फ़िराक़ गोरखपुरी - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

 सीबीएसई कक्षा -12 हिंदी कोर

महत्वपूर्ण प्रश्न
पाठ – 09

फ़िराक गोरखपुरी (गज़ल)


महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

1. फ़िराक की गज़ल में प्रकृति को किस तरह चित्रित किया गया है?

उत्तर- फ़िराक की गज़ल के प्रथम दो शेर प्रकृति वर्णन को ही समर्पित हैं | प्रथम शेर में कलियों के खिलने की प्रक्रिया का भावपूर्ण वर्णन है | कवि इस शेर को नव रसों से आरंभ करता है | हर कोमल गाँठ के खुल जाने में कलियों का खिलना और दूसरा प्रतीकात्मक अर्थ भी है कि सब बंधनों से मुक्त हो जाना, संबंध सुधर जाना | इसके बाद कवि कलियों के खिलने से रंगों और सुगंध के फ़ैल जाने की बात करता है | पाठक के समक्ष एक बिंब उभरता है सौंदर्य और सुगंध दोनों को महसूस करता है |

2. पाठ्यपुस्तक में संकलित फ़िराक गोरखपुरी की गज़ल का केंद्रीय भाव लिखिए |

उत्तर- फ़िराक गोरखपुरी ने ‘गज़ल’ में दर्द व कसक का वर्णन किया है | उसने बताया कि लोगों ने उसे सदा ताने दिए हैं | उसकी किस्मत हमेशा उसे दगा देती रही | दुनिया में केवल गम ही था जो उसके पास रहा | उसे लगता है जैसे रात के सन्नाटे में कोई बोल रहा है | इश्क के बारे में शायर का कहना है कि इश्क वही पा सकता है जो अपना सब-कुछ दाँव पर लगा दे | कवि की गज़लों पर मीर की गज़लों का प्रभाव है | यह गज़ल इस तरह बोलती है जिसमें दर्द भी है, एक शायर की ठसक भी है और साथ ही है काव्यशिल्प की वह ऊँचाई, जो गज़ल की विशेषता मानी जाती है |

3. नीचे लिखे काव्य खंड को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए |

जो मुझको बदनाम करे हैं काश वे इतना सोच सकें |

मेरा परदा खोले हैं या अपना परदा खोले हैं ||

(क) कविता का भाव सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए |

(ख) काव्यांश की भाषा की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए |

(ग) ‘परदा खोलना’ का प्रयोग-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए |

उत्तर- (क) कविता का भाव यह है कि जो कवि की बुराई दूसरों से कर रहे हैं, वे बुराई करते हुए अपनी कमियाँ स्वयं प्रकट कर रहे हैं | इस प्रकार वे अपनी निंदा खुद ही कर रहे हैं |

(ख) काव्यांश की भाषिक विशेषताएँ-

(i) गज़ल छंद है |

(ii) प्रवाहमयी उर्दू का प्रयोग है |

(ग) ‘परदा खोलना’ की पुनरुक्ति से गज़ल का भाव सौंदर्य बढ़ गया है | यहाँ निंदा करने वाले कवि का परदा खोलना चाहते हैं अर्थात् बुराई करना चाहते हैं पर इससे उनकी कमियाँ खुद ही उजागर होती जा रही हैं |

अर्थ-ग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

“नीरस गुंचे पंखड़ियों की नाजुक गिरहें खोले हैं

या उड़ जाने को रंगो-बू गुलशन में पर तोले हैं।”

1. ‘नौरस’ विशेषण द्वारा कवि किस अर्थ की व्यंजना करना चाहता है ?

उत्तर- नौरस अर्थात नया रस! गुंचे अर्थात कलियों में नया-नया रस भर आया है।

2. पंखड़ियों की नाजुक गिरहें खोलने का क्या अभिप्राय है ?

