विधायिका - पुनरावृति नोट्स

CBSE कक्षा 11 राजनीति विज्ञान
पाठ - 5 विधायिका
पुनरावृति नोटस

स्मरणीय बिंदु-
  • लोकतंत्रीय शासन में विधायिका का महत्व बहुत अधिक होता है। भारत में संसदीय शासन प्रणाली अपनायी गयी है जो कि बिट्रिश प्रणाली पर आधारित है।
  • सरकार के तीन अंग होते है विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका। विधायिका का चुनाव जनता द्वारा होता है। इसलिए यह जनता का प्रतिनिधि बनकर कानून का निर्माण करती है। इसकी बहस, विरोध, प्रर्दशन, बहिर्गमन, सर्वसम्मति, सरोकार और सहयोग आदि अत्यंत जीवंत बनाय रखती है।
  • संविधान के अनुच्छेद 76 के अनुसार
    भारतीय संसद में दो सदनों के साथ-साथ राष्ट्रपति को भी सम्मिलित किया जाता है।
  • द्वि-सदनात्मक राष्ट्रीय विधायिका से अभिप्राय समाज के सभी वर्गो और देश के सभी क्षेत्रें को समुचित प्रतिनिधित्व दे सकें। दूसरा लाभ संसद के प्रत्येक निर्णय पर दूसरे सदन में पुनर्विचार हो।
  • भारतीय संसद का ऊपरी सदन राज्य सभा है। इसमें अधिकतम 250 सदस्य होते हैं जिनमें 12 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत और 238 राज्यों द्वारा अप्रत्यक्ष चुनाव द्वारा निर्वाचित होते है। इनका निर्वाचन 6 वर्ष के लिए किया जाता है। राज्य सभा एक स्थायी सदन है। प्रत्येक 2 वर्ष बाद इसके एक तिहाई सदस्यों का चुनाव होता है।
  • अमेरिका के द्वितीय सदन (सीनेट) में प्रत्येक राज्य को समान प्रतिनिधित्व दिया गया है भारत में अधिक जनसंख्या वाले राज्य को अधिक व कम जनसंख्या वाले राज्य को कम प्रतिनिधित्व दिया गया है।
  • राज्य सभा को प्रतिनिधि को योग्यता
    1. वह भारत का नागरिक हो।
    2. 30 वर्ष की आयु का हो।
  • 1951 के जन-प्रतिनिधि कानून के अनुसार राज्य सभा या लोकसभा के उम्मीदवार का नाम किसी-न किसी संसदीय निर्वाचक-क्षेत्र में पंजीकृत अवश्य हो।
राज्य सभा की शक्तियां व कार्य
  • वित्तीय शक्तियां
  • वित्त विधेयक पर राज्य सभा 14 दिन तक विचार कर सकती है।
  • संविधान-संशोधन संबंधी शक्तियां
  • प्रशासनिक शक्तियों - मंत्रियों से उनके विभागों कें संबंध में प्रश्न, राज्य सभा में भी पूछे जा सकते है।
  • अन्य शक्तियां:- चुनाव, महाभियोग, आपात स्थिति की घोषणा, न्यायाधीश को उसके पद से हटाया जाना इत्यादि पर दोनों सदनों पर अनुमति जरूरी है।
  • लोकसभा भारतीय संसद का निम्न सदन है। इसमें अधिकतम 250 सदस्य हो सकते है। वर्तमान में इसमें 543 निर्वाचित सदस्यों के साथ-साथ एग्लों इंडियन समुदाय के दो मनोनित सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष जनता द्वारा किया जाता है। इसका कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित है परंतु इसे समय से पहले भी भंग किया जा सकता है।
  • भारत में संसदीय शासन प्रणाली होने के कारण लोकसभा अधिक शक्तिशाली है क्योंकि इसके सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से होता है। इसे कार्यपालिका को हटाने की शक्ति भी प्राप्त
    है।
संसद के प्रमुख कार्य:-
  1. कानून बनाना
  2. कार्यपालिका पर नियंत्रण
  3. वित्तीय कार्य: बजट पारित करना
  4. संविधान संशोधन
  5. निर्वाचन संबंधी कार्य
  6. न्यायिक कार्य
  7. प्रतिनिधित्व
  8. बहस का मंच
  • लोक सभा की विशेष शक्तियां:- धन विधेयक प्रस्तुत करना उसे संशोधित व अस्वीकार कर सकती है।
  • मंत्रिपरिषद् केवल लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है।
  • विधेयक - प्रस्तावित कानून का प्रारूप
    1. सरकारी विधेयक- जो मंत्रियों द्वारा पेश किये जाते है।
