औद्योगिक क्रांति-प्रश्न-उत्तर

                                                                    कक्षा 11 इतिहास

एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर
पाठ 9 औद्योगिक क्रांति


संक्षेप में उत्तर दीजिए -

1. ब्रिटेन 1793 से 1815 तक कई युद्धों में लिप्त रहा। इसका ब्रिटेन के उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर -  ब्रिटेन 1793 से 1815 तक कई युद्धों में लिप्त रहा। इसका ब्रिटेन के उद्योगों पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ा :

  • देश की अर्थव्यवस्था युद्धों के कारण चरमरा गई।
  • वहाँ की फैक्टिरियों पर भी व्यापारों के बन्द हो जाने का प्रभाव पड़ा जिससे वे उद्योगधंधे व कारखाने शीघ्र ही बंद हो गए।
  • युद्धों के कारण यूरोप के साथ उसका व्यापार वहाँ से अलग हो गया।
  • नेपोलियन बोनापार्ट की महाद्वीपीय व्यवस्था या आर्थिक बहिष्कार की नीति ने इंग्लैंड को आर्थिक संकट में फैसा दिया। कारणवश :नेपोलियन इंग्लैंड के विदेशी व्यापार को समाप्त कर देना चाहता था।
  • मजदूर उद्योगधंधों व कारखानों के बंद हो जाने की वजह से विवश हो गए और बेरोजगारी के कारण वे भुखमरी के शिकार होने लगे।
  • इंग्लैंड में रोटी तथा मांस की कीमतें आसमान छूने लगीं। साथ-ही-साथ इंग्लैंड की मुद्रा का भी अवमूल्यन हुआ।

2. नहर और रेलवे परिवहन के सापेक्षिक लाभ क्या-क्या हैं?

उत्तर -  नहर और रेलवे परिवहन के सापेक्षिक निम्लिखित लाभ हैं :

  1. बड़े-बड़े नगरों को इस नहरों से मिलाने पर शहरवासियों को सस्ते परिवहन भी उपलब्ध हुए।
  2. नहरों माध्यम से खानों से कोयले तथा लोहे जैसे भारी पदार्थों को कारखानों तक ले जाना बहुत आसान हो गया है।
  3. माल का आयात व निर्यात नहरों द्वारा सबसे सस्ता पड़ता था।
  4. अन्य साधनों की अपेक्षाकृत नहरों द्वारा की जाने वाली यात्रा में कम समय लगता था।

रेलवे परिवहन के सापेक्षिक लाभ :

  • औद्योगीकरण में इंग्लैंड के रेलवे का बहुतब सराहनीय सहयोग रहा है।
  • सबसे सस्ता व सरल साधन रेल संचार हैं जिससे लोगों की यात्रा करने में आराम हो गया।
  • रेल परिवहन से पूर्व यात्रियों को नहरों में यातायात के साधनों से यात्रा करते समय अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। उन्हें उन परेशानियों से छुटकारा मिल गया। रेल की गति नहर के यातायात की साधनों की अपेक्षा तीव्र थी और उस पर बाढ़, सूखे या तूफ़ान का प्रभाव नहीं पड़ता था।

3. इस अवधि में किए गए आविष्कारों की दिलचस्प विशेषताएँ क्या थीं?

उत्तर - 1750 से 1850 में मध्य ब्रिटेन में विभिन्न आविष्कार हुए और इनकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :

  1. इन आविष्कारों के लिए साधारण लोगों ने प्रयास किए न कि वैज्ञानिकों ने और वे अपने प्रयासों में सफल भी रहे।
  2. इन आविष्कारों तथा उपनिवेशवाद की वजह से भौगोलिक खोजों और अंतर्राष्ट्रीय बाजारीकरण को बल मिला।
  3. इन आविष्कारों के कारण वाणिज्यवाद और उपनिवेशवाद का प्रभाव बढ़ गया।
  4. इन आविष्कारों की वजह से विभिन्न उद्योग जैसे लोहा तथा कपड़ा उद्योग, इस्पात उद्योग, जहाज निर्माण उद्योगों को काफी प्रोत्साहन मिला।
  5. कच्चे माल की प्राप्ति तथा तैयार माल की खपत के लिए इंग्लैंड को एक विस्तृत बाजार की आवश्यकता पड़ी। यह स्थिति नि:संदेह अधिकाधिक उपनिवेशों की स्थापना के लिए इंग्लैंड की प्रोत्साहित किया।

