हैं।
  3. सारगैसो सागर से क्या तात्पर्य है?
    उत्तर- उत्तरी अटलांटिक में गल्फ स्ट्रीम, कनारी तथा उत्तरी विषवुतीय धाराओं के चक्र के बीच स्थित शान्त जल के क्षेत्र को सार गैसो सागर कहते है। इसके तट पर मोटी समुद्री घास तैरती रहती है। घास को पुर्तगाली भाषा में सारगैसम कहते है, जिसके नाम पर इसका नाम सारगैसो सागर रखा गया है। इसका क्षेत्रफल लगभग 11,000 वर्ग कि॰मी॰ है।
  4. ज्वार-भाटा नौसंचालन को किस प्रकार प्रभावित करता है?
    उत्तर- नदमुखों पर स्थित बन्दरगाहों तक साधारणतः जहाज नही पहुँच सकते है, किन्तु ज्वार के आने से जल की मात्र इतनी अधिक हो जाती है कि जहाज बन्दरगाह तक सुगमता से पहुंच जाते हैं, और माल उतारने के बाद भाटे के साथ गहरे सागर में वापस आ जाते है। इस प्रकार ज्वार-भाटे के कारण ही हुगली नदी तथा टेम्स नदी पर कोलकता तथा लंदन जैसे बन्दरगाह बन पाये है। जिनका दोनो देशों के साथ-साथ विश्व में भी महत्वपूर्ण स्थान है।


CBSE कक्षा 11 भूगोल (भाग-क)
पाठ 14 महासागरीय जल संचलन
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर


दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (5 अंक वाले)