      1. धन विधेयक
      2. साधारण विधेयक
      3. संविधान संशोधन विधेयक
    2. गैर सरकारी विधेयक- संसद का अन्य कोई सदस्य पेश करता है।
      1. साधारण विधेयक 
      2. संविधान संशोधन विधेयक
प्रक्रिया:-
  1. प्रथम वाचन
  2. द्वितीय वाचन (समिति स्तर)
  3. समिति की रिपोर्ट पर चर्चा
  4. तृतीय वाचन
  5. दूसरे सदन में प्रक्रिया
  6. राष्ट्रपति की स्वीकृति
संसदीय नियंत्रण के साधन:-
  1. बहस और चर्चा: प्रश्न काल, शून्य काल, स्थगन प्रस्ताव
  2. कानूनो की स्वीकृति या अस्वीकृति
  3. वित्तीय नियंत्रण
  4. अविश्वास प्रस्ताव, निन्दा प्रस्ताव
संसदीय समितियाँ:- ‘समिति’ एक छोटी संख्या है जिसे विशेष कार्य सौंपा जाता है ये विभिन्न मामलों पर विचार विमर्श करती हैं और प्रशासनिक कार्यो पर निगरानी रखती है।
समितियां-
  1. वित्तीय समितियां-
    1. लोक लेखा समिति:- भारत सरकार के विभिन्न विभागां का खर्च नियमानुसार हुआ है या नहीं।
    2. प्राकलन समिति:- खर्च में किफायत किस तरह की जा सकती है।
    3. लोक उपक्रम समिति:- सरकारी उद्योगों की रिपोर्ट की जांच करती है कि उद्योग का व्यवसाय कुशलता पूर्वक चलाये जा रहे है या नही।
  2. विभागीय स्थायी समितियां - यह कृषि, वाणिज्य उद्योग, गृह मंत्रलय इत्यादि संबंधित विद्यायकों की जांच करती है।
  3. अन्य समितियां:-
    • नियमन समिति-
    • विशेषाधिकार समिति-
    • कार्य-मंत्रणा समिति-
    • आश्वासन समिति
  4. तदर्थ समितियों - विशिष्ट विषयों की जांच-पड़ताल करने तथा रिपोर्ट देने के लिए समय-समय पर गठन किया जाता है। बोफोर्स समझौतो से संबंधित संयुक्त समिति।
    समितियों द्वारा दिये गए सुझावों को संसद शायद ही नामंजूर करती है।
संसद स्वयं को किस प्रकार नियंत्रित करती है।
  • संसद का सार्थक व अनुशासित होना।
  • सदन का अध्यक्ष विधायिका की कार्यवाही के मामले में सर्वोच्च अधिकारी होता है।
  • दल बदल निरोधक कानून द्वारा 1985 में 52 वां संशोधन किया गया। 91 वें संविधान संशोधन द्वारा दुबारा संशोधित किया गया।
    यदि कोई सदस्य अपने दल के नेतृत्व के आदेश के बावजूद सदन में उपस्थित न हो या दल के निर्देश के विपरीत सदन में मतदान करे अथवा स्वेच्छा से दल की सदस्यता से त्यागपत्र दे उसे ‘दलबदल’ कहा जाता है। अध्यक्ष उसे सदन की सदस्यता के अयोग्य ठहरा सकता है।
  • भारतीय संघात्मक सरकार में 29 राज्य 7 केन्द्र प्रशासित इकाइयों मिलकर भारत में संघीय शासन की स्थापना करती है। दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दर्जा किया गया है।
  • भारत के प्रत्येक राज्य में विधान मंडल की व्यवस्था एक समान नहीं है। कुछ राज्यों में एक सदनीय तथा कुछ राज्यों में द्वि-सदनीय व्यवस्था है।
  • राज्यों में कानून निर्माण का कार्य विधानमण्डलों को दिया गया है।
    1. निम्न सदन को विधान सभा
    2. उच्च सदन को विधान परिषद् कहा जाता है।
द्विसदनीय राज्य:- जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र व कर्नाटक है। बाकी सभी राज्य एक सदनीय है।
  1. विधान सभा की शक्तियाँ:-
    (i) विधायी कार्यशक्ति
    (ii) वित्तीय शक्तियां
    (iii) कार्यपालिका शक्तियां
    (iv) चुनाव संबंधी कार्य
    (v) संविधान संशोधन संबंधी शक्तियाँ
  2. विधान परिषद की शक्तियाँ
    (i) विधायी शक्तियां
    (ii) वित्तीय शक्तियां
    (iii) कार्यपालिका शक्तियां
    दोनों सदन राज्य विधान पालिका के आवश्यक अंग होते हुए भी संविधान ने विधानसभा को बहुत शक्तिशाली व प्रभावशाली स्थिति प्रदान की है।