4. बताइए कि ब्रिटेन के औद्योगीकरण के स्वरूप-कच्चे माल की आपूर्ति का क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर - ब्रिटेन के औद्योगीकरण के स्वरूप-कच्चे माल की आपूर्ति का बहुत प्रभाव पड़ा इसके अंतर्गत, विश्व के किसी भी औद्योगीकरण देश को अपने कारखाने को चलाने के लिए कच्चे माल की जरूरत होती है। यदि उस देश में कच्चे माल की कमी है तो उसकी आपूर्ति दूसरे देशों से आयात करके की जा सकती है। ब्रिटेन में लोहे व कोयले की खानें पर्याप्त मात्रा में थीं जिसकी वजह से उसके लिए लोहा और इस्पात से बनने वाली मशीनों के निर्माण में बहुत सहायता मिलीं। फलत: लौह उद्योग के क्षेत्र में वह अग्रणी देश बन गया। वस्त्र उद्योग ब्रिटेन का दूसरा प्रमुख उद्योग था। उद्योग के लिए कच्चे माल के रूप में कपास की जरूरत थी। वैसे तो इंग्लैंड में उपनिवेशों के स्थापित होने से पूर्व भी कपड़ा बुनने का काम होता था, परन्तु बहुत सीमित रूप से। इंग्लैंड को पर्याप्त मात्रा में कपास उपनिवेशों के स्थापित होने के बाद आसानी से उपलब्ध होने लगी। भारत से विशेष रूप से प्रतिवर्ष रुई की हजारों गाँठे इंग्लैंड पहुँचती थीं। इंग्लैंड के सूती वस्त्र उद्योग का अस्तित्व भारत से पहुँचने वाली रुई की गाँठों पर निर्भर था। रेलवे निर्माण एवं जहाज निर्माण भी इंग्लैंड का एक महत्वपूर्ण उद्योग था। हालाँकि इन उद्योगों के लिए उत्तम कोटि की लकड़ी की आवश्यकता थी। उसे उत्तम कोटि की लकड़ी भारत और अमरीकी बस्तियों से मिलती थी। यदि इन दोनों स्थानों से उत्तम लकड़ी नहीं मिलती तो संभवत: जहाज निर्माण एवं रेलवे निर्माण उद्योग का उल्लेखनीय विकास न हो पाता। यह स्पष्ट हो जाता है कि ब्रिटेन के औद्योगिकीकरण के स्वरूप पर कच्चे माल की आपूर्ति का पर्याप्त प्रभाव हुआ।


संक्षेप में निबंध लिखिए -

5. ब्रिटेन में स्वियों के भिन्न-भिन्न वर्गों के जीवन पर औद्योगिक क्रांति का क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर - ब्रिटेन में स्वियों के भिन्न-भिन्न वर्गों के जीवन पर औद्योगिक क्रांति का निम्नलिखित प्रभाव पड़ा :

  • औद्योगीकरण के कारण ब्रिटेन में पुरुष श्रमिकों के साथ स्त्रियों एवं बच्चों की भी हालत और ज्यादा खराब हो गई।
  • उद्योगपति, स्त्रियों को पुरुषों की अपेक्षा शीघ्र काम पर रख लेते थे क्योंकि वे इतनी सशक्त नहीं होती थीं कि संगठन बनाकर उनके अत्याचारों व शोषणवादी प्रवृत्ति की खिलाफत कर सकें। वे इतनी सक्षम भी नहीं थीं कि वे हिसांत्मक रूप से आदोलन भी कर सकें।
  • ब्रिटेन में औद्योगीकरण के कारण स्त्रियों को कारखानों में ज्यादा देर तक काम करने के फलस्वरूप उसका बुरा प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर पड़ा और स्त्रियों का गृहस्थ जीवन बर्बादी की कगार पर आ गया। वहीं दूसरी तरफ औद्योगीकरण के कारण संपन्न व उच्चवर्ग की स्त्रियों का जीवन और भी अधिक आनंदमय हो गया।
  • स्त्रियों को आसानी से आराम एवं ऐश्वर्य की वस्तुएँ प्राप्त होने लगीं। उनके भौतिक जीवन में काफी अनुकूल परिवर्तन आए। यातायात के साधनों के फलस्वरूप उन्हें और भी ज्यादा आजादी प्राप्त हो गई जो औद्योगीकरण से पूर्व सीमित थी।
  •  इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप उच्च वर्ग की महिलाओं का जीवन और अधिक सुविधापूर्ण तथा आनंदमय बन गया। उन्हें नवीन उपभोक्ता वस्तुएँ व भोजन सामग्री प्राप्त होने लगी। उनकी जीवन शैली में हर दिन बदलाव आने लगा था।

