महासागरों और महाद्वीपों का वितरण-पुनरावृति नोट्स
सीबीएसई कक्षा - 11
विषय - भूगोल
पुनरावृत्ति नोट्स
पाठ - 4 महासागरों और महाद्वीपों का वितरण
महत्त्वपूर्ण तथ्य-
पृथ्वी की उत्पत्ति के पश्चात आज से लगभग 3.8 अरब वर्ष पूर्व महाद्वीपों एवं महासागरों का निर्माण हुआ,लेकिन ये महाद्वीप एवं महासागर जिस रूप में आज है उस रूप में पहले नही थे कई वैज्ञानिको ने समय-समय पर यह प्रमाणित करने का प्रयत्न किया कि निर्माण के शुरूआती दौर में महाद्वीप इकट्ठे थे। जर्मन विद्वान अल्फ्रेड वेगनर ने इसी क्रम में 1912 में महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। जिसके अंतर्गत सभी महाद्वीप एक स्थान पर थे जिसे उन्होने पैंजिया कहा तथा इसके चारो और जल था जिसे पैंथालसा नाम दिया। यह भूखंड कई प्लेटों (ठोस चट्टान का विशालकाय खंड) से मिलकर बना था। कालांतर में ये प्लेटे संचलित होकर अपने स्थान से खिसक गयी एवं धीरे-2 आज के महाद्वीप एवं महासागर बने। इनके खिसकने के क्रम में कई पवर्तश्रेणियों का भी निर्माण हुआ जैसे राकी, एण्डीज, हिमालय आदि।
- पृथ्वी के 29 प्रतिशत भाग पर महाद्वीप (स्थलमंडल) और 71 प्रतिशत भाग पर महासागर (जलमंडल) स्थित हैं।
- पृथ्वी पर महासागरों में 97.3% जल है।
- जर्मन मौसमविद, अल्फ्रेड वेगनर ने सन 1912 में महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत प्रस्तावित किया। यह सिद्धांत महाद्वीपों एवं महासागरों के विभाजन से ही संबंधित था।
- महासागर की पर्पटी मुख्यत: सिसलिका एवं मैनिशियम की बनी है।
- वेगनर केज़ अंतर्गत, आज के सभी महाद्वीप उस भूखंड के भाग हैं, जो एक बड़े महासागर से घिरा हुआ था। उन्होंने उस बड़े महाद्वीप को पैंजिया नाम दिया। पैंजिया का अर्थ है-संपूर्ण पृथ्वी।
- 2 महासागर को पैंथालासा कहा, जिसका अर्थ है-जल ही जल।
- पृथ्वी की त्रिज्या 6371 किलोमीटर है ।
- वेगनर के तर्क के अंतर्गत, लगभग 20 करोड़ वर्ष पहले उस बड़े महाद्वीप पैंजिया का वर्गीकरण शुरू हुआ। पैंजिया पहले दो बड़े महाद्वीपीय पिंडों लारेशिया तथा गोंडवानालैंड क्रमशः उत्तरी व दक्षिणी भूखंडों के रूप में बंटा हुआ। इसके पश्चात लारेशिया व गोंडवानालैंड धीरे-धीरे विभिन्न छोटे हिस्सों में बँट गए जो आज के महाद्वीप के रूप हैं।
- वर्तमान समय में विकसित की गई रेडियोमिट्रिक काल निर्धारण विधि से महासागरों के पार महाद्वीपों के चट्टानों के निर्माण के समय को सरलता से जाना जा सकता है।
- गहराई व उच्चावच के प्रकार के अंतर्गत महासागरीय तल को तीन प्रमुख भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है। ये भाग हैं-
- महाद्वीपीय सीमा
- गहरे समुद्री बेसिन
- मध्य महासागरीय कटक।
- मध्य महासागरीय कटकों के दोनों तरफ की चट्टानों के चुंबकीय गुणों के विश्लेषण के आधार पर हेस ने 1961 में एक परिकल्पना प्रस्तुत की, जिसे 'सागरीय अधस्तल' विस्तार के नाम से जाना जाता है।
- 1967 में मैक्कैन्जी, पारकर और मोरगन ने स्वतंत्र रूप से उपलब्ध विचारों को समन्वित कर अवधारणा प्रस्तुत की, जिसे 'प्लेट विवर्तनिकी' कहा गया।
- ऐसा माना जाता है कि लगभग 20 करोड़ वर्ष पहले जब पैंजिया विभक्त हुआ तब भारत ने उत्तर दिशा की ओर खिसकना शुरू किया। लगभग 4 से 5 करोड़ वर्ष पहले भारत एशिया से टकराया। इसके द्वारा हिमालय पर्वत का उत्थान हुआ।
- प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी का स्थलमंडल सात मुख्य प्लेटों व कुछ छोटी प्लेटों में विभक्त है।