समानता - एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर

सीबीएसई कक्षा - 11 राजनीति विज्ञान
एनसीईआरटी प्रश्नोत्तर
पाठ - 3 समानता

1. कुछ लोगों का तर्क है कि असमानता प्राकृतिक है जबकि कुछ अन्य का कहना है कि वास्तव में समानता प्राकृतिक है और जो असमानता हम चारों ओर देखते हैं उसे समाज ने पैदा किया है। आप किस मत का समर्थन करते हैं? कारण दीजिए।
उत्तर- समानता के दो पहलु माने जाते है :समानता एवं असमानता इनमें से कुछ प्राकृतिक हैं । तो कुछ सामाजिक प्राकृतिक असमानताएँ लोगों की जन्मगत विशिष्टताओं और योग्यताओं का परिणाम मानी जाती हैं। प्रकृति ने सभी व्यक्तियों को एकसमान नहीं पैदा किया है। कुछ लोगों को प्रकृति ने शारीरिक, बौद्धिक व अन्य योग्यताएँ दी हैं। जिसकी वजह से वे साधारण व्यक्तियों से आगे निकल जाते हैं और कभी-कभार उनका नेतृत्व भी करने लगते हैं। इसके ठीक विपरीत कुछ लोग ऐसे हैं, जिनमें इस प्रकार की योग्यताएँ देखने को नहीं मिलतीं। उनमें शासन करने की योग्यता नहीं होती और वे दूसरों के अधीन रहने को बाध्य होते हैं। यहाँ पर मैं उन लोगों द्वारा किए गए इस दावे को खारिज करता हूँ कि वास्तव में समानता प्राकृतिक है। हाँ, प्राकृतिक असमानताओं को छोड़कर जो भी असमानताएँ हमारे इर्द-गिर्द दिखती हैं, उन्हें समाज ने पैदा किया है। उदाहरण, स्वतंत्रता पूर्व भारत में छूआछूत की कुप्रथा प्रचलित थी। यह दुखद है कि यह प्रथा आज भी देश के कुछेक हिस्से में देखने को मिलती है।
यह सामाजिक असमानता ही है कि आज भी भारत में दो वर्ग सक्रिय हैं, जिसमें सवर्ण वर्ग और दलित वर्ग शामिल हैं। औरतों को अनादि काल से अबला कहा जाता रहा है। उन्हें भीरु और पुरुषों से कमतर माना जाता है। विश्व के अनेक देशों में रंग-भेद और जाति-भेद की नीति चलती आ रही है। अफ्रीका में काले लोग उनके औपनिवेशिक शासकों द्वारा कम बुद्धिवाले, निरे बच्चे और महज शारीरिक श्रम, खेल-कूद और संगीत में बेहतर माने गए। ये सारी असमानताएँ सामाजिक हैं अर्थात् इन्हें समाज ने पैदा किया है।

2. एक मत है कि पूर्ण आर्थिक समानता न तो संभव है। और न ही वांछनीय। एक समाज ज़्यादा से ज़्यादा बहुत अमीर और बहुत ग़रीब लोगों के बीच की खाई को कम करने का प्रयास कर सकता है। क्या आप इस तर्क से सहमत हैं? अपना तर्क दीजिए।
उत्तर- मैं इस तर्क से पूर्णतः सहमत हूँ। पूर्ण आर्थिक समानता लाना बिलकुल भी संभव नहीं है। लेकिन हाँ, अमीरों और गरीबों के बीच की खाई बहुत चौड़ी या गहरी नहीं होनी चाहिए। खुशी की बात है कि आज अधिकतर लोकतंत्र लोगों को समान अवसर उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहे हैं। यह माना जाता है कि समान अवसर कम से कम उन्हें अपनी हालत को सुधारने का मौका देते हैं, जिनके पास प्रतिभा और संकल्प हैं। समान अवसरों के साथ भी असमानता बनी रह सकती है, लेकिन इसमें यह संभावना छुपी है कि आवश्यक प्रयासों द्वारा कोई भी समाज में अपनी स्थिति बेहतर कर सकता है।
लेकिन समाज के लिए गहरी खाई जैसी वे असमानताएँ अधिक खतरनाक हैं जो पीढ़ियों से अनछुई रही हैं। अगर किसी समाज में कुछ खास वर्ग के लोग पीढ़ियों से बेशुमार धन-दौलत और इसके साथ हासिल होनेवाली सत्ता का उपयोग करते हैं, तो समाज वर्गों में बँट जाता है। एक ओर वे, जो पीढ़ियों से धन, विशेषाधिकार तथा सत्ता का उपयोग करते आए हैं और अन्य जो पीढ़ियों से गरीब बने रहे। कालक्रम में ऐसा वर्गभेद आक्रोश और हिंसा को बढ़ावा देता है। अतः इतनी गहरी खाई को पाटने के लिए प्रयास आवश्यक है।
समय के अनुसार सरकार व अदालतों ने शैक्षणिक संस्थाओं तथा प्रवेश परीक्षाओं का नियमन करने के लिए हस्तक्षेप किया है ताकि हर प्रत्याशी को स्पर्धा का उचित तथा समान अवसर मिल सके। सरकार ने वंचित समुदायों के लिए छात्रवृति और हॉस्टल जैसी सुविधाएँ भी मुहैया कराया है। वंचित समुदायों के विकास व समृद्धि को देखते हुए नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की सुविधा दी गई है।
इन सब प्रयासों से बहुत अमीर और बहुत गरीब लोगों के बीच की खाई कम हो सकती है।

