अतीत में दबे पाँव - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

 सीबीएसई कक्षा -12 हिंदी कोर

महत्वपूर्ण प्रश्न
पाठ – 03

ओम थानवी (अतीत में दबे पाँव)


महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

I. बोधात्मक प्रश्न

1. अजायबघर में रखे सिंधु-सभ्यता के पुरातत्व के अवशेषों से किसका महत्व सिद्ध होता है?-कला का या ताकत का?

उत्तर- मुअनजो-दड़ो के अजायबघर में सिंधु-सभ्यता के पुरात्व के अवशेष रखे गए हैं। यहाँ पर काला पड़ गया गेहूँ, ताँबे और काँसे के बर्तन, मुहरें, वाद्य, चाक पर बने विशाल मृद्-भांड, चौपड़ की गोटियाँ, मिट्टी की बैलगाड़ी, पत्थर के औज़ार, मिट्टी के कंगन आदि रखे गए हैं। यहाँ की चीजों को देखने से पता चलता है कि यहाँ औज़ार तो है, पर हथियार नहीं। समूची सिंधु-सभ्यता में हथियार उस तरह के नहीं मिले हैं जैसे किसी राजतंत्र में होते हैं। यहाँ पर प्रभुत्व या दिखावे के तेवर नदारद हैं। इससे यह पता चलता है कि इस सभ्यता में कला का महत्त्व अधिक था, न कि ताकत का।

2. मुअनजो-दड़ो की बड़ी बस्ती पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर- लेखक ने बताया कि बड़ी बस्ती में घरों की दीवारें ऊँची व मोटी हैं। मोटी दीवार का अर्थ यह है कि उस पर दूसरी मंजिल भी होगी। कुछ दीवारों में छेद हैं जो संकेत देते हैं कि दूसरी मंजिल उठाने के लिए शायद यह शहतीरों की जगह हो। सभी घर एक ही आकार की पक्की ईटों से बने हैं। यहाँ पत्थरों का प्रयोग मामूली है। कहीं-कहीं नालियों को अनगढ़ पत्थरों से ढका गया है।

3. पुरातत्त्वेत्ताओं ने किस भवन को ‘कॉलेज ऑफ प्रीस्ट्स’ कहा है तथा क्यों?

उत्तर- मुअनजो-दड़ो के महाकुंड के उत्तरपूर्व में एक लंबी इमारत के अवशेष हैं। इसके बीचोंबीच खुला बड़ा दालान है। इसमें तीन तरफ़ बरामदे हैं। कभी इनके साथ छोटे-छोटे कमरे रहे होंगे। पुरातत्व के जानकार कहते हैं कि धार्मिक अनुष्ठानों में ज्ञानशालाएँ सटी हुई होती थीं। इस नजरिए से इसे कॉलेज ऑफ प्रीस्ट्स माना जा सकता है।

4. मुअनजो-दड़ों और चडीगढ़ के नगरशिल्प में क्या समानता पाई जाती है ?

उत्तर- मुअनजो-दड़ो और चंडीगढ़ के नगरशिल्प में महत्वपूर्ण समानता है। दोनों नगरों में सड़क के दोनों ओर घर हैं, परंतु किसी भी घर का दरवाजा सड़क पर नहीं खुलता। सभी के दरवाजे अंदर गलियों में हैं। दोनों नगरों में घर जाने के लिए मुख्य सड़क से सेक्टर में जाना पड़ता है, फिर घर की गली में प्रवेश करके घर में पहुँच सकते हैं।

5. ‘मुअनजो-दड़ो और चंडीगढ़ के नगरशिल्प में क्या समानता पाई जाती हैं?

उत्तर- मुअनजो-दड़ो में एक ऐसा भवन मिला है जिसकी जमीन में ईटों के गोल गड्ढे उभरे हुए हैं। अनुमान है कि इनमें रंगाई के बड़े बर्तन रखे जाते थे। दो कतारों में सोलह छोटे एक-मंजिला मकान हैं। एक कतार मुख्य सड़क पर है, दूसरी पीछे की छोटी सड़क की तरफ़। सबमें दो-दो कमरे हैं। यहाँ सभी घरों में स्नानघर हैं। बाहर बस्ती में कुएँ सामूहिक प्रयोग के लिए हैं। शायद ये कर्मचारियों के लिए होंगे।

6. मुअनजो-दड़ो को देखते-देखते लेखक को किसकी याद आ गई तथा क्यों?

उत्तर- मुअनजो-दड़ो के वीरान शहर को देखते हुए उसे जैसलमेर के गाँव कुलधरा की याद आई। यह पीले पत्थर के घरों वाला सुंदर गाँव है। यह गाँव काफी समय से वीरान है। कोई डेढ़ सौ साल पहले राजा से तकरार पर स्वाभिमानी गाँव का हर व्यक्ति रातों-रात अपना घर छोड़कर चला गया। तब से मकान खंडहर हो गए, पर ढहे नहीं हैं। वे आज भी अपने निवासियों की प्रतीक्षा में खड़े लगते हैं।

7. मुअनजो-दड़ो की सभ्यता का अभी इतना प्रचार क्यों नहीं हुआ है?

