गजानन माधव मुक्तिबोध - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

 सीबीएसई कक्षा -12 हिंदी कोर

महत्वपूर्ण प्रश्न
पाठ – 05

गजानन माधव मुक्तिबोध (सहर्ष स्वीकारा है)


महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

1. कवि के जीवन में ऐसा क्या-क्या हिया जिसे उसने सहर्ष स्वीकारा है?

उत्तर- कवि ने जीवन के सुख-दुख की अनुभूतियों को सहर्ष स्वीकारा है | उसके पास गर्वीली गरीबी है, जीवन के गहरे अनुभव हैं, विचारों का वैभव, भावनाओं की बहती सरिता है, व्यक्ति की दृढ़ता है तथा प्रिय का प्रेम है | ये सब उसकी प्रिया को पसंद हैं, इसलिए उसे ये सब सहर्ष स्वीकारा हैं |

2. मुक्तिबोध की कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि कवि ने किस सहर्ष स्वीकारा था? आगे चलकर वह उसी को क्यों भूलना चाहता था?

उत्तर- कवि ने अपने जीवन में सुखद-दुखद, कटु, मधुर, व्यक्तित्व की दृढ़ता व मीठे-तीखे अनुभव आदि को सहर्ष स्वीकारा है क्योंकि वह इन सबको अपनी प्रिया के साथ जुड़ा पाता है | कवि का जीवन प्रेयसी के स्नेह से आच्छादित है | वह अतिशय भावुकता व संवेदनशीलता से तंग आ चूका है | इससे छुटकारा पाने के लिए वह विस्मृति के अन्धकार में खो जाना चाहता है |

3. ‘सहर्ष स्वीकारा है’ के कवि ने जिस चाँदनी को सहर्ष स्वीकारा था, उससे मुक्ति पाने के लिए वह अंग अंग में अमावस की चाह क्यों कर रहा है?

उत्तर- कवि अपनी प्रेयसी के अतिशय स्नेह, भावुकता के कारण परेशान हो गया | वह अकेले जीना चाहता है ताकि मुसीबत आने पर उसका सामना कर सके | वह आत्मनिर्भर बना चाहता है | यह तभी हो सकता है, जब वह प्रिया के स्नेह से मुक्ति पा सके | इसलिए वह अपने अंग-अंग में अमावस की चाह कर रहा है ताकि प्रिया के स्नेह को भूल सके |

4. ‘सहर्ष स्वीकारा है’ कविता का प्रतिपाद्य बताइए |

उत्तर- ‘सहर्ष स्वीकारा है’ कविता गजानन माधव मुक्तिबोध के काव्य-संग्रह भूरी-भूरी ख़ाक धूल से ली गई है | इसमें कवि ने अपने जीवन में समस्त अनुभवों, सुख-दुख, संघर्ष-अवसाद, उठा-पटक आदि स्थितियों को सहर्ष स्वीकार कर लिया, क्योंकि इन सभी के साथ वह अपनी प्रिया का जुड़ाव अनुभव करता है | उसका जो कुछ है वह सब उसकी प्रिया को अच्छा लगता है | कवि अपनी स्वाभिमान युक्त गरीबी, जीवन के गंभीर अनुभव, व्यक्तित्व की दृढ़ता, मन में उठती भावनाएँ, जीवन में मिली उपलब्धियाँ सभी के लिए अपनी प्रिया को प्रेरणा मानता है | कवि को लगता है कि वह अपनी प्रिया के प्रेम के अभाव स्वरूप कमजोर पड़ता जा रहा है | उसे अपना भविष्य अंधकारमय लगता है | वह अंधकारमय गुफा में एकाकी जीवन जीना चाहता है, पर वहाँ भी उसकी प्रिया की यादें साथ रहेंगी |

अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

“ज़िंदगी में जो कुछ भी है

सहर्ष स्वीकारा है;

इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है

वह तुम्हें प्यारा है।

गरबीनी गरीबी यह, ये गंभीर अनुभव सबयह वैभव विचार सब

दृढ़ता यह, भीतर की सरिता यह अभिनव सब

मौलिक है, मौलिक है

इसलिए कि पल-पल में

जो कुछ भी जाग्रत है अपलक है-

संवेदन तुम्हारा है!”

