भारत के सन्दर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास-प्रश्न-उत्तर

                                                   CBSE Class 12 भूगोल

एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर
पाठ-9
भारत के सन्दर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास


प्र०1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-

(i) प्रादेशिक नियोजन का संबंध है-
(क) आर्थिक व्यवस्था के विभिन्न सेक्टरों का विकास
(ख) क्षेत्र विशेष के विकास का उपागम
(ग) परिवहन जल तंत्र में क्षेत्रीय अंतर
(घ) ग्रामीण क्षेत्रों का विकास

उत्तर- (ख) क्षेत्र विशेष के विकास का उपागम


(ii) आई०टी०डी०पी० निम्नलिखित में से किस संदर्भ में वर्णित हैं?
(क) समन्वित पर्यटन विकास प्रोग्राम
(ख) समन्वित यात्रा विकास प्रोग्राम
(ग) समन्वित जनजातीय विकास प्रोग्राम
(घ) समन्वित परिवहन विकास प्रोग्राम

उत्तर- (ग) समन्वित जनजातीय विकास प्रोग्राम


(iii) इंदिरा गांधी नहर कमान क्षेत्र में सतत पोषणीय विकास के लिए इनमें से कौन-सा सबसे महत्वपूर्ण कारक हैं?
(क) कृषि विकास
(ख) पारितंत्र विकास
(ग) परिवहन विकास
(घ) भूमि उपनिवेशन

उत्तर- (क) कृषि विकास


प्रo2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए-

(i) भरमौर जनजातीय क्षेत्र में समन्वित जनजातीय विकास कार्यक्रम के सामाजिक लाभ क्या हैं?

उत्तर- भरमौर जनजातीय क्षेत्र में समन्वित जनजातीय विकास कार्यक्रम के लागू होने से प्राप्त सामाजिक लाभों में साक्षरता दर में तीव्रता से लिंग अनुपात में सुधार, वृद्धि, तथा बाल-विवाह में कमी शामिल हैं। इस क्षेत्र में स्त्री साक्षरता दर 1971 में 1.88% से बढ़कर 2001 में 42.83% हो गई थी।


(ii) सतत पोषणीय विकास की संकल्पना की परिभाषित करें।

उत्तर- विश्व पर्यावरण और कों 1987 ई० में अवर कॉमन फ्यूचर नामक रिपोर्ट में इस प्रकार परिभाषित किया था-"एक ऐसा विकास, जिसमें भविष्य में आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकता-पूर्ति को प्रभावित की पूर्ति करना हैं।"

(ii) इंदिरा गांधी नहर कमान क्षेत्र का सिंचाई पर क्या सकारात्मक प्रभाव पड़ा?

उत्तर- इंदिरा गांधी नहर कमान क्षेत्र में नहरों द्वारा सिंचित क्षेत्र के विस्तार से बोये गए क्षेत्र में बढोतरी हुई है तथा फसलों की सघनता भी बड़ी है। यहाँ की पारंपरिक फसलों बाजरा, चना, और ग्वार का स्थान कपास, मूंगफली, गेहूँ, और चावल ने ले लिया है जोकि सघन सिंचाई का परिणाम है।


प्र०3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए-

(i) सूखा संभावी क्षेत्र कार्यक्रम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें। यह कार्यक्रम देश में शुष्क भूमि कृषि विकास में कैसे सहायक हैं?

उत्तर- सूखा संभावी क्षेत्र कार्यक्रम का आरंभ चौथी पंचवर्षीय योजना में हुआ था। इसका मुख्य सूखा संभावी क्षेत्रों में लोंगों कों रोजगार उपलब्ध करवाना तथा सूखे के प्रभाव को कम करने के लिए उत्पादन के साधनों को विकसित करना था। इसके पश्चात भूमि विकास कार्यक्रमों, सिंचाई परियोजनाओं, वनीकरण, तथाचरागाह विकास,आधारभूत ग्रामीण अवसंरचना, जैसे- बाज़ार, ऋण सुविधाओं, विद्युत, सड़कों, व सेवाओं पर ध्यान केन्द्रित किया गया।

