नागरिकता - पुनरावृति नोट्स
कक्षा 11 राजनीति विज्ञान
पाठ - 6 नागरिकता
पुनरावृति नोटस
पाठ - 6 नागरिकता
पुनरावृति नोटस
स्मरणीय बिंदु:-
- जो व्यक्ति राज्य का सदस्य हों और जिसे राज्य की और से कुछ अधिकार मिले हो तथा राज्य के प्रति कुछ उत्तरदायित्च भी रखता हो।
- किसी राज्य अथवा देश की पूर्ण सदस्यता ही नागरिकता कहलाती है।
- नागरिकता से अभिप्राय एक राजनीतिक समुदाय की पूर्ण और समान सदस्यता है जिसमें कोई भेदभाव नहीं होता। राष्ट्रों ने अपने सदस्यों को एक सामूहिक राजनीतिक पहचान के साथ ही कुछ अधिकार भी दिए है। इसलिए हम सबंद्ध राष्ट्र के आधार पर स्वंय को भारतीय, जापानी या जर्मन कहते हैं।
- अधिकतर लोकतांत्रिक देशों में नागरिकों को अभिव्यक्ति का अधिकार, मतदान या आस्था की स्वतंत्रता, न्यूनतम मजदूरी या शिक्षा पाने का अधिकार शामिल किए जाते हैं।
- नागरिक आज जिन अधिकारों का प्रयोग करते है उन्हें उन्होंने एक लंबे संघर्ष के बाद प्राप्त किया है जैसे 1789 की फ्रांसीसी क्रांति, दक्षिण अफ्रीका में समान नागरिकता प्राप्त करने के लिए लंबा संघर्ष आदि।
- नागरिकता में नागरिकों के आपसी संबंध भी शामिल हैं इसमें नागरिकों के एक दूसरे के प्रति और समाज के प्रति निश्चित दायित्व सम्मिलित होते हैं।
- नागरिकों को देश के सांस्कृतिक और प्राकृतिक संसाधनों का उत्तराधिकारी और न्यासी भी माना जाता है।
विदेशी:- जो व्यक्ति किसी अन्य राज्य के नागरिक होते है और अस्थाई रूप से दूसरे देश में आये
हों।
हों।
संपूर्ण और समान सदस्यता:-
- इसका अभिप्राय है नागरिकों को देश में जहां चाहें रहने, पढ़ने, काम करने का समान अधिकार व अवसर मिलना तथा सभी अमीर-गरीब नागरिकों को कुछ मूलभूत अधिकार एवं सुविधाएं प्राप्त होना है।
प्रवासी:-
- काम की तलाश में लोग एक शहर से दूसरे शहर तथा देश से दूसरे देश की ओर की ओर जाते है, तब वे प्रवासी कहलाते है
- निर्धन प्रवासियों का अपने-अपने क्षेत्रों में उसी प्रकार स्वागत नहीं होता जिस प्रकार कुशल और दौलतमंद प्रवासियों का होता है।
- प्रतिवाद (विरोध) का अधिकार हमारे संविधान में नागरिकों के लिए सुनिश्चित की गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का एक पहलू है बशर्ते इससे दूसरें लोगों या राज्य के जीवन और संपत्ति को क्षति नहीं पहुंचनी चाहिए।
प्रतिवाद के तरीके:-
- नागरिक समूह बनाकर, प्रदर्शन कर के, मीडिया का इस्तेमाल कर, राजनीतिक दलों से अपील कर या अदालत में जाकर जनमत और सरकारी नीतियों को परखने और प्रभावित करने के लिए स्वतंत्र है।
- समान अधिकार: शहरों में अधिक संख्या झोपड़पट्टियों और अवैध कब्जें की भूमि पर बसे लोगों की हैं। ये लोग हमारे बहुत काम के है । इनके बिना एक दिन भी नहीं गुजारा जा सकता जैसे सफाईकर्मी, फेरीवाले, घरेलू नौकर, नल ठीक करने वाले आदि।
- सरकार, स्वंय सेवी संगठन भी इन लोगों के प्रति जागरूक हो रहे है। सन 2004 में एक राष्ट्रीय नीति बनाई गई जिससे लाखों फुटपाथी दुकानदारों को स्वतंत्र कारोबार चलाने का बल प्राप्त हुआ।
- इसी प्रकार एक और वर्ग है जिसको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है वह है आदिवासी और वनवासी समूह। ये लोग अपने निर्वाह के लिए जंगल और दूसरे प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहते हैं
- नागरिकों के लिए समान अधिकार का अर्थ है नीतियाँ बनाते समय भिन्न-भिन्न लोगों की भिन्न-भिन्न जरूरतों का तथा दावों का ध्यान रखना |
नगारिक और राष्ट्र:-
- कोई नागरिक अपनी राष्ट्रीय पहचान को एक राष्ट्रगान, झांडा, राष्ट्रभाषा या कुछ खास उत्सवों के आयोजन जैसे प्रतीकों द्वारा प्रकट कर सकता है। लोकतांत्रिक देश यथासंभव समावेशी होते हैं जो सभी नागरिकों को राष्ट्र के अंश के रूप में अपने को पहचानने की इजाजत देता है। जैसे फ्रांस, जो यूरोपीय मूल के लोगों को ही नहीं अपितु उत्तर अफ्रीका जैसे दूसर क्षेत्रों से आए नागरिकों को भी अपने में सम्मिलित करता है इसे राज्यकृत नागरिकता कहते हैं।
