आँकड़ों का संग्रह - नोट्स

CBSE कक्षा 11 अर्थशास्त्र
पाठ - 2 आँकड़ों का संकलन
पुनरावृत्ति नोट्स

स्मरणीय बिन्दु-
  • ‘आँकड़ा’ एक ऐसा साधन है जो सूचनाऐं प्रदान कर समस्या को समझने में सहायक होता है। अतः आँकड़ों के संग्रह का उद्देश्य किसी समस्या के स्पष्ट एवं ठोस समाधान के लिए साक्ष्य को जुटाना है। इसलिए सांख्यिकीय अनुसंधान के लिए आँकड़ों का संकलन सबसे प्रथम एवं प्रमुख कार्य है।
    आँकड़ों के स्रोत
    • प्राथमिक स्रोत
    • द्वितीयक स्रोत
  • प्राथमिक आँकड़े- वे आँकड़े जो अनुसंधान की क्रिया में प्रथम बार आरम्भ से अन्त तक बिल्कुल नए सिरे से एकत्रित किए जाते है, प्राथमिक आँकड़े कहलाते हैं। ये आँकड़े मौलिक होते हैं।
    प्राथमिक आँकड़े एकत्रित करने की विधियाँ-
    • वैयक्तिक साक्षात्कार
    • डाक द्वारा सर्वेक्षण (प्रश्नावली भेजना)
    • टेलीफोन साक्षात्कार
  • द्वितीयक आँकड़े- वे आँकड़े जिसे अनुसंधानकर्ता स्वयं एकत्रित न करके किसी अन्य अनुसंधानकर्ता द्वारा एकत्रित आँकड़ों का प्रयोग करता है द्वितीयक आँकड़े कहलाते हैं।
    द्वितीयक आँकडे एकत्रित करने को स्रोत–
    • प्रकाशित स्रोत
    • अप्रकाशित स्रोत
    • अन्य स्रोत - वेबसाइट
  • एक अच्छी प्रश्नावली को गुण-
    1. अन्वेषक का परिचय तथा अन्वेषक को उद्देश्य का विवरण।
    2. प्रश्नावली बहुत लम्बी न हो।
    3. प्रश्नावली सामान्य प्रश्नों से आरम्भ होकर विशिष्ट प्रश्नों की ओर बढ़नी चाहिए।
    4. प्रश्न सरल व स्पष्ट होने चाहिए।
    5. प्रश्न दोहरी नकारात्मक वाले नहीं होने चाहिए।
    6. प्रश्न संकेतक प्रश्न नहीं होने चाहिए।
    7. प्रश्न से उत्तर के विकल्प का संकेत नहीं मिलना चाहिए।
  • प्रतिदर्श की विधियाँ
देव प्रतिदर्श
अदैव प्रतिदर्श
यादृच्छिक प्रतिचयन
अयादृच्छिक प्रतिचयन
क) सरल देव प्रतिदर्श
क) सविचार प्रतिदर्श
ख) प्रतिबद्ध प्रतिदर्श
ख) अभ्यंश प्रतिदर्श
स्तरीय प्रतिदर्श
ग) सुविधानुसार प्रतिदर्श
व्यवस्थित प्रतिदर्श

बहुस्तरीय प्रतिदर्श

  • जनगणना सर्वेक्षण- अन्वेषण की इस विधि में समग्र की प्रत्येक इकाई को सम्मिलित किया जाता है।
  • प्रतिदर्श सर्वेक्षण- अन्वेषण की इस विधि में समग्र की कुछ प्रतिनिधि इकाईयों का अध्ययन किया जाता है।
  • प्रतिचयन त्रुटियाँ– प्रतिचयन त्रुटियाँ प्रतिदर्श आकलन तथा समष्टि विशेष के वास्तविक मूल्य के बीच का अन्तर प्रकट करती है।
    • पक्षपात पूर्ण त्रुटियाँ
    • अपक्षपात पूर्ण त्रुटियाँ
  • अप्रतिचयन त्रुटियाँ- ये त्रुटियाँ जनगणना विधि या प्रतिदर्श विधि द्वारा संकलित आांकड़ों में पायी जाती है।
    • आँकड़ा अर्जन में त्रुटियाँ
    • अनुत्तर संबंधी त्रुटियाँ
    • मापन त्रुटियाँ
  • भारतीय जनगणना तथा राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन (CENSUS OF INDIA & NSSO)
    भारतीय जनगणना देश की जन सांख्यिकी स्थिति से संबंधित पूर्ण जानकारी प्रदान करती है। जैसे जनसंख्या का आकार, वृद्धि दर, वितरण, प्रक्षेपण, घनत्व, लिंग अनुपात और साक्षरता।
    राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन की स्थापना भारत सरकार द्वारा सामाजिक - आर्थिक मुद्दों पर (जैसे रोजगार, शिक्षा, मातृत्व-शिशु देखभाल, सार्वजनिक वितरण विभाग का उपयोग आदि) राष्ट्रीय स्तर के सर्वेक्षण के लिए की गई है।
    NSSO द्वारा संगृहित आँकड़े समय-समय पर विभिन्न रिपोर्टों एवं इसकी त्रैमासिक पत्रिका ‘सर्वेक्षण’ में प्रकाशित किए जाते हैं।