जूझ - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

 सीबीएसई कक्षा -12 हिंदी कोर

महत्वपूर्ण प्रश्न
पाठ – 02

आनंद यादव (जूझ)


महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

I. बोधात्मक प्रश्न

1. पाँचवीं कक्षा में दुबारा पढ़ने आए लेखक को किन कठिनाइयों का समाना करना पड़ा? ‘जूझ’ कहानी के आधार पर लिखिए।

उत्तर- जो लड़के चौथी पास करके कक्षा में आए, लेखक उनमें से गली के दो लड़कों के सिवाए और किसी को जानता तक नहीं था। जिन लड़कों को वह कम अक्ल और अपने से छोटा समझता था, उन्हीं के साथ अब उसे बैठना पड़ रहा था। वह अपनी कक्षा में पुराना विद्यार्थी होकर भी अजनबी बनकर रह गया। पुराने सहपाठी तो उसे सब तरह से जानते समझते थे, मगर नए लड़कों ने तो उसकी धोती, उसका गमछा, उसका थैला आदि सब चीज़ों का मज़ाक उड़ाना आरंभ कर दिया। उसके मन में यह दुख भी था कि इतनी कोशिश करके पढ़ने का अवसर मिला तो उसके आत्मविश्वास में भी कमी आ गई।

2. ‘जूझ’ कहानी में पिता को मनाने के लिए माँ और दत्ता जी राव की सहायता से एक चाल चली गई है। क्या ऐसा कहना ठीक है?

उत्तर- ‘जूझ’ कहानी में पिता को मनाने के लिए माँ और दत्ता जी राव की सहायता से एक चाल चली गई है। यह कहना बिल्कुल ठीक है। लेखक के पिता उसे पढ़ाना नहीं चाहते थे। वे खुद अय्याशी करने के लिए बच्चे को खेती के काम लगाना चाहते थे। पढ़ने की बात करने पर वे जंगली सुअर की तरह गुर्राते थे। उन पर दत्ता जी राव का दबाव ही काम कर सकता था। अतः लेखक की माँ व दत्ता जी राव ने मिलकर उन्हें मानसिक तौर पर घेरा तथा आगे पढ़ने की स्वीकृति ली। यदि यह उपाय नहीं किया जाता तो लेखक कभी शिक्षित नहीं हो पाता।

3. ‘जूझ’ कहानी में चित्रित ग्रामीण जीवन का संक्षिप्त वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर- ‘जूझ’ कहानी में ग्रामीण जीवन का यथार्थपरक चित्रण किया गया है। गाँव में किसान, जमींदार आदि कई वर्ग हैं। लेखक स्वयं कृषिकार्य करता हैं। उसके पिता बाजार में गुड़ के ऊँचे भाव पाने के लिए गन्ने की पेराई जल्दी करा देते हैं। गाँव में पूरा परिवार कृषि कार्य में लगा रहता है, चाहे बच्चे हों, महिलाएँ हों या वृद्ध। कुछ बड़े जमींदार भी होते हैं जिनका गाँव पर काफी प्रभाव होता है। गाँव में कृषक बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर कम ध्यान देते हैं। ग्रामीण स्कूलों में बच्चों के पास कपड़े भी पर्याप्त नहीं होते। बच्चों को घर व स्कूल का काम करना पड़ता था।

4. ‘लेखक की माँ उसके पिता की आदतों से वाकिफ थी।’ -लेखक की माँ ने लेखक का साथ किस प्रकार दिया?

उत्तर- लेखक की माँ अपने पति के स्वभाव से अच्छी तरह वाकिफ थी। वह जानती थी कि वह अपने लड़के को पढ़ाना नहीं चाहता। पढ़ाई की बात से ही वह बरहेला सुअर की तरह गुर्राता है। इसके बावजूद वह लेखक का साथ देती है और दत्ता जी राव के पास जाकर अपने पति के बारे में सारी बातें बताती है। अंत में, वह देसाई को अपने आने की बात पति को न बताने के लिए भी कहती है।

5. मंत्री नामक अध्यापक पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर- मंत्री नामक अध्यापक गणित पढ़ाते थे। वे प्रायः छड़ी का उपयोग नहीं करते थे। काम न करने वाले बच्चों की गरदन हाथ से पकड़कर उनकी पीठ पर घूसा लगाते थे। इस प्रकार से बच्चे के मन में दहशत थी। शरारती लड़के भी शांत रहने लगे थे। ये पढ़ने वाले बच्चों को प्रोत्साहन देते थे। अगर किसी का सवाल गलत हो जाता तो वे उसे समझाते थे। एकाध लड़के द्वारा मूर्खता करने पर उसे वहीं ठोंक देते। उनके डर से सभी लड़के घर से पढ़ाई करके आने लगे।

6. वसंत ‘पाटील’ कौन है? लेखक ने उससे दोस्ती क्यों व कैसे की?

