अतीत में दबे पाँव - पुनरावृति नोट्स

 सीबीएसई कक्षा - 12 हिन्दी कोर वितान

पाठ – 03
अतीत में दबे पाँव


पाठ का सार- यह ओम थानवी के यात्रा-वृत्तांत और रिपोर्ट का मिला-जुला रूप है। उन्होंने इस पाठ में विश्व के सबसे पुराने और नियोजित शहरों-मुअनजो-दड़ो तथा हड़प्पा का वर्णन किया है। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में मुअनजो-दड़ो ओर पंजाब प्रांत में हड़प्पा नाम के दो नगरों को पुरातत्वविदों ने खुदाई के दौरान खोज निकाला था। मुअनजो-दड़ो ताम्रकाल का सबसे बड़ा शहर था। मुअनजो-दड़ो अर्थात मुदों का टीला। यह नगर मानव निर्मित छोटे-छोटे टीलों पर बना था। मुअनजो-दड़ो में प्राचीन और बड़ा बौद्ध स्तूप है। इसकी नगर योजना अद्वितीय है। लेखक ने खंडहर हो चुके टीलों, स्रानागार, मृद-भांडों, कुओं-तालाबों, मकानों व मार्गों का उल्लेख किया है जिनसे शहर की सुंदर नियोजन व्यवस्था का पता चलता है। बस्ती में घरों के दरवाजे मुख्य सड़क की ओर नहीं खुलते हर घर में जल निकासी की व्यवस्था है, सभी नालियाँ की ढकी हुई हैं, पक्की ईटों का प्रयोग किया गया है।

नगर में चालीस फुट लम्बा ओर पच्चीस फुट चौड़ा एक महाकुंड भी है। इसकी दीवारें ओर तल पक्की ईटों से बने हैं। कुंड के पास आठ स्नानगार हैं। कुंड में बाहर के अशुद्ध पानी को न आने देने का ध्यान रखा गया। कुंड में पानी की व्यवस्था के लिए कुंआ है। एक विशाल कोठार भी है जिसमें अनाज रखा जाता था उन्नत खेती के भी निशान दिखते हैं-कपास, गेहूं, जौ, सरसों, बाजरा आदि के प्रमाण मिले हैं।

सिंधु घाटी सभ्यता में न तो भव्य राजमहल मिलें हैं ओर ही भव्य मंदिर नरेश के सर पर रखा मुकुट भी छोटा है। मुअनजो-दड़ो सिंधु घाटी का सबसे बड़ा नगर है फिर भी इसमें भव्यता व आडम्बर का अभाव रहा है। उस समय के लोगों ने कला ओर सुरुचि को महत्व दिया। नगर-नियोजन, धातु एवं पत्थर की मूर्तियाँ, मृद-भांड उन पर चित्रित मानव ओर अन्य आकृतियाँ मुहरें, उन पर बारीकी से की गई चित्रकारी एक पुरात्त्ववेत्ता के मुताबिक सिंधु सभ्यता की खूबी उसका सौंदर्य-बोध है जो “राजपोषित या धर्मपोषित न होकर समाजपोषित था।”