पृथ्वी की आंतरिक संरचना-पुनरावृति नोट्स

                                                                     सीबीएसई कक्षा - 11

विषय - भूगोल
पुनरावृत्ति नोट्स
पाठ - 3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना


पृथ्वी : सौरमंडल में पृथ्वी एक मात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन विधमान है एवं यह अपनी स्थिति के अंतर्गत तीसरा ग्रह हैं इससे नीला ग्रह भी कहा जाता है, क्योकि पृथ्वी पर 71 % जल पाया जाता है। पृथ्वी की आंतरिक संरचना को मुख्यत: तीन भागो में विभाजित किया जाता है : (1) भूपर्पटी, (2) मैंटल, (3) क्रोड।

महत्त्वपूर्ण तथ्य-

पृथ्वी की आन्तरिक संरचना को समझने के लिए हम इससे दो भागो में वर्गीकृत क्र सकते है :

  1. प्रत्यक्ष श्रोत:-  इनके अन्तर्गत खनन से प्राप्त प्रमाण एवं ज्वालामुखी से निकली हुई वस्तुयें सम्मिलित है।
  2. अप्रत्यक्ष प्रमाण:-  इनके अन्तर्गत -
    1. पृथ्वी के अन्दर तापमान दबाव एवं घनत्व में अन्तर
    2. गुरूत्वाकर्षण
    3. अन्तरिक्ष से मिले उल्कापिंड
    4. भूकम्प संबंधी क्रियायें आदि आते है।
  3. भूकम्पीय तंरगे - प्राथमिक तरंगे एवं द्वितीयक तरंगे भी भूगर्भ को समझने में मदद करती है।

यह अध्याय पृथ्वी के अन्दर की तीनों परतो एवं ज्वालामुखी निर्मित स्थरूपों को समझने में महत्वपूर्ण है।

  1. पृथ्वी की त्रिज्या 6370 कि.मी. है।
  2. पृथ्वी के आंतरिक भाग की जानकारी के प्रमुख स्रोत ज्वालामुखी, भूकंप, उल्काएँआदि हैं।
  3. खनन क्रिया से हमें यह ज्ञात होता है कि पृथ्वी के धरातल में गहराई बढ़ने के साथ-ही-साथ तापमान एवं दबाव में विकास होता है।
  4. पृथ्वी के धरातल से 10 से 200 कि.मी. तक की गहराई वाले भाग को स्थलमंडल कहते हैं।
  5. दक्षिण अफ्रीका की सोने की खानें (3 से 4 कि. मी. तक गहरी) विश्व की सबसे गहरी खानें हैं। इससे ज़्यादा गहराई में जा पाना असंभव है, क्योंकि उतनी गहराई पर तापमान बहुत अधिक होता है।
  6. भूकंपमापी यंत्र सतह पर पहुँचने वाली भूकंप तरंगों को अभिलेखित करता है।
  7. पदार्थों के घनत्व में भिन्नताएँ होने की वजह से परावर्तन तथा आवर्तन होता है, जिससे भूकंप तरंगों की दिशा परिवर्तित होती है।
  8. भूगर्भीय तरंगें दो प्रकार की होती हैं। इन्हें 'P तरंगें व 'S' तरंगो के नाम से जाना जाता है।
  9. ‘P' तरंगें तीव्र गति से चलने वाली तरंगें हैं तथा धरातल पर सबसे पहले पहुँचती हैं एवं इन्हें प्राथमिक तरंगें भी कहा जाता है। 'P' तरंगें ध्वनि तरंगों जैसी होती हैं। ये गैस, तरल व ठोस तीनों प्रकार के पदार्थों से गुजर सकती हैं।
  10. 'S' तरंगें धरातल पर कुछ समय अंतराल के बाद पहुँचती हैं। ये द्वितीयक तरंगें कहलाती हैं। 'S' तरंगों के विषय में एक महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि ये ठोस पदार्थों के ही माध्यम से चलती हैं। 'S' तरंगों की यह एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है। इसी विशेषता ने वैज्ञानिकों को भूगर्भीय संरचना समझने में मदद की। ये तरंगें ज्यादा खतरनाक होती हैं।
  11. भूकंपीय घटनाओं का मापन भूकंपीय तीव्रता के अंतर्गत अथवा आघात की तीव्रता के अंतर्गत किया जाता है। भूकंपीय तीव्रता की मापती 'रिक्टर स्केल' के द्वारा जानी जाती है।
  12. मापनी के अनुसार भूकंप की तीव्रता 0 से 10 तक होती है। आघात की तीव्रता/गहनता को इटली के भूकंप वैज्ञानिक मरकैली के नाम पर जाना जाता है।
  13. भूपर्पटी ठोस पृथ्वी का सबसे बाहरी भाग है। भूपर्पटी की मोटाई महाद्वीपों व महासागरों के नीचे अलग-अलग है। महासागरों में भूपर्पटी की मोटाई महाद्वीपों की तुलना में कम है।
  14. महासागरों के नीचे भूपर्पटी की औसत मोटाई 5 कि.मी. है जबकि महाद्वीपों के नीचे यह 30 कि.मी. तक है। मुख्य पर्वतीय शृंखलाओं के क्षेत्र में यह मोटाई और भी है। हिमालय पर्वत श्रेणियों के नीचे भूपर्पटी की मोटाई लगभग 70 कि.मी. तक है।
  15. मैंटल, भूगर्भ में भूपर्पटी के नीचे का भाग होता है। यह मोहो असांतय (Discontinuity) से शुरू होती हैं और 2900 कि.मी. की गहराई तक पाया जाता है।
  16. क्रोड, भूगर्भ का सबसे निचला भाग है। बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है यधपि आंतरिक क्रोड ठोस अवस्था में पाया जाता है। क्रोड की गहराई 2900 कि.मी. से 6378 कि.मी. तक होती है।
  17. बेसाल्ट प्रवाह को छोड़कर पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी ज्वालामुखियों में शील्ड ज्वालामुखी सबसे बड़ा है। उदाहरण, हवाई द्वीप के ज्वालामुखी।