मूल निवासियों का विस्थापन-प्रश्न-उत्तर

                                                     कक्षा 11 इतिहास

एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर
पाठ 10 मूल निवासियों का विस्थापन


संक्षेप में उत्तर दीजिए -

1. दक्षिणी और उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों के बीच के फकों से संबंधित किसी भी बिंदु पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर - उत्तरी अमरीका के मूल निवासी शिकार करने, मछली पकड़ने व संग्रहण करने में रुचि रखते थे। उनके द्वारा बड़े पैमाने पर खेती करने का प्रयास नहीं किया गया तथा न ही कभी अनाज का भंडारण किया। वे जंगली जानवरों जैसे भैंसे आदि की सवारी व शिकार करते थे। इसके विपरीत कृषि दक्षिणी अमरीका के मूल निवासियों की सभ्यता का आधार थी तथा प्रमुख उपज मक्का की फसल थी और वे जानवरों का शिकार करते थे व मछलियाँ भी पकड़ते थे। उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों ने बड़े पैमाने पर खेती नहीं की तथा इस कारण ही वे अधिशेष अनाज का उत्पादन नहीं करते थे। अत: वहाँ पर केंद्रीय तथा दक्षिणी अमरीका की भाँति राजशाही साम्राज्यों का उदय नहीं हुआ जबकि दक्षिणी अमरीका में विभिन्न बड़े साम्राज्य थे जैसे माया एज़टेक व इंका साम्राज्य। वहाँ पर भूमि के स्वामित्व को लेकर झगड़े नहीं होते थे। इसके अलावा औपचारिक संबंध बनाना तथा उपहार देना व लेना प्रचलन में था। अत: उपहारों का आदान-प्रदान करना और मित्रता स्थापित करना उनकी परंपरा में रची-बसी थी।


2. आप उन्नीसवीं सदी के संयुक्त राज्य अमरीका में अंग्रेजी के उपयोग के अतिरिक्त अंग्रेजों के आर्थिक और सामाजिक जीवन की कौन-सी विशेषताएँ देखते हैं?

उत्तर - संयुक्त राज्य अमरीका को उन्नीसवीं शताब्दी का एक लघु इंग्लैंड भी कहा जा सकता हैं। अंग्रेजों ने सन् 1763 में कनाडा पर भी अपना नियंत्रण कायम कर लिया था। अत: अंग्रेज़ी सभ्यता से समस्त उत्तरी अमरीका महाद्वीप की सभ्यता व्यापक स्तर पर प्रभावित हुई। अंग्रेजी भाषा के अलावा अंग्रेजों के आर्थिक तथा सामाजिक जीवन के कुछ प्रभाव संयुक्त राज्य अमरीका की सभ्यता व संस्कृति में देखे जा सकते हैं :

  •  इंग्लैंड के समान संयुक्त राज्य अमरीका की शासन-प्रणाली भी प्रजातंत्रीय थी।
  •  रहन-सहन व खान-पान के स्तर पर प्राय: समानता देखी जा सकती है।
  • मदिरा का सेवन दोनों देशों के निवासियों द्वारा समान रूप से किया जाता है। .
  • संयुक्त राज्य अमरीका में भी इंग्लैंड के समान ईसाई धर्म का वर्चस्व था। यहाँ के ईसाई धर्म के अनुयायी भी रोमन कैथोलिक व प्रोटेस्टेंट जैसे दो वर्गों में विभाजित थे। . संयुक्त राज्य अमरीका व अंग्रेजों की अर्थव्यवस्था पूर्णत: एक जैसी थी। दोनों देशों में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था आज भी विद्यमान हैं।
  • अंग्रेजों द्वारा शुरू की गई अंग्रेजी भाषा आज भी संयुक्त राज्य अमरीका की राजभाषा है, किंतु इंग्लैंड की अंग्रेजी और संयुक्त राज्य अमरीका के अंग्रेजी भाषा में कुछ अन्तर पाया जाता है। इस प्रकार से हम यहाँ के निवासियों व अंग्रेजों को एक ही सिक्के के दो पहलू मान सकते हैं।

3. अमरीकियों के लिए ‘फ्रटियर' के क्या मायने थे?

