समय की शुरुआत से-पुनरावृति नोट्स

                                                               CBSE कक्षा 11 इतिहास

पाठ-1 समय की शुरुआत से
पुनरावृत्ति नोट्स


स्मरणीय तथ्य-

  • 56 लाख वर्ष पूर्व पृथ्वी पर मनुष्य के समान प्राणियों का उद्भव हुआ। तदुपरांत कालांतर में अनेक प्रकार के मानव उत्पन्न और विलुप्त हुए।
  • अनुमानतः आधुनिक मानव की उत्पत्ति लगभग 160,000 वर्ष पूर्व हुई।
  • चार्ल्स डार्विन द्वारा लिखित पुस्तक आॅन दि ओरिजिन आॅफ स्पीशीज (On The Origin Of Species) 24 नवम्बर सन् 1859 को प्रकाशित की जिनमें यह दलील दी गई मानव का विकास जानवरों से हुआ है। जानवरों से ही क्रमिक रूप से विकसित होकर अपने वर्तमान रूप में आया है।
  • मानव जीवाश्म (Fossil), पत्थर के औजार और गुफाओं की चित्रकारी मानव विकास के इतिहास के प्रमुख स्रोत हैं।
  • प्रजाति या स्पीशीज (Species) जीवों का एक ऐसा समूह होता है जिसके नर-मादा मिलकर बच्चे पैदा कर सकते हैं और उनके बच्चे भी आगे प्रजनन करने यानी संतान उत्पन्न करने में समर्थ होते हैं।
  • एशिया व अफ्रीका में स्तनपायी प्राणियों के प्राइमेट (Primates) पाए गए हैं। 240 लाख वर्ष पूर्व इसी प्राइमेट श्रेणी में होमिनॉइड (Hominoids) का उद्भव हुआ। वानर अर्थात् एप (Ape) इसी प्राइमेट श्रेणी में सम्मिलित थे।
  • 25 लाख वर्ष पूर्व पृथ्वी का एक बड़ा भाग बर्फ से ढँका था। परिणामतः जलवायु तथा वनस्पति की पारिस्थितिकी में व्यापक अंतर आया। जंगल कम हो गए और घास के मैदान विस्तृत भूमंडल में फैल गए। इसके साथ ही, आस्ट्रेलोपिथिकस धीरे-धीरे लुप्त हो गए और उसके स्थान पर दूसरी प्रजातियों का विकास हुआ। होमो को इसी प्रजाति का सबसे पुराना प्रतिनिधि माना जाता है।
  • होमो लैटिन भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ है-आदमी। इसमें स्त्री व पुरुष दोनों शामिल हैं।
  • होमो- वैज्ञानिकों ने इसे कई प्रजातियों में बाँटा है।
    • होमो हैविलिस- औजार निर्माता
    • होमो एरेक्टस- सीधे खड़े होकर पैरों के बल चलने वाले
    • होमो सैपियंस- चिंतनशील मनुष्य
  • होमो हैबिलिस के जीवाश्म इथियोपिया में ओमो (Omo) और तंजानिया में आल्डुवई गोर्ज (Olduvai Gorge) नामक स्थान पर पाए गए हैं। ये प्रजातियाँ अनुमानतः 10 लाख वर्ष पूर्व तक जीवित थीं।
  • होमो निअंडरथलैंसिस जीवाश्म लगभग 1,30,000 से 35,000 वर्ष पूर्व यूरोप, पश्चिमी व मध्य एशिया में पाए गए हैं जबकि यूरोप में इसके जीवाश्म लगभग 35,000 वर्ष पूर्व अचानक गायब हो गए।
  • जीवाश्मों का नामकरण दिलचस्प है। इनका नामकरण उन स्थलों के आधार पर रखा गया है जहाँ ये जीवाश्म सर्वप्रथम मिले हैं। जैसे कि निअंडर घाटी में पाए गए जीवाश्म को होमो निअंडरथलैंसिस (Homo Neanderthalensis) कहा जाता है।
  • निस्संदेह, आदिमानव कई तरीकों से अपना भोजन इकट्ठा किया करता था जैसे-
    1. संग्रहण (Gathering),
    2. शिकार (Hunting),
    3. अपमार्जन (Scavenging)
    4. मछली पकड़ना (Fishing) आदि।
  • आल्टामीरा- यह गुफा स्पेन में है। इसकी छत पर चित्रकारियाँ बनी हुई है।
  • पुरातत्वविद्- यह वह वैज्ञानिक है जो मानव इतिहास का अध्ययन खुदाई से मिले अवशेषों के अध्ययन के द्वारा करता है।