  1. ज्वार-भाटा क्या है? इसके प्रमुख प्रकार बताइये तथा इसके महत्व का वर्णन कीजिए?
    उत्तर- समुद्र का जल-स्तर सदा एक सा नही रहता। यह नियमित रूप से दिन में दो बार ऊपर उठता है तथा नीचे उतरता है। समुद्री जल स्तर के ऊपर उठने के ज्वार तथा नीचे उतरने को भाटा कहते है। (Tides are the rhythmic rise and fall of the water in the ocean)
    ज्वारभाटा के प्रकार (Type of Tides): ज्वार भाटा को आवृत्ति तथा ऊंचाई के आधार पर वर्गीकरण किया जा सकता है।
    A. Tides Based on Frequency आवृत्ति के आधार पर
    • Semi diurnal Tide अर्द्ध-दैनिक ज्वार
    • Diurnal Tide दैनिक ज्वार
    • Mixed Tide मिश्रित ज्वार
      B. Tides Based on Height ऊंचाई के आधार पर
    • Spring Tide उच्च अथवा वृहत ज्वार भाटा
    • Neap Tide निम्न अथवा लघु ज्वार-भाटा
      Importance of Tides ज्वार-भाटा का महत्व
    • नदमुखों पर समुद्री जहाज आसानी से प्रवेश कर पाते हैं।
    • मछली पकड़ने वाले नाविक ज्वार के साथ समुद्र में अन्दर जाते है और भाटे के साथ बाहर आ जाते हैं।
    • ज्वार-भाटे से नगरों की (तटीय नगर) गन्दगी व प्रदूषण सापफ़ हो जाते हैं।
    • ज्वार-भाटे से बहुत ही बहुमूल्य वस्तुएं हमें समुद्री किनारे पर प्राप्त हो जाती हैं जैसे शंख, सीप, घोघे इत्यादि।
    • ज्वार-भाटे के कारण समुद्री जल गतिमान रहता है जिससे शीत प्रदेशो में पानी जम नही पाता है।
    • ज्वार-भाटे से विद्युत निर्माण भी किया जाता है। बहुत से क्षेत्रें में इस प्रकार की ऊर्जा प्राप्त की जा रही है।
  2. तरंगो की विशेषताएं बताइये?
    उत्तर- तरंगो की निम्नलिखित विशेषताएं है।
    1. तरंग शिखर एवं गर्त (Wave Crest and trough)- एक तरंग के उच्चतम एवं निम्नतम बिन्दुओं को क्रमशः शिखर एवं गति कहते है।
    2. तरंग की ऊचांई (Wave height)- यह तरंग के गति एवं शिखर की ऊर्ध्वाधर (Vertical) दूरी है।
    3. तरंग आयाम (Amptitude)- यह तरंग की ऊंचाई का आधा भाग होता है।
    4. तरंग काल (Wave Period)- तरंग काल एक निश्चित बिन्दु से गुजरने वाले दो लगातार तरंग शिखरो या गर्तो के बीच का समय अन्तराल है।
    5. तरंग दैर्ध्य (Wave length)- यह लगातार दो शिखरों या गर्तो के बीच की क्षैतिज दूरी है।
    6. तरंगगति (Wave Speed)- जल के माध्यम से तरंग के गति करने की दर को तरंग गति कहते है। इसे नॉट में नापा जाता है।
  3. महासागरीय धाराएं किन्हें कहते हैं? इनकी उत्पत्ति के कारण बताइये?
    उत्तर-
     'महासागरों के एक भाग से दूसरे भाग की ओर विशेष दिशा में जल के निरन्तर प्रवाह को महासागरीय धारा कहते हैं।
    धाराओं के उत्पन्न होने के कारण (Causes of Origin of Currents):-
    1. पृथ्वी के परिभ्रमण संबंधी कारण, अंतः सागरीय तथा महासागरीय कारक जैसे- 1. तापक्रम की विभिन्नता 2. समुद्र का खरापन 3. घनत्व में भिन्नता
    2. बाहय कारक :-
      1. वायुदाब तथा हवाओं की दिशा
      2. वाष्पीकरण तथा वर्षा
    3. धाराओं की दिशा व रूप में परिवर्तन लाने वाले कारक :-
      1. तट की दिशा तथा आकार
      2. महासागर तल की आकृति
      3. मौसमी परिवर्तन
      4. प्रचलित स्थायी हवाऐं/पवनें
  4. महासागरीय धाराओं का गहराई और तापमान के आधार पर वर्गीकरण करो I
    उत्तर- 
    गहराई के आधार पर महासागरीय धाराओं का वर्गीकरण:-
    1. सतही धारा अथवा ऊपरी धारा Surface Currents:- महासागरीय जल का 10 प्रतिशत भाग सतही जल धारा के रूप में है ये धाराएं महासागरों में 400 मी. की गहराई तक उपस्थित हैं।
    2. गहरी धारा Deep currents :- महासागरीय जल का 90 प्रतिशत भाग गहरी जलधारा के रूप में है। ये जलधाराएं महासागरों के घनत्व व गुरूत्व की भिन्नता के कारण बहती है।
      तापमान पर आधारित महासागरीय धाराएं
    • गर्म धाराएं Warm currents :- जो धाराएं गर्म क्षेत्रों से ठण्डे क्षेत्रों की और चलती है उन्हें गर्म धाराएं कहते हैं ये प्राय भूमध्य रेखा से ध्रुवों की और चलती है। इनके जल का तापमान मार्ग में आने वाले जल के तापमान से अधिक होता हैं। अत: ये धाराएं जिन क्षेत्रों में चलती हैं वहां का तापमान बढ़ा देती है। गल्क स्ट्रीम इसका एक उदाहरण है।
    • ठण्डी धाराएं Cold Currents :- जो धाराएं ठंडे क्षेत्रों से गर्म क्षेत्रों की ओर चलती हैं उन्हें ठंडी धाराएं कहते हैं। ये प्राय ध्रुवों से भूमध्य रेखा की और चलती हैं इनके जल का तापमान रास्ते में आने वाले जल के तापमान से कम होता है अत: ये धाराएं जिन क्षेत्रों में चलती है वहां का तापमान घटा देती है। लेब्राडोर ठण्डी धारा इसका एक उदाहरण है।
  5. महासागरीय धाराओं के कौन-कौन से प्रभाव होते है ?
    उत्तर-
     महासागरीय धाराओं के निम्नलिखित प्रभाव होते है :-
    1. ये धाराएँ अपने आसपास के स्थल क्षेत्रों के तापमान और तापान्तर को प्रभावित करती है। ठंडी धाराएँ स्थल क्षेत्रों के तापमान को कम कर देती है तथा गर्म धाराएँ स्थल क्षेत्रों के तापमान को बढ़ा देती हैं।
    2. महासागरीय धाराओं के कारण अन्य जलवायविक परिवर्तन भी हो सकते हैं जैसे कोहरे की उत्पति, आर्द्रता में वृद्धि और मृदुलता।
    3. ठंडी और गर्म धाराओं के मिलने के स्थान पर प्लैंकटन की बढ़ोतरी हो जाती है जिसके कारण इन क्षेत्रों में मछलियाँ बहुतायत में पाई जाती हैं। संसार के प्रमुख मतस्य क्षेत्र इन्हीं स्थानों पर पाए जाते हैं।
  6. दिए गए विश्व के रेखा मानचित्र में निम्न महासागरीय धाराओं को दशईिये ?
    उत्तर-
     प्रशांत महासागर की समुद्री धाराएं :-
    1. उत्तरी प्रशान्त महासागर की ठंडी धारा (ओयोशिवो धारा)
    2. दक्षिणी प्रशान्त की ठंडी धारा (हम्बोल्ट धारा (पेरू)
    3. दक्षिणी प्रशान्त महासागर की गर्म जल धारा (पूर्वी आस्ट्रेलिया धारा)
    4. उत्तरी प्रशान्त महासागर की गर्म जल धारा ( | धारा)
    5. कैलीफोर्निया धारा
    6. अलास्का धारा