उत्तर - 18वीं शताब्दी के अंतिम चरण में संयुक्त राज्य अमरीका वस्तुत: अस्तित्व में आया।18वीं शताब्दी के मध्य तक अंग्रेजों ने उत्तरी अमरीका अटलांटिक सागर के तटवर्ती क्षेत्रों में तेरह उपनिवेश स्थापित कर लिए थे। इंग्लैंड की औपनिवेशिक नीतियों से परेशान होकर अपनी आजादी के लिए संघर्ष करने लगे | इसी संघर्ष (अमरीका स्वाधीनता संग्राम) के गर्भ से 'संयुक्त राज्य अमरीका' नामक नए राष्ट्र का जन्म हुआ। यह राष्ट्र अपने प्रथम चरण में एक छोटे क्षेत्रफल तक ही सीमित था। यधपि अपने जन्म के पश्चात ही इसने पश्चिम की तरफ विस्तार लेना आरम्भ कर दिया। इसी विस्तार को अमरीकियों ने 'फ्रटियर" की संज्ञा दी और आने वाले सौ वर्षों में इसने अपने अधिकार क्षेत्रों का विस्तार करके अपने वर्तमान आकार को प्राप्त किया। 'युद्ध तथा क्षेत्रों की खरीद' दोनों पर संयुक्त राज्य अमरीका ने अपना विस्तार के लिए  ध्यान दिया। उसने दक्षिण में फ्रांस, रूस और लुइसियाना से अलास्का का क्रय किया तो इस तरफ मैक्सिको से युद्ध करके उसके विशाल भू-भाग पर अपना आधिपत्य स्थापित किया। उल्लेखनीय है कि संयुक्त राज्य अमरीका का अधिकांश दक्षिणी भाग मैक्सिको से जबरन हथियाया गया है। यह स्मरणीय है कि किसी का क्रय-विक्रय करते समय क्रेता या विक्रता वहाँ के स्थानीय निवासियों की राय लेना भी उचित नहीं समझता था। यही कारण था कि संयुक्त राज्य अमरीका की पश्चिमी सीमा (फ्रेंटियर) के खिसकने के साथ-साथ वहाँ के स्थानीय सरहदवासियों को पीछे की तरफ खिसकने हेतु विवश किया जाता था।


4. इतिहास की किताबों में ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों को शामिल क्यों नहीं किया गया था?

उत्तर -  इतिहास की किताबों में ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों को शामिल नहीं किया गया था इसके मुख्य कारण इस प्रकार है :

  1. 1770 ई० में कैप्टन जेम्स कुल ने ऑस्ट्रेलिया की खोज की थी।साथ-ही-साथ साथियों के विवरणों से यह ज्ञात होता है किआरम्भ में उनका मूल निवासियों के प्रति व्यवहार मधुर था परन्तु हवाई द्वीप में आदिवासियों द्वारा कैप्टन कुल की हत्या कर दी गई। इसके बाद अंग्रेजों और मूल निवासियों के संबंध में कटुता आ गई। आदिवासियों के प्रति अंग्रेजों के मन में घृणा का भाव उत्पन्न हो गया। फलत: उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों के बारे में किसी भी प्रकार की सूचना देने का प्रयास ही नहीं किया।
  2.  सर्वविदित है कि आरम्भ में इंग्लैंड से मात्र अपराधियों को ही ऑस्ट्रेलिया भेजा जाता था। ये अपराधी ऑस्ट्रेलिया में ही आजीवन रहते थे क्योंकि इनके वापस लौटने का कोई प्रावधान नहीं था। अत: इनमें इंग्लैंड सरकार के प्रति जो रोष पैदा होता था उसकी अभिव्यक्ति अलग-अलग तरीके से मूल निवासियों को प्रताड़ित करने के रूप में होती थी। इस तरह दोनों पक्षों में घृणा की भावनाएँ लगातार बढ़ती गई।1968 के बाद गलतियों को सुधारा गया और ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों को इतिहास में बराबर स्थान दिया जाने लगा।
  3. उस समय ऑस्ट्रेलिया का तटीय भाग ही आबाद था। वहाँ से यूरोपियों द्वारा मूल निवासियों को निकालने की कोशिश में दोनों पक्षों में द्वंद्ध आरंभ हो गया। फलत: यूरोपीयों ने मूल निवासियों के बारे में लिखना बंद कर दिया।

संक्षेप में निबंध लिखिए -

5. लोगों की संस्कृति को समझने में संग्रहालय की गैलरी में प्रदर्शित चीजें कितनी कामयाब रहती हैं?

