सांस्कृतिक परिवर्तन - पुनरावृति नोट्स

CBSE कक्षा 12 समाजशास्त्र
[खण्ड-2] पाठ - 2 सांस्कृतिक परिवर्तन
पुनरावृत्ति नोट्स

  1. सांस्कृतिक परिवर्तन को चार प्रक्रियों के रूप मे देखा जा सकता है-
    • संस्कृतिकरण, आधुनिकीकरण, (लोकिकीकरण अथवा निरपेक्षीकरण) पश्चिमीकरण
    • संस्कृतिकरण की प्रक्रिया उपनिवेशवाद से पहले भी थी लेकिन बाकी की तीन प्रक्रियाएं उपनिवेशवाद के बाद की देन है।
  2. 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के प्रारंभ में हुए समाज सुधार आंदोलन
    • समाज सुधार आन्दोलन उन चुनौतियों के जवाब थे, जिन्हे भारत के लोग अनुभव कर रहे थे जैसे- सतीप्रथा, बालविवाह, पुर्नविवाह, विधवा तथा जातिप्रथा। राजा राम मोहन राय ने सतीप्रथा का विरोद्ध किया।
    • समाज शास्त्री सतीश सबर बाल ने औपनिवेशिक भारत मे आधुनिक परिवर्तनो के लिए निम्न पहलुओं को बताया-
      1. संचार माध्यम - प्रेस, माईक्रोफोन, जहाज, रेलवे आदि वस्तुओं के आवागमन में नवीन विचारों को तीव्र गति प्रदान करने में सहायता प्रदान की।
      • संगठनों के स्वरूप - बंगाल में ब्रह्मम समाज और पंजाब में आर्यसमाज की स्थापना हुई। मुस्लिम महिलाओं की राष्ट्र स्तरीय संस्था अन्जुमन-ए-ख्वातीन-ए-इस्लाम की स्थापना हुई।
      • विचार की प्रकृति - स्वतन्त्रता तथा उदारवाद के नए विचार, परिवार संरचना विवाह, सम्बन्धी नियम, संस्कृति मे स्वचेतन के विचार, शिक्षा का मूल्य।
    • आधुनिक तथा पारंम्परिक विचारधाराओं मे वादविवाद हुए। ज्योतिबा फूले ने आर्यों से पहले को अच्छा काल माना जबकि बाल गंगा धर तिलक ने आर्ययुग की प्रशसा की, जहांआरा शाह नवास ने अखिल भारतीय मुस्लिम महिला सम्मेलन में बहु-विवाह की कुप्रथा के विरूद्ध विश्वास किया तथा इसे कुरान की मूल भावनाओं के विरूद्ध बताया।
    • समाज सुधारों के विरोधियों ने भी अपनी रूढ़िवादी बातों को उठाया। जैसे - सतीप्रथा के समर्थन में बंगाल मे धर्म सभा का गठन हुआ।
    • भारत में संरचनात्मक तथा सांस्कृतिक विविधता है।
    • आधुनिक ज्ञान व शिक्षा के कारण शिक्षित भारतीयों को उपनिवेशवाद में अन्याय और अपमान का अहसास हुआ।
  3. संस्कृतिकरण-
    • संस्कृति करण एम.एस.श्री निवास के अनुसार वह प्रक्रिया जिसमे निम्न जाति या जन जाति, उच्च जाति (द्विज जातियाँ) की जीवन पद्धति, अनुष्ठान मूल्य, आदर्श तथा विचारों का अनुकरण करते है। इसके प्रभाव भाषा, साहित्य, विचार धारा, संगीत, नृत्य, नाटक, अनुष्ठान तथा जीवन पद्धति में देखे जा सकते है। यह प्रक्रिया अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग ढंग से होती है।
    • जिन क्षेत्रों मे गैर संस्कृतिकरण जातिया प्रभुत्वशाली थी, वहां की संस्कृति को इन निम्न जातियों ने प्रभावित किया। श्री निवास ने इसे विसंस्कृतिक करण का नाम दिया।
    • संस्कृतिकरण की आलोचना-
      • सामाजिक गतिशीलता निम्न जाति का स्तरीकरण में उर्ध्वगामी परिवर्तन करती है।