उत्तर- मुअनजो-दड़ो की सभ्यता के प्रचार न होने के निम्नलिखित कारण हैं-

(i) इस सभ्यता में भव्यता का आडंबर नहीं हैं।

(ii) यह सभ्यता पिछली शताब्दी में ही दुनिया के सामने आई है।

(iii) इसकी लिपि अभी तक पढ़ी नहीं जा सकी है। अतः बहुत सारे रहस्यों पर से पर्दा नहीं उठा है।

8. सिंधु-सभ्यता के सबसे बड़े शहर मुअनजो-दड़ो की नगरयोजना दर्शकों को अभिभूत क्यों करती है? स्पष्ट कीजिए।

अथवा

मुअनजो-दड़ो की नगर-योजना आज के सेक्टर-मार्का कॉलोनियों के नीरस नियोजन की अपेक्षा ज़्यादा रचनात्मक है-टिप्पणी कीजिए।

उत्तर- मुअनजो-दड़ो की गिरयोजना बेमिसाल है। यहाँ की सड़कें सीधी हैं या फिर आड़ी हैं। शहर से जुड़ी हर चीज अपने स्थान पर है। मुख्य सड़क की चौड़ाई तैतीस फुट है। सड़क के दोनों ओर घर हैं, परंतु घरों के दरवाजे गलियों में खुलते हैं। सड़क के दोनों तरफ ढकी हुई नालियाँ हैं। गलियों की सड़कें छोटी हैं। शहर से पानी के लिए कुओं का प्रबंध भी है। आधुनिक सेक्टरों में जीवन की गतिशीलता नहीं होती। नया नियोजन शहर को विकसित नहीं होने देता। मुअनजो-दड़ो की नगरयोजना दर्शकों को अभिभूत करती है।

9. ‘अतीत में दबे पाँव’ के लेखक ने मुअनजो-दड़ो की सभ्यता को किस आधार पर ‘लो-प्रोफ़ाइल’ सभ्यता कहा है?

अथवा

मुअनजों दड़ों की सभ्यता को ‘लो-प्रोफ़ाइल सभ्यता’ क्यों कहा जाता है ?

उत्तर- लेखक ने मुअनजो-दड़ो की सभ्यता को ‘लो-प्रोफ़ाइल सभ्यता’ कहा है। इसके निम्नलिखित आधार हैं

(i) यहाँ पर राजतंत्र को प्रदर्शित करने वाले महल, धर्म की ताकत दिखाने वाले पूजा-स्थल, मूर्तियाँ व पिरामिड नहीं मिले हैं।

(ii) यहाँ से मिली राजा की मूर्ति पर जो मुकट है, उसका आकार बहुत छोटा है।

(iii) यहाँ से मिली नावें बहुत छोटे आकार की हैं।

10. ‘मुअनजो-दड़ो’ बड़े घरों में भी छोटे-छोटे कमरे होने का क्या कारण हो सकता है? ‘अतीत में दबे पाँव’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- मुअनजो-दड़ो में बड़े-बड़े घरों में भी छोटे-छोटे कमरे पाए गए हैं, यह हैरानी का विषय है। इसके कारण हो सकते हैं-

(i) शहर की आबादी काफ़ी हो सकती है।

(ii) ग्रेगरी पोसेल का मानना है कि निचली मंजिल में नौकर-चाकर रहते होंगे।

11. ‘मुअनजो-दड़ो में प्राप्त वस्तुओं में औज़ार तो हैं, पर हथियार नहीं।’ इससे सिंधु-सभ्यता के बारे में आपकी क्या धारणा बनती है?

उत्तर- मुअनजो-दड़ो में अनेक वस्तुओं के अवशेष मिले हैं, परंतु उसमें हथियार नहीं मिले। इससे यह धारणा बनती है कि इस सभ्यता में राजतंत्र या धर्मतंत्र नहीं था। यह समाज-अनुशासित सभ्यता थी जो यहाँ की नगर योजना, वास्तुशिल्प, मुहर-ठप्पों, पानी या साफ़-सफ़ाई जैसी सामाजिक एकरूपता को कायम रखे हुए थी।

12. कैस कहा जा सकता है कि मुअनजो-दड़ो शहर ताम्रकाल के शहरों में सबसे बड़ा और उत्कृष्ट हैं ?

उत्तर- मुअनजो-दड़ो की खुदाई के अवशेषों से ज्ञात होता है कि यहाँ नगर-योजना, मकान, खेती, केला, औजार आदि के अवशेष मिले हैं। इनके आधार पर ही एक धारणा बनाई गई कि यह सभ्यता अत्यंत विकसित थी। अनुमान लगाए गए कि यहाँ की नगर-योजना आज की शहरी योजना से विकसित थी, यहाँ पर मरुभूमि नहीं थी, कृषि उन्नत दशा में थी, पशुपालन व व्यापार भी विकसित था। इस प्रकार कहा जा सकता है कि मुअलेजो-दड़ो शहर ताम्रकाल के शहरों में सबसे बड़ा और उत्कृष्ट था।

13. महाकुंड में अशुद्ध जल को रोकने की क्या व्यवस्था थी ? ‘ अतीत में दूने पाँव ’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।

उत्तर- महाकुंड में पानी का रिसाव रोकने तथा गंदे पानी से बचाव के लिए कुंड के तल व दीवारों पर चूने व चिरोड़ी के गारे का प्रयोग किया गया है। पानी के लिए एक तरफ कुआँ है। कुंडे से पानी को बाहर बहाने के लिए नालियाँ हैं। ये पक्की ईटों से बनी हैं तथा ईटों से ढकी भी हैं। पानी-निकासी को ऐसा सुव्यवस्थित बंदोबस्त इससे पहले के इतिहास में नहीं मिलता।