उत्तर - किसी देश के संग्रहालय की गैलरी में प्रदर्शित विविध/अनेक चीजों को देखकर हम उस देश की सभ्यता-संस्कृति के विषय में, खान-पान, वेश-भूषा, उनके निवासियों के रीति-रिवाजों,आदि के विषय में सुगमतापूर्वक समझ सकते हैं। उदाहरणत : भारत के अनेक संग्रहालयों में प्रदर्शित हड़प्पाई सभ्यता संबंधी औजारों, आभूषणों, मृद-भांडों, मोहरों और घरेलू उपकरणों को देखकर हम आर्थिक, सामाजिक, उस सभ्यता के निवासियों के रहन-सहन,और धार्मिक जीवन के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। उन प्रदर्शित चीजों से यह स्पष्ट है कि हड़प्पा सभ्यता के लोगों की शिल्प तथा उद्योग संबंधी प्रतिभा उच्च-कोटि की थी। वे चाक की सहायता से मिट्टी के सुंदर एवं कलात्मक बर्तन बनाते थे जिन्हें लाल और काले रंगों से रंगा भी जाता था। संग्रहालय में प्रदर्शित छोटी-बड़ी अनेक तकलियों तथा फूलदार रंगीन वस्त्रों के टुकड़े इस बात के प्रमाण हैं कि वस्त्र-निर्माण व्यवसाय इस सभ्यता का एक महत्वपूर्ण व्यवसाय था। संग्रहालय में प्रदर्शित हड़प्पा सभ्यता की मूर्तियों को देखकर हम इस सभ्यता के लोगों के पहनावे के विषय में जानकारी हासिल करते हैं। इसी तरह संग्रहालय में प्रदर्शित सिक्कों से अनेक राजवंशों के इतिहास का पुनर्निर्माण करने में आवश्यक मदद मिलती है। सिक्कों से प्राचीन भारत की आर्थिक स्थिति, धार्मिक दशा तथा सांस्कृतिक विकास की भी जानकारी मिलती है। उदाहरण के लिए, गुप्त काल के अनेक सिक्कों पर विष्णु तथा गरुड़ के चित्रों से यह सिद्ध होता है कि गुप्त शासक विष्णु के उपासक थे। समुद्रगुप्त की वीणा-अंकित मुद्राएँ उसके संगीत प्रेमी होने का प्रमाण हैं। तदुपरान्त चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के चाँदी के सिक्कों से स्पष्ट है कि उसने शकों को पराजित किया था। इसका कारण यह है कि उस समय चाँदी के सिक्के केवल पश्चिमी भारत में प्रचलन में थे। नि:संदेह गुप्तकालीन सिक्के अत्यधिक कलात्मक प्रतीत होते हैं। साहित्य एवं कला में इससे शासक वर्ग की रुचि स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होती है। कुषाणकालीन सिक्कों पर अनेक ईरानी और यूनानी देवी-देवताओं के अलावा भारतीय देवी-देवताओं के चित्र भी पाए जाते हैं। कुषाण शासक प्रारंभ से ही भारतीयों से प्रभावित थे। इसी तरह अन्य देशों के संग्रहालयों की गैलरियों में प्रदर्शित चीजों को देखकर हम उनकी संस्कृतियों के संबंध में अमूल्य जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।


6. कैलिफोर्निया में चार लोगों के बीच 1880 में हुई किसी मुलाकात की कल्पना कीजिए। ये चार लोग हैं : एक अफ्रीकी गुलाम, एक चीनी मजदूर, गोल्ड रश के चक्कर में आया हुआ एक जर्मन और होपी कबीले का एक मूल निवासी। उनकी बातचीत का वर्णन कीजिए।