      • उच्च जाति की जीवन शैली उच्च तथा निम्न श्रेणी की जीवन शैली निम्न होने की भावना पाई जाती है।
      • उच्च जाति की जीवन शैली का अनुकरण वांछनीय तता प्राकृतिक है।
      • यह अवधारण असमानता तथा अपवर्जन आधारित है।
      • निम्न जाति के प्रति भेदभाव एक विशेषाधिकार है।
      • इसमे दलित समाज के मूलभूत पक्षों को पिछड़ा माना जाता है।
      • लड़कियों को भी असमानता की श्रेणी मे नीचे धकेल दिया जाता है।
      • जातीय सदस्यता ही प्रतिभा की सुचक बन गई है। यही भावना दलितों में भी आई है। लकिन फिर भी वे भेदभाव व अपवर्जन के शिकार है।
  4. पश्चिमी करण- ब्रिटिश शासन के 150 वर्षों मे आए प्रौद्योगीकी, संस्था, विचारधारा, मूल्य परिवर्तनो को पश्चिमी करण का नाम दिया गया। जीवनशैली एवं चिन्तन के अलावा भारतीय कला तथा साहित्य पर भी पश्चिमी संस्कृति का असर पड़ा है। ऐसे लोग कम ही थे जो पश्चिमी जीवन शैली को अपना चुके थे। इसके अलावा अन्य पश्चिमी सांस्कृतिक तत्वों जैसे नए उपकरणों का प्रयोग, पोशाक, खाद्य-पदार्थ तथा आम लोगों की आदतों और तौर-त्रिकोण में परिवर्तन आदि थे। मध्य वर्ग के एक बड़े हिस्से के परिवारों में टेलीविजिन, फ्रिज, सौफा-सेट, खाने की मेज आदि आम बात है।श्री निवासन के अनुसार निम्न जाति के लोग संस्कृतिकरण जबकि उच्च जाति के लोग पश्चिमीकरण की प्रक्रिया अपनाते है।
  5. आधुनिकीकरण - प्रारम्भ मे आधुनिकीकरण का आशय प्रोद्योगिकी और उत्पादन प्रक्रियाओं मे होने वाले सुधार से था। परन्तु आधुनिक विचारों के अनुसार-सीमित, संकीर्ण स्थानीय दृष्टिकोण कमजोर पड़ जाते है। और सार्वभौमिक दृष्टिकोण यानि पूरा विश्व एक कुटुम्ब है को महत्व दिया जाता है।
  6. आधुनिकीकरण और धर्मनिरपेक्षीकरण:-
    • ये धनात्मक तथा अच्छे मूल्यों की ओर झुकाओं को प्रदर्शित करता है।
    • आधुनिकीकरण का आशय प्रौद्योगिकरण ओर उत्पादन प्रक्रियाओं में होने वाले सुधार से है। इसका मतलब विकास का वो तरीका जिससे पश्चिमी यूरोप या उत्तर अमेरीका ने अपनाया।
    • आधुनिकीकरण का मतलब ये समझ में आता है कि इसके समक्ष सीमित-संर्किण-स्थानीय दृष्टिकोण कमजोर पड़ जाते है और सार्वभौमिक प्रतिबद्धता और विश्वजीत दृष्टिकोण ज्यादा प्रभावशाली होता है।
    • इसमें उपयोगिता, गणना और विज्ञान की सत्यता को भावुकता, धार्मिक पवित्रता ओर अवैज्ञानिक तत्वों क स्थान पर महत्व दिया जाता है।
    • इसके मूल्यों के मुताबिक समूह/संगठन का चयन जन्म के आधार पर नहीं बल्कि इच्छा के आधार पर होता है।
    • धर्मनिरपेक्षीकरण का मतलब ऐसी प्रक्रिया से हैं जिसमें धर्म के प्रभाव में कम आती है।
    • आधुनिक समाज ज्यादा ही धर्मनिरपेक्ष होता है।
  7. पंथ निरपेक्षीकरण - इसका अर्थ है धर्म के प्रभाव में कमी आधुनिक युग मे धार्मिक संस्थानों और लोगों के बीच बढ़ती दूरी इसका प्रमाण है। पंथ निरपेक्षीकरण के सूचक हैं मानव का धार्मिक व्यवहार, धार्मिक संस्थानों से सम्बन्ध, तथा भौतिक प्रभाव इसके अन्तर्गत आते है।