उत्तर- वसंत पाटील दुबला-पतला, परंतु होशियार लड़का था। वह स्वभाव से शांत था तथा हर समय पढ़ने में लगा रहता था। वह घर से पूरी तैयारी करके आता था तथा उसके सभी सवाल ठीक होते थे। वह दूसरों के सवालों की जाँच करता था। उसे कक्षा का मॉनीटर बना दिया गया था। लेखक भी सुकी देखा देखी मेहनत करने लगा। उसने बस्ता व्यवस्थित किया, किताबों पर अखबारी कागज का कवर चढ़ाया तथा हर समय पढ़ने लगा। उसके सवाल भी ठीक निकलने लगे। वह भी वसंत पाटिल की तरह लड़कों के सवाल जाँचने लगा। इस तरह दोनों दोस्त बन गए तथा एक-दूसरे की सहायता से कक्षा के अनेक काम करने लगे।

7. लेखक का पाठशाला में विशवास कैसे बढ़ा? ‘जूझ’ कहानी के आधार पर बताइए।

उत्तर- जब लेखक को वसंत पाटील के साथ दूसरे लड़कों के सवाल जाँचने का काम मिला, तब उसकी वसंत से दोस्ती हो गई। अब ये दोनों एक-दूसरे की सहायता से कक्षा के अनेक काम निपटाने लगे। सभी अध्यापक लेखक की ‘आनंदा’ कहकर बुलाने लगे। यह संबोधन भी उसके लिए बड़ा महत्वपूर्ण था। मानो पाठशाला में आने के कारण ही उसे स्वयं का नाम सुनने को मिला। ‘आनंदा’ की कोई पहचान बनी। एक तो वसंत की दोस्ती, दूसरा अध्यापकों का व्यवहार-इस कारण लेखक का अपनी पाठशाला में विश्वास बढ़ने लगा।

8. सौंदलगेकर कौन थे ? उनमें क्या विशेषता थी ?

उत्तर- न.वा. सौंदलगेकर लेखक के गाँव के स्कूल में मराठी पढ़ाने वाले अध्यापक थे। वे कविता बहुत अच्छे ढंग से पढ़ाते थे। पढ़ाते समय वे स्वयं रम जाते थे। उनके पास सुरीला गला, छंद की बढ़िया चाल और रसिकता थी। उन्हें पुरानी व नयी मराठी कविताओं के साथ-साथ अंग्रेजी कविताएँ कंठस्थ थीं। उन्हें छंदों की लय, गति, ताल इत्यादि अच्छी तरह आते थे। वे स्वयं भी कविता करते थे तथा उन्हें सुनाते थे।

9. ‘दत्ता जी राव की सहायता के बिना ‘जूझ’ कहानी का ‘मैं’ पात्र वह सब नहीं पा सकता था जो उसे मिला।’ -टिप्पणी कीजिए।

उत्तर- यह बात बिल्कुल सही है कि दत्ता जी राव की सहायता के बिना लेखक पढ़ नहीं सकता था। यदि दत्ता जी राव लेखक के पिता को नहीं समझाते तो लेखक को कभी स्कूल नसीब न होता। वह अर्धशिक्षित ही रह जाता तथा गीत, कविता, उपन्यास न लिख पाता। उच्च शिक्षा के अभाव में उसे अपने खेतों में मजदूर की तरह आजीवन काम करना पड़ता। अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उसे जमींदार के खेतों में काम भी करना पड़ता। वस्तुतः उसका जीवन ही अंधकारमय हो जाता।

10. ‘जूझ’ के लेखक के मन में यह विशवास कब और कैसे जन्मा कि वह भी कविता की रचना कर सकता है?

अथवा

‘जूझ’ कहानी के लेखक में कविता-रचना के प्रति रुचि कैसे उत्पन्न हुई?

अथवा

‘ जूझ ’ के लेखक के कवि बनने की कहानी का वर्णन कीजिए।

उत्तर- लेखक मराठी पढ़ाने वाले अध्यापक नावा, सौंदगलेकर की कला व कविता सुनाने की शैली से बहुत प्रभावित हुआ। उसे महसूस हुआ कि कविता लिखने वाले भी हमारे जैसे मनुष्य ही होते हैं। कवियों के बारे में सुनकर तथा कविता सुनाने की कला-ध्वनि, गति, चाल आदि सीखने के बाद उसे लगा कि वह अपने आस-पास, अपने गाँव, अपने खेतों से जुड़े कई दृश्यों पर कविता बना सकता है। वह भैस चराते-चराते फसलों या जंगली फूलों पर तुकबंदी करने लगा। वह हर समय कागज़ व पेंसिल रखने लगा। वह कविता को मास्टर को दिखाता। इस प्रकार उसके मन में कविता-रचना के प्रति रुचि उत्पन्न हुई।

11. दादा ने मन मारकर अपने बच्चे को स्कूल भेजने की बात मान तो ली, पर खेती-बाड़ी के बारे में उनसे क्या-क्या वचन लिए ? ‘ जूझ ’ कहानी के आधार पर उत्तर दीजिए।

अथवा

बालक आनंद यादव के पिता ने किन शर्तों पर उस विद्यालय जाने दिया ?

उत्तर- दादा ने मन मारकर अपने बच्चे को स्कूल भेजने की बात मान तो ली, पर खेती-बाड़ी के बारे में उन्होंने निम्नलिखित वचन लिए-

(i) पाठशाला जाने से पहले ग्यारह बजे तक खेत में काम करना होगा तथा पानी लगाना होगा।

(ii) सवेरे खेत पर जाते समय ही बस्ता लेकर जाना होगा।

(iii) छुट्टी होने के बाद घर में बस्ता रखकर सीधे खेत पर आकर घंटा भर ढोर चराना होगा।

(vi) अगर किसी दिन खेत में ज़्यादा काम होगा तो उसे पाठशाला नहीं जाना होगा।