उत्तर - कैलीफ़ोर्निया संयुक्त राज्य अमरीका का एक महत्वपूर्ण राज्य है। यहाँ 1880 में जोसेफ नामक एक अफ्रीकी गुलाम, ली-तुंग नामक एक चीन का मजदूर, एक जर्मन व्यापारी विलियम और होपी कबीले का बाँब नामक एक मूल निवासी आस-पास ही रहते थे। अमरीकी महाद्वीप में अफ्रीका से लाए गए गुलामों की संख्या किसी समय बहुत अधिक थी। 1750 ई० में कुछ लोगों के पास अनुमानत: हजार-हजार की संख्या में गुलाम होते थे। लेकिन संयुक्त राज्य अमरीका में 1861 ई० में दास प्रथा को समाप्त कर दिए जाने के कारण जोसेफ स्वतंत्र नागरिक बन चुका था। बहुत समय पहले ली-तुंग के पूर्वज भी संयुक्त राज्य अमरीका में आ गए थे। विलियम 'गोल्ड रश' के समय कैलीफ़ोर्निया आया था। उत्तरी अमरीका की धरती के नीचे सोना होने का अनुमान पहले से ही लगाया जाता था। सन् 1840 ई० में कैलीफ़ोर्निया में यूरोपीय वहाँ हजारों की संख्या में पहुँच गए। विलियम ऐसे यूरोपियों में से एक था। बॉब के पूर्वज दीर्घकाल से कैलीफ़ोर्निया में रह रहे थे। ये चारों एक-दूसरेसे परिचित थे। इससे पहले भी उन चारो की बातचीत होती रहती थी और कभी-कभी रविवार को उनकी मुलाकात भी हो जाती थी। यहाँ प्रस्तुत हैं उनकी एक मुलाकात में होनी वाली बातचीत का वर्णन -

अफ्रीकी गुलाम जोसेफ-
विलियम साहिब, आप बहुत ही नेकदिल और सज्जन हैं। हम जानते हैं कि आप 1845 ई० में कैलीफ़ोर्निया पधारे थे। ईश्वर की कृपा है कि आपने अपनी मेहनत और ईमानदारी से सोने के व्यापार में अच्छा लाभ कमाया है। आपका घर महल जैसा है और आपके पास सभी सुख-सुविधाएँ भी हैं। यह आपकी महानता है कि इतना सब कुछ होने के बावजूद भी आप हमें जब-तब दावत पर बुला लेते हैं और हमारी इतनी खातिरदारी भी करते हैं। सचमुच, आप एक महान इनसान हैं।

जर्मन व्यापारी विलियम-
आप लोग इतनी ज़्यादा प्रशंसा करके कृपया मुझे शर्मिदा न कीजिए। मुझे जर्मनी छोड़कर कैलीफोर्निया आए हुए लगभग 40 वर्ष बात चुके हैं। उस समय मैं बीस साल का नौजवान था तथा अब मेरे पैर कब्र की तरफ बढ़ रहे हैं। आपके प्यार की वजह से अब मैं जर्मनी में रहने वाले अपने संबंधियों तक को भूल चूका हूँ। अब तो आप सब ही मेरे अपने हो। अब मुझे आप सबके साथ जीना एवं मरना है। सचमुच, मैं बहुत खुशकिस्मत हूँ कि मुझे आप जैसे दोस्त मिले। ईश्वर करे, हमारी यह दोस्ती हमेशा बनी रहें।

एक मूल निवासी बॉब- मेंरे पास तो विलियम साहब की इंसानियत का बखान करने के लिए शब्द ही नहीं हैं। मेरी पत्नी अस्थमा की मरीज हैं। एक दिन अचानक उसकी तबीयत बहुत खराब हो गई। उसे फ़ौरन अस्पताल ले जाना जरूरी था।  लेकिन मेरे पास न तो पैसा था और न गाड़ी। तभीभगवान के रूप में विलियम साहब आ पहुँचे। वे अपनी गाड़ी में मेरी पत्नी को अस्पताल ले गए और उन्होंने बिना बताए उसके इलाज के लिए पैसे भी जमाकर दिए। यह सत्य हैं कि मेरी पत्नी को उन्हीं की कृपा से नया जीवन मिला। मेरा परिवार विलियम साहब का यह एहसान जीवन भर कभी नहीं भूल सकता।

चीनी मजदूर ली-तुंग-
मैं भी जोसेफ के विचारों से पूरी तरह सहमत हूँ। विलियम साहब सही में महान इनसान हैं और न ही उन्हें धन का कोई गरूर है अन्यथा रेल विभाग में एक मजदूर का काम करने वाले तुंग जैसे व्यक्ति को आज के जमाने में पूछता कौन है। नि:संदेह आज के जमाने में विलियम साहब जैसा नेक इनसान दुर्लभ है।