6. विश्व के भिन्न-भिन्न देशों में रेलवे आ जाने से वहाँ के जनजीवन पर क्या प्रभाव पड़ा? तुलनात्मक विवेचना कीजिए।

उत्तर - विश्व के भिन्न-भिन्न देशों में रेलवे आ जाने से वहाँ के जनजीवन पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ा :

रेलवे आ जाने के साकारात्मक प्रभाव रेलवे आ जाने के नकारात्मक प्रभाव 
  • रेलवे के आ जाने से जहाँ साम्राज्यवादी राष्ट्रों के कारखानों के लिए कच्चे माल तथा खाद्य सामग्रियों की आपूर्ति होने लगी,
  • रेलवे का विकास खासकर साम्राज्यवादी शक्तियों के लिए लाभप्रद रहा क्योंकि इससे उन्हें कच्चे माल को ले जाने और तैयार माल को अपने अधीन राष्ट्रों में खपत करने का पूरा-पूरा अवसर मिलने लगा।
  • साम्राज्यवादी शक्तियों द्वारा स्वतंत्र किए जाने पर अब रेलवे के विकास का लाभ उन राष्ट्रों को भी मिलने लगा है जो सदियों से इसके लाभों से वंचित रह गए थे। अब उन राष्ट्रों की सरकारों को रेलवे से अत्यधिक आय हो रही हैं।
  • रेलों के निर्माण से साम्राज्यवादी देशों ने बाहरी आक्रमणों तथा आंतरिक विद्रोहों का सुगमता से मुकाबला किया। इसका कारण यह था कि फौजों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से ले जाया जा सकता था जबकि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत आदोलनकारियों के लिए यह विकास प्रतिक्रियावादी था।
  • भारत जैसे औपनिवेशिक राष्ट्र के लिए रेलवे का बड़ा ही महत्व है। इसकी सहायता से देश में राजनीतिक चेतना जागी।
  • . रेलों ने उपनिवेशों में आधुनिक उद्योगों को प्रोत्साहित किया। भारत जैसे उपनिवेश में रेलवे द्वारा सभी आंतरिक प्रमुख बंदरगाहों को जुड़ने का अवसर मिला। फलत: देश के विभिन्न भागों में आधुनिक उद्योगों की स्थापना होने लगीं।
  • उपनिवेशों में रेलों के आगमन से अकालों की भीषणता को कम करने में सहायता मिली। इसकी सहायता से अभावग्रस्त एवं अकालग्रस्त क्षेत्रों में खाद्यान्न एवं अन्य आवश्यक वस्तुएँ शीघ्रतापूर्वक पहुँचाई जा सकती थीं तथा समय रहते उचित कार्यवाही भी की जा सकती थी।
  • वहीं गुलाम देशों का इन साम्राज्यवादी ताकतों द्वारा और भी अधिक शोषण किया जाने लगा। फलत: उनकी अर्थव्यवस्था एकदम चरमरा गई।
  •  रेलवे के विकास के कारण साम्राज्यवादी देशों के लोग धनवान होते गए
  • रेलवे के विकास के कारण साम्राज्यवादी शक्तियों की विशेष रूप से लाभ मिला क्योंकि उनका तैयार माल तेजी से अपने औपनिवेशिक क्षेत्रों में पहुँचने लगा और उन्हें अधिकाधिक लाभ मिलने लगा।
  • इसके फलस्वरूप औपनिवेशिक राष्ट्रों के ऊपर बहुत दुष्प्रभाव पड़ा। वहाँ पर निर्धनता, शोषण व भुखमरी चारों तरफ फैल गई।
  • वहीं पर उसके कारण उपनिवेशी देशों की जनता बेकार और गरीब होती चली गई।
  • औपनिवेशिक राष्ट्रों में रेलवे का निर्माण साम्राज्यवादी शक्तियों ने अपने हितों की पूर्ति के लिए किया था।
  • उपनिवेशों के विभिन्न भागों में रहने वाले लोगों के मध्य विचारों का संचार आसानी से होने लगा था जबकि यह संचार उपनिवेशवाद के लिए घातक था।
  • रेलवे के निर्माण से औपनिवेशिक राष्ट्रों को आर्थिक रूप से लाभ पहुँचा। इससे इन राष्ट्रों के व्यापार में वृद्धि हुई। हम कह सकते हैं कि उनका आंतरिक व्यापार चमक उठा जबकि उपनिवेशों का देशी व्यापार छिन्न-भिन्न हों गया।