इन क्षेत्रों का विकास करने की रणनीतियों में समन्वित जल संभर विकास कार्यक्रम अपनाना शामिल है। इसके अलावा मिट्टी, पौधे,जल, मानव तथा पशु जनसंख्या के बीच पारिस्थितिकीय संतुलन, पुन:स्थापन पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए। 1967 ई० में योजना आयोग ने देश में 67 जिलों की पहचान पूर्ण या आंशिक सूखा संभावी जिलों के रूप में की हैं। 1972 ई० में सिंचाई आयोग ने 30% सिंचित क्षेत्र का मापदंड लेकर सूखा संभावी क्षेत्रों का परिसीमन किया है | इसके अंतर्गत गुजरात, पश्चिमी मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र के मराठवाडा क्षेत्र, आध्र प्रदेश के रायलसीमा व तेलंगाना पठार, तथा कर्नाटक पठार, तमिलनाडु की उच्च भूमि एवं आंतरिक भाग के शुष्क और अर्ध-शुष्क भाग आते हैं। पंजाब, हरियाणा और उत्तरी राजस्थान के सूखा प्रभावित क्षेत्र सिंचाई के प्रसार के कारण सूखे से बच जाते हैं।


(ii) इंदिरा गांधी नहर कमान क्षेत्र में सतत पोषणीय विकास को बढ़ावा देने के लिए उपाय सुझाएँ |

उत्तर- इंदिरा गाँधी नहर, जिसे प्रारम्भ में राजस्थान नहर कहा जाता था, न केवल भारत में बल्कि विश्व के सबसे बड़े नहर तंत्रों में से एक है। 1948 ई० में कँवर सेन द्वारा संकल्पित यह नहर परियोजना 31 मार्च, 1958 ई० को प्रारंभ हुई। सतलुज एवं व्यास नदी के जल को पंजाब के हरिके नामक बाँध पर रोककर यह नहर निकाली गई हैं, जिससे राजस्थान के थार मरुस्थल 19.63 लाख हेक्टेयर कृषियोग्य कमान क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो रही है। यह नहर लंबाई 9060 किमी० तंत्र की कुल है। इस नहर का निर्माण कार्य दो चरणों में पूरा किया गया है। चरण-1 के कमान क्षेत्र में सिंचाई का आरम्भ 1960 के दशक में जबकि चरण-II के कमान क्षेत्र में सिंचाई का आरंभ 1980 के दशक के मध्य में शुरूआत हुई थी। इस नहर के कमान क्षेत्र में सतत पोषणीय विकास को बढ़ावा देने वाले प्रस्तावित 7 उपायों में से पाँच उपाय पारिस्थितिकीय संतुलन को पुन: स्थापित करने पर बल देते हैं, जैसे-

  1. जलाक्रांत (गहन सिंचाई से जलभराव) एवं लवणता से प्रभावित भूमि का पुनरुद्वार किया जाना चाहिए।
  2. इस क्षेत्र में जल सघन फसलों को नहीं बोया जाना चाहिए बल्कि बागाती कृषि में खट्टे फलों की खेती करनी चाहिए।
  3. वृक्षों की रक्षण, वनीकरण, मेखला का विकास तथा चरागाह विकास से अलग पारितांत्र-विकास पर जोर देना चाहिए।
  4. केवल कृषि और पशुपालन के विकास से सतत पोषणीय विकास संभव नहीं है, किन्तु अर्थव्यवस्था के अन्य सेक्टरों का भी यहाँ विकास किया जाना चाहिए ,जिससे  कृषि सेवा केन्द्रों तथा विपणन केन्द्रों के बीच  प्रकार्यात्मक संबंध बन सकें।
  5. कमान क्षेत्र में नहर के जल का समान वितरण होना चाहिए तथा मार्ग में बहते जल की क्षति कम करने के उपाय किए जाने चाहिए; जैसे- भूमि विकास, नालों को पक्का करना, तथा समतलन एवं बाड़बंदी पद्धति लागू करनी आदि।
  6. इस क्षेत्र के आर्थिक रूप से कमजोर भू-आवंटियों को कृषि के लिए वित्तीय एवं संस्थागत सहायता मिलनी चाहिए।
  7. जल प्रबंधन नीति का कठोरता से कार्यान्वयन करना जिससे  फसल रक्षण, सिंचाई व चरागाह विकास की व्यवस्था की जा सके।