- राज्यकृत नागरिकता के लिए आवेदकों को अनुमति देने की शर्ते प्रत्येक देश में पृथक होती है जैस इजराइल या जर्मनी में धर्म और जातीय मूल जैसे तत्वों को प्राथमिकता दी जाती है।
- भारतीय संविधान ने अनेक विविधतापूर्ण समाजों को समायोजित करने का प्रयास किया है। इसने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति जैसे अलग-अलग समुदायों, महिलाओं, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के कुछ सुदूरवर्ती समुदायों को पूर्ण तथा समान नागरिकता देने का प्रयास किया है।
- नागरिकता से संबंधित प्रावधानों का वर्णन संविधान के तीसरे खंड तथा संसद द्वारा तत्पश्चात पारित कानूनों से हुआ हैं।
राज्यकृत नागरिकता की तरीक
- पंजीकरण
- देशीकरण
- वंश परंपरा
- किसी भू क्षेत्र का राजक्षेत्र में मिलना
सार्वभौमिक नगारिकताः-
- हम यह मान लेते हैं कि किसी देश की पूर्ण सदस्यता उन सबको उपलब्ध होनी चाहिए जो सामान्यतः उस देश के निवासी है, वहां काम करते या जो नागरिकता के लिए आवदेन करते हैं किंतु नागरिकता देने की शर्त सभी तय करते हैं। अवांछित नागरिकता से बाहर रखने के लिए राज्य ताकत का इस्तेमाल करते हैं परंतु फिर भी व्यापक स्तर पर लोगों का देशांतरण होता है।
विस्थापन के कारणः
- युद्ध, अकाल, उत्पीड़न
शरणाथों का अर्थ:-
- विस्थापन के कारण जो लोग न तो घर लौट सकते है और न ही कोई देश उन्हें अपनाने को तैयार होता है तो वे राज्यविहीन या शरणार्थी कहलाते हैं
नागरिक व विदेशी में अंतर:-
बिंदु | नागरिक | विदेशी | |
1. | निवास | स्थाई | अस्थाई (भ्रमण या व्यापार) |
2. | अधिकार | सभी राजनीतिक तथा सामाजिक अधिकार प्राप्त | केवल सामाजिक अधिकार प्राप्त |
3. | कर्त्तव्य | सभी कानूनी कर्त्तव्य पालन अनिवार्य | अपने मूल देश के प्रति वफादार |
4. | प्रतिबन्ध | घुमने व निवास पर कोई प्रतिबन्ध नहीं | निश्चित जगह व समयबद्ध निवास |
नागरिकता के प्रकार:-
- जन्मदाता- जन्म के आधार पर प्राप्त
- राज्यकृत- कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण राज्य द्वारा नागरिकता प्रदान करना।
- इकहरी नागरिकता- देश की एक नागरिकता।
- दोहरी नागरिकता- एक देश की तथा एक प्रान्त की नागरिकता।
नागरिकता प्राप्ति के तरीकें:-
- विवाह
- लम्बा निवास
- गोद लेना
- सम्पत्ति खरीदना
- सरकारी सेवा
- विजय या हस्तांतरण
- विद्वान होना।
नागरिकता त्याग के तरीकें:-
- त्यागपत्र
- विवाह
- अनुपस्थिति
- दोहरी नागरिकता की स्थिति में
- विदेश में नौकरी
- देशद्रोह
वैश्विक (सर्वव्यापी) नागरिकता:- पूरे विश्व की एक नागरिकता होना, इस संदर्भ में अनेक विद्वानों के पक्ष तथा विपक्ष में मत इस प्रकार है।
- वैश्विक नागरिकता- विश्व व्यापार संगठन व संयुक्त राष्ट्र संघ के अनेक देश सदस्य है इनके मध्य आदान-प्रदान होता है। उसका प्रयत्न केवल यही है कि सभी देशवासी अपनी पहचान त्याग कर विश्व नागरिक बन जायें।
- वैश्विक नागरिकता नहीं है- संयुक्त राष्ट्रसंघ युद्ध रोकने का एक संगठन संगठन है। विश्व व्यापार संगठन आर्थिक संगठन है उसके पास दण्डात्मक शक्ति नही है।
विश्व नागरिकता:-
- आज हम एक ऐसी दुनिया में रहते है जो आपस में एक दूसरे से जुड़ा है संचार के साधन, टेलिविजन या इंटरनेट ने हमारे संसार को समझने के ढंग में भारी परिवर्तन किया है। एशिया की सूनामी या बड़ी आपदाओं के पीड़ितों की सहायता के लिए विश्व के सभी भागों से उमड़ा भावोद्गार विश्व समाज की उभार को ओर इशारा करता है। इसी को विश्व नागरिकता कहा जाता है।
विश्व नागरिकता से लाभ:-
- इससे राष्ट्रीय समीओं के दोनों तरफ उन समस्याओं का समाधान करना सरल होगा जिसमें बहुत देशों की सरकारों और लोगों की संयुक्त कार्यवाही जरूरी होती है। इससे प्रवासी या राज्यविहीन लोगों की समस्या का सर्वमान्य निबटान करना आसान हो सकता है।