3. नीचे दी गई अवधारणा और उसके उचित उदाहरणों में मेल बैठायें।
क. सकारात्मक कार्यवाई1. प्रत्येक वयस्क नागरिक को मत देने का अधिकार हैं।
ख. अवसर की समानता2. बैंक वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज की ऊँची दर देते हैं।
ग. समान अधिकार3. प्रत्येक बच्चे की निःशुल्क शिक्षा मिलनी चाहिए।
उत्तर-
क. सकारात्मक कार्यवाई2. बैंक वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज की ऊँची दर देते हैं।
ख. अवसर की समानता3. प्रत्येक बच्चे की निःशुल्क शिक्षा मिलनी चाहिए।
ग. समान अधिकार1. प्रत्येक वयस्क नागरिक को मत देने का अधिकार हैं।

4. किसानों की समस्या से संबंधित एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार छोटे और सीमांत किसानों को बाज़ार से अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिलता। रिपोर्ट में सलाह दी गई कि सरकार को बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए। लेकिन यह प्रयास केवल लघु और सीमांत किसानों तक ही सीमित रहना चाहिए। क्या यह सलाह समानता के सिद्धांत से संभव है?
उत्तर- रिपोर्ट में सरकार को जो समाः दी गई हैं वह समानता के सिद्धांत से पूर्णत: संभव है। ज्ञातव्य है कि रिपोर्ट में केवल लघु और सीमांत किसानों की ही चर्चा की गई है। अतः सलाह भी उन्हीं के हितों से संबंधित है।

5. निम्नलिखित में से किस में समानता के किस सिद्धांत का उल्लंघन होता है और क्यों?
  1. कक्षा का हर बच्चा नाटक का पाठ अपना क्रम आने पर पढ़ेगा।
  2. कनाडा सरकार ने दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति से 1960 तक यूरोप के श्वेत नागरिकों को कनाडा में आने और बसने के लिए प्रोत्साहित किया।
  3. वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग से रेलवे आरक्षण की एक खिड़की खोली गई।
  4. कुछ वन क्षेत्रों को निश्चित आदिवासी समुदायों के लिए आरक्षित कर दिया गया है।
उत्तर-
  1. प्रथम कथन में सामाजिक समानता के सिद्धांत का उल्लंघन होता होआ दिखाई देता है, क्योंकि नाटक का पाठ पढ़ने का अवसर सबसे पहले मेधावी बच्चों को मिलना चाहिए।
  2. द्वितीय कथन में राजनीतिक समानता के सिद्धांत के द्वारा अश्वेतों के साथ भेदभाव की नीति अपनाई गई है।
  3. तृतीय कथन में सामाजिक समानता के सिद्धांत का उल्लंघन हो रहा है, क्योंकि इस प्रकार की सभी नागरिको के साथ समान बर्ताव करता दिखाई देता है।
  4. चौथे कथन में भी सामाजिक समानता के सिद्धांत का ही उल्लंघन हो रहा है, क्योंकि वन क्षेत्रों पर निश्चित आदिवासी समुदायों का नहीं बल्कि पूरे आदिवासी समुदायों का अधिकार होना चाहिए।

6. यहाँ महिलाओं को मताधिकार देने के पक्ष में कुछ तर्क दिए गए हैं। इनमें से कौन-से तर्क समानता के विचार से संगत हैं। कारण भी दीजिए।
  1. स्त्रियाँ हमारी माताएँ हैं। हम अपनी माताओं को मताधिकार से वंचित करके अपमानित नहीं करेंगे।
  2. सरकार के निर्णय पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी प्रभावित करते हैं इसलिए शासकों के चुनाव में उनका भी मत होना चाहिए।
  3. महिलाओं को मताधिकार न देने से परिवारों में मतभेद पैदा हो जाएँगे।
  4. महिलाओं से मिलकर आधी दुनिया बनती है। मताधिकार से वंचित करके लबे समय तक उन्हें दबाकर नहीं रखा जा सकता है।
उत्तर-
  1. तर्क "i." समानता के संदर्भ में यह संगत है, क्योंकि इसमें पुरुषों की तरह ही स्त्रियों को भी मताधिकार देने की बात कही गई है।
  2. तर्क "ii." भी समानता के संदर्भ में यह संगत हैं, क्योंकि इसमें भी स्त्रियों को पुरुषों की तरह मताधिकार देने की बात कही गई है।
  3. तर्क "iii." समानता के विचार में यह असंगत है, क्योंकि इसमें महिलाओं को मताधिकार नहीं देने की बात कही गई है।
  4. तर्क "vi" समानता के विचार में यह असंगत है, क्योंकि इसमें स्पष्ट किया गया है कि जिस दुनिया में हम रहते हैं वह स्त्रियों और पुरुषों की बराबर की संख्या से बनी है और इस आधार पर उन्हें मताधिकार अवश्य दिया जाना चाहिए।