  • होमोनिड्- होमिनिडेइ नामक परिवार के सदस्य होते है। जिसमें सभी रूपों के मानव प्राणी शामिल होते हैं।
    विशेषतायें
    • बड़ा मस्तिस्क
    • सीधे खड़े होना
    • दो पैरों से चलना
  • आधुनिक मानव के उद्भव के दो सिद्धांत-
    • क्षेत्रीय निरंतरता माॅडल सिद्धांत- अनेक क्षेत्रों में अलग-अलग स्थानों पर मानव की उत्पत्ति हुई।
    • प्रतिस्थापन का सिद्धांत- मानव का उद्भव अफ्रीका में हुआ तथा वहाँ से भिन्न-भिन्न इलाकों में फैले।
  • आस्ट्रेलोपिथिकस- लातिनी भाषा के शब्द ‘आस्ट्रल’ यानी ‘दक्षिणी’ और यूनानी भाषा के ‘पिथिकस’ यानी ‘वानर’ से मिलकर बना है। यह नाम इसलिए दिया क्योंकि मानव के आद्य रूप में उसकी एप (वानर) व्यवस्था के अनेक लक्षण बरकरार रहे।
  • आदिमानव द्वारा निर्मित वस्तुओं से हमें उनकी जीवन शैली का ज्ञान होता है। केन्या में किलोंबे और ओलोर्जेसाइली जैसे स्थानों की खुदाई से हजारों की संख्या में शल्य-उपकरण तथा हस्तकुठार मिले हैं जो कि, 700,000 से 5,00,000 वर्ष पुराने औजार हैं।
  • इसी क्रम में चूल्हे का मिलना इस बात का सबूत है कि इस काल में आग पर नियंत्रण कायम हो चुका था। इसके अतिरिक्त, संभवतः आस्ट्रेलोपिथिकस ने सबसे पहले पत्थर के औजार बनाए। अनुमानतः स्त्री और पुरुष दोनों ही पत्थर के औजार बनाने में कुशल थे।
  • सिले हुए कपड़ों का सबसे प्राचीनतम साक्ष्य लगभग 21,000 वर्ष पुराना है। इसके साथ ही, हड्डी, सींग, हाथी के दाँत या लकड़ी पर भी नक्काशी की प्रथा शुरू हो चुकी थी।
  • जीवित प्राणियों में मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है, जिसने विचाराभिव्यक्ति के लिए भाषा का प्रयोग किया है। इसके अतिरिक्त उच्चरित भाषा और कला के मध्य अटूट संबंध को इनकार नहीं किया जा सकता है। कारण दोनों ही संप्रेषण के सशक्त माध्यम हैं।
  • मानव ने अपने अंतिम चरण में अर्थात् 10000 से 4500 वर्ष पूर्व जंगली पौधों को उगाना व जानवरों को पालतू बनाना सीख लिया। उसने एक स्थान पर रहकर खेती करना भी प्रारंभ कर दिया। निस्संदेह, मानव की कृषि पर निर्भरता से उसके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आया।
  • वर्तमान युग में भी शिकारी संग्राहक समाज दुनिया के कई भागों में विद्यमान है। अफ्रीका के कालाहरी में (Kalahari) में रहने वाला कुंग सैन (Kung San) इस समाज का जीवित प्रमाण है।
  • संचार व भाषा- आरंभ में होमिनिड भाषा में हाव-भाव या हाथों का हिलाना, गाने या गुनगुनाने जैसे मौखिक संचार का प्रयोग। मनुष्य की वाणी का प्रारंभ बुलाने की प्रक्रिया से हुआ, आरंभ में मानव ने बहुत ध्वनियों का प्रयोग किया, धीरे-धीरे ये ध्वनियाँ भाषा के रूप में विकसित हो गई होंगी।
  • औजारों का निर्माण-प्रारंभिक मानव ने औजारों का प्रथम बार निर्माण करके अपने संगठनात्मक कौशल तथा स्मरण शक्ति का परिचय दिया।
  • हादजा जन समूह- यह शिकारियों तथा संग्राहकों का एक छोटा समूह है।
  • शिकारी संग्राहक समाज- यह समाज शिकार करने के साथ-साथ आर्थिक क्रियाकलापों में लगे रहते थे, जैसे- जंगलों में पाई जाने वाली छोटी-छोटी चीजों का विनिमय और व्यापार करना इत्यादि।
  • हिमयुग का अंत-लगभग तेरह हजार साल पहले अंतिम हिमयुग का अंत होने से मानव में अनेक परिवर्तन आये जैसे- खेती करना, पशुपालन इत्यादि।