1. कवि और कविता का नाम लिखिए।

उत्तर- कवि-गजानन माधव मुक्तिबोध

कविता- सहर्ष स्वीकारा है।

2. गरबीली गरीबी , भीतर की सरिता आदि प्रयोगों का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- गरबीली गरीबी-निर्धनता का स्वाभिमानी रूप। कवि के विचारों की मौलिकता अनुभवों की गहराई दृढ़ता, हृदय का प्रेम उसके गर्व करने का कारण है।

3. कवि अपने प्रिय को किस बात का श्रेय दे रहा है ?

उत्तर- निजी जीवन के प्रेम का संबंल कवि को विश्व व्यापी प्रेम से जुड़ने की प्रेरणा देता है| अतः कवि इसका श्रेय अपने प्रिय को देता है।

सौंदर्य-बोध ग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

“जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है

जितना भी उंडेलता हूँ, भर-भर फिर आता है

दिल में क्या झरना है?

मीठे पानी का सोता है

भीतर वह, ऊपर तुम

मुस्काता चाँद ज्यों धरती पर रात-भर

मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा हैं।”

1. कविता की भाषा संबंधी दो विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर- 1- सटीक प्रतीकों,

2- नये ठपमानों का प्रयोग

2. “दिल में क्या झरना है ?

मीठे पानी का सोता है ?”--के लाक्षणिक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- “दिल में क्या झरना है?- हृदय के अथाह प्रेम का परिचायक

मीठे पानी का सोता है?” -अविरत्न, कभी समाप्त होने वाला प्रेम

3. कविता में प्रयुक्त बिंब का उदाहरण लिखिए।

उत्तर- दृश्य बिंब- “मुस्काता चाँद ज्यों धरती पर रात भर। मुझ पर तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा।”

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

1. कवि ने किसे सहर्ष स्वीकारा है ?

उत्तर- · कविता में जीवन के सुख-दुख, संघर्ष-अवसाद, उठा-पटक को समान रूप से स्वीकार करने की बात कही गई है।

· प्रिय से बिछुड़ कर भी उसकी स्मृतियों को व्यापक स्तर पर ले जाकर विश्व चेतना में मिला देने की बात कही गई है।

2. कवि को अपने अनुभव विशिष्ट एवं मौलिक क्यों लगते हैं ?

उत्तर- कवि को अपनी स्वाभिमानयुक्त गरीबी, जीवन के गम्भीर अनुभव विचारों का वैभव, व्यतित्व की दृढ़ता, मन की भावनाओं की नदी, यह सब नए रूप में मौलिक लगते हैं क्यों कि उसके जीवन में जो कुछ भी घटता है वह जाग्रत है, विधि उपयोगी है अतः उसकी उपलब्धि है और वह उसकी प्रिया की प्रेरणा से ही संभव हुआ है। उसके जीवन का प्रत्येक अभाव ऊर्जा बनकर जीवन में नई दिशा ही देता रहा है।

3. “दिल का झरना” का सांकेतिक अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- जिस प्रकार झरने में चारों ओर की पहाड़ियों से पानी इकट्टठा हो जाता है उसे एक कभी खत्म न होने वाले स्रोत के रूप में प्रयोग किया जा सकता है उसी प्रकार कवि के दिल में स्थित प्रेम उमड़ता है, कभी समाप्त नहीं होता। जीवन का सिंचन करता है। व्यक्तिगत स्वार्थ से दूर पूरे समाज के लिए जीवनदायी हो जाता है।

4. “जितना भी उँड़ेलता हूँ भर-भर फिर आता है” का विरोधाभास स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- हृदय में स्थित प्रेम की विशेषता यह है कि जितना अधिक व्यक्त किया जाए उतना ही बढ़ता जाता

5. वह रमणीय उजाला क्या है जिसे कवि सहन नहीं कर पाता ?

उत्तर- कवि ने प्रियतमा की आभा से प्रेम के सुखद भावों से सदैव घिरे रहने की स्थिति को उजाले के रूप में चित्रित किया है। इन स्मृतियों से घिरे रहना आनंददायी होते हुए भी कवि के लिए असहनीय हो गया है क्योंकि इस आनंद से वंचित हो जाने का भय भी उसे सदैव सताता रहता है।