उत्तर- रस के भर जाने से कलियाँ विकसित हो रही हैं। धीरे-धीरे उनकी पंखुड़ियाँ अपनी बंद गाँठे खोल रही हैं। कवि के शब्दों में नवरस ही उनकी बंद गाँठे खोल रहा है।

3. ‘रंगो-बू गुलशन में पर तोले हैं’ - का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- रंग और सुगंध दो पक्षी हैं जो कलियों में बंद हैं तथा उड़ जाने के लिए अपने पंख फड़फड़ा रहे हैं यह स्थिति कलियों के फूल बन जाने से पूर्व की है जो फूल बन जाने की प्रतीक्षा में हैं। ‘पर तौलना’ एक मुहावरा है जो उड़ान की क्षमता आँकने के लिए प्रयोग किया जाता है।

4. इस शेर का भाव-सौंदर्य व्यक्त कीजिए।

उत्तर- कलियों की नई-नई पंखुड़ियाँ खिलने लगी हैं उनमें से रस मानो टपकना ही चाहता है। वय:संधि (किशोरी) नायिका के प्रस्फुटित होते सौंदर्य का प्रतीकात्मक चित्रण अत्यंत सुंदर बन पड़ा है।

सौंदर्य-बोध संबंधी प्रश्नोत्तर

हम हों या किस्मत हो हमारी दोनों को इक ही काम मिला

किस्मत हम को रो लेवे हैं हम किस्मत को रो ले हैं।

जो मुझको बदनाम करे हैं काश वे इतना सोच सकें

मेरा पर्दा खोले हैं या अपना पर्दा खोले हैं।

1. इन शेरों की भाषा संबंधी विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- 1. मुहावरों का प्रयोग किस्मत का रोना-निराशा का प्रतीक

2. सरल अभिव्यक्ति, भाषा में प्रवाहमयता है, किस्मत और परदा शब्दों की पुनरावृतियाँ मोहक हैं।

3. हिंदी का घरेलू रूप।

2. ‘मेरा परदा खोले हैं या अपना परदा खोले हैं’ - की भाषिक विशेषता लिखिए।

उत्तर- मुहावरे के प्रयोग द्वारा व्यंजनात्मक अभिव्यक्ति | परदा खोलना - भेद खोलना, सच्चाई बयान करना।

3. ‘हम हों या किस्मत हो हमारी’ -प्रयोग की विशेषता बताइए।

उत्तर- हम और किस्मत दोनों शब्द एक ही व्यक्ति अर्थात फ़िराक के लिए प्रयुक्त हैं। हम और किस्मत में अभेद है यही विशेषता है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

1. तारे आँखें झपकावें हैं- का तात्पर्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- रात्रि का सन्नाटा भी कुछ कह रहा है| इसलिए तारे पन्न के झपका रहे हैं। वियोग की स्थिति में प्रकृति भी संवाद करती प्रतीत होती है।

2. ‘हम हों या किस्मत हो हमारी’ में किस भात की अभिव्यक्ति हुई है ?

उत्तर- जीवन की विडंबना, किस्मत को रोना-मुहावरे के प्रयोग से, सटीक अभिव्यक्ति प्राप्त करती है। कवि जीवन से संतुष्ट नहीं है। भाग्य से शिकायत की भाव इन पंक्तियों में झलकता है।

3. प्रेम के किस नियम की अभिव्यक्ति कवि ने की है ?

उत्तर- ईश्वर की प्राप्ति सर्वस्व लुटा देने पर होती है। प्रेम के संसार का भी यही नियम है। कवि के शब्दों में, “फ़ितरत का कायम है तवाजुन आलमे-हुस्नो-इश्क में भी उसको उतना ही पाते हैं खुद को जितना खोले हैं।”

1. भाव- साम्य:- कबीर- ‘सीस उतारे भुई धरे तब मिलिहै करतारा।’ -अर्थात-स्वयं को खोकर ही प्रेम प्राप्ति की जा सकती है।

2. भाव साम्य- कबीर-जिन ढूँढ़ा तिन पाइयाँ, गहरे पानी पैठि।

में बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठि।

4. शराब की महफिल में शराबी को देर रात क्या बात याद आती है ?

उत्तर- शराब की महफिल में शराबी को देर रात याद आती है कि आसमान में मनुष्य के पापों का लेखा-जोखा होता है। जैसे आधी रात के समय फरिश्ते लोगों के पापों के अध्याय खोलते हैं वैसे ही रात के समय शराब पीत हुए शायर को महबूबा की याद हो आती है मानो महबूबा फरिश्तों की तरह पाप स्थल के आस-पास ही है।

5. सदके फ़िराक-इन पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- सदके फ़िराक- इन पंक्तियों में फ़िराक कहते हैं कि उनकी शायरी में और की शायरी की उत्कृष्टता